'A true friend is someone who thinks that you are a good egg even though he knows that you are slightly cracked.' दो दोस्तों की दोस्ती को दर्शाती ये कोटेशन अमेरिका के मश्हूर रेडियो होस्ट बर्नार्ड सी मेल्टज़र की है. इस कोटेशन को अगर हम भारत के दो दोस्तों के संदर्भ में देखे तो मिलता है कि बिल्कुल सही बैठती है. हम बात कर रहे हैं जम्मू कश्मीर कैडर के पूर्व आईएएस रह चुके वजाहत हबीबुल्लाह (Wajahat Habibullah) और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की. हबीबुल्लाह ने एक किताब लिखी है और दावा किया है कि 1986 में प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी को अयोध्या में बाबरी मस्जिद- रामजन्मभूमि परिसर (Babri Masjid - Ramjanma Bhoomi) में ताला खोल दिए जाने की कोई जानकारी नहीं थी. हबीबुल्लाह ने अपनी नई किताब 'माई इयर्स विद राजीव गांधी ट्रिंफ एंड ट्रेजडी' (My Years With Rajiv Gandhi Triumph and Tragedy) में दावा किया है कि जब उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री से पूछा था कि क्या वह अयोध्या (Ayodhya) में ताला खुलवाने के निर्णय में शामिल थे? तो राजीव गांधी का जवाब एकदम सीधा और स्पष्ट था. राजीव गांधी ने कहा था कि “किसी भी धार्मिक स्थलों के कामकाज में दखलअंदाजी करना सरकार का काम नहीं है.'
ध्यान रहे कि पूर्व पीएम राजीव गांधी के पीएमओ में तैनात जम्मू-कश्मीर कैडर के पूर्व आईएएस वजाहत हबीबुल्लाह न सिर्फ दून स्कूल में राजीव गांधी के जूनियर थे बल्कि बाद में उन्होंने पीएमओ में संयुक्त सचिव का पदभार भी ग्रहण किया.
अपनी नई किताब माई इयर्स विद राजीव गांधी ट्रिंफ एंड ट्रेजडी’ में राजीव गांधी का जिक्र करते हुए...
'A true friend is someone who thinks that you are a good egg even though he knows that you are slightly cracked.' दो दोस्तों की दोस्ती को दर्शाती ये कोटेशन अमेरिका के मश्हूर रेडियो होस्ट बर्नार्ड सी मेल्टज़र की है. इस कोटेशन को अगर हम भारत के दो दोस्तों के संदर्भ में देखे तो मिलता है कि बिल्कुल सही बैठती है. हम बात कर रहे हैं जम्मू कश्मीर कैडर के पूर्व आईएएस रह चुके वजाहत हबीबुल्लाह (Wajahat Habibullah) और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की. हबीबुल्लाह ने एक किताब लिखी है और दावा किया है कि 1986 में प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी को अयोध्या में बाबरी मस्जिद- रामजन्मभूमि परिसर (Babri Masjid - Ramjanma Bhoomi) में ताला खोल दिए जाने की कोई जानकारी नहीं थी. हबीबुल्लाह ने अपनी नई किताब 'माई इयर्स विद राजीव गांधी ट्रिंफ एंड ट्रेजडी' (My Years With Rajiv Gandhi Triumph and Tragedy) में दावा किया है कि जब उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री से पूछा था कि क्या वह अयोध्या (Ayodhya) में ताला खुलवाने के निर्णय में शामिल थे? तो राजीव गांधी का जवाब एकदम सीधा और स्पष्ट था. राजीव गांधी ने कहा था कि “किसी भी धार्मिक स्थलों के कामकाज में दखलअंदाजी करना सरकार का काम नहीं है.'
ध्यान रहे कि पूर्व पीएम राजीव गांधी के पीएमओ में तैनात जम्मू-कश्मीर कैडर के पूर्व आईएएस वजाहत हबीबुल्लाह न सिर्फ दून स्कूल में राजीव गांधी के जूनियर थे बल्कि बाद में उन्होंने पीएमओ में संयुक्त सचिव का पदभार भी ग्रहण किया.
अपनी नई किताब माई इयर्स विद राजीव गांधी ट्रिंफ एंड ट्रेजडी’ में राजीव गांधी का जिक्र करते हुए हबीबुल्लाह ने ये भी लिखा है कि विवादित परिसर में ताला खुल रहा है ये बात राजीव गांधी को तब पता चली जब आदेश पारित हो गया. किताब के मद्देनजर दिलचस्प बात ये है कि विवादित परिसर में ऐसा कुछ होने वाला है इसके बारे में किसी ने भी न तो राजीव गांधी से कंसल्ट किया न ही किसी ने ऐसा कुछ होने की सूचना राजीव गांधी को दी.
बात सीधी और साफ है कि वर्तमान परिदृश्य में जब राम मंदिर निर्माण का सारा क्रेडिट पीएम मोदी को दिया जा रहा है और शायद ये किताब वजाहत हबीबुल्लाह ने राजीव गांधी की इमेज बिल्डिंग के लिए लिखी हो मगर इस किताब में कई ऐसी बातें हैं जो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को सवालों के घेरे में डाल रही हैं. खासतौर पर ऐसे समय में जब कांग्रेस का एक धड़ा यह प्रचारित करने में लगा है कि यदि राजीव गांधी बाबरी मस्जिद का ताला न खुलवाते तो आज राम मंदिर नहीं बन रहा होता.
पूर्व आईएएस वजाहत हबीबुल्लाह द्वारा लिखी गयी ये किताब वेस्टलैंड पब्लिकेशन से प्रकाशित हुई है जो कि इसी साल अक्टूबर में बाजार में आएगी. किताब और इस किताब में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जैसी छवि दर्शायी गयी है इसे लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. बात अगर सोशल मीडिया की हो तो एक वर्ग वो भी है जो इन तमाम जानकारियों के बाद यही कह रहा है कि इस किताब के जरिये हबीबुल्लाह ने राजीव गांधी को अत्यधिक भोला दर्शा कर उनके प्रति अपनी लॉयल्टी सिद्ध करने की कोशिश की है.
गौरतलब है कि 1 फरवरी, 1986 को फैजाबाद के डिस्ट्रिक्ट जज के एम पांडेय ने महज एक दिन पहले यानी 31 जनवरी, 1986 को दाखिल की गई एक अपील पर त्वरित सुनवाई करते हुए करीब 37 साल से बंद पड़ी बाबरी मस्जिद का ताला खुलवा दिया था. तब उस वक़्त विपक्ष ने यही आरोप लगाए थे कि ये सब राजीव गांधी के इशारों पर हुआ है और इसका उद्देश्य हिंदू वोटरों को साधना है, जो उस वक़्त शाह बानो मामले को लेकर राजीव गांधी सरकार की तीखी आलोचना कर रहे थे. और उन पर मुस्लिम वोटों के तुष्टिकरण का आरोप लगा रहे थे. जिस वक्त बाबरी मस्जिद का ताला खुला उस वक़्त कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और बतौर सीएम सूबे की कमान वीर बहादुर सिंह के हाथों में थी.
हबीबुल्लाह ने अपनी किताब में इस बिंदु को प्रमुखता से उठाया है और लिखा है कि ताला खोलने का फैसला मुस्लिम तुष्टिकरण वाली बात को बराबर करने के लिए नहीं किया गया था, ये बस एक संयोग था. बात अगर इस किताब की हो तो इस किताब का बेस हबीबुल्लाह और राजीव गांधी के बीच का वो संवाद है जो 1986 में हुआ था दोनों ही लोग विमान से गुजरात के सूखा ग्रस्त इलाकों का दौरा कर रहे थे.
ये किताब एक ऐसे समय में आ रही है जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर के लिए भूमि पूजन कर दिया है. किताब में राजीव गांधी को भोला और मुस्लिमों का हिमायती बताया गया है. जो ये साफ़ बताता है कि इस किताब का सीधा फायदा कांग्रेस को एक ऐसे समय में होगा जब वो देश की जनता के बीच अपना जनाधार खो चुकी है.
'कहा जा सकता है कि कांग्रेस को खुद आगे आकर इस किताब को कैश कर ले चाहिए। क्या पता वो मुस्लिम मतदाता जो उससे नाराज चल रहे हैं और छिटक कर दूर हो गए हैं वो वापस उसके पाले में आ जाएं बाकी जिस तरह लेखक ने राजीव गांधी को हर प्रमुख घटना से अनजान बताया है इसका कितना फायदा भाजपा उठती है इसका भी फैसला आने वाले वक़्त की गर्त में छिपा है. सभी सवालों के जवाबों के लिए हमें केवल और केवल इतंजार करना है.
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