2019 लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल माने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जा चुके हैं और एग्जिट पोल्स में कांग्रेस को बड़ी सफलता मिलती दिख रही है अगर 11 दिसम्बर को गिनती के बाद भी ऐसे ही परिणाम रहते हैं तो इससे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व पर उठ रहे सवालों पर कुछ विराम जरूर लग जायेगा. तो वहीं लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने के लिहाज से भी इस तरीके के नतीजे बहुत ही प्रभावी होंगे. यही नहीं कांग्रेस के पक्ष में आए नतीजों से विपक्षी दलों के बीच राहुल गांधी की स्वीकार्यता भी बढ़ेगी लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो इससे राहुल गांधी के नेतृत्व पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो जायेगा, जिससे अगले लोकसभा चुनाव में पार्टी को एक बार फिर बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
दूसरी ओर एग्जिट पोल्स की तर्ज पर आये नतीजे मोदी और अमित शाह के लिए बड़ा सिरदर्द साबित होंगे. भले ही ये चुनाव मुख्यमंत्रियों के काम पर लड़ा जा रहा हो लेकिन वोटर्स ने प्रधानमंत्री और केंद्र की योजनाओं को ध्यान में रखकर भी वोट दिया है, जिसका असर खासकर मध्य प्रदेश और राजस्थान में देखने को मिलेगा. मध्य प्रदेश में जहां वोटर्स की नजर में शिवराज अब भी लोकप्रिय हैं तो वहीं केंद्र के प्रति वहां कुछ नाराजगी है. इसके ठीक उलट राजस्थान में "मोदी तुझसे बैर नहीं पर वसुंधरा तेरी खैर नहीं" जैसे नारे ने जोर पकड़ा था. कह सकते हैं कि इन चुनावों में मोदी की साख दांव पर नहीं लगी थी लेकिन नतीजे अगर बीजेपी के लिए अच्छे नहीं रहते हैं तो 2019 लोकसभा चुनाव में उसे मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि कांग्रेस अगर इन राज्यों में बीजेपी को हरा देती है तो इससे मोदी लहर के कमजोर होने का सन्देश जायेगा, जिसका असर पंजाब और कर्नाटक को छोड़कर 2013 से हुए लगातार चुनावों में देखने को मिला है. जिसकी वजह से बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए 19 राज्यों में सत्ता में है.
2019 लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल माने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जा चुके हैं और एग्जिट पोल्स में कांग्रेस को बड़ी सफलता मिलती दिख रही है अगर 11 दिसम्बर को गिनती के बाद भी ऐसे ही परिणाम रहते हैं तो इससे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व पर उठ रहे सवालों पर कुछ विराम जरूर लग जायेगा. तो वहीं लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने के लिहाज से भी इस तरीके के नतीजे बहुत ही प्रभावी होंगे. यही नहीं कांग्रेस के पक्ष में आए नतीजों से विपक्षी दलों के बीच राहुल गांधी की स्वीकार्यता भी बढ़ेगी लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो इससे राहुल गांधी के नेतृत्व पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो जायेगा, जिससे अगले लोकसभा चुनाव में पार्टी को एक बार फिर बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
दूसरी ओर एग्जिट पोल्स की तर्ज पर आये नतीजे मोदी और अमित शाह के लिए बड़ा सिरदर्द साबित होंगे. भले ही ये चुनाव मुख्यमंत्रियों के काम पर लड़ा जा रहा हो लेकिन वोटर्स ने प्रधानमंत्री और केंद्र की योजनाओं को ध्यान में रखकर भी वोट दिया है, जिसका असर खासकर मध्य प्रदेश और राजस्थान में देखने को मिलेगा. मध्य प्रदेश में जहां वोटर्स की नजर में शिवराज अब भी लोकप्रिय हैं तो वहीं केंद्र के प्रति वहां कुछ नाराजगी है. इसके ठीक उलट राजस्थान में "मोदी तुझसे बैर नहीं पर वसुंधरा तेरी खैर नहीं" जैसे नारे ने जोर पकड़ा था. कह सकते हैं कि इन चुनावों में मोदी की साख दांव पर नहीं लगी थी लेकिन नतीजे अगर बीजेपी के लिए अच्छे नहीं रहते हैं तो 2019 लोकसभा चुनाव में उसे मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि कांग्रेस अगर इन राज्यों में बीजेपी को हरा देती है तो इससे मोदी लहर के कमजोर होने का सन्देश जायेगा, जिसका असर पंजाब और कर्नाटक को छोड़कर 2013 से हुए लगातार चुनावों में देखने को मिला है. जिसकी वजह से बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए 19 राज्यों में सत्ता में है.
कांग्रेस और बीजेपी से अलग दूसरे दलों के लिए एग्जिट पोल्स के हिसाब से आये नतीजे फ़िलहाल निराशाजनक हैं लेकिन इससे एक बड़ा सन्देश ये भी जा रहा है कि मतदाता किसी एक दल को या कहें कि जीतने वाले गठबंधन को ही अपना मत दे रहा है, जो लोकतंत्र के हिसाब से ठीक भी है. बता दें कि एग्जिट पोल्स में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में छोटे और क्षेत्रीय दलों को बड़ी सफलता नहीं मिलती दिख रही है जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था. हां इतना जरूर है कि इन दलों ने किसी पार्टी के वोट जरूर काटे होंगे. अगर नतीजे ऐसे ही आते हैं तो इससे अखिलेश और मायावती को काफी बल मिलेगा क्योंकि अगर कांग्रेस इन तीन राज्यों से बीजेपी को अपने दम पर कड़ी टक्कर दे रही है तो ये दोनों दल भी अपने गढ़ उत्तर प्रदेश में बीजेपी को मात दे सकते हैं क्योंकि दोनों की पकड़ वहां काफी मजबूत है.
समूचे विपक्ष के लिए इस तरह के नतीजों की बात करें तो इससे वो केंद्र सरकार पर ज्यादा हमलावर होंगे जिसका असर संसद के शीतकालीन सत्र में देखने को मिलेगा. जहां इस बार रोजगार, नोटेबंदी, राफेल घोटाला और किसानों से जुड़े मुद्दे ज्यादा हावी दिखेंगे तो वहीं सरकार विपक्ष को जवाब देने के लिए सरकार के कार्यों को जनता तक पहुंचाना चाहेगी. ऐसा माना जा रहा है कि एग्जिट पोल्स सही हुए तो बीजेपी के लिए परेशानियां बढ़ेंगी जिससे कि राममंदिर का मुद्दा और भी जोर पकड़ेगा जैसा कि पिछले कुछ समय से देखने को मिल रहा है.
ये भी पढ़ें-
एग्जिट पोल ने तो क्षेत्रीय पार्टियों के गेम की 'पोल' ही खोल दी
छत्तीसगढ़ चुनाव 2018 एग्जिट पोल : आखिरकार कांग्रेस के अच्छे दिन आ ही गए
मध्य प्रदेश में टक्कर के बावजूद बीजेपी की हार ही है
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.