देश के पहले 'युवा' प्रधानमंत्री राजीव गांधी का 20 अगस्त को जन्मदिन है. जाहिर है सोशल मीडिया पर लोग आज राजीव गांधी को याद कर रहे हैं. #RajivGandhi हैशटैग ट्रेंड हो रहा है. लेकिन लोगों के कुछ संदेश ऐसे भी हैं जो राजीव गांधी को एक अलग ही रूप में याद कर रहे हैं.
विवाद किस नेता से जुड़े नहीं होते. जाहिर है राजीव गांधी से भी जुड़े थे. हालांकि आज का दिन ऐसा नहीं है कि राजीव गांधी से जुड़े विवादों को कुरेदा जाए. लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों ने आज के दिन उनके इसी पहलू का उजागर किया है. लोगों ने उन्हें बहुत से मामलों के लिए जिम्मेदार बताया है. जिनमें से कुछ हैं-
1984 के दंगे-
1984 में इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद राजीव गाधी का एक बयान आया था जिसमें उन्होंने कहा था, ‘जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है.’ राजीव गांधी के इस बयान को 1984 के सिख विरोधी दंगों से जोड़कर देखा जाता रहा. उन्हें हजारों सिखों की मौत का जिम्मेदार माना जाता है.
शाहबानो मामला
शाहबानो मामला जिसने देश की राजनीति को बदलकर रख दिया, उसके लिए भी तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के फैसले को गलत माना गया था. 1978 में जब शाहबानो के पति ने उन्हें तलाक दिया था तब पांच बच्चों की मां 62 वर्षीय शाहबानो ने गुजारा भत्ता पाने के लिए कानून की शरण ली. सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो के हक में फैसला दिया...
देश के पहले 'युवा' प्रधानमंत्री राजीव गांधी का 20 अगस्त को जन्मदिन है. जाहिर है सोशल मीडिया पर लोग आज राजीव गांधी को याद कर रहे हैं. #RajivGandhi हैशटैग ट्रेंड हो रहा है. लेकिन लोगों के कुछ संदेश ऐसे भी हैं जो राजीव गांधी को एक अलग ही रूप में याद कर रहे हैं.
विवाद किस नेता से जुड़े नहीं होते. जाहिर है राजीव गांधी से भी जुड़े थे. हालांकि आज का दिन ऐसा नहीं है कि राजीव गांधी से जुड़े विवादों को कुरेदा जाए. लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों ने आज के दिन उनके इसी पहलू का उजागर किया है. लोगों ने उन्हें बहुत से मामलों के लिए जिम्मेदार बताया है. जिनमें से कुछ हैं-
1984 के दंगे-
1984 में इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद राजीव गाधी का एक बयान आया था जिसमें उन्होंने कहा था, ‘जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है.’ राजीव गांधी के इस बयान को 1984 के सिख विरोधी दंगों से जोड़कर देखा जाता रहा. उन्हें हजारों सिखों की मौत का जिम्मेदार माना जाता है.
शाहबानो मामला
शाहबानो मामला जिसने देश की राजनीति को बदलकर रख दिया, उसके लिए भी तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के फैसले को गलत माना गया था. 1978 में जब शाहबानो के पति ने उन्हें तलाक दिया था तब पांच बच्चों की मां 62 वर्षीय शाहबानो ने गुजारा भत्ता पाने के लिए कानून की शरण ली. सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो के हक में फैसला दिया और पति को गुजारा भत्ता देने के लिए कहा. लेकिन राजीव गांधी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को मिलने वाले मुआवजे को निरस्त करते हुए एक साल के भीतर मुस्लिम महिला (तलाक में संरक्षण का अधिकार) अधिनियम, (1986) पारित कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया. माना जाता है कि राजीव गांधी ने ऐसा मुस्लिम धर्मगुरुओं के दबाव में आकर किया था.
भोपाल गैस कांड
भोपाल गैस कांड भी 1984 में हुआ था. घटना के करीब एक महीने पहले ही राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे. उनके कार्यकाल की यह पहली बड़ी त्रासदी दी थी. जिस कारखाने से गैस का रिसाव हुआ था उसके मालिक थे वारेन एंडरसन. हादसे के बाद एंडरसन भोपाल आए. भोपाल गुस्से में था. वारेन एंडरसन की पहुंच तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी तक थी. भोपाल प्रशासन ने राजीव गांधी को दो टूक शब्दों में कह दिया कि वे एंडरसन को सुरक्षा नहीं दे सकते. मजबूरन राजीव गांधी के निर्देश पर तत्कालीन गृह मंत्री एवं पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंहराव ने अर्जुन सिंह सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए कि एंडरसन को सुरक्षित रवाना किया जाए. तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह ने इस घटना के बारे में लिखी किताब भोपाल गैस त्रासदी का सच में एंडरसन की रिहाई का सच भी लिखा है. इस सच को उजागर करने के कारण उनके खिलाफ आरोपी को भगाने का मुकदमा भी दर्ज किया गया था.
बोफोर्स
राजीव गांधी सरकार ने मार्च 1986 में स्वीडन की एबी बोफोर्स से 400 तोपें खरीदने का करार किया था. बोफोर्स तोपों की खरीद में दलाली का खुलासा अप्रैल 1987 में स्वीडन रेडियो ने किया था. रेडियो के मुताबिक बोफोर्स कंपनी ने 1437 करोड़ रुपये का सौदा हासिल करने के लिए भारत के बड़े राजनेताओं और सेना के अधिकारियों को रिश्वत दी थी. इस खुलासे ने भारतीय राजनीति और राजीव गांधी की पार्टी में उथल-पुथल मचा दी थी. उसके बाद 1989 के लोकसभा चुनाव में ये मुख्य मुद्दा था जिसने राजीव गांधी को सत्ता से बाहर कर दिया और वीपी सिंह राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के प्रधानमंत्री बन गए.
...लेकिन राजीव को चाहने वालों की भी कमी नहीं है
राजीव गांधी को भारतीय राजनीति का पहला क्यूट राजनेता कहा जाए, तो गलत नहीं होगा. उनका आहिस्ता-आहिस्ता बोलना. मुस्कुराते हुए बात करना. उस दौर के लोगों की यादों में अब भी बसा हुआ है. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद अभूतपूर्व जनमत के साथ प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव के सिर पर विवादों का साया है, तो कई उपलब्धियों का सेहरा भी है. कहते हैं इंसान के कर्म ही उसे इस लायक बनाते हैं कि लोग मरने के बाद भी उसे याद करें. राजीव गांधी के नाम के साथ भले ही इतने सारे मामले जुड़े, लेकिन फिरभी उनके वो काम कभी भी भुलाए नहीं जा सकेंगे जो उन्होंने किए. ऐसे में उनके दौर में हुए क्रांतिकारी बदलावों को भूल पाना भी मुश्किल है. जैसे- पंचायती राज व्यवस्था, इस व्यवस्था में महिलाओं के लिए आरक्षण की सुविधा, टेलिकॉम क्रांति,
ये भी पढ़ें-
56 इंच की छाती तो राजीव गांधी की थी !
राजीव गांधी थे भारत के सबसे सांप्रदायिक प्रधानमंत्री!
क्या राजीव गांधी भी असहिष्णु थे... वीडियो तो यही कहता है!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.