केंद्र सरकार की ओर से अंतिम चेतावनी दिए जाने के बाद भी ट्विटर (Twitter) की ओर से लगातार सोशल मीडिया गाइडलाइंस (Social Media Guidelines) को मानने से इनकार किया जा रहा है. बीते सप्ताह आईटी मिनिस्ट्री से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति के सामने भी ट्विटर इंडिया ने स्पष्ट कर दिया था कि वह अपनी पॉलिसी का पालन करेगा. जिस पर स्थायी समिति ने ट्विटर को दो टूक शब्दों में समझाया था कि आपकी पॉलिसी नहीं, देश का कानून सबसे ऊपर है. लेकिन, ट्विटर की ओर से केंद्र सरकार को भड़काने वाली कार्रवाई में कोई कमी नहीं आई है. कुछ दिनों पहले भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत संघ के कुछ पदाधिकारियों के अकाउंट से वैरिफिकेशन का मार्क यानी ब्लू टिक (Blue Tick) हटाकर दोबारा वापस किया था.
इसी कड़ी में ट्विटर ने डिजिटल मिलेनियम कॉपीराइट एक्ट (DMCA) का हवाला देकर केंद्र सरकार के आईटी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) का अकाउंट ब्लॉक कर दिया. हालांकि, एक घंटे बाद इसे अनब्लॉक कर दिया गया. इसके साथ ही ट्विटर ने रविशंकर प्रसाद को अमेरिकी कॉपीराइट कानून का उल्लंघन न करने और दोबारा ऐसा होने पर अकाउंट सस्पेंड करने की चेतावनी दे डाली. दरअसल, रविशंकर प्रसाद 2017 में उनके द्वारा किए गए एक ट्वीट को लेकर डीएमसीए नोटिस दिया गया था. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ द फोनोग्राफिक इंडस्ट्री (IFPI) ने सोनी म्यूजिक एंटरटेनमेंट कंपनी के एआर रहमान (ar rahman) के सॉन्ग 'मां तुझे सलाम' (maa tujhe salaam song) को कॉपीराइट क्लेम भेजा था. जिस पर ट्विटर ने कार्रवाई की.
खैर, ट्विटर का ये अड़ियल रवैया सोशल मीडिया गाइडलाइंस आने या उनके लागू होने के पहले से ही जारी रहा है. लद्दाख को चीन का हिस्सा बताना हो या किसान आंदोलन के दौरान विवादित हैशटैग पर कार्रवाई करने में अपनी मनमर्जी दिखाना, ट्विटर इस तरह की शरारतपूर्ण हरकतें करता रहता है. कांग्रेस सांसद और आईटी मामलों की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर का अकाउंट भी एक ऐसे ही डांस वीडियो के चलते...
केंद्र सरकार की ओर से अंतिम चेतावनी दिए जाने के बाद भी ट्विटर (Twitter) की ओर से लगातार सोशल मीडिया गाइडलाइंस (Social Media Guidelines) को मानने से इनकार किया जा रहा है. बीते सप्ताह आईटी मिनिस्ट्री से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति के सामने भी ट्विटर इंडिया ने स्पष्ट कर दिया था कि वह अपनी पॉलिसी का पालन करेगा. जिस पर स्थायी समिति ने ट्विटर को दो टूक शब्दों में समझाया था कि आपकी पॉलिसी नहीं, देश का कानून सबसे ऊपर है. लेकिन, ट्विटर की ओर से केंद्र सरकार को भड़काने वाली कार्रवाई में कोई कमी नहीं आई है. कुछ दिनों पहले भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत संघ के कुछ पदाधिकारियों के अकाउंट से वैरिफिकेशन का मार्क यानी ब्लू टिक (Blue Tick) हटाकर दोबारा वापस किया था.
इसी कड़ी में ट्विटर ने डिजिटल मिलेनियम कॉपीराइट एक्ट (DMCA) का हवाला देकर केंद्र सरकार के आईटी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) का अकाउंट ब्लॉक कर दिया. हालांकि, एक घंटे बाद इसे अनब्लॉक कर दिया गया. इसके साथ ही ट्विटर ने रविशंकर प्रसाद को अमेरिकी कॉपीराइट कानून का उल्लंघन न करने और दोबारा ऐसा होने पर अकाउंट सस्पेंड करने की चेतावनी दे डाली. दरअसल, रविशंकर प्रसाद 2017 में उनके द्वारा किए गए एक ट्वीट को लेकर डीएमसीए नोटिस दिया गया था. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ द फोनोग्राफिक इंडस्ट्री (IFPI) ने सोनी म्यूजिक एंटरटेनमेंट कंपनी के एआर रहमान (ar rahman) के सॉन्ग 'मां तुझे सलाम' (maa tujhe salaam song) को कॉपीराइट क्लेम भेजा था. जिस पर ट्विटर ने कार्रवाई की.
खैर, ट्विटर का ये अड़ियल रवैया सोशल मीडिया गाइडलाइंस आने या उनके लागू होने के पहले से ही जारी रहा है. लद्दाख को चीन का हिस्सा बताना हो या किसान आंदोलन के दौरान विवादित हैशटैग पर कार्रवाई करने में अपनी मनमर्जी दिखाना, ट्विटर इस तरह की शरारतपूर्ण हरकतें करता रहता है. कांग्रेस सांसद और आईटी मामलों की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर का अकाउंट भी एक ऐसे ही डांस वीडियो के चलते ब्लॉक किया गया था. लेकिन, देश के आईटी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद (ravi shankar prasad twitter account) और शशि थरूर का अकाउंट ब्लॉक कर ट्विटर की ओर से एक बार फिर से स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की गई है कि वह भारत के कानूनों को नहीं मानेगा. कहना गलत नहीं होगा कि रविशंकर प्रसाद का अकाउंट ब्लॉक करके ट्विटर ने छेड़खानी का लेवल और ऊपर कर दिया है.
शिकायत होने पर यूजर को क्यों नहीं देता जानकारी?
ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी पहले ही खुले तौर पर स्वीकार कर चुके हैं कि वह वामपंथी विचारधारा को मानते हैं. सीएनएन को दिए गए एक पुराने इंटरव्यू में जैक डॉर्सी ने अपनी विचारधारा को स्पष्ट कर दिया था. इस आधार पर ये कहना गलत नहीं होगा कि ट्विटर भारत में लोगों के विचारों को प्रभावित करने के अपने एजेंडा को पूरा करने में लगा हुआ है. अगर ऐसा नहीं होता, तो भारतीय कानूनों को मानने में ट्विटर को कोई समस्या नहीं आनी चाहिए थी. ट्विटर की ये कार्रवाई कॉपीराइट कानून को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने को लेकर एक अच्छा कदम कहा जा सकता था. लेकिन, तब ही ऐसा होता, जब ट्विटर भारतीय कानूनों के दायरे में काम करते हुए शिकायत होने पर पहले यूजर से संपर्क कर उसका पक्ष जानता.
लेकिन, ट्विटर अपनी पॉलिसी को ही मानता है, तो उसने सीधे डीएमसीए के तहत रविशंकर प्रसाद का अकाउंट ब्लॉक कर दिया. क्या यह सोशल मीडिया कंपनियों की तानाशाही सोच को नहीं दर्शाता है? भारत की किसी भी अदालत में जब कोई मुकदमा दर्ज होता है, तो पक्ष और विपक्ष दोनों ओर की दलीलें सुनी जाती हैं. लोगों को अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका भी दिया जाता है. इसमें असफल होने पर ही वो दंड के अधिकारी माने जाते हैं. लेकिन, भारतीय कानूनों को न मानकर ट्विटर एकपक्षीय कार्रवाई में जुट गया है. यह भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के लिए खतरे की घंटी कहा जा सकता है.
अपनी पॉलिसी लोगों पर थोप रहा है ट्विटर
ट्विटर एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भर है. उसे लोगों के विचारों को प्रभावित करने का कोई अधिकार नहीं है. समय-समय पर इस तरह की कार्रवाई कर निश्चित रूप से ट्विटर लोगों के बीच एक आमधारणा को बढ़ावा दे रहा है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनी गई भारत सरकार अपने हितों के लिए सोशल मीडिया पर अतिक्रमण कर रही है. जबकि, ऐसा नहीं है. कहना गलत नहीं होगा कि ट्विटर एक सोची-समझी रणनीति के तहत इस तरह की कार्रवाई कर केंद्र सरकार के खिलाफ लोगों के बीच एक नई बहस को जन्म देने की कोशिश कर रहा है कि मोदी सरकार लोगों की 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' पर पिछले दरवाजे से हमला कर रही है. वहीं, केंद्र सरकार ने जनता के हित को देखते हुए ये नियम बनाए हैं.
ट्विटर की इस तरह की कार्रवाई सीधे तौर पर अपने विचार लोगों पर थोपने की कोशिश कही जा सकती है. फ्री स्पीच की बात करने वाला ट्विटर सोशल मीडिया के कानूनों को न मानकर ट्विटर जब चाहे किसी का भी अकाउंट बंद कर सकता है. हाल ही में जैसी कार्रवाई की गई हैं, उस हिसाब से एक विचारधारा विशेष के लोगों के ट्वीट को हटा सकता है. इस पर उससे सवाल पूछने वाला कोई नही है. उदाहरण के तौर पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के एक ट्वीट को ट्विटर ने 'मैनिपुलेटेड मीडिया' फ्लैग कर दिया. जिसका सीधा सा मतलब है कि ट्विटर ने इस मामले पर अपनी पॉलिसी के तहत गहन जांच-पड़ताल कर इसे फेक पाया होगा.
इस स्थिति में अगर ट्विटर से ये जानकारी भारतीय कानूनों के हिसाब से मांगी जाए, तो वह उन्हें देने से इनकार क्यों कर रहा है? सवाल ये भी खड़ा होता है कि गाजियाबाद में हुई मुस्लिम बुजुर्ग की पिटाई के मामले में सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की आशंका पर भी ट्विटर की ओर से इसे 'मैनिपुलेटेड मीडिया' फ्लैग क्यों नहीं किया गया. इस तरह की घटनाएं जो कुछ ही समय में देश में सुर्खियों में आ जाता है, वो ट्विटर की नजरों से दूर कैसे रह सकता है? क्या ये लोगों की फ्री स्पीच को नियंत्रित करने का प्रयास नहीं कहलाएगा? यह पहला मौका नहीं है, इससे पहले भी सोशल मीडिया कंपनियों पर पहले भी एक विचारधारा विशेष को प्रमोट करने के आरोप लगते रहे हैं.
केंद्र सरकार और ट्विटर के बीच बढ़ेगी रार
जब तक ट्विटर केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए कानूनों को नहीं मानेगा, इस तरह की कार्रवाई भविष्य में भी होती रहेगी. इस तरह की कार्रवाई के सहारे ट्विटर अपने एजेंडा का साधते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगा. लोगों के अधिकारों का यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक मामले में बदलता जा रहा है. इसका श्रेय ट्विटर को ही दिया जाना चाहिए. केंद्र सरकार ने ट्विटर का इंटरमीडियरी स्टेटस वापस ले लिया है. जिसकी वजह से अब ट्विटर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. गाजियाबाद के मामले पर ट्विटर इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी को पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया था. फिलहाल उन्हें कर्नाटक हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी से राहत दे दी है. अगर इस मामले में ट्विटर के किसी कर्मचारी की गिरफ्तारी हो जाती है, तो वह दुनियाभर में मानवाधिकार का हो-हल्ला मचाने लगेगा. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आने वाले समय में केंद्र सरकार और ट्विटर के बीच की यह रार और बढ़ेगी.
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