संसद में चल रहा मानसून सत्र विपक्ष के हंगामें की भेंट चढ़ रहा है. लेकिन, दिल्ली के जंतर-मंतर पर 'किसान संसद' रोजाना बिना किसी रुकावट के चल रही है. करीब 8 महीनों से संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहा किसान आंदोलन (Farmer Protest) अब पूरी तरह से राजनीतिक हो चुका है. किसान आंदोलन को पूरी तरह से अराजनीतिक बताने का दावा करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के नेता इत्तेफाकन हर उस राज्य का दौरा कर रहे हैं, जहां चुनाव होने वाले हैं. किसान आंदोलन का चेहरा बन चुके भारतीय किसान यूनियन (BK) के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव (P Aseembly Elections 2022) के मद्देनजर सूबे की राजधानी लखनऊ में भी आमद दर्ज करवा दी है. इस दौरान राकेश टिकैत ने मिशन यूपी और मिशन उत्तराखंड की घोषणा कर दी है.
वैसे, किसान नेता राकेश टिकैत को धमकी देने में महारत हासिल है और उन्होंने उत्तर प्रदेश में भी अपना ये अंदाज नहीं छोड़ा है. उन्होंने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath) को चेतावनी दे दी है. उन्होंने कहा कि हम लखनऊ को भी दिल्ली बना देंगे. दिल्ली की तर्ज पर लखनऊ के चारों तरफ के रास्तों को सील कर दिया जाएगा. खैर, इससे इतर बात की जाए, तो गणतंत्र दिवस पर देश का राजधानी दिल्ली में खुलेआम हिंसा फैलाने वाले ये किसान नेता एक बार फिर से उसी तरह की अराजकता की साजिश के साथ तैयार दिख रहे हैं. राकेश टिकैत ने 15 अगस्त से एक दिन पहले दिल्ली में फिर से ट्रैक्टर परेड निकालने का ऐलान कर दिया है. देश में कई जगहों पर ये तथाकथित किसान अराजकता की हदें पार कर चुके हैं. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि राकेश टिकैत की इस धमकी से निपटने के लिए क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 'कांग्रेसी तरीका' अपनाएंगे?
संसद में चल रहा मानसून सत्र विपक्ष के हंगामें की भेंट चढ़ रहा है. लेकिन, दिल्ली के जंतर-मंतर पर 'किसान संसद' रोजाना बिना किसी रुकावट के चल रही है. करीब 8 महीनों से संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहा किसान आंदोलन (Farmer Protest) अब पूरी तरह से राजनीतिक हो चुका है. किसान आंदोलन को पूरी तरह से अराजनीतिक बताने का दावा करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के नेता इत्तेफाकन हर उस राज्य का दौरा कर रहे हैं, जहां चुनाव होने वाले हैं. किसान आंदोलन का चेहरा बन चुके भारतीय किसान यूनियन (BK) के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव (P Aseembly Elections 2022) के मद्देनजर सूबे की राजधानी लखनऊ में भी आमद दर्ज करवा दी है. इस दौरान राकेश टिकैत ने मिशन यूपी और मिशन उत्तराखंड की घोषणा कर दी है.
वैसे, किसान नेता राकेश टिकैत को धमकी देने में महारत हासिल है और उन्होंने उत्तर प्रदेश में भी अपना ये अंदाज नहीं छोड़ा है. उन्होंने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath) को चेतावनी दे दी है. उन्होंने कहा कि हम लखनऊ को भी दिल्ली बना देंगे. दिल्ली की तर्ज पर लखनऊ के चारों तरफ के रास्तों को सील कर दिया जाएगा. खैर, इससे इतर बात की जाए, तो गणतंत्र दिवस पर देश का राजधानी दिल्ली में खुलेआम हिंसा फैलाने वाले ये किसान नेता एक बार फिर से उसी तरह की अराजकता की साजिश के साथ तैयार दिख रहे हैं. राकेश टिकैत ने 15 अगस्त से एक दिन पहले दिल्ली में फिर से ट्रैक्टर परेड निकालने का ऐलान कर दिया है. देश में कई जगहों पर ये तथाकथित किसान अराजकता की हदें पार कर चुके हैं. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि राकेश टिकैत की इस धमकी से निपटने के लिए क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 'कांग्रेसी तरीका' अपनाएंगे?
इस सवाल पर जाने से पहले ये जान लेते हैं कि आखिर आंदोलन से निपटने का कांग्रेसी तरीका क्या है? दरअसल, दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में कालेधन के खिलाफ आंदोलन कर रहे योगगुरु बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर 4/5 जून 2011 की दरमियानी रात पुलिस लाठीचार्ज कर दिया था. पुलिसिया कार्रवाई के सैकड़ों लोगों से भरा हुआ रामलीला मैदान दो घंटे में खाली हो गया था. पुलिस ने अनशन कर रहे लोगों पर जमकर लाठियां बरसाई थीं. आंदोलन के इस तरह से पुलिसिया दमन की पूरे देश में निंदा की गई थी. हालात ऐसे हो गए थे कि स्वामी रामदेव को पुलिस से बचने के लिए महिलाओं के कपड़े पहनकर भागना पड़ा था. हालांकि, वह गिरफ्तार कर लिए गए थे. रामदेव के इस सत्याग्रह को कुचलने का आरोप तत्कालीन केंद्र की कांग्रेसनीत यूपीए की सरकार पर लगा था. रामदेव के आंदोलन को कुचलने का ये कांग्रेसी तरीका काफी चर्चित रहा था.
अब किसान आंदोलन की बात करें, तो कृषि कानूनों को स्थगित कर केंद्र सरकार लगातार किसान संगठनों से बातचीत की बात कह रही है. लेकिन, इन तथाकतित किसान नेताओं ने अड़ियल रुख अपनाते हुए आंदोलन को जारी रखा हुआ है. दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन पर अब तक युवती से दुष्कर्म और एक शख्स को जिंदा जला देने तक के बदनुमा दाग लग चुके हैं. लाल किले पर खालिस्तान समर्थकों द्वारा मचाया गया उत्पात सबके सामने है. सुप्रीम कोर्ट के सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शन न करने के आदेश को जानते-बूझते हुए भी टीकरी, सिंघु, शाजहांपुर और गाजीपुर बॉर्डर पर इन किसान नेताओं ने महीनों से सड़क जाम कर रखी है. स्थानीय लोगों के व्यापार से लेकर नौकरियां तक प्रभावित हो रही हैं. लेकिन, ये किसान नेता किसान आदोलन के सहारे अपनी सियासत चमकाने में लगे हैं.
वैसे, केंद्र सरकार की ओर से अब तक किसान आंदोलन पर किसी तरह की कठोरता नहीं अपनाई गई है. इसके उलट दिल्ली में संसद के समानांतर 'किसान संसद' चलाने की अनुमति भी दे दी है. हां, दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर अराजकता फैलाने वालों पर कानूनी कार्रवाई को अगर किसान आंदोलन पर हमला मान लिया जाए, तो ये कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार ने किसानों पर कठोरता की है. लेकिन, किसान आंदोलन के नाम पर अराजकता को बढ़ावा देने का प्लान उत्तर प्रदेश में चलना थोड़ा मुश्किल नजर आता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 'जीरो टॉलरेंस' वाली पॉलिसी का नमूना CAA विरोधी हिंसक आंदोलन में पहले ही दिख चुका है. तो, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि बात-बात पर 'बक्कल तारने' की धमकी देने वाले राकेश टिकैत लखनऊ को दिल्ली नहीं बना पाएंगे. अगर राकेश टिकैत इस तरह की कोई कोशिश करते भी हैं, तो विधिसम्मत कार्रवाई का दरवाजा भी खुला हुआ है. हां, ये जरूर कहा जा सकता है कि राकेश टिकैत की चेतावनी से निपटने के लिए सीएम योगी कांग्रेसी तरीका नहीं अपनाएंगे.
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