रूस-यूक्रेन जंग (Russia-kraine War) को शुरू हुए चार दिन हो चुके हैं. हर बदलते दिन के साथ युद्धग्रस्त यूक्रेन (kraine) से भयावह तस्वीरें सामने आ रही हैं. यूक्रेन की राजधानी कीव (Kyiv) पर कब्जा करने की तैयारी के साथ ही रूसी सेना लगातार आगे बढ़ रही है. और, यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खार्किव (Kharkiv) में भी घुस चुकी है. हालांकि, रूस (Russia) और यूक्रेन ने बातचीत से समाधान निकालने संभावना को खत्म नहीं किया है. लेकिन, अभी भी इस युद्ध के जल्दी खत्म होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. क्योंकि, हाल ही में यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ओर से दिए गए बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. क्रेमलिन (Kremlin) ने बेलारूस में यूक्रेन के साथ बातचीत करने का प्रस्ताव दिया था. जिसे ठुकराते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति वलाडिमीर जेलेंस्की ने कहा कि 'जहां से हमारे देश पर हमले हुए, वहां हम बातचीत नहीं कर सकते.' दरअसल, जेलेंस्की चाहते हैं कि बातचीत रूस का समर्थन करने वाले देश में न हो. वहीं, रूस के कई अधिकारी बेलारूस में बातचीत के लिए इंतजार कर रहे हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो सारा पेंच इस बात पर फंसा हुआ है कि बातचीत कहां हो. इस बीच खबर है कि यूक्रेन ने बेलारूस की सीमा पर बातचीत करने के लिए हामी भर दी है. आइए जानते हैं कि रूस-यूक्रेन जंग में अब तक क्या हुआ...
अलगाववादी प्रांतों को घोषित किया 'स्वतंत्र'
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत के लिए यूक्रेन की पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन 'नाटो' का सदस्य बनने की कोशिश को वजह माना जा सकता है. क्योंकि, अगर ऐसा हो जाता, तो रूस की सीमाओं पर पश्चिमी...
रूस-यूक्रेन जंग (Russia-kraine War) को शुरू हुए चार दिन हो चुके हैं. हर बदलते दिन के साथ युद्धग्रस्त यूक्रेन (kraine) से भयावह तस्वीरें सामने आ रही हैं. यूक्रेन की राजधानी कीव (Kyiv) पर कब्जा करने की तैयारी के साथ ही रूसी सेना लगातार आगे बढ़ रही है. और, यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खार्किव (Kharkiv) में भी घुस चुकी है. हालांकि, रूस (Russia) और यूक्रेन ने बातचीत से समाधान निकालने संभावना को खत्म नहीं किया है. लेकिन, अभी भी इस युद्ध के जल्दी खत्म होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. क्योंकि, हाल ही में यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ओर से दिए गए बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. क्रेमलिन (Kremlin) ने बेलारूस में यूक्रेन के साथ बातचीत करने का प्रस्ताव दिया था. जिसे ठुकराते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति वलाडिमीर जेलेंस्की ने कहा कि 'जहां से हमारे देश पर हमले हुए, वहां हम बातचीत नहीं कर सकते.' दरअसल, जेलेंस्की चाहते हैं कि बातचीत रूस का समर्थन करने वाले देश में न हो. वहीं, रूस के कई अधिकारी बेलारूस में बातचीत के लिए इंतजार कर रहे हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो सारा पेंच इस बात पर फंसा हुआ है कि बातचीत कहां हो. इस बीच खबर है कि यूक्रेन ने बेलारूस की सीमा पर बातचीत करने के लिए हामी भर दी है. आइए जानते हैं कि रूस-यूक्रेन जंग में अब तक क्या हुआ...
अलगाववादी प्रांतों को घोषित किया 'स्वतंत्र'
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत के लिए यूक्रेन की पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन 'नाटो' का सदस्य बनने की कोशिश को वजह माना जा सकता है. क्योंकि, अगर ऐसा हो जाता, तो रूस की सीमाओं पर पश्चिमी देशों की सेनाओं का जमावड़ा होने का अंदेशा था. अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश लंबे समय से रूस पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहे हैं. जिसमें यूक्रेन उनका मददगार बन सकता था. लेकिन, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इन देशों को चकमा देते हुए न केवल यूक्रेन की सीमा पर अपनी फौज की बड़ी संख्या में तैनाती की. बल्कि, पूर्वी यूक्रेन से अलग हुए दो प्रांतों डोनेत्स्क (Donetsk) और लुहांस्क (Luhansk) को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दे दी. दरअसल, 2014 में रूस के क्रीमिया पर कब्जे के दौरान दो प्रांतों डोनेत्स्क और लुहांस्क की अलगाववादी ताकतों ने खुद को पूर्वी यूक्रेन के अलग कर लिया था. इन अलगाववादियों को रूस का समर्थन मिलता रहा है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो एक तरह से रूस ही अलगाववादियों के जरिये डोनेत्स्क और लुहांस्क पर नियंत्रण रख रहा था. इन्हें स्वतंत्र देश घोषित करने के साथ ही रूसी सेना के लिए यूक्रेन में घुसने का रास्ता आसान हो गया.
गुरुवार तड़के शुरू हुआ 'स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन'
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों के दबाव को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए 24 फरवरी को तड़के यूक्रेन के खिलाफ 'स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन' का ऐलान कर दिया. सैन्य कार्रवाई का आदेश मिलते ही रूसी सेना ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर हमला बोल दिया. रूसी सेना ने कीव पर मिसाइलों से हमला करते हुए कई बिल्डिंगों को निशाना बनाया था. कीव में विस्फोटों और गोलीबारी से माहौल लगातार गर्माता जा रहा है. हालांकि, कीव पर हमले के अगले ही दिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन से बातचीत के लिए कुछ समय के लिए युद्धविराम किया था. लेकिन, यूक्रेन की ओर से बातचीत की पेशकश ठुकराने के बाद फिर से हमले शुरू कर दिए गए थे. रूसी सेना ने यूक्रेन के हवाई अड्डों, गैस और तेल के ठिकानों पर हमला कर उन्हें तबाह कर दिया.
पश्चिमी देशों और नाटो सैन्य संगठन ने खड़े किए हाथ
रूस के साथ युद्ध छिड़ने से पहले यूक्रेन को पश्चिमी देशों और नाटो सैन्य संगठन ने खुलकर समर्थन देने की बात कही थी. अमेरिका समेत तमाम देशों ने यूक्रेन को युद्ध शुरू होने से पहले ही काफी मात्रा में सैन्य सामग्री उपलब्ध कराई थी. लेकिन, युद्ध छिड़ने के बाद अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देशों और सैन्य संगठन नाटो ने युद्ध में शामिल होकर यूक्रेन की सीधी तौर पर मदद करने से इनकार कर दिया. हालांकि, सैन्य संगठन नाटो की ओर से रूस को लगातार चेतावनी दी जाती रही कि हमारे लड़ाकू विमान से लेकर घातक हथियार तक तैयार हैं. लेकिन, चार दिनों से युद्ध विभीषिका झेल रहे यूक्रेन की मदद के लिए पश्चिमी देश और नाटो आगे नहीं आया.
यूक्रेन ने की पीएम मोदी से युद्ध रुकवाने की अपील
रूसी सेना के चौतरफा हमले से जूझ रहे यूक्रेन के नई दिल्ली में तैनात राजदूत इगर पोलिखा ने पीएम नरेंद्र मोदी से चाणक्य और महाभारत का जिक्र कर मदद की गुहार लगाई थी. इगर पोलिखा ने पीएम नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा था कि हमारी पीएम मोदी से अपील है कि वह तुरंत रूसी राष्ट्रपति पुतिन और हमारे राष्ट्रपति जेनेंस्की के बीच बात करवाएं. पीएम मोदी दुनिया के प्रभावशाली नेता हैं, उन्हें इस मामले में दखल देना चाहिए. इतना ही नहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति वलाडिमीर जेलेंस्की ने भी पीएम नरेंद्र मोदी से बातचीत कर यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में राजनीतिक समर्थन करने की मांग की थी.
यूक्रेन में छिड़ी जंग के बीच भारतीय छात्रों का एयर लिफ्ट
युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों और छात्रों को निकालने के लिए भारत के विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन के पड़ोसी देशों के साथ बातचीत कर सुरक्षित रास्ता निकाला है. यूक्रेन से भारतीय छात्रों और नागरिकों को एयर इंडिया की फ्लाइट से एयरलिफ्ट किया जा रहा है. हालांकि, यूक्रेन में रह रहे छात्रों और नागरिकों को भारत के विदेश मंत्रालय ने युद्ध छिड़ने से पहले ही वापसी के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया था.
जेलेंस्की और यूक्रेन के नागरिकों ने लिया युद्ध में उतरने का फैसला
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलाडिमीर जेलेंस्की ने युद्ध में देश के नागरिकों से रूस के खिलाफ हथियार उठाने की अपील की थी. जेलेंस्की ने खुद भी युद्ध में उतरने का मन बनाया है. जेलेंस्की की देखादेखी बड़ी संख्या में यूक्रेनी नागरिकों ने रूसी सेना के खिलाफ हथियार उठाने का मन बना लिया है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पर रूस का वीटो
25 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर हमला करने और युद्ध समाप्त करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया गया था. हालांकि, इस प्रस्ताव को रूस ने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए रोक दिया था. भारत ने इस वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था. भारत के साथ चीन और यूएई भी इस वोटिंग से दूर रहे.
रूस पर लगे कड़े प्रतिबंध
रूस के खिलाफ यूक्रेन की जंग में अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इटली, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ सीधे तौर पर नहीं कूदे हैं. लेकिन, इन देशों ने रूस पर कई कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं. रूसी करेंसी रूबल की क्षमता को सीमित करने की कोशिश भी की गई है. कई देशों ने रूस के लिए अपना एयरस्पेस भी बंद कर दिया है. वैसे, रूस-यूक्रेन जंग में दोनों ही ओर से अब तक हजारों सैनिकों को मारे जाने का दावा किया जा रहा है. हालांकि, इस युद्ध का भुगतान यूक्रेन के नागरिकों को करना पड़ रहा है. रूस के हमलों में यूक्रेन के कई नागरिकों की मौत हुई है.
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