चुनाव से पहले कर्नाटक भारत के किसी अन्य राज्य की तरह था. जैसे-जैसे राज्य में चुनाव नजदीक आए सियासी सरगर्मियां तेज हो गयीं. अमित शाह, नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, योगी आदित्यनाथ, एचडी कुमारस्वामी, सिद्दारमैया राज्य भर में रैलियों का दौर जारी था. आरोप प्रत्यारोप चल रहे थे. इन आरोप प्रत्यारोपों के बीच भाजपा, कांग्रेस, जेडीएस तीनों को ही भरोसा था कि उनके लॉयल वोटर उन्हें अपना समर्थन देंगे और इस समर्थन के दम पर वो अपनी सरकार बना लेंगे. चुनाव के बाद जो नतीजे आए वो हैरत में डालने वाले थे.
एक दक्षिण भारतीय राज्य में पीएम मोदी की लहर के चलते भाजपा क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस को पछाड़ते हुए सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी और उसने 104 सीटों पर जीत दर्ज की. 104 सीटों पर कब्ज़ा जमाने के बावजूद भाजपा अपना बहुमत सिद्ध करने में नाकाम रही और अब तक साफ हो गया है कि राज्य के अगले मुख्यमंत्री जनता दल सेक्युलर के सुप्रीमो एचडी कुमारस्वामी होंगे. राज्य के अगले मुख्यमंत्री के लिए एचडी कुमारस्वामी का नाम आने के बावजूद राज्य में सरकार बनाने और मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर नाटक बदस्तूर जारी है.
राज्य में सारा गतिरोध विधायकों की खरीद फरोख्त को लेकर हुआ था. अभी भाजपा सदन में बहुमत साबित करती इससे पहले ही कांग्रेस ने ऑडियो क्लिप जारी कर बताया कि कैसे भाजपा बहुमत पाने के लिए उसके विधायकों को पद और पैसे का प्रलोभन दे रही है. कहा जा सकता है कि इस आरोप और डीके शिवकुमार की रणनीति के बल पर कांग्रेस को फायदा भी खूब हुआ. और भाजपा का वो सपना चकना चूर हो गया जो उसने देखा था. बीएस येदियुरप्पा राज्य के मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए. जैसा कि हम कह चुके हैं कर्नाटक का नाटक जारी है और इस...
चुनाव से पहले कर्नाटक भारत के किसी अन्य राज्य की तरह था. जैसे-जैसे राज्य में चुनाव नजदीक आए सियासी सरगर्मियां तेज हो गयीं. अमित शाह, नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, योगी आदित्यनाथ, एचडी कुमारस्वामी, सिद्दारमैया राज्य भर में रैलियों का दौर जारी था. आरोप प्रत्यारोप चल रहे थे. इन आरोप प्रत्यारोपों के बीच भाजपा, कांग्रेस, जेडीएस तीनों को ही भरोसा था कि उनके लॉयल वोटर उन्हें अपना समर्थन देंगे और इस समर्थन के दम पर वो अपनी सरकार बना लेंगे. चुनाव के बाद जो नतीजे आए वो हैरत में डालने वाले थे.
एक दक्षिण भारतीय राज्य में पीएम मोदी की लहर के चलते भाजपा क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस को पछाड़ते हुए सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी और उसने 104 सीटों पर जीत दर्ज की. 104 सीटों पर कब्ज़ा जमाने के बावजूद भाजपा अपना बहुमत सिद्ध करने में नाकाम रही और अब तक साफ हो गया है कि राज्य के अगले मुख्यमंत्री जनता दल सेक्युलर के सुप्रीमो एचडी कुमारस्वामी होंगे. राज्य के अगले मुख्यमंत्री के लिए एचडी कुमारस्वामी का नाम आने के बावजूद राज्य में सरकार बनाने और मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर नाटक बदस्तूर जारी है.
राज्य में सारा गतिरोध विधायकों की खरीद फरोख्त को लेकर हुआ था. अभी भाजपा सदन में बहुमत साबित करती इससे पहले ही कांग्रेस ने ऑडियो क्लिप जारी कर बताया कि कैसे भाजपा बहुमत पाने के लिए उसके विधायकों को पद और पैसे का प्रलोभन दे रही है. कहा जा सकता है कि इस आरोप और डीके शिवकुमार की रणनीति के बल पर कांग्रेस को फायदा भी खूब हुआ. और भाजपा का वो सपना चकना चूर हो गया जो उसने देखा था. बीएस येदियुरप्पा राज्य के मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए. जैसा कि हम कह चुके हैं कर्नाटक का नाटक जारी है और इस बात की पुष्टि कांग्रेस विधायक का वो बयान कर रहा है जिसके अंतर्गत कहा जा रहा है कि ऑडियो क्लिप के नाम पर भाजपा को बदनाम करने के लिए कांग्रेस ने एक बड़ा सियासी षड्यंत्र रचा.
कर्नाटक के येल्लापुर से कांग्रेस के विधायक शिवराम हेब्बार ने फेसबुक पोस्ट करके लिखा है कि वीएस येदियुरप्पा के बहुमत परीक्षण के पहले मेरी पत्नी के पास भाजपा के किसी भी सदस्य की ओर से 15 करोड़ की पेशकश वाली कोई फोन कॉल नहीं आई थी. कांग्रेस ने जो ऑडियो टेप जारी किया गया था, वह बिल्कुल फर्जी है. टेप में मेरी पत्नी की आवाज नहीं है. अपने राजनीतिक फायदे के लिए ऐसा फर्जी टेप जारी करने वाले को 'धिक्कार' है.
हेब्बार ने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट में लिखा, 'मुझे देरी से पता चला कि न्यूज चैनलों में मेरी पत्नी और बीजेपी के लोगों के बीच संदेहास्पद बातचीत की चर्चा है. यह मेरी पत्नी की आवाज नहीं है. मेरी पत्नी ने कोई फोन रिसीव नहीं किया था. ऑडियो टेप फर्जी है और मैं इसकी निंदा करता हूं.'
कांग्रेस के इस विधायक के बगावती तेवर के बाद ऐसी और कई बातें हैं जो बता रही हैं कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री का पहला फेज विवादों के घेरे में है और जो भी राज्य का नया मुख्यमंत्री होगा वो लम्बी रेस का घोड़ा नहीं है. आइये नजर डालते हैं उन बिन्दुओं पर जो खुद बता रहे हैं कि कर्नाटक का नाटक अभी और ज्यादा दिलचस्प होगा.
लिंगायत चाहते हैं कि उनका आदमी उप मुख्यमंत्री बने
लिंगायत समुदाय के संगठन अखिल भारत वीरशैव महासभा के नेता तिप्पाना ने ओपन लैटर लिखकर कांग्रेस विधायक शमनूर शिवशंकरप्पा को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग की है. अपने लैटर में तिप्पाना ने कहा है कि उन्हे भाजपा में जाने का ऑफर मिला है लेकिन वो कांग्रेस पार्टी छोड़कर नहीं गए, ऐसे में उनकी मांग है कि पार्टी उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाए. अब अगर कांग्रेस इस मांग को मान लेती है तो बस आने वाले वक़्त और सियासी घमासान की कल्पना करिए.
परमेश्वर भी हैं उप मुख्यमंत्री पद के दावेदार
कर्नाटक का ये चुनाव एक ऐसा चुनाव था जिसमें कांग्रेस, भाजपा और जेडीएस तीनों के ही द्वारा समस्त साम, दाम, दंड, भेद एक किये गए थे और शायद यही कारण था कि कांग्रेस ने राज्य में दलित कार्ड खेला था और दलित नेता परमेश्वर को उप मुख्यमंत्री बनाने की बात कही थी. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि यदि कांग्रेस लिंगायत समुदाय की बातों पर राजी हो जाती है तो निश्चित तौर पर परमेश्वर पार्टी के लिए बड़ी दिक्कतें खड़ी करेंगे.
डीके शिवकुमार के समर्थक चाहते हैं कि वो बनें मुख्यमंत्री
कर्नाटक में हुए इस चुनावों को देखें तो मिलता है कि यहां जिस व्यक्ति ने भाजपा के पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को कड़ी चुनौती दी है वो और कोई नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप झेल रहे कांग्रेस के डीके शिवकुमार थे. समर्थक मानते हैं कि आज राज्य में जो भी सियासी समीकरण बने हैं उसकी एक अहम वजह डीके शिवकुमार हैं अतः उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए. अब सोचने वाली बात ये होगी कि अगर ऐसा हो गया तो कांग्रेस और जेडीएस के इस गठबंधन का होगा क्या?
एचडी पहले ही अपनी इच्छा साफ कर चुके हैं बात जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री की हो रही है तो ये बात साफ है कि एचडी का नाम नतीजे आने के बाद खुद कांग्रेस की तरफ से प्रस्तावित किया गया था. साथ ही एचडी ने भी इस बात को स्वीकारा था कि यदि वो मुख्यमंत्री नहीं बनते हैं तो वो इस गठबंधन को तोड़ देंगे और किसी और को राज्य का मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे.
सिद्धारमैया भी चाहते हैं दोबारा सत्ता सुख लेना
भले ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपना टर्म पूरा कर चुके हों. मगर जिस तरह रैलियों के दौरान उन्होंने अपना प्रदर्शन किया और जैसे आज वो पार्टी के मुख्य खिलाड़ी हैं ये कहना गलत नहीं है कि कहीं न कहीं सिद्धारमैया के दिल में भी ये इच्छा है कि वो मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सत्ता सुख का आनंद लें.
अतः इन बातों के बाद ये कहना गलत नहीं होगा कि जिस सियासी घमासान की शुरुआत ही इतने विवादों में हो रही है वो अंजाम तक पहुंच भी पाएगा या नहीं. अंजाम तक पहुंचा तो वो किस प्रकार पहुंचेगा उसका रूप कैसा होगा? क्या वो सही सलामत आएगा या बीच में ही कहीं दम तोड़ देगा.
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