समस्याएं आती हैं तो समाधान भी निकाले जाते हैं. भारत नक्सलवाद, पत्थरबाजों से परेशान है. हर जगह बेगुनाहों की जानें जा रही हैं. सरकार कोशिशें तो करती है लेकिन हल नहीं निकलता.
कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमला हुआ था जिसमें 25 जवान शहीद हो गए थे. जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नक्सलवाद से निपटने के लिए हाईलेवल मीटिंग की. जहां उन्होंने नक्सल प्रभावित राज्य की सरकारों को आठ सूत्रीय ‘समाधान’ सुझाए और इसे ‘लक्ष्य की एकता’ के रूप में स्वीकार कर लागू करने का अनुरोध भी किया है.
नक्सली समस्या से निपटने के लिए राजनाथ ने समाधान शब्द दिया है जिसका उन्होंने अर्थ भी समझाया है.
S -smart leadership (स्मार्ट नेतृत्व)
A -aggressive strategy (आक्रामक रणनीति)
M -motivation and training (प्रेरणा और प्रशिक्षण)
A -actionable intelligence (कार्रवाई योग्य बुद्धि)
D -dashboard based key performance indicators and key result areas (मुख्य निष्पादन संकेतक और प्रमुख परिणाम क्षेत्र)
H -harnessing technology (दोहन तकनीक)
A -action plan for each threat (प्रत्येक खतरे के लिए कार्य योजना)
N -no access to financing (वित्तपोषण तक कोई पहुंच नहीं)
नक्सलियों से निपटने के लिए राजनाथ ने समाधान निकाल लिया है अब ये कितना सफल होगा ये देखने वाली बात होगी. ऐसे ही मनमोहन सिंह ने कश्मीर मुद्दे के लिए भी प्लान निकाला था लेकिन वो फेल हो गया था.
मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ कश्मीर मसले का हल निकालने के लिए प्लान बनाया था. यह खुलासा एक वरिष्ठ भारतीय नौकरशाह ने किया था. यह भी कहा जाता रहा है कि मोदी के पीएम बनने के बाद मनमोहन ने ये फाइल उनको दी थी.
क्या था फाइल में ?
अधिकारी ने बताया कि फाइल में था कि 'कंसल्टिव मेकनिज़म' के जरिए दोनों क्षेत्रों के पर्यटन, धार्मिक मान्यताएं, संस्कृति और व्यापार जैसे सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर ध्यान दिया जाना था. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने जनरल मुशर्रफ के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया क्योंकि इससे कश्मीर पर भारत की संप्रभुता खत्म हो जाती. इसके बावजूद, मनमोहन और मुशर्रफ कश्मीर का हल निकालने के लिए बातचीत बढ़ाना चाहते थे.
मनमोहन के भरोसेमंद डिप्लोमैट सतिंदर लांबा और मुशर्रफ ने रियाज मुहम्मद खान और तारिक अजीज के बीच काठमांडू और दुबई में करीब 30 दिनों तक 200 घंटे की मीटिंग हुई. लेकिन, उसके बाद हालात पाक की तरफ से बिगड़ते गए और ये प्लान ठंडे बस्ते में चला गया.
कश्मीर पर वायपेयी फॉर्मूला
अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीर समस्या के हल के लिए बातचीत को सबसे उपयुक्त माध्यम बताया था. उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र, मानवता और कश्मीरियत को बचाने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा.' अटल बिहारी वाजपेयी कश्मीर समस्या का हल इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के रास्ते पर चलते हुए करना चाहते थे. लेकिन, ऐसा हो नहीं पाया. कुल मिलाकर भारत ने जब-जब समस्या का समाधान निकालने की कोशिश की तो वो फेल ही रही. अब ये देखना होगा गृहमंत्री नक्सलियों पर लगाम लगाने वाला ये 'समाधान' कितना असरदार साबित होता है.
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