बुधवार सुबह 10:00 बजे की बात है. मैं दफ्तर जाने के लिए सुबह तैयार हो रहा था तब तक हमारे एक मित्र का फोन आया कि राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने कोरोना (Coronavirus) के बढ़ते मामले को देखते हुए राज्य की सीमाओं को सील कर दिया है. हमने उच्च अधिकारियों को फोन करना शुरू किया मगर तब तक कोई कंफर्म नहीं कर रहा था. इस बीच डीजी लॉ ऑर्डर एम एल लाठर की तरफ से चिट्ठी आई कि राज्य की सीमाओं को सील किया जाता है. आजतक पर खबर चलते ही सरकार की तरफ से फोन आया कि खबर गलत है. हमने सीमाओं को नियंत्रित करने के लिए कहा है, सील करने के लिए नहीं. हमने दोबारा लॉ एंड ऑर्डर डीजी से बात की तो उनका सुर बदला हुआ था. उन्होंने कहा था कि शायद कुछ कंफ्यूजन हो गया है, मैं दूसरा आदेश निकाल रहा हूं और तब तक दूसरा आदेश आया कि सीमाओं को नियंत्रित किया जाएगा. यह समझ से परे था कि सीमाओं के नियंत्रण का मतलब क्या होता है. सीमाएं अनियंत्रित तो होती नहीं है. इस बीच या खबर आई कि राज्य के बाहर आने और जाने के लिए कलेक्टर, एसपी से परमिशन लेना होगा और निजी गाड़ियों की चेकिंग का अधिकार पुलिस को होगा और राज्य की सीमाओं पर पुलिस का पहरा बढ़ा दिया गया है.
जब सब कुछ खोल दिया गया है ऐसे में कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने के लिए इस तरह की कवायद गले नहीं उतर रही थी. बुधवार शाम 5:00 बजे के बाद यह साफ हो गया सीमा का नियंत्रण का मतलब है कि जिस किसी गाड़ी पर पुलिस को शक है कि वह कांग्रेस के विधायकों को खरीदने के लिए पैसे लेकर आ रही है पुलिस उसकी चेकिंग कर सकती है और जो कोई विधायक यहां से भागने की कोशिश करेगा, कलेक्टर और एसपी उसको पकड़ लेंगें.
सीमाओं के नियंत्रण का मतलब...
बुधवार सुबह 10:00 बजे की बात है. मैं दफ्तर जाने के लिए सुबह तैयार हो रहा था तब तक हमारे एक मित्र का फोन आया कि राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने कोरोना (Coronavirus) के बढ़ते मामले को देखते हुए राज्य की सीमाओं को सील कर दिया है. हमने उच्च अधिकारियों को फोन करना शुरू किया मगर तब तक कोई कंफर्म नहीं कर रहा था. इस बीच डीजी लॉ ऑर्डर एम एल लाठर की तरफ से चिट्ठी आई कि राज्य की सीमाओं को सील किया जाता है. आजतक पर खबर चलते ही सरकार की तरफ से फोन आया कि खबर गलत है. हमने सीमाओं को नियंत्रित करने के लिए कहा है, सील करने के लिए नहीं. हमने दोबारा लॉ एंड ऑर्डर डीजी से बात की तो उनका सुर बदला हुआ था. उन्होंने कहा था कि शायद कुछ कंफ्यूजन हो गया है, मैं दूसरा आदेश निकाल रहा हूं और तब तक दूसरा आदेश आया कि सीमाओं को नियंत्रित किया जाएगा. यह समझ से परे था कि सीमाओं के नियंत्रण का मतलब क्या होता है. सीमाएं अनियंत्रित तो होती नहीं है. इस बीच या खबर आई कि राज्य के बाहर आने और जाने के लिए कलेक्टर, एसपी से परमिशन लेना होगा और निजी गाड़ियों की चेकिंग का अधिकार पुलिस को होगा और राज्य की सीमाओं पर पुलिस का पहरा बढ़ा दिया गया है.
जब सब कुछ खोल दिया गया है ऐसे में कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने के लिए इस तरह की कवायद गले नहीं उतर रही थी. बुधवार शाम 5:00 बजे के बाद यह साफ हो गया सीमा का नियंत्रण का मतलब है कि जिस किसी गाड़ी पर पुलिस को शक है कि वह कांग्रेस के विधायकों को खरीदने के लिए पैसे लेकर आ रही है पुलिस उसकी चेकिंग कर सकती है और जो कोई विधायक यहां से भागने की कोशिश करेगा, कलेक्टर और एसपी उसको पकड़ लेंगें.
सीमाओं के नियंत्रण का मतलब था कांग्रेस के विधायकों पर सरकार का नियंत्रण. दरअसल यह फैसला उस मीटिंग में लिया गया जब अचानक से 9:00 बजे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निवास पर आपात बैठक बुलाई गई थी. हर तरफ यही खबर फैली कि कोरोना के मामले अचानक से बढ़ें हैं जिसकी वजह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इतने गंभीर हैं कि आपात बैठक बुलाकर सीमाओं को सील करने या फिर नियंत्रण करने का उपाय कर रहे हैं.
मगर जब वहां से कांग्रेस के कुछ विधायक और अशोक गहलोत के नजदीकी बाहर आए तो मामला कुछ और ही निकला. उन्होंने कहा कि बीजेपी के विधायकों की तरफ से कांग्रेस के कुछ विधायकों और निर्दलीय विधायकों को बीजेपी की तरफ से 35 करोड़ देने का ऑफर हुआ है. ऐसा कहा गया कि बीजेपी के नेता राजेंद्र राठौड़ को इस मामले में कांग्रेस के कुछ नेताओं ने धमकाया भी. देखते-देखते बाजार में खबर फैल गई कि सचिन पायलट के करीबी मंत्री विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा समेत कई विधायक नाराज हैं, गहलोत सरकार को खतरा है.
यह सब कब हुआ और कैसे हुआ इसके बारे में हर कोई कयास ही लगा रहा है. अशोक गहलोत के करीबी नेताओं का कहना है कि मंगलवार को अशोक गहलोत से कुछ विधायक मिले थे और उन्हें कहा था कि राज्यसभा चुनाव के दौरान हमें पैसे देने की पेशकश हुई है उसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक्शन में आ गए थे. मगर उलझी हुई सियासी कहानी का यह एक सिरा भर है.
राजस्थान में चल रहे पॉलिटिकल ड्रामे का असली हीरो कौन है? या किसी को समझ में नहीं आ रहा है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस के विधायकों और सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों को शहर से 25 किलोमीटर दूर एक फाइव स्टार रिजॉर्ट में ले जाकर यह कहते हुए कि पॉलिटिकल क्वॉरेंटाइन कर दिया कि बीजेपी तोड़फोड़ कर रही है.
मंगलवार की रात 11:00 बजे मुख्यमंत्री निवास से सभी विधायकों को फोन गया कि राज्यसभा चुनाव को लेकर बुधवार की शाम 5:00 बजे मुख्यमंत्री निवास पर विधायक दल की बैठक है आप सभी लोग जल्दी से जल्दी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निवास 13 सिविल लाइंस पहुंचे. जब विधायक वहां पहुंचे तो सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें अपने घेरे में ले लिया और अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री निवास के अंदर लगी लग्जरी बसों में विधायकों को बैठाकर कहा कि आप लोग शिव विलास पहुंचिए, मैं मीटिंग के लिए वही आ रहा हूं.
इस बीच राजस्थान के मुख्य सचेतक महेश जोशी एक पत्र लेकर राजस्थान के डीजीपी और एंटी करप्शन ब्यूरो के डीजी के पास पहुंचे कि हमें विश्वास सूत्रों से पता चला है कि हमारे विधायकों को बीजेपी प्रलोभन देकर खरीदने की कोशिश कर रही है अतः जांच कर इस पर कार्रवाई करें. अजीब विडंबना है सरकार कांग्रेस की, मुख्यमंत्री कांग्रेस के, इंटेलिजेंस इनका और डीजीपी इनका फिर भी मंत्री का दर्जा प्राप्त मुख्य सचेतक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ पुख्ता खबर के दावे पर शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंचते हैं और कहते हैं कि जांच करें हमारे विधायकों को खरीदा जा रहा है.
इन्हें किसने रोका है यह बताने के लिए कि बीजेपी के किस नेता ने पैसे देने का ऑफर किया और इनके किस विधायक को यह ऑफर आया. जनता ऐसा ऐसी लाचार सरकार और ऐसे लाचार मुख्यमंत्री को शायद ही कभी देखा हो. तब तक दिल्ली से चार्टर्ड विमान से राज्यसभा के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला भी जयपुर पहुंच गए.
जब इनका विमान रनवे को उतरना था तो आंधी आ गई और ऐसे में रनवे पर उतरने की इजाजत मिल नहीं रही थी. फिर अचानक से यह अफवाह फैली कि बीजेपी सुरजेवाला का विमान जयपुर में नहीं उतारने दे रही है. मगर आंधी खत्म होते ही सुरजेवाला जयपुर आए. रात को इन विधायकों की बैठक हुई जिसमें से विधायकों ने कहा कि हम तो कपड़े भी लेकर नहीं आए हैं और कुछ ने कहा की दवाइयां भी लेकर नहीं आई है तो अशोक गहलोत ने ने 24 घंटे का वक्त दिया कि आप लोग सामान लेकर गुरुवार की शाम 5:00 बजे तक होटल में पहुंचे.
गुरुवार की शाम 7:00 बजे विधायक दल की बैठक होगी जिसमें राज्यसभा के उम्मीदवार और कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल कांग्रेस के महासचिव अविनाश पांडे और रणदीप सिंह सुरजेवाला भेजता लेंगे दरअसल राजस्थान में राज्यसभा की 3 सीटों के लिए चुनाव होने हैं. कांग्रेस के पास 123 विधायकों के बहुमत होने का दावा है और बीजेपी के पास 72 विधायक हैं इनके साथ राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के 3 विधायक भी हैं.
राज्यसभा में जाने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार को 51 वोट की जरूरत है. ऐसे में कांग्रेस आसानी से 2 सीटें जीत रही है जबकि बीजेपी को 2 सीटें जीतने के लिए कांग्रेस के 25 विधायकों को तोड़ने की जरूरत पड़ेगी. कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव में केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी को उतारा है जबकि बीजेपी ने पहले उम्मीदवार के रूप में राजेंद्र गहलोत को और दूसरे उम्मीदवार के रूप में ओंकार सिंह लखावत को उतारा है.
उधर बीजेपी कह रही है कि हमारी तरफ से पैसे का कोई ऑफर नहीं दिया गया है, कांग्रेस की अंदरूनी झगड़े की वजह से हमें बदनाम किया जा रहा है जबकि कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि 35 करोड़ का ऑफर दिया गया था जिसमें से 10 करोड़ एडवांस दिया जा रहा था. हालांकि किसको ऑफर मिला है और किसने दिया है इस बात पर सब चुप्पी साधे हुए हैं. दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कि बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए बीजेपी से पैसे मिलने की बात कही हो.
या फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हीं सचिन पायलट का कद घटाने के लिए इस पूरे पॉलिटिकल ड्रामा के पीछे हो मगर सच्चाई अभी तक सामने नहीं आ पाई है. कुल पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट कह रहे हैं कि हमें तो किसी विधायक ने नहीं कहा कि हमें खरीदा जा रहा है पता नहीं क्या खबर कहां से आई है.
बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में आए विधायकों का कहना था कि हम तो धोबी का कुत्ता बन गए हैं. ना घर के रहे न घाट के रहे .कहा तो गया था कि मंत्री बनाएंगे, राजनीतिक नियुक्तियां देंगे, मगर राज सभा चुनाव में भी कोई नहीं पूछ रहा है. कम से कम बहुजन समाज पार्टी में रहते तो कुछ कमाई तो हो जाती. सच्चाई जो भी हो कांग्रेस में आए बहुजन समाज पार्टी के विधायकों का यह कहना काम कर गया है कि बीजेपी की तरफ से हमें पैसे का प्रलोभन मिल रहा है. उनकी खूब खातिरदारी हो रही है. बस यह सार्वजनिक रूप से नाम नहीं बता रहे हैं कि उनको किसने फोन किया था और कितने पैसे दे रहा था. सरकार ने भी इनसे सुन लिया है मगर किसी को कुछ बता नहीं रही है.
कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि यह सारा पॉलिटिकल ड्रामा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही रचा है. यह बीजेपी को खुद से एक बार दिखाना चाहते हैं कि उनके साथ उनके विधायक एकजुट हैं. मध्यप्रदेश और गुजरात में जो झटका लगा है उसे देखते हुए कांग्रेस को राजस्थान में मनोवैज्ञानिक लाभ देने की कोशिश कर रहे हैं.
दूसरी तरफ कांग्रेस आलाकमान को यह भी समझाया जा सकता है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहते हुए सचिन पायलट कांग्रेस के सरकार को अस्थिर करने में लगे हुए हैं लिहाजा उनकी विदाई की जाए और कोई ऐसे व्यक्ति को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जो सरकार के साथ मिलकर राजस्थान में कांग्रेस की नींव मजबूत करें. अशोक गहलोत ने अपने विरोधियों को निपटाने के लिए ऐसे -ऐसे तरीकों का इस्तेमाल किया है जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता है.
बीजेपी के लिए परेशानी की बात यह है कि जो बीजेपी के बागी उम्मीदवार विधायक बने हैं जिन्हें चुनाव में वसुंधरा राजे जिन्हें टिकट नहीं दिलवा पाई थी वह निर्दलीय विधायक अशोक गहलोत को समर्थन दे रहे हैं. ऐसे में राजस्थान में चर्चा भी आम है कि कहीं वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत की दोस्ती मोदी शाह के मिशन राजस्थान पर भारी तो नहीं पड़ रहा है.
बीजेपी के विधायक ओम प्रकाश हुडला को टिकट दिलवाने के लिए वसुंधरा राजे ने विधानसभा चुनाव के दौरान मोर्चा खोल दिया था मगर टिकट नहीं मिल पाया तो वसुंधरा के करीबी हुड़ला निर्दलीय चुनाव जीत गए और आज उन्होंने ऐलान कर दिया कि बदली हुई परिस्थितियों में अशोक गहलोत के साथ हैं. सुरेश टांक समेत दो-तीन और वसुंधरा के करीबी निर्दलीय विधायक है जो कांग्रेस का साथ दे रहे हैं.
सच्चाई जो भी हो इसमें जीता हुआ एक ही व्यक्ति दिख रहा है वह है राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत. अशोक गहलोत ने बहुजन समाज पार्टी की पूरी पार्टी तोड़कर कांग्रेस में मिला ली. सारे निर्दलीय विधायकों को मिला लिया. बीजेपी के बागी जीते निर्दलीय विधायकों को भी अब पार्टी में मिला रहे हैं उधर खबर आ रही है कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के 3 विधायकों में से दो विधायक को भी तोड़ने की कोशिश की जा रही है. मगर अशोक गहलोत हैं कि उल्टी बीजेपी पर ही हार्स ट्रेडिंग का आरोप लगा रहे हैं. दरअसल अशोक गहलोत इसी तरह की राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं. मारते भी हैं और पानी भी नहीं पीने देते हैं.
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