राजस्थान में हुई बगावत के बाद सीएम अशोक गहलोत कांग्रेस आलाकमान के सामने पूरी तरह से नतमस्तक नजर आ रहे हैं. कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद सफाई में उन्होंने कहा कि 'मैंने इस मामले पर सोनिया गांधी से खेद जताया है.' दरअसल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा के बाद सूबे में नए सीएम के तौर पर सचिन पायलट के नाम की चर्चा होने लगी थी.
जिसके बाद राजस्थान में कांग्रेस विधायकों ने सीधे गांधी परिवार के खिलाफ ही बगावत कर दी थी. दरअसल, 2020 में सचिन पायलट के बागी होने के बाद से ही अशोक गहलोत और उनके बीच दूरियां बढ़ गई थीं. और, गहलोत किसी भी हाल में नहीं चाहते थे कि सचिन पायलट को राजस्थान के सीएम पद पर बैठाया जाए. फिलहाल राजस्थान में जैसे सियासी हालात नजर आ रहे हैं. कहना गलत नहीं होगा कि राजस्थान का आज नहीं तो कल 'पंजाब' बनाना तय है.
पंजाब और राजस्थान के सियासी हालात क्यों नजर आ रहे हैं एक जैसे?
- पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में सिर-फुटौव्वल अपने चरम पर पहुंच गई थी. गांधी परिवार के करीबी नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने राजनीतिक कद को बढ़ाने के लिए पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. फिलहाल राजस्थान के सियासी हालात भी सिर-फुटौव्वल वाले ही हैं. 2020 में सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत अपना सियासी कद बढ़ाने के लिए ही की थी. ये अलग बात है कि पायलट की इस बगावत को गहलोत ने फेल कर दिया था. लेकिन, बगावत के बाद से ही सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच 36 का आंकड़ा हो गया. मौके-बेमौके पर गहलोत ने सचिन पायलट के खिलाफ आग उगलने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हालांकि, गांधी परिवार में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के करीबी सचिन ने इस पर शांति बनाए रखी. लेकिन, हालिया बगावत के बाद ये शांति कब तक कायम रहेगी, कहना मुश्किल है.
राजस्थान में हुई बगावत के बाद सीएम अशोक गहलोत कांग्रेस आलाकमान के सामने पूरी तरह से नतमस्तक नजर आ रहे हैं. कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद सफाई में उन्होंने कहा कि 'मैंने इस मामले पर सोनिया गांधी से खेद जताया है.' दरअसल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा के बाद सूबे में नए सीएम के तौर पर सचिन पायलट के नाम की चर्चा होने लगी थी.
जिसके बाद राजस्थान में कांग्रेस विधायकों ने सीधे गांधी परिवार के खिलाफ ही बगावत कर दी थी. दरअसल, 2020 में सचिन पायलट के बागी होने के बाद से ही अशोक गहलोत और उनके बीच दूरियां बढ़ गई थीं. और, गहलोत किसी भी हाल में नहीं चाहते थे कि सचिन पायलट को राजस्थान के सीएम पद पर बैठाया जाए. फिलहाल राजस्थान में जैसे सियासी हालात नजर आ रहे हैं. कहना गलत नहीं होगा कि राजस्थान का आज नहीं तो कल 'पंजाब' बनाना तय है.
पंजाब और राजस्थान के सियासी हालात क्यों नजर आ रहे हैं एक जैसे?
- पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में सिर-फुटौव्वल अपने चरम पर पहुंच गई थी. गांधी परिवार के करीबी नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने राजनीतिक कद को बढ़ाने के लिए पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. फिलहाल राजस्थान के सियासी हालात भी सिर-फुटौव्वल वाले ही हैं. 2020 में सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत अपना सियासी कद बढ़ाने के लिए ही की थी. ये अलग बात है कि पायलट की इस बगावत को गहलोत ने फेल कर दिया था. लेकिन, बगावत के बाद से ही सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच 36 का आंकड़ा हो गया. मौके-बेमौके पर गहलोत ने सचिन पायलट के खिलाफ आग उगलने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हालांकि, गांधी परिवार में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के करीबी सचिन ने इस पर शांति बनाए रखी. लेकिन, हालिया बगावत के बाद ये शांति कब तक कायम रहेगी, कहना मुश्किल है.
- पंजाब में कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परिवार ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की सलाह को नजरअंदाज कर नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया था. जिसके बाद नवजोत सिद्धू ने अमरिंदर सिंह के खिलाफ जमकर बयानबाजी चालू कर दी थी. इसी तरह राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का फैसला गांधी परिवार ने ही लिया था. लेकिन, राहुल गांधी ने जैसे ही 'एक नेता-एक पद' वाले सिद्धांत को अपनाने का ऐलान किया. अशोक गहलोत ने कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ परोक्ष रूप से अपने करीबी विधायकों के जरिये बगावत कर दी. क्योंकि, गहलोत सीएम पद पर अपने ही किसी करीबी को बैठाना चाहते थे. जबकि, गांधी परिवार सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करना चाहता था. लेकिन, अशोक गहलोत नहीं चाहते थे कि सचिन पायलट को सीएम की कुर्सी दी जाए.
- माना जाता है कि पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच दूरी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत थे. पंजाब में हरीश रावत को कांग्रेस संगठन और नेताओं के बीच पुल की तरह काम करना था. लेकिन, हरीश रावत ऐसे सियासी संकट को सुलझाने की बजाय अपने राज्य उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव पर ध्यान लगाए थे. वहीं, राजस्थान में सियासी संकट उपजने के बाद पर्यवेक्षक हालात संभालने पहुंचे कांग्रेस नेताओं अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे भी बागी विधायकों को समझाने में सफल नहीं हुए. बताना जरूरी है कि अजय माकन लंबे समय से राजस्थान में कांग्रेस प्रभारी हैं. और, माकन को सचिन पायलट का करीबी माना जाता है. यही वजह है कि गहलोत गुट के विधायकों ने अजय माकन पर सचिन पायलट का पक्ष लेने का आरोप जड़ दिया है. बता दें कि माकन ने बागी कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों को अनुशासनहीनता करार दिया है.
- पंजाब में सिद्धू को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के कुछ ही समय बाद सीएम अमरिंदर सिंह को इस्तीफा देना पड़ गया था. और, इसके बाद सीएम पद को लेकर खूब नूराकुश्ती हुई थी. सिद्धू से लेकर सुनील जाखड़ तक ने सीएम पद के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था. फिलहाल राजस्थान में भी यही खींचतान साफ देखी जा सकती है. अशोक गहलोत चाहते हैं कि उनके किसी करीबी नेता को सीएम पद मिले. वहीं, कांग्रेस आलाकमान सीएम की कुर्सी पर सचिन पायलट को बैठाना चाहता है. इसके चलते एक ओर अशोक गहलोत के समर्थन में कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफों की झड़ी लगा दी है. वहीं, सचिन पायलट पर गांधी परिवार का वरदहस्त साफ नजर आता है. राजस्थान के हालिया सियासी हालात देखकर आसानी से कहा जा सकता है कि यहां भी सीएम पद के लिए पंजाब जैसी ही स्थिति बनने वाली है.
- पंजाब में गांधी परिवार ने सभी नेताओं को किनारे रखते हुए चरणजीत सिंह चन्नी को पहले दलित सीएम के तौर पर पेश कर दिया था. माना जा रहा है कि गांधी परिवार राजस्थान में भी अशोक गहलोत को शांत रखने के लिए ऐसा ही कोई दांव खेलेगी. जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. क्योंकि, राजस्थान में अशोक गहलोत को नाराज करने का मतलब है कि कांग्रेस सरकार गिर जाएगी. लेकिन, कांग्रेस आलाकमान अगर ऐसी गलती करता है. तो, जिस तरह से पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले सीएम पद को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू और चरणजीत सिंह चन्नी में ठन गई थी. उसी तरह राजस्थान में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सचिन पायलट और अशोक गहलोत गुट के नेताओं के बीच फिर से सियासी खींचतान पैदा हो सकती है. जिसका नुकसान कांग्रेस को ही उठाना पड़ेगा.
- नवजोत सिंह सिद्धू के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद अमरिंदर सिंह को कांग्रेस छोड़ने पड़ी थी. अगर राजस्थान में भी इसी तरह का कोई फैसला लिया जाता है. और, अगर अशोक गहलोत या सचिन पायलट में से कोई भी कांग्रेस छोड़ता है. तो, ये कांग्रेस के लिए मुश्किल हालात पैदा कर देगा. अशोक गहलोत को राजस्थान की सियासत का जादूगर कहा जाता है. तो, उन्हें नाराज करने का खतरा शायद कांग्रेस मोल न ले. लेकिन, इसकी वजह से सचिन पायलट गुस्सो हो जाएंगे. अगर ऐसा होता है, तो पायलट के पास भाजपा में जाने का रास्ता खुला है. और, संभव है कि कुछ सालों में सचिन पायलट भी हिमंता बिस्वा सरमा की तरह सीएम बना दिए जाएं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो राजस्थान का आज नहीं तो कल 'पंजाब' बनाना तय है.
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