विपक्ष के कारण तमाम अलग-अलग मुद्दों को लेकर राज्य सभा में कई बार कमजोर पड़ चुकी भाजपा के लिए अच्छी खबर है. एमडीएमके प्रमुख वाइको और पीएमके के अंबुमणि रामदॉस सहित छह उम्मीदवार तमिलनाडु से राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं. घोषणा खुद चुनाव अधिकारी और तमिलनाडु विधानसभा सचिवालय के सचिव के श्रीनिवासन ने की है. श्रीनिवासन के अनुसार वाइको, DMK के केएम शानमुगम और पी विल्सन, AIADMK के केएन चंद्रशेखरन और ए मोहम्मदजन तथा PMK के रामदॉस को निर्विरोध निर्वाचित किया गया है. ध्यान रहे कि तमिलनाडु से संसद के उच्च सदन के लिए छह रिक्तियां थी, जिसके लिए सात वैध नामांकन थे. इनमें से एक DMK के वैकल्पिक उम्मीदवार एनआर इलांगो का नामांकन था, जिन्होंने अपना नाम वापस ले लिया. इसके बाद छह रिक्तियों के लिए इतनी ही संख्या में उम्मीदवार भी शेष रह गये थे. चुनाव अधिकारी के अनुसार, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों और अन्य संबद्ध नियमों के मुताबिक ये लोग निर्विरोध निर्वाचित हुए जिन्हें प्रमाणपत्र सौंप दिए गए हैं.
ज्ञात हो कि लोकसभा चुनाव से पहले हुए एक समझौते के तहत AIADMK और DMK ने राज्यसभा की एक-एक सीट अपने सहयोगी दलों PMK और MDMK को दी थी. तमिलनाडु में हुए इस चुनाव के बाद माना यही जा रहा है कि इससे फायदा मोदी सरकार को पहुंचेगा जिससे आने वाले वक़्त में संसद के उच्च सदन में उसकी स्थिति वर्तमान की अपेक्षा अधिक मजबूत होगी.
बीजेपी संसद के उच्च सदन में कैसे मजबूत हो रही है इसे हम असम के चुनाव से भी समझ सकते हैं. असम से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सैंटीयूज कुजूर राज्य सभा संसद थे जो 14 जून 2019 को रियाटर हो गए हैं. इनकी...
विपक्ष के कारण तमाम अलग-अलग मुद्दों को लेकर राज्य सभा में कई बार कमजोर पड़ चुकी भाजपा के लिए अच्छी खबर है. एमडीएमके प्रमुख वाइको और पीएमके के अंबुमणि रामदॉस सहित छह उम्मीदवार तमिलनाडु से राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं. घोषणा खुद चुनाव अधिकारी और तमिलनाडु विधानसभा सचिवालय के सचिव के श्रीनिवासन ने की है. श्रीनिवासन के अनुसार वाइको, DMK के केएम शानमुगम और पी विल्सन, AIADMK के केएन चंद्रशेखरन और ए मोहम्मदजन तथा PMK के रामदॉस को निर्विरोध निर्वाचित किया गया है. ध्यान रहे कि तमिलनाडु से संसद के उच्च सदन के लिए छह रिक्तियां थी, जिसके लिए सात वैध नामांकन थे. इनमें से एक DMK के वैकल्पिक उम्मीदवार एनआर इलांगो का नामांकन था, जिन्होंने अपना नाम वापस ले लिया. इसके बाद छह रिक्तियों के लिए इतनी ही संख्या में उम्मीदवार भी शेष रह गये थे. चुनाव अधिकारी के अनुसार, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों और अन्य संबद्ध नियमों के मुताबिक ये लोग निर्विरोध निर्वाचित हुए जिन्हें प्रमाणपत्र सौंप दिए गए हैं.
ज्ञात हो कि लोकसभा चुनाव से पहले हुए एक समझौते के तहत AIADMK और DMK ने राज्यसभा की एक-एक सीट अपने सहयोगी दलों PMK और MDMK को दी थी. तमिलनाडु में हुए इस चुनाव के बाद माना यही जा रहा है कि इससे फायदा मोदी सरकार को पहुंचेगा जिससे आने वाले वक़्त में संसद के उच्च सदन में उसकी स्थिति वर्तमान की अपेक्षा अधिक मजबूत होगी.
बीजेपी संसद के उच्च सदन में कैसे मजबूत हो रही है इसे हम असम के चुनाव से भी समझ सकते हैं. असम से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सैंटीयूज कुजूर राज्य सभा संसद थे जो 14 जून 2019 को रियाटर हो गए हैं. इनकी जगह पर भाजपा के कामख्या प्रसाद टासा और एजीपी के बिरेन्द्र प्रसाद बैश्य राज्य सभा संसद बने हैं अब क्योंकि एजीपी, भाजपा का घातक दल है तो साफ है कि इससे भी भाजपा को फायदा होगा.
बात राज्य सभा में बीजेपी के फायदे की चल रही है तो हमारे लिए गुजरात का जिक्र करना भी बहुत ज़रूरी है. विदेश मंत्री एस जयशंकर और जुगलजी ठाकोर बीते दिनों गुजरात से राज्यसभा उपचुनाव चुनाव जीत गए हैं. कांग्रेस ने इन दोनों सीटों के लिए चंद्रिका चूड़ासामा और गौरव पांड्या को चुनाव मैदान में उतारा था. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद ये दोनों सीटें खाली हुई थीं. आपको बताते चलें कि जयशंकर और ठाकोर को 100 से ज्यादा वोट मिले थे.
कैसे मिलेगा पीएम मोदी को फायदा
इस बात को समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा. 26 जून को जिस वक़्त प्रधानमंत्री G20 समिट के लिए जापान जा रहे हैं उन्होंने मज़बूरी जाहिर की थी कि राज्य सभा में उनके पास बहुमत नहीं है. पीएम मोदी ने कहा था कि हमें सदन में बोलने के लिए आग्रह करना पड़ता है क्योंकि हमारे पास राज्य सभा में बहुमत नहीं है. हमें हाथ बांधकर आपके सामने आना पड़ता है. बात आगे बढ़ाने से पहले हमारे लिए ये बतान भी बहुत जरूरी है कि राज्य सभा में बहुमत न होने के कारण ट्रिपल तलाक बिल और नागरिकता संशोधन बिल जैसे महत्वपूर्ण बिल लटके पड़े हैं.
दिलचस्प बात ये है कि लोकसभा चुनाव के बाद राज्यसभा में कई अहम परिवर्तन देखने को मिले हैं. बीते दिनों ही TDP के 4 और INLD के 1 मेंबर ने भाजपा ज्वाइन कर ली है जिसके बाद बीजेपी के राज्यसभा सांसदों कि संख्या 76 हुए थी जो असम में 2 सीट के कारण अब 78 है.
राज्यसभा के मद्देनजर 2020 को मोदी सरकार के लिहाज से अहम माना जा रहा है. कारण हैं उत्तरप्रदेश. 2020 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की 10 सीटें खाली होंगी और जैसा वर्तमान में भाजपा का प्रभाव है, निश्चित है कि 10 में से कम से कम 8 सीटें भाजपा जुटाने में कामयाब रहेगी. यदि ऐसा होता है तो इससे एनडीए और अधिक मजबूत होगा फिर देश के प्रधानमंत्री को अपनी बात रखने के लिए किसी की खुशामद नहीं करनी होगी. बाक़ी बात घातक दलों की भी चली है तो यदि वो अलग अलग मुद्दों को लेकर भाजपा का समर्थन करते हैं तो इसका सीधा फायदा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिलेगा.
बहरहाल, भाजपा की लोकप्रियता के कारणवश जिस हिसाब से अलग अलग दल के नेता भाजपा में शिकरत कर रहे हैं माना यही जा रहा है कि आने वाले दो सालों में राज्य सभा में भी भाजपा वो मुकाम हासिल कर लेगी जो वर्तमान में उसका लोकसभा में है. यदि ऐसा होता है तो साफ ये भी है कि अलग अलग मुद्दों पर अपनी बात रखने के लिए उसे विपक्ष के आगे नहीं झुकना होगा.
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