जाने माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा (Historian Ram Chandra Guha) शुरू से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को लेकर अपने कट्टर विरोध के लिए जाने जाते रहे हैं. केरल साहित्य महोत्सव में रामचंद्र गुहा ने राहुल गांधी को टारगेट करते हुए दिल खोल कर मोदी की तारीफ की है.
ऐसा भी नहीं कि रामचंद्र गुहा ने राहुल गांधी को लेकर पहली बार ऐसे विचार जाहिर किये हों, पिछले ही साल आम चुनाव के नतीजे आने के बाद ट्विटर पर लिखा था - ‘मैं हैरान हूं कि अभी तक राहुल ने इस्तीफा नहीं दिया है’. हालांकि उसी दौरान खबरें आने लगी थीं कि राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है. बाद में राहुल गांधी ने अपना पूरा इस्तीफा ट्विटर पर शेयर किया था.
हां, PM मोदी को लेकर रामचंद्र गुहा ने पहली बार ऐसा कुछ कहा है जो नया है - एक, 'कड़ी मेहनत करने वाले' और दो, 'यूरोप में छुट्टियां नहीं बिताने वाले'. राहुल गांधी की छुट्टियां हमेशा से ही चर्चा में रही हैं - और मोदी खुद भी कहते रहते हैं या फिर उनके समर्थक भी उनके लंबे और लगातार काम की बात किया करते हैं.
मोदी पर इसे गुहा का यू-टर्न समझें या कुछ और?
केरल में भी पश्चिम बंगाल के साथ ही 2021 यानी अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं - और रामचंद्र गुहा हर परिस्थिति और हर किसी की राजनीतिक मंशा से भी बखूबी वाकिफ हैं - लेकिन केरल के लोगों के लिए गुहा का संदेश क्या है? केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी भले ही पश्चिम बंगाल को लेकर ज्यादा एक्टिव नजर आ रही हो, लेकिन ये नहीं भूलना चाहिये कि केरल भी भी उसकी वैसी ही कड़ी नजर है.
जब रामचंद्र गुहा 'हिंदुत्व और अंध-राष्ट्रीयता' के प्रसार के लिए कांग्रेस के साथ साथ 'वामपंथ के पाखंड' को भी जिम्मेदार मानते हैं तो चाहते क्या हैं? ऐसा भी तो नहीं लगता कि रामचंद्र गुहा बीजेपी और कांग्रेस से इतर किसी और तरीके के वैकल्पिक राजनीति की तरफ इशारा कर रहे हों - अगर ऐसा है तो फिर प्रधानमंत्री मोदी के तारीफ की वजह क्या हो सकती है?
पिछले...
जाने माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा (Historian Ram Chandra Guha) शुरू से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को लेकर अपने कट्टर विरोध के लिए जाने जाते रहे हैं. केरल साहित्य महोत्सव में रामचंद्र गुहा ने राहुल गांधी को टारगेट करते हुए दिल खोल कर मोदी की तारीफ की है.
ऐसा भी नहीं कि रामचंद्र गुहा ने राहुल गांधी को लेकर पहली बार ऐसे विचार जाहिर किये हों, पिछले ही साल आम चुनाव के नतीजे आने के बाद ट्विटर पर लिखा था - ‘मैं हैरान हूं कि अभी तक राहुल ने इस्तीफा नहीं दिया है’. हालांकि उसी दौरान खबरें आने लगी थीं कि राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है. बाद में राहुल गांधी ने अपना पूरा इस्तीफा ट्विटर पर शेयर किया था.
हां, PM मोदी को लेकर रामचंद्र गुहा ने पहली बार ऐसा कुछ कहा है जो नया है - एक, 'कड़ी मेहनत करने वाले' और दो, 'यूरोप में छुट्टियां नहीं बिताने वाले'. राहुल गांधी की छुट्टियां हमेशा से ही चर्चा में रही हैं - और मोदी खुद भी कहते रहते हैं या फिर उनके समर्थक भी उनके लंबे और लगातार काम की बात किया करते हैं.
मोदी पर इसे गुहा का यू-टर्न समझें या कुछ और?
केरल में भी पश्चिम बंगाल के साथ ही 2021 यानी अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं - और रामचंद्र गुहा हर परिस्थिति और हर किसी की राजनीतिक मंशा से भी बखूबी वाकिफ हैं - लेकिन केरल के लोगों के लिए गुहा का संदेश क्या है? केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी भले ही पश्चिम बंगाल को लेकर ज्यादा एक्टिव नजर आ रही हो, लेकिन ये नहीं भूलना चाहिये कि केरल भी भी उसकी वैसी ही कड़ी नजर है.
जब रामचंद्र गुहा 'हिंदुत्व और अंध-राष्ट्रीयता' के प्रसार के लिए कांग्रेस के साथ साथ 'वामपंथ के पाखंड' को भी जिम्मेदार मानते हैं तो चाहते क्या हैं? ऐसा भी तो नहीं लगता कि रामचंद्र गुहा बीजेपी और कांग्रेस से इतर किसी और तरीके के वैकल्पिक राजनीति की तरफ इशारा कर रहे हों - अगर ऐसा है तो फिर प्रधानमंत्री मोदी के तारीफ की वजह क्या हो सकती है?
पिछले दिसंबर में जब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे तो रामचंद्र गुहा भी अपने शहर बेंगलुरू में सड़क पर उतरे और पुलिस ने उनको गिरफ्तार कर लिया था. वो CAA के घोर विरोधी हैं - और ये कानून वापस लेने की मांग करते हैं.
वो फिर मोदी की भी दिल खोलकर तारीफ कर रहे हैं. हां, ऐसा पहले कभी उनकी जबान से नहीं सुना गया - लेकिन CAA का विरोध और मोदी की तारीफ, ये क्या बात हुई. क्या गुहा उन टिप्पणियों की तरफ इशारा कर रहे हैं जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री 'अटल बिहारी वाजपेयी को अच्छा नेता लेकिन गलत पार्टी में' बताया जाता रहा.
रामचंद्र गुहा ने राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी की तुलना भी भी उनकी अपनी खासियतों के आधार की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वो जहां 'सेल्फ-मेड' हैं, वहीं राहुल गांधी को खानदानी सियासत का वारिस - और जोर देकर कहते हैं भी हैं, "लेकिन युवा भारत एक खानदान की पांचवी पीढ़ी को नहीं चाहता."
युवा भारत क्या चाहता है ये वो जानता भी है और अगर राजनीतिक फीडबैक की बात है तो चुनाव दर चुनाव वो बता भी रहा है. अब सवाल ये है कि रामचंद्र गुहा ने युवा के मन से कौन सी बात खोजी है - जिसे वो घुमा फिरा कर बता रहे हैं. तस्वीर तो देर सवेर साफ करनी ही होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ का गुहा का एक और अंदाज भी देख लीजिए - 'मोदी का सबसे मज़बूत पक्ष यह है कि वो राहुल गांधी नहीं हैं. वो बेहद परिश्रमी हैं और उन्होंने कभी यूरोप में छुट्टियां नहीं मनाईं.'
रामचंद्र गुहा की नजर में 'राहुल गांधी का संसद पहुंचना विनाशकारी' क्यों?
समंदर किनारे कोझिकोड में जहां केरल साहित्य महोत्सव आयोजित हुआ है वहां से वायनाड 100 किलोमीटर से भी कम दूरी पर है. राहुल गांधी, दरअसल, वायनाड से ही कांग्रेस के सांसद हैं. 2019 में पहली बार वो दो लोक सभा क्षेत्रों से चुनाव लड़े - अमेठी और वायनाड. अमेठी में 2014 में हार चुकीं बीजेपी की स्मृति ईरानी ने बदला पूरा कर लिया. चुनाव के बाद से राहुल गांधी सिर्फ एक बार अमेठी गये हैं और केरल बार बार जाते हैं - और ऐसे भाव भी व्यक्त कर चुके हैं जैसे में 'वो बचपन से ही वहीं के हों'.
रामचंद्र गुहा की मानें तो अमेठी के लोगों ने एक तरीके से भूल सुधार किया है - और केरल के लोगों ने राहुल गांधी को संसद भेज कर वही गलती दोहरायी है जो अब तक अमेठी के लोग करते रहे हैं.
रामचंद्र गुहा ने राहुल गांधी के केरल से संसद पहुंचने की अपने तरीके से समीक्षा की है, वो पूछते हैं, 'आप लोगों ने संसद के लिए राहुल गांधी को क्यों चुना?' - और बताते हैं, 'वायनाड ने राहुल गांधी को नेता चुनकर विनाशकारी कदम उठाया है.'
लगे हाथ राम चंद्र गुहा का डिस्क्लेमर भी है - 'मैं व्यक्तिगत रूप से राहुल गांधी के खिलाफ नहीं हूं - वो बहुत शिष्ट हैं और सभ्य हैं.'
रामचंद्र गुहा ने मौजूदा राजनीति में कोई नयी थ्योरी नहीं दी है - फर्क बस ये है कि जो बातें अब तक संघ और बीजेपी समर्थकों की ओर से कही जा रही थी - रामचंद्र गुहा ने एनडोर्स कर दिया है. बड़ी बात ये है कि ऐसा रामचंद्र गुहा की जबान से निकला है. खास बात ये है कि रामचंद्र गुहा ने ये बातें केरल जाकर कही है - और मलयाली लोगों को उनकी गलती का एहसास कराने के लिए ऐसी बातें कही है.
मई, 2019 में आम चुनाव के नतीजे आने के बाद भी रामचंद्र गुहा ने राहु गांधी पर हमला बोला था - और सलाह दी थी कि 'कांग्रेस को नया नेता चुन लेना चाहिये', लेकिन मजबूरी का भी जिक्र किया था, 'है ही कौन?'
ऐसा लगता है जैसे रामचंद्र गुहा संघ समर्थकों की उसी थ्योरी की उदाहरण सहित व्याख्या कर रहे हों जिसमें कहा जाता है कि बीजेपी के 'कांग्रेस-मुक्त भारत' अभियान के ब्रांड एंबेसडर राहुल गांधी ही हैं, न कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह या उनके बाकी साथीगण. साथ ही, रामचंद्र गुहा आगाह भी कर रहे हैं - "अगर आप 2024 में भी राहुल गांधी को दोबारा चुनने की गलती करेंगे तो आप नरेंद्र मोदी को ही लाभ पहुंचाओगे."
रामचंद्र गुहा ने जो कुछ भी कहा है उसमें हर छोटी से छोटी चीज का समावेश दिखता है. वो अपना एक एक शब्द 'देश, काल और परिस्थिति' का पूरा ख्याल रखते हुए कह रहे हैं. केरल में लेफ्ट फ्रंट की सरकार है - और वो पूरे वामपंथ को ही टारगेट कर रहे हैं. वायनाड से राहुल गांधी सांसद हैं - और राहुल गांधी अपनी निजी खूबियों के चलते नहीं बल्कि राजनीतिक वजहों से गुहा के निशाने पर हैं.
हालत ये है रामचंद्र गुहा की बातें सुन कर सोशल मीडिया पर लोग बंट गये हैं - और वो दो पक्षों के निशाने पर आ गये हैं. ऐसे लोगों में एक और इतिहासकार एस. इरफान हबीब भी हैं. रामचंद्र गुहा के वंशवाद की राजनीति पर उंगली उठाने को लेकर एस. इरफान हबीब ने सवाल उठाया है. हबीब पूछते हैं कि वंशवाद की राजनीति को लेकर सिर्फ राहुल गांधी पर ही सवाल क्यों - बाकियों को क्यों बख्शा जा रहा है?
इरफान हबीब का सवाल बिलकुल वाजिब है, लेकिन रामचंद्र गुहा वंशवाद की उस राजनीति पर सवाल उठा रहे हैं जिस पर प्रधानमंत्री मोदी को चैलेंज करने की जिम्मेदारी है या फिर जो इसे अपना हक तो समझता है लेकिन या तो वो काबिल नहीं है या वो पार्टी अपना सब कुछ गंवा चुकी है. वंशवाद की राजनीति को आगे बढ़ाने वालों में राहुल गांधी से इतर कई नाम हैं - SP नेता अखिलेश यादव, RJD तेजस्वी यादव, LJP नेता चिराग पासवान, डीएमके नेता एमके स्टालिन, TDP नेता चंद्रबाबू नायडू के बेटे नारा लोकेश और TRS नेता के चंद्र शेखर राव के बेटे केटी रामाराव. ऐसे सवालों के दायरे में तो ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और मायावती के भतीजे आकाश आनंद भी वैसी ही परंपरा के वाहक बने हुए हैं.
कांग्रेस की तारीफ में रामचंद्र गुहा ने मुख्य तौर पर तीन बातें कही है -
1. कांग्रेस स्वतंत्रता संग्राम के समय की महान पार्टी है.
2. लेकिन कांग्रेस अब 'दयनीय पारिवारिक कंपनी' बन चुकी है.
3. और ये कांग्रेस का कमजोर होना ही है कि भारत में हिंदुत्व और अंधराष्ट्रीयता को बढ़ावा मिला है.
रामचंद्र गुहा की इस राजनीतिक गूगली में कई सारे गूढ़ रहस्य हैं जिन्हें बारी बारी समझना जरूरी है - बड़ा सवाल तो फिलहाल यही है कि रामचंद्र गुहा का बयान मोदी पर यू-टर्न माना जा सकता है भी या नहीं? वैसे जिस तरह से गुहा ने मोदी के प्रशासनिक अनुभव का जिक्र किया है और यूरोप में छुट्टियां नहीं बिताने वाला बताया है - ये तारीफ यूं ही तो नहीं लगती!
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.