Russia-kraine War के मद्देनजर सबसे पहली कैजुएलटी सत्य की हुई है. जैसे हालात हैं रूस और यूक्रेन एक दूसरे के खून के प्यासे हैं और मौजूदा वक्त का एक बड़ा सत्य ये है कि दो देशों के बीच का ये युद्ध सिर्फ दो देशों और उनकी सीमाओं तक सीमित नहीं है. नफरत की जो आग लग चुकी है रूस यूक्रेन के साथ साथ कई और मुल्क इसकी जद में आएंगे और अपना सर्वस्व नष्ट करेंगे. ये तो बात हुई रूस यूक्रेन समेत अमेरिका और यूरोप की. भारत का क्या?जंग के इन तनावपूर्ण पलों में जिक्र भारत और भारतीयों का हो तो अब तक जैसी परिस्थितियां थीं भारत का एक बड़ा वर्ग जहां रूस का साथ दे रहा था तो वहीं अपने को सेक्युलर कहने वाली बिरादरी यूक्रेन के साथ थी. दो देशों के झगड़े को भले ही अब तक भारत ने हल्के में लेते हुए मजाक मजाक में अमेरिकन पॉलिसी और नाटो की कड़े शब्दों में निंदा की हो लेकिन अब वक्त आ गया है जब रूस यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर एक आम भारतीय को गंभीर हो जाना चाहिए. भले ही युद्ध कहीं बहुत दूर चल रहा हो मगर इसका सीधा असर एक आम भारतीय की जेब पर पड़ने वाला है. बात पेट्रोल और उसकी कीमतों से जुड़ी है और जैसी नौबत आई है किसी भी क्षण भारत में सरकार पेट्रोल की कीमतों में इजाफा कर सकती है.
चूंकि देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव है और केंद्र का रास्ता क्योंकि उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों से होकर गुजरता है तो बड़ा सवाल यही है कि पेट्रोल के दाम यूपी में आखिरी चरण की वोटिंग के बाद बढ़ेंगे या नतीजे आने के बाद?
सवाल सुनकर बहुत ज्यादा विचलित होने की...
Russia-kraine War के मद्देनजर सबसे पहली कैजुएलटी सत्य की हुई है. जैसे हालात हैं रूस और यूक्रेन एक दूसरे के खून के प्यासे हैं और मौजूदा वक्त का एक बड़ा सत्य ये है कि दो देशों के बीच का ये युद्ध सिर्फ दो देशों और उनकी सीमाओं तक सीमित नहीं है. नफरत की जो आग लग चुकी है रूस यूक्रेन के साथ साथ कई और मुल्क इसकी जद में आएंगे और अपना सर्वस्व नष्ट करेंगे. ये तो बात हुई रूस यूक्रेन समेत अमेरिका और यूरोप की. भारत का क्या?जंग के इन तनावपूर्ण पलों में जिक्र भारत और भारतीयों का हो तो अब तक जैसी परिस्थितियां थीं भारत का एक बड़ा वर्ग जहां रूस का साथ दे रहा था तो वहीं अपने को सेक्युलर कहने वाली बिरादरी यूक्रेन के साथ थी. दो देशों के झगड़े को भले ही अब तक भारत ने हल्के में लेते हुए मजाक मजाक में अमेरिकन पॉलिसी और नाटो की कड़े शब्दों में निंदा की हो लेकिन अब वक्त आ गया है जब रूस यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर एक आम भारतीय को गंभीर हो जाना चाहिए. भले ही युद्ध कहीं बहुत दूर चल रहा हो मगर इसका सीधा असर एक आम भारतीय की जेब पर पड़ने वाला है. बात पेट्रोल और उसकी कीमतों से जुड़ी है और जैसी नौबत आई है किसी भी क्षण भारत में सरकार पेट्रोल की कीमतों में इजाफा कर सकती है.
चूंकि देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव है और केंद्र का रास्ता क्योंकि उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों से होकर गुजरता है तो बड़ा सवाल यही है कि पेट्रोल के दाम यूपी में आखिरी चरण की वोटिंग के बाद बढ़ेंगे या नतीजे आने के बाद?
सवाल सुनकर बहुत ज्यादा विचलित होने की जरूरत नहीं है. दरअसल रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष का सीधा असर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों पर भी पड़ा है. बताते चलें कि इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 110 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई है. मामले में दिलचस्प ये है कि यह पिछले सात सालों में सबसे अधिक कीमत है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार से आ रही खबरों पर यदि यकीन किया जाए तो पता यही चल रहा है कि बाजार में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत में आश्चर्यजनक रूप से पांच फीसदी का इजाफा हुआ है. मौजूदा वक्त में कीमत 110.23 डॉलर प्रति बैरल है. बात आगे बढ़ाने और भारत का जिक्र करने से पहले हमारे लिए ये स्पष्ट कर देना भी बहुत जरूरी हो जाता है कि जुलाई, 2014 के बाद कच्चे तेल की कीमत पहली बार 110 डॉलर प्रति बैरल पहुंची है.
अब चूंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है आशंका जताई जा रही है कि इसका सीधा असर भारतीय भी महसूस करेंगे. रूस यूक्रेन युद्ध और तेल की कीमतों के मद्देनजर यदि पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स द्वारा कही बातों पर यकीन करें तो पता यही चलता है कि यूपी, पंजाब समेत पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनावों के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमत में भारी उछाल देखने को मिल सकता है.
जैसा कि हम ऊपर ही बता चुके हैं रूस यूक्रेन युद्ध पूरे विश्व और उसकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा. इसकी शुरुआत अमेरिका से हुई है. अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट की कीमत में भी 4.8 फीसदी की रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है. सितंबर, 2013 के बाद इसकी कीमत सबसे अधिक होकर 108.41 डॉलर प्रति बैरल हुई है.
गौरतलब है कि यूक्रेन में रूस द्वारा की गई बमबारी के बाद इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल के दाम तेजी से बढ़े हैं. आज कीमत 110 डॉलर पर बैरल है. बात रूस यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में भारतीयों की और उनकी उन चुनौतियों की हुई है जिनका खामियाजा एक देश के रूप में भारत निकट भविष्य में भुगतेगा और क्योंकि यूपी में चुनाव है तो चुनाव बाद या चुनाव ख़त्म होते होते यूपी वालों के सामने चुनौतियों का पहाड़ है.
जिक्र पेट्रोल की कीमत और कच्चे तेल का हुआ है. हमारे लिए ये जान लेना भी बहुत जरूरी है कि, गुजरे कई वर्षों से तेल के दाम केंद्र सरकार के बजाय सरकारी तेल कंपनियां द्वारा तय किये जाते रहे हैं इसलिए भी चिंता ज्यादा है. ज्ञात हो कि हाल फिलहाल में गुजरे नवंबर माह की शुरुआत में पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी पर 10 और पांच रुपये की कटौती करते हुए जनता को राहत देने का प्रयास किया था.
बहरहाल जैसा कि ज्ञात है देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और क्योंकि यूपी सरकार विपक्ष विशेषकर समाजवादी पार्टी के मुंह से पहले से ही विपक्ष लगातार बढ़ती महंगाई के आरोप झेल रही है यदि रूस यूक्रेन युद्ध के चलते यूपी में पेट्रोल की कीमतें फिर बढ़ गयीं तो स्थिति खौफनाक होगी. क्योंकि 10 मार्च को नतीजे आ रहे हैं आगे आने वाला समय यूपी और पेट्रोल दोनों के लिहाज से खासा महत्वपूर्ण है.
कुल मिलाकर यूपी, पंजाब वालों को अपनी कुर्बानी के लिए अभी से तैयार हो जाना चाहिए. साथ ही उन्हें इस बात को भी अपने दिमाग में बैठा लेना चाहिए कि चाहे वो रूस-यूक्रेन हो या कोई और मुल्क। युद्ध यदि कहीं हो रहा है तो जैसी जियो पॉलिटिक्स है प्रभावित सब होंगे.
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