Russia kraine Conflict : एक ऐसे वक्त में जब हिंदुस्तान और दीगर मुल्कों में राष्ट्रवाद पर गौर ओ फिक्र हो. बड़े बड़े व्याख्यान आयोजित किये जाएं इसका महत्व और कीमत क्या है? रूस से युद्ध लड़ते यूक्रेन और उस युद्ध में अपनी जान गंवाने वाले एक यूक्रेनी सैनिक की शहादत को देखकर आसानी से समझा जा सकता है. जैसे हालात हैं रूस से लड़ने के कारण हर बीतते दिन के साथ यूक्रेन के हालत बद से बदतर होती जा रही है. यूक्रेन को लेकर जो जानकारियां सामने आ रही हैं यदि उनपर यकीन किया जाए तो पता यही चलता है कि आवाम अपनी जान बचाने के लिए बचती छुपती फिर रही है वहीं तमाम लोग ऐसे भी हैं जो तनाव के चलते देश को भगवान भरोसे छोड़कर जा चुके हैं. इस बारे में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से सवाल भी हुआ है जिसे उन्होंने कोरी अफवाह बताया है. एक तरफ ये तमाम बातें और सियासत है वही दूसरी तरफ युद्ध से जुड़ी कहानियां और ग्राउंड जीरो की तस्वीरें हैं जिनमें ऐसा बहुत कुछ है जो सुनने और देखने वालों की आंखें नम कर देंगी.
यूक्रेन में क्या हो रहा है? मौजूदा हालात कैसे हैं? इसपर चर्चा होगी लेकिन उससे पहले जिक्र यूक्रेन के उस बहादुर सैनिक का जिसने अपने मुल्क की हिफाजत के लिए जो कर दिया है उसे सीधे या ये कहें कि आसान शब्दों में राष्ट्रवाद की पराकाष्ठा ही कहा जाएगा. बताया जा रहा है कि क्रीमिया में एक यूक्रेनी फौजी ने रूसी फौज को रोकने के लिए खुद को एक पुल के साथ उड़ा दिया है.
खबर अंग्रेजी वेबसाइट ‘द सन’ के हवाले से है. 'द सन' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक एक यूक्रेनी फौजी की बहादुरी ने रूसी सेना के काफिले को लोहे के चने चबवा दिए. यूक्रेन के सैनिक ने किस...
Russia kraine Conflict : एक ऐसे वक्त में जब हिंदुस्तान और दीगर मुल्कों में राष्ट्रवाद पर गौर ओ फिक्र हो. बड़े बड़े व्याख्यान आयोजित किये जाएं इसका महत्व और कीमत क्या है? रूस से युद्ध लड़ते यूक्रेन और उस युद्ध में अपनी जान गंवाने वाले एक यूक्रेनी सैनिक की शहादत को देखकर आसानी से समझा जा सकता है. जैसे हालात हैं रूस से लड़ने के कारण हर बीतते दिन के साथ यूक्रेन के हालत बद से बदतर होती जा रही है. यूक्रेन को लेकर जो जानकारियां सामने आ रही हैं यदि उनपर यकीन किया जाए तो पता यही चलता है कि आवाम अपनी जान बचाने के लिए बचती छुपती फिर रही है वहीं तमाम लोग ऐसे भी हैं जो तनाव के चलते देश को भगवान भरोसे छोड़कर जा चुके हैं. इस बारे में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से सवाल भी हुआ है जिसे उन्होंने कोरी अफवाह बताया है. एक तरफ ये तमाम बातें और सियासत है वही दूसरी तरफ युद्ध से जुड़ी कहानियां और ग्राउंड जीरो की तस्वीरें हैं जिनमें ऐसा बहुत कुछ है जो सुनने और देखने वालों की आंखें नम कर देंगी.
यूक्रेन में क्या हो रहा है? मौजूदा हालात कैसे हैं? इसपर चर्चा होगी लेकिन उससे पहले जिक्र यूक्रेन के उस बहादुर सैनिक का जिसने अपने मुल्क की हिफाजत के लिए जो कर दिया है उसे सीधे या ये कहें कि आसान शब्दों में राष्ट्रवाद की पराकाष्ठा ही कहा जाएगा. बताया जा रहा है कि क्रीमिया में एक यूक्रेनी फौजी ने रूसी फौज को रोकने के लिए खुद को एक पुल के साथ उड़ा दिया है.
खबर अंग्रेजी वेबसाइट ‘द सन’ के हवाले से है. 'द सन' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक एक यूक्रेनी फौजी की बहादुरी ने रूसी सेना के काफिले को लोहे के चने चबवा दिए. यूक्रेन के सैनिक ने किस हद तक अपने फर्ज और राष्ट्र को तरजीह दी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने अपना मुल्क बचाने के लिए खुद को एक पुल के साथ उड़ा लिया.
रूस यूक्रेन युद्ध की भेंट चढ़े और मारे गए यूक्रेनी फौजी की पहचान विटाली शकुन के नाम से हुई है. बताया यही जा रहा है कि विटाली शकुन की तैनाती क्रीमिया बॉर्डर हेनिचेस्क पुल पर थी.घटना से पूरे यूक्रेन में शोक की लहर है. जो जो इस बहादुर फौजी और उसके कारनामे को सुन रहा है ख़ुद को उसकी तारीफ करने से रोक नहीं पा रहा है.
यूक्रेन के जनरल स्टाफ ऑफ ऑर्म्ड फोर्सेज ने अपने फेसबुक पेज पर बताया है कि रूसी सेना के काफिले को रोकने का एकमात्र तरीका पुल को उड़ाना था और इसलिए बटालियन ने यह फैसला लिया. इसके बाद पुल के चारों ओर विस्फोटकों को लगा दिया गया, लेकिन वहां से बाहर निकलने का समय इतना कम था कि धमाका करने वाले सैनिक की मौत तय थी. सबकुछ जानते हुए भी विटाली ने यह कारनामा किया और देश के लिए हंसते हंसते अपनी कुर्बानी दे दी.
यूक्रेन के जनरल स्टाफ ऑफ ऑर्म्ड फोर्सेज ने अपनी पोस्ट में बताया गया कि सैनिक विटाली शकुन ने मैसेज भेजा कि वह पुल को उड़ाने जा रहे हैं. थोड़ी देर बाद ही एक भारी विस्फोट की आवाज सुनाई दी. उनके इस प्रयास ने रूसी सैनिकों के काफिले को वहीं रोक दिया. पुल के दूसरी तरफ जाने के लिए रूसी सैनिकों को काफी मशक्कत करनी पड़ी.
जनरल स्टाफ ऑफ ऑर्म्ड फोर्सेज ने अपनी फेसबुक पोस्ट में इस बात का भी जिक्र किया है कि विटाली शकुन को उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत वीरता के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. ज्ञात हो कि यूक्रेन में करीब 130 फौजी अपने मुल्क की रक्षा करते हुए शहीद हुए हैं और अब पूरे विश्व द्वारा बस यही कहा जा रहा है कि जल्द से जल्द युद्ध समाप्त हो.
यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध कब ख़त्म होता है? इसका फैसला तो वक़्त करेगा. लेकिन जिस तरह अपने देश की रक्षा करते हुए विटाली शकुन ने अपनी जान गंवाई है. वो उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा है जो देश और राष्ट्रवाद की बात तो करते हैं. लेकिन जब बात उस दिशा में कुछ करने की होती है तो वो अपने हाथ पीछे कर लेते हैं. बाकी विटाली शकुन की मौत यूक्रेन पर एक बहुत बड़ा एहसान है. जिसकी कीमत एक मुल्क के रूप में यूक्रेन शायद ही कभी चुका पाए.
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