2014 का लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections). बहुत कुछ अप्रत्याशित था तो वहीं तमाम चीजें ज्ञात भी थीं. महसूस हो रहा था कि देश बदलाव चाहता है जैसे परिणाम आए महसूस हुआ कि शायद नीतियां और परिवारवाद वो अहम कारण था जिसके चलते देश की जनता ने कांग्रेस पार्टी (Congress party) को सिरे से नकारा और भाजपा को वो मुकाम दिया जिसकी कल्पना 2014 चुनावों से पहले न तो पार्टी ने ही की थी न ही पार्टी का नेतृत्व कर रहे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने. भाजपा (BJP) को मिले जनादेश के बाद ख़ुद कांग्रेस पार्टी के तमाम बड़े नेता अलग अलग मंचों पर ये बात स्वीकार कर चुके हैं कि पार्टी के अंदर गतिरोध इस हद तक है कि देश की जनता ने कांग्रेस पार्टी को इस काबिल समझा ही नहीं कि देश की कमान उसे दी जाए. 2014 के बाद 2019 के चुनाव में भी हमें कुछ ऐसा ही देखने को मिला. तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की सारी प्लानिंग धरी की धरी रह गई और 14 की अपेक्षा 19 में भाजपा को और प्रचंड बहुमत मिला. सवाल होगा कि 2020 में 2014 और 19 की बातें क्यों ? तो वजह है देश के पूर्व प्रधानमंत्री और बकौल कांग्रेस देश के विकास पुरुष राजीव गांधी (Rajiv Gandhi). 20 अगस्त ये वो तारीख है जब 1944 में राजीव गांधी का जन्म (Rajiv Gandhi Birth Anniversary) हुआ और जैसे हालात हैं और जिस तरह कांग्रेस देश की जनता की नजरों से गिरी है आज राजीव गांधी और उनके अलग अलग कार्यों को तमाम भिन्न भिन्न प्लेटफॉर्म्स पर प्रमोट करना कांग्रेस की ज़रूरत भी है और मजबूरी भी.
तस्वीर शीशे की तरह साफ है. तमाम काबिल और अनुभवी लोग होने के बावजूद कंग्रेस पार्टी सिर्फ एक परिवार तक सीमित है. साथ ही...
2014 का लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections). बहुत कुछ अप्रत्याशित था तो वहीं तमाम चीजें ज्ञात भी थीं. महसूस हो रहा था कि देश बदलाव चाहता है जैसे परिणाम आए महसूस हुआ कि शायद नीतियां और परिवारवाद वो अहम कारण था जिसके चलते देश की जनता ने कांग्रेस पार्टी (Congress party) को सिरे से नकारा और भाजपा को वो मुकाम दिया जिसकी कल्पना 2014 चुनावों से पहले न तो पार्टी ने ही की थी न ही पार्टी का नेतृत्व कर रहे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने. भाजपा (BJP) को मिले जनादेश के बाद ख़ुद कांग्रेस पार्टी के तमाम बड़े नेता अलग अलग मंचों पर ये बात स्वीकार कर चुके हैं कि पार्टी के अंदर गतिरोध इस हद तक है कि देश की जनता ने कांग्रेस पार्टी को इस काबिल समझा ही नहीं कि देश की कमान उसे दी जाए. 2014 के बाद 2019 के चुनाव में भी हमें कुछ ऐसा ही देखने को मिला. तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की सारी प्लानिंग धरी की धरी रह गई और 14 की अपेक्षा 19 में भाजपा को और प्रचंड बहुमत मिला. सवाल होगा कि 2020 में 2014 और 19 की बातें क्यों ? तो वजह है देश के पूर्व प्रधानमंत्री और बकौल कांग्रेस देश के विकास पुरुष राजीव गांधी (Rajiv Gandhi). 20 अगस्त ये वो तारीख है जब 1944 में राजीव गांधी का जन्म (Rajiv Gandhi Birth Anniversary) हुआ और जैसे हालात हैं और जिस तरह कांग्रेस देश की जनता की नजरों से गिरी है आज राजीव गांधी और उनके अलग अलग कार्यों को तमाम भिन्न भिन्न प्लेटफॉर्म्स पर प्रमोट करना कांग्रेस की ज़रूरत भी है और मजबूरी भी.
तस्वीर शीशे की तरह साफ है. तमाम काबिल और अनुभवी लोग होने के बावजूद कंग्रेस पार्टी सिर्फ एक परिवार तक सीमित है. साथ ही पूर्व में पार्टी में इतने घोटाले हो चुके हैं कि देश की जनता को लगता है कि अगर फिर सत्ता पार्टी के हाथ में रही तो देश बर्बादी की कगार पर आ जाएगा. वहीं बात अगर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हो तो आप पीएम मोदी की कोई भी रैली उठाकर देख लीजिए जैसे भाषण प्रधानमंत्री ने दिए हैं और जिस तरह उसमें नेहरू-गांधी परिवार की लूट घसोट का वर्णन हुआ है देश की जनता को कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं पर भरोसा करने में वक़्त लगेगा.
अब जबकि स्थिति इस हद तक विकट हो तो कांग्रेस के लिए भी ज़रूरी है कि वो भी अपनी तरफ से रणनीति बनाए और उसके दम पर मैदान में आकर बाजी मारे. अगर आने वाले वक्त में ऐसा कुछ होता है तो वो राजीव गांधी का नाम ही है जो कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार की डूबती नैया का खेवैया बन सकता है.
ये बात काबिल ए गौर है कि आज विश्व मानचित्र पर भारत जहां कहीं भी है या फिर जैसे भारत विकास के मार्ग पर पूरी दुनिया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है. उसमें हम किसी भी सूरत में हम राजीव गांधी की भूमिका को नहीं नकार सकते. यानी अपने द्वारा किये गए कामों से राजीव गांधी ऐसा बहुत कुछ कर गए हैं कि अगर जनता के बीच जाकर कांग्रेस पार्टी उसका जिक्र भर कर ले, तो वो देश की जनता को आकर्षित करने में कामयाब हो सकती है.
हालिया दिनों में जैसा रुख ट्विटर पर कांग्रेस पार्टी का है वो अपने आप में दिलचस्प है. जिस तरह से सोशल मीडिया पर कांग्रेस पार्टी द्वारा राजीव गांधी को लेकर कैम्पेन चलाया जा रहा महसूस होता है कि कहीं न कहीं ये बात अब कांग्रेस पार्टी को भी समझ में आ गयी है कि वो राजीव गांधी ही हैं जो पार्टी को रिवाइव कर नयी दिशा दे सकते हैं.
सोशल मीडिया का रुख करने पर मिलता है कि वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के कई नेता हैं जो सोशल मीडिया पर राजीव गांधी को कैश करते हुए आपदा में अवसर तलाश रहे हैं. आइये कुछ और बात करने से पहले एक बार सोशल मीडिया का रुख कर लिया जाए अवश्य ही हमें चीजों को समझने में आसानी होगी.
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने स्वर्गीय राजीव गांधी की कुछ पुरानी चिट्ठियां ट्विटर पर पोस्ट की हैं. मकसद साफ़ है पवन देश को स्वर्गीय राजीव गांधी के विजन से अवगत कराना चाह रहे हैं.
पिता राजीव को याद करते हुए राहुल गांधी ने भी देश को बता दिया है कि क्यों राजीव इस देश के लिए जरूरी थे. साथ ही वो कौन सी वजहें हैं जिनके चलते देश को राजीव गांधी को याद करना चाहिए.
प्रियंका गांधी ने भी राजीव गांधी की एक तस्वीर ट्वीट की है और इशारों इशारों में समझाया है कि कैसे राजीव जन-जन के नेता थे.
बात आपदा में अवसर की हुई है तो हम कांग्रेस पार्टी के ताजे ताजे दोस्त बने उद्धव ठाकरे को कैसे भूल सकते हैं. इस मुहीम में उद्धव भी सोनिया गांधी एंड फैमिली के साथ है.
राजीव गांधी का जिक्र हो और कांग्रेस शिक्षा पर बात न करे तो फिर व्याख्या एक हद तक अधूरी रह जाती है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपने ट्वीट से भी देश और देश की जनता को राजीव गांधी द्वारा किये गए कामों से अवगत कराया है.
जब जब स्वर्गीय राजीव गांधी का जिक्र होगा टेक्नोलॉजी और विज्ञान पर बात होगी ही.
राजीव गांधी के जन्मदिन पर यूं तो ट्विटर पर लाखों ट्वीट हैं उपरोक्त ट्वीट उनकी झलकियां हैं. लेकिन जब हम इन तमाम ट्वीट्स पर गौर करते हैं और इनका तुलनात्मक अध्ययन करते हैं तो एक बात जो हमारे सामने निकल कर आती है वो ये है कि आज तमाम कांग्रेसी नेता ढूंढ ढूंढ के राजीव गांधी के छोटे बड़े कामों से देश की जनता को अवगत करा रहे हैं.
कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं का मकसद साफ है. कांग्रेस उस छवि को तोड़ना चाहती है जो वर्तमान में भाजपा और पीएम मोदी ने कांग्रेस पार्टी की बना दी है.
ट्विटर पर तमाम ऐसे रिएक्शन्स भी हैं जिनमें एक वर्ग द्वारा ये भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस ये सब 24 के लोक सभा चुनावों के मद्देनजर कर रही है. यदि ऐसा है भी तो भी कोई बुराई नहीं है. राजनीति में भले ही पक्ष कोई भी हो जीतने के लिए साम, दाम, दंड भेद एक किये जाते हैं. यदि राजीव गांधी के नाम या उनके कामों की ही बदौलत कांग्रेस दोबारा अपना खोया हुआ मुकाम हासिल कर लेती है तो इसमें कोई बुराई नहीं है मौजूदा वक्त का तकाजा ही कुछ ऐसा है.
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