कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवारों की घोषणा करने पर पार्टी के कई लोगों का दर्द छलक कर सामने आ गया था. खैर, कांग्रेस जैसे-तैसे इस संकट से निकली ही थी कि अब पार्टी को कुछ राज्यों में अपनी सीटें बचाना ही मुश्किल होता नजर आ रहा है. कांग्रेस को उम्मीद है कि 57 सीटों में से 10 पर उसकी जीत तय है. लेकिन, कांग्रेस के लिए कुछ राज्यों में बने हालात अलग ही गवाही दे रहे हैं. जिसते चलते कांग्रेस आरोप लगा रही है कि भाजपा 'हॉर्स ट्रेडिंग' के सहारे राज्यसभा चुनाव में नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है.
राजस्थान में सचिन पायलट की बगावत के दौरान विधायकों को जिस तरह से रिसॉर्ट में भेजा गया था. एक बार फिर वैसे ही हालात राज्यसभा चुनाव के लिए बनते नजर आ रहे हैं. क्योंकि, 2016 के 'स्याही कांड' के चलते ही हरियाणा से सुभाष चंद्रा राज्यसभा पहुंच गए थे. दरअसल, भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों से हरियाणा और राजस्थान में राज्यसभा चुनाव कांग्रेस के लिए 'टेढ़ी खीर' साबित होने जा रहा है. आइए जानते हैं कि सियासी दांवपेंचों के बीच राज्यों में कांग्रेस के लिए समीकरण क्या कहते हैं...
हरियाणा में फिर से 'स्याही कांड' का खतरा
हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों के लिए चुनाव होना है. जिसके लिए कांग्रेस ने एक ही उम्मीदवार उतारा है. लेकिन, भाजपा ने अपने उम्मीदवार कृष्ण लाल पंवार के साथ ही एक निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा को भी समर्थन दे रखा है. जिसकी वजह से हरियाणा में सियासी हलचल बढ़ गई है. दरअसल, 2016 में कांग्रेस पार्टी के 14 विधायकों के वोट गलत स्याही का इस्तेमाल करने के कारण रद्द हो गए थे. और, सुभाष चंद्रा राज्यसभा पहुंच गए थे. हालांकि, कांग्रेस ने इस...
कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवारों की घोषणा करने पर पार्टी के कई लोगों का दर्द छलक कर सामने आ गया था. खैर, कांग्रेस जैसे-तैसे इस संकट से निकली ही थी कि अब पार्टी को कुछ राज्यों में अपनी सीटें बचाना ही मुश्किल होता नजर आ रहा है. कांग्रेस को उम्मीद है कि 57 सीटों में से 10 पर उसकी जीत तय है. लेकिन, कांग्रेस के लिए कुछ राज्यों में बने हालात अलग ही गवाही दे रहे हैं. जिसते चलते कांग्रेस आरोप लगा रही है कि भाजपा 'हॉर्स ट्रेडिंग' के सहारे राज्यसभा चुनाव में नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है.
राजस्थान में सचिन पायलट की बगावत के दौरान विधायकों को जिस तरह से रिसॉर्ट में भेजा गया था. एक बार फिर वैसे ही हालात राज्यसभा चुनाव के लिए बनते नजर आ रहे हैं. क्योंकि, 2016 के 'स्याही कांड' के चलते ही हरियाणा से सुभाष चंद्रा राज्यसभा पहुंच गए थे. दरअसल, भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों से हरियाणा और राजस्थान में राज्यसभा चुनाव कांग्रेस के लिए 'टेढ़ी खीर' साबित होने जा रहा है. आइए जानते हैं कि सियासी दांवपेंचों के बीच राज्यों में कांग्रेस के लिए समीकरण क्या कहते हैं...
हरियाणा में फिर से 'स्याही कांड' का खतरा
हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों के लिए चुनाव होना है. जिसके लिए कांग्रेस ने एक ही उम्मीदवार उतारा है. लेकिन, भाजपा ने अपने उम्मीदवार कृष्ण लाल पंवार के साथ ही एक निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा को भी समर्थन दे रखा है. जिसकी वजह से हरियाणा में सियासी हलचल बढ़ गई है. दरअसल, 2016 में कांग्रेस पार्टी के 14 विधायकों के वोट गलत स्याही का इस्तेमाल करने के कारण रद्द हो गए थे. और, सुभाष चंद्रा राज्यसभा पहुंच गए थे. हालांकि, कांग्रेस ने इस बार अजय माकन को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है. और, रणदीप सुरजेवाला को हरियाणा की जगह राजस्थान से उम्मीदवार बनाकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट को साधने की कोशिश की है. लेकिन, इस बार भी कांग्रेस को राज्य में 'स्याही कांड' का खतरा नजर आ रहा है.
क्रॉस वोटिंग के डर से कांग्रेस विधायकों को छत्तीसगढ़ शिफ्ट कर दिया गया है. लेकिन, पार्टी से नाराज चल रहे कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस की सीट के लिए खतरा हैं. क्योंकि, कुलदीप बिश्नोई के साथ ही किरण चौधरी और चिरंजीव राव भी नाराज बताए जा रहे हैं. अगर इन तीनों नाराज विधायकों का मन नहीं बदला, तो कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी होना तय है. और, कार्तिकेय शर्मा के लिए मौका बनने की संभावना है. क्रॉस वोटिंग होने पर अजय माकन की सीट फंस सकती है. कार्तिकेय शर्मा को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जेजेपी का समर्थन पहले से ही मिला हुआ है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो क्रॉस वोटिंग होते ही अजय माकन की राज्यसभा सीट खतरे में आ जाएगी. क्योंकि, विधायकों की संख्या के आधार पर कांग्रेस क्रॉस वोटिंग का जोखिम नहीं झेल पाएगी.
राजस्थान में सिर्फ चंद्रा ही 'बाहरी' नहीं...
राजस्थान में राज्यसभा की चार सीटों के लिए चुनाव होना है. लेकिन, इन चार सीटों के लिए प्रत्याशी 6 हैं. जिनमें से 3 कांग्रेस और एक भाजपा के उम्मीदवार हैं. लेकिन, दो निर्दलीय उम्मीदवारों ने कांग्रेस की सांसें अटका दी थीं. हालांकि, निर्दलीय उम्मीदवार मनोज कुमार जोशी का पर्चा खारिज होने से राज्यसभा चुनाव का सियासी खेल अब और रोचक हो गया है. दरअसल, 2016 में हरियाणा से राज्यसभा पहुंचे सुभाष चंद्रा भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार थे. और, इस बार राजस्थान से राज्यसभा चुनाव लड़ने के लिए भी सुभाष चंद्रा निर्दलीय ताल ठोंक रहे हैं. सुभाष चंद्रा खुद को राजस्थान का बेटा बता रहे हैं. क्योंकि, यह उनका जन्मस्थान है.
विधायकों की संख्या के आधार पर कांग्रेस दो सीटें और भाजपा एक सीट आसानी से जीत सकती है. लेकिन, चौथी सीट के लिए मामला फंसता नजर आ रहा है. कांग्रेस ने राजस्थान से मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी और रणदीप सिंह सुरजेवाला को उम्मीदवार बनाया है. जिसकी वजह से भाजपा ने यहां 'बाहरी' उम्मीदवारों का सियासी दांव खेला है. वैसे, भाजपा के पक्ष में केवल 'बाहरी बनाम स्थानीय' ही नहीं, कांग्रेस के दो बड़े नेताओं के बीच चल रही वर्चस्व की जंग भी फायदा पहुंचाने वाली नजर आ रही है.
दावा किया जा रहा है कि चौथी सीट के लिए सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की लड़ाई को भाजपा अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए इस्तेमाल कर रही है. वहीं, बीते दिनों कई कांग्रेस विधायक ही खुलकर नाराजगी भी जता चुके हैं. वैसे, राजस्थान में गुटबाजी के चलते हरियाणा जैसा 'स्याही कांड' होने की आशंका जताई जा रही है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि चौथी सीट के लिए भाजपा को 13 निर्दलीय विधायकों में से भी कई का समर्थन मिल सकता है.
महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी दिलचस्प मुकाबला
महाराष्ट्र में राज्यसभा की 6 सीटों के लिए चुनाव होना है. विधायकों की संख्या के आधार पर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी का महाविकास आघाड़ी गठबंधन तीन सीटें आसानी से जीत सकता है. वहीं, भाजपा भी दो सीटों पर आसानी से जीत दर्ज कर लेगी. लेकिन, 6वीं सीट के लिए लड़ाई रोचक बनाते हुए भाजपा ने तीसरे उम्मीदवार की भी घोषणा कर दी है. शिवसेना ने दो, एनसीपी ने एक और कांग्रेस ने एक उम्मीदवार घोषित किया है. देखना दिलचस्प होगा कि महाराष्ट्र में किसकी सीट फंसती है. वहीं, कर्नाटक में चार राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में भाजपा दो सीटें ही जीत सकती है. लेकिन, यहां भी उसने तीसरा उम्मीदवार उतार दिया है. जिसकी वजह से जेडीएस और कांग्रेस के बीच खटपट होने की संभावना बन सकती है.
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