राहुल गांधी और पीएम मोदी की पटती नहीं है ये तो सभी जानते हैं. भई... दोनों एक दूसरे के विपक्ष में हैं तो पटरी मेल खा भी नहीं सकती. लेकिन इस बार मोदी सरकार ने जो राहुल गांधी के साथ किया है, वह कुछ ठीक नहीं लगता. एक ओर जहां गणतंत्र दिवस के मौके पर मोदी सरकार ने आसियान के 10 राष्ट्राध्यक्षों को बतौर अतिथि आमंत्रित किया है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी को पहली पंक्ति में जगह ही नहीं दी है.
चलिए मान लिया इस बार पीएम मोदी के बहुत सारे मेहमान आ रहे हैं तो उन्हें सबसे आगे बैठाना है, लेकिन उन्होंने तो राहुल गांधी को दूसरी और तीसरी लाइन में भी जगह देना सही नहीं समझा. देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष को मोदी सरकार ने चौथी लाइन में सीट दी है. हालांकि, आपको यह बता दें कि गणतंत्र दिवस में कौन कहां बैठेगा, यह तय करने की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की होती है. यानी रक्षा मंत्रालय ही यह तय करती है कि कौन-कौन आगे की लाइन में बैठेगा. जैसा इस बार मोदी सरकार में रक्षा मंत्रालय ने विपक्षी पार्टी के अध्यक्ष के साथ किया है, क्या वैसा कांग्रेस की सरकार में भाजपा के साथ भी होता था? आइए देखते हैं...
सोनिया गांधी के साथ पहली लाइन में थे आडवाणी
26 जनवरी 2014, यानी कांग्रेस की सरकार के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को भी पहली लाइन में जगह मिली थी. यहां आपको बता दें कि उस दौरान आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष भी नहीं थे, बावजूद इसके उन्हें वो अहम जगह मिली. आडवाणी और सोनिया गांधी को एक लाइन में दिखाने वाली तस्वीर यह बताने के लिए काफी है कि उस दौरान भी कांग्रेस ने भाजपा को पूरी तवज्जो दी थी.
सोनिया गांधी को भी मिलती थी पहली लाइन में जगह
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष...
राहुल गांधी और पीएम मोदी की पटती नहीं है ये तो सभी जानते हैं. भई... दोनों एक दूसरे के विपक्ष में हैं तो पटरी मेल खा भी नहीं सकती. लेकिन इस बार मोदी सरकार ने जो राहुल गांधी के साथ किया है, वह कुछ ठीक नहीं लगता. एक ओर जहां गणतंत्र दिवस के मौके पर मोदी सरकार ने आसियान के 10 राष्ट्राध्यक्षों को बतौर अतिथि आमंत्रित किया है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी को पहली पंक्ति में जगह ही नहीं दी है.
चलिए मान लिया इस बार पीएम मोदी के बहुत सारे मेहमान आ रहे हैं तो उन्हें सबसे आगे बैठाना है, लेकिन उन्होंने तो राहुल गांधी को दूसरी और तीसरी लाइन में भी जगह देना सही नहीं समझा. देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष को मोदी सरकार ने चौथी लाइन में सीट दी है. हालांकि, आपको यह बता दें कि गणतंत्र दिवस में कौन कहां बैठेगा, यह तय करने की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की होती है. यानी रक्षा मंत्रालय ही यह तय करती है कि कौन-कौन आगे की लाइन में बैठेगा. जैसा इस बार मोदी सरकार में रक्षा मंत्रालय ने विपक्षी पार्टी के अध्यक्ष के साथ किया है, क्या वैसा कांग्रेस की सरकार में भाजपा के साथ भी होता था? आइए देखते हैं...
सोनिया गांधी के साथ पहली लाइन में थे आडवाणी
26 जनवरी 2014, यानी कांग्रेस की सरकार के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को भी पहली लाइन में जगह मिली थी. यहां आपको बता दें कि उस दौरान आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष भी नहीं थे, बावजूद इसके उन्हें वो अहम जगह मिली. आडवाणी और सोनिया गांधी को एक लाइन में दिखाने वाली तस्वीर यह बताने के लिए काफी है कि उस दौरान भी कांग्रेस ने भाजपा को पूरी तवज्जो दी थी.
सोनिया गांधी को भी मिलती थी पहली लाइन में जगह
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को तो भाजपा पहली लाइन में जगह देती थी, लेकिन राहुल गांधी को तवज्जो नहीं दी जा रही. नीचे दिख रही 26 जनवरी 2015 की तस्वीर से यह बात साफ भी हो रही है. पहली पंक्ति में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, वैंकैया नायडू और नितिन गडकरी बैठे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार राहुल गांधी गणतंत्र दिवस की परेड में पहली पंक्ति में बैठते, लेकिन इस बार से तो भारतीय जनता पार्टी ने परंपरा ही बदल दी. यानी सोनिया गांधी तक तो ठीक था, लेकिन राहुल गांधी को किसी हाल में आगे नहीं आने दिया जाएगा.
संसद में अभी भी दूसरी पंक्ति में बैठते हैं राहुल
लोकसभा में 44 सीटों वाली कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को उपाध्यक्ष रहते दूसरी पंक्ति में जगह दी गई थी. अध्यक्ष बन जाने के बावजूद हाल ही में संपन्न हुए शीतकालीन सत्र में वे दूसरी पंक्ति में ही बैठे रहे. लोकसभा में कौन कहां बैठेगा, यह तय करने का अधिकार स्पीकर को होता है. स्पीकर पार्टीवार वरिष्ठता के पैमाने पर अग्रिम पंक्ति की सीटों का आवंटन करता है. हो सकता है आने वाले सेशन में उनकी सीट संसद में भी आगे हो जाए, क्योंकि अब वह पार्टी के अध्यक्ष बन चुके हैं.
'चीप' हो ना हो, लेकिन 'पॉलिटिक्स' तो है...
गणतंत्र दिवस समारोह की बैठक व्यवस्था को लेकर कांग्रेस पार्टी काफी नाराज है. कांग्रेस के नेताओं ने कहा है कि भले ही कांग्रेस सत्ता में रही हो या ना रही हो, लेकिन उसके अध्यक्ष को हमेशा पहली लाइन में जगह मिलती रही है. कांग्रेस ने मोदी सरकार के इस रवैये को चीप पॉलिटिक्स (ओछी राजनीति) कहा है. उनका कहना है कि अगर भाजपा अध्यक्ष को पहली पंक्ति में जगह दी जा सकती है तो कांग्रेस अध्यक्ष को क्यों नहीं. खैर, भले ही भाजपा के इस फैसले के पीछे चीप पॉलिटिक्स हो या ना हो, लेकिन पॉलिटिक्स तो है ही.
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