उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले धरम सिंह सैनी, दारा सिंह चौहान और स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा छोड़ने के बाद चिंता में आई भाजपा को 'आरपीएन' सिंह के जरिये बड़ी राहत मिली है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और राहुल गांधी एवं प्रियंका के थिंक टैंक में शुमार आरपीएन सिंह के कांग्रेस छोड़ने और भाजपा में शामिल होने से उत्तर प्रदेश कांग्रेस सकते में है. आरपीएन सिंह का शुमार क्योंकि यूपी के बड़े ओबीसी नेताओं में है इसलिए माना ये भी जा रहा है कि इसका खामियाजा कांग्रेस और प्रियंका गांधी को आने वाले चुनावों में भुगतना पड़ेगा. आरपीएन सिंह के दल बदल में जो बात सबसे दिलचस्प है वो ये कि इस्तीफे के एक दिन पहले ही कांग्रेस पार्टी ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए उन्हें अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट में जगह दी थी.
अपने इस्तीफे से आरपीएन सिंह ने कांग्रेस को सबक दिया है उसे गंभीरता से लें राहुल और प्रियंका
बात आरपीएन सिंह के कांग्रेस छोड़ने की हुई है तो उस इस्तीफे पर बात करना भी बहुत जरूरी है जो उन्होंने सोनिया गांधी को दिया है. अपने इस्तीफे में आरपीएन सिंह ने लिखा है कि, आज, जब पूरा राष्ट्र गणतंत्र दिवस का उत्सव मना रहा है, मैं अपने राजनीतिक जीवन में नया अध्याय आरंभ कर रहा हूं. जय हिंद.'
आरपीएन सिंह ने इस्तीफे में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए कहा कि, मैं, राष्ट्र, लोगों और पार्टी की सेवा करने का अवसर प्रदान करने के लिए आपका (सोनिया गांधी का) धन्यवाद करता हूं.
इस बात में कोई शक नहीं है कि यूपी के कद्दावर ओबीसी नेता के रूप में जिस वक्त कांग्रेस को आरपीएन सिंह की सबसे ज्यादा जरूरत थी उस वक़्त उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन पकड़ लिया है. स्थिति जब आर पार की हो तो जिस तरह आरपीएन गए हैं पार्टी और पार्टी नेताओं का घबराना, झुंझलाना, बड़बड़ाना लाजमी है.
आरपीएन सिंह के यूं इस तरह जाने से उनपर जुबानी हमले तेज हो गए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया सुप्रिया श्रीनेत ने आरपीएन के इस्तीफे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और प्रियंका के हवाले से उन्हें कायर तक कह दिया है. सुप्रिया ने कहा है कि कांग्रेस बहादुरी के साथ जंग लड़ रही है. प्रियंका गांधी कह चुकी हैं कि कायर लोग इसे नहीं लड़ सकते.
वहीं आरपीएन के जाने को लेकर जब हमारे सहयोगी इंडिया टुडे- आज तक ने प्रियंका से सवाल किया तो प्रियंका ने भी दो टूक होकर कहा कि मेरा काम किसी को रोकना नहीं है. मैंने एक भी बार किसी को रोकने का प्रयास नहीं किया. इस दल बदल पर प्रियंका का मत है कि जो संघर्ष आज हम कर रहे हैं वो बुजदिलों और कायरों का संघर्ष नहीं है. वो ऐसा संघर्ष है अगर आपका दिल है, मन है और आपमें साहस है तब करिए वरना खुशी से जाइये.
मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक जीतू पटवारी ने आरपीएन सिंह को अवसरवादी और पेशेवर राजनेता बताया. निकृष्ट हैशटैग के साठ अपने ट्वीट में पटवारी ने लिखा कि जिन्हें बगैर परिश्रम राजनीति विरासत में मिली है, जो पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण राजनीति में हैं, वे भी जिनकी नजर में राजनीति 'प्रोफेशनलिज्म' है उनके दलबदल की चिंता बिल्कुल नहीं करनी चाहिए! क्योंकि, उनकी वैचारिक प्रतिबद्धताएं अवसर के साथ चलती हैं, बदलती रहती हैं!
भले ही अपने इंटरव्यू में प्रियंका ने जाहिर न किया हो और ये कहकर सहानुभूति बटोरने की कोशिश की हो कि हमारी लड़ाई बड़ी है और विचारधारा की लड़ाई है लेकिन जैसा आरपीएन के जाने पर कांग्रेस के अन्य नेताओं का रुख है साफ है कि हर कोई अचरज में है.
वो तमाम कांग्रेसी नेता जो आज आरपीएन के जाने से दुखी हैं, उन्हें ये जान लेना चाहिए कि इसकी स्क्रिप्ट तो कांग्रेस ने खुद पडरौना से इनका टिकट काट कर लिखी थी. अब जबकि आरपीएन भाजपा में आ गए हैं तो माना यही जा रहा है कि वो भाजपा के टिकट पर पडरौना से चुनाव लड़ेंगे.
क्षेत्र में आरपीएन का कद कैसा है इसका अंदाजा राजनीतिक पंडितों की उस बात से लगाया जा सकता है जिसमें माना यही जा रहा है कि सिंह के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों पर प्रभाव पड़ेगा. क्योंकि 2019 में सिंह मौर्य को लोकसभा में शिकस्त दे चुके हैं तो अंदरखाने खबर ये भी है कि मौर्य चाहते हैं कि उन्हें अब कहीं और से टिकट दे दिया जाए.
बात खिजलाहट की हुई है तो इस वक़्त कांग्रेस पार्टी का हाल कैसा है? इसे राहुल गांधी की उस बात से भी समझा जा सकता है जिसमें उन्होंने भी पार्टी छोड़ने वालों को आरएसएस की विचारधारा का और कायर बताया है.
ध्यान रहे बीजेपी ज्वाइन करने के बाद आरपीएन सिंह ने कहा था कि उन्होंने 32 साल एक राजनीतिक दल (कांग्रेस) में बिताए. लेकिन वह पार्टी पहले जैसी नहीं रही. ये एक बड़ी बात है और इसमें ऐसा बहुत है जिसपर कांग्रेस और खुद राहुल-प्रियंका को विचार करने की जरूरत है. अगर पार्टी छोड़ते छोड़ते आरपीएन को 32 साल लग गए हैं तो कुछ तो गड़बड़ जरूर है पार्टी में. आरपीएन के भाजपा में जाने और उनकी आलोचना से बेहतर है कांग्रेस पार्टी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा इस पॉइंट पर फोकस करें अब भी देर नहीं हुई है. यूं भी पार्टी के लिए स्थिति यही है कि जब जागो तब सवेरा...
ये भी पढ़ें -
RPN Singh ने कांग्रेस छोड़ी है तो दोष प्रियंका गांधी का है!
मोदी का सबसे बड़ा चैलेंजर कौन? ममता Vs राहुल Vs केजरीवाल में दिलचस्प मुकाबला
RPN Singh के बहाने BJP ने साधे एक तीर से कई निशाने!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.