बीजेपी भला कितना इंतजार करती. कांग्रेस में होती देर को देखते हुए बीजेपी ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी. लिस्ट आने पर टिकट कटने से हंगामे की अपेक्षा तो थी, लेकिन नया बखेड़ा खड़ा हो गया. बागी बवाल पर उतर आये और कइयों ने तो गुजरात बीजेपी अध्यक्ष जीतू वाघानी को को तत्काल प्रभाव से इस्तीफे भी सौंप दिये.
हालत ये हो गयी कि नाराज बीजेपी नेताओं को मनाने के लिए अमित शाह को मोर्चा संभालना पड़ा. बताते हैं कि इसके लिए शाह को देर रात तक बीजेपी मुख्यालय कमलम में जमे रहना पड़ा. वैसे यूपी चुनावों से तुलना करें तो गुजरात की नाराजगी तो मामूली है. यूपी में तो ये आलम रहा कि तब के बीजेपी अध्यक्ष केशव मौर्य को एयरपोर्ट से ही विरोध झेलना पड़ा - और चुनाव के आखिरी दौर आते आते संघ की सलाह पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बनारस में डेरा जमाना पड़ा था.
पाटीदारों को तवज्जो, जातीय समीकरण पर जोर
माना जा रहा था कि बीजेपी मौजूदा विधायकों में से कम ही को दोबारा मौका देगी, लेकिन बिलकुल ऐसा नहीं हुआ. बीजेपी 70 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में 49 मौजूदा विधायकों को टिकट दिया है जिनमें 12 मंत्री हैं. पहली सूची में बीजेपी ने उन्हीं सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया जहां विवाद की गुंजाइश नहीं के बराबर थी. इसीलिए इस सूची में 58 उम्मीदवार ऐसे हैं जहां पहले चरण में चुनाव होने हैं और 12 जिन इलाकों में दूसरे चरण में.
बीजेपी की इस सूची में ज्यादा जोर तो पाटीदार समुदाय पर दिखता है, लेकिन जातीय समीकरणों का भी पूरा ख्याल रखा गया है. इसकी एक ही वजह है युवा नेताओं हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी का उभार और कांग्रेस को लेकर गुजरात के लोगों का बदला हुआ मिजाज.
बीजेपी की पहली सूची में 15...
बीजेपी भला कितना इंतजार करती. कांग्रेस में होती देर को देखते हुए बीजेपी ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी. लिस्ट आने पर टिकट कटने से हंगामे की अपेक्षा तो थी, लेकिन नया बखेड़ा खड़ा हो गया. बागी बवाल पर उतर आये और कइयों ने तो गुजरात बीजेपी अध्यक्ष जीतू वाघानी को को तत्काल प्रभाव से इस्तीफे भी सौंप दिये.
हालत ये हो गयी कि नाराज बीजेपी नेताओं को मनाने के लिए अमित शाह को मोर्चा संभालना पड़ा. बताते हैं कि इसके लिए शाह को देर रात तक बीजेपी मुख्यालय कमलम में जमे रहना पड़ा. वैसे यूपी चुनावों से तुलना करें तो गुजरात की नाराजगी तो मामूली है. यूपी में तो ये आलम रहा कि तब के बीजेपी अध्यक्ष केशव मौर्य को एयरपोर्ट से ही विरोध झेलना पड़ा - और चुनाव के आखिरी दौर आते आते संघ की सलाह पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बनारस में डेरा जमाना पड़ा था.
पाटीदारों को तवज्जो, जातीय समीकरण पर जोर
माना जा रहा था कि बीजेपी मौजूदा विधायकों में से कम ही को दोबारा मौका देगी, लेकिन बिलकुल ऐसा नहीं हुआ. बीजेपी 70 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में 49 मौजूदा विधायकों को टिकट दिया है जिनमें 12 मंत्री हैं. पहली सूची में बीजेपी ने उन्हीं सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया जहां विवाद की गुंजाइश नहीं के बराबर थी. इसीलिए इस सूची में 58 उम्मीदवार ऐसे हैं जहां पहले चरण में चुनाव होने हैं और 12 जिन इलाकों में दूसरे चरण में.
बीजेपी की इस सूची में ज्यादा जोर तो पाटीदार समुदाय पर दिखता है, लेकिन जातीय समीकरणों का भी पूरा ख्याल रखा गया है. इसकी एक ही वजह है युवा नेताओं हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी का उभार और कांग्रेस को लेकर गुजरात के लोगों का बदला हुआ मिजाज.
बीजेपी की पहली सूची में 15 उम्मीदवार ऐसे हैं जो पाटीदार समुदाय से आते हैं और माना जा रहा है कि इनकी संख्या 40 तक जा सकती है. जिस तरह हार्दिक पटेल ने इस बार बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, उसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल 2012 में बीजेपी के सामने गुजरात परिवर्तन पार्टी के साथ मुसीबत बन कर खड़े हो गये थे. मजबूरन, तब के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पाटीदार समुदाय के 45 उम्मीदवारों को टिकट देने पड़े थे.
बीजेपी ने डिप्टी सीएम नितिन पटेल को मेहसाणा से मैदान में उतारा है. ऐसे में इस चुनाव की सबसे दिलचस्प लड़ाई तो मेहसाणा में ही देखने को मिलेगी क्योंकि हार्दिक पटेल का संगठन वहीं सबसे ज्यादा सक्रिय है. नितिन पटेल और हार्दिक पाटीदारों की एक ही जाति से आते हैं.
पहली सूची में बीजेपी ने चार महिलाओं के अलावा तीन दलित, 11 आदिवासी और 18 उम्मीदवार ओबीसी से उतारे हैं. इनके अलावा छह राजपूत, तीन ब्राह्मण और दो लोग जैन समुदाय से भी उम्मीदवार बनाये गये हैं.
गुजरात बीजेपी में बगावत
गुजरात बीजेपी में बगावत की कहानी बड़ी दिलचस्प रही. यहां एक ही सीट के लिए दो सके भाई दावेदार थे. गुजरात विधानसभा की अंकलेश्वर सीट से वल्लभ पटेल चुनाव लड़ना चाहते थे. बीजेपी ने टिकट उनके सगे भाई ईश्वर पटेल को दे दिया. वल्लभ को ये बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने इस्तीफा दे दिया. वल्लभ पटेल भरूच जिला पंचायत के सदस्य हैं.
बीजेपी ने राज्य सभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन करने वाले नेताओं को भी टिकट दिया है. हाल ही में कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए भोलाभाई गोहिल भी नाराज नेताओं की सूची में शामिल हैं. भोलाभाई ने जसदण की उसी सीट से टिकट मांगा था जहां से वो कांग्रेस के टिकट पर विधायक रह चुके हैं. भोलाभाई उस सूची का भी हिस्सा थे जिन नेताओं ने राज्य सभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी.
कांग्रेस से बीजेपी में आने वाले जिन नेताओं को पहली लिस्ट में टिकट मिला है वे हैं - राघव पटेल, रामजी परमार, मानसी चौहान और सीके राउजी. साथ ही बीजेपी ने जेडीयू छोड़ कर पार्टी ज्वाइन करने वाले राजीवभाई वसावा को भी टिकट दिया है. राजीवभाई को जेडीयू के बागी धड़े के नेता छोटूभाई वसावा के करीबी हैं.
यूपी चुनाव के दौरान, खासकर पूर्वांचल में तो आलम ये था कि एक बार तत्कालीन प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष केशव मौर्य और राज्य प्रभारी ओम माथुर बाबतपुर एयरपोर्ट पर उतरे तो नाराज कार्यकर्ताओं ने वहीं घेर लिया. शहर की ओर रवाना हुए तो कुछ कार्यकर्ता गाड़ी के आगे ही लेट गये. वाराणसी पहुंचे तो दोनों नेताओं को दफ्तर में दाखिल होने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.
यूपी में बीजेपी कार्यकर्ताओं में नाराजगी तो कई सीटों को लेकर रही, लेकिन सबसे ज्यादा खफा वे श्यामदेव रॉय चौधरी दादा के टिकट कटने से थे. हालत ये हुई की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी डर लगने लगा. बाद में संघ की सलाह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मैदान में मोर्चा संभाला. शहर में डेरा डालने के साथ ही मोदी ने रोड शो किये. जब मोदी काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन के लिए जा रहे थे तो किनारे खड़े दादा दिखे, फिर प्रधानमंत्री ने उनका हाथ पकड़ा और साथ अंदर ले गये. इस हिसाब से गुजरात बीजेपी में टिकट बंटवारे को लेकर हुए बवाल को देखें तो यूपी के मुकाबले कुछ भी नहीं है.
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