एक युद्ध के सभी भागीदार अपने-अपने युद्ध को 'धर्म युद्ध' साबित करने की कोशिश करते रहे हैं. धर्म युद्ध का आशय आस्था से नहीं है, वरन अपने उद्देश्यों को पवित्र और जायज ठहराने से है. इसी अवधारणा के साथ दुनिया के बड़े बड़े जनसंहार को औचित्यपूर्ण ठहराया गया है. ताजा मामला रूस-यूक्रेन युद्ध का है. यूक्रेन में आम नागरिकों की लाशें बिछ रहे हैं. जिनमें औरतें और बच्चे शामिल हैं. लेकिन, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के साथ जारी युद्ध के उद्देश्यों को नोबेल (पवित्र) बता रहे हैं. पुतिन कह रहे हैं कि- यूक्रेन युद्ध पर मेरे उद्देश्य स्पष्ट रूप से निर्धारित हैं. हमारा मुख्य लक्ष्य डोनबास में लोगों की मदद करना है. पुतिन ने ये भी कहा कि आठ साल तक चलने वाले नरसंहार को सहन करना असंभव था.
युद्ध के मद्देनजर रूस का मानना है कि एक तरफ, हम लोगों की मदद कर रहे हैं उन्हें बचा रहे हैं, दूसरी तरफ, हम बस रूस की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपाय कर रहे हैं. यह स्पष्ट है कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं था, यह सही निर्णय था.
इसके अलावा भी पुतिन ने तमाम चीजों का जिक्र किया है. यूक्रेन युद्ध पर अपने तर्कों के जरिये उन्होंने कहीं न कहीं ये बताने का भी प्रयास किया कि यूक्रेन में जो कुछ भी हुआ, जिस तरह रूस ने यूक्रेन में घुसकर तबाही को अंजाम दिया उन्हें इस बात का कोई मलाल नहीं है. सब समय की जरूरत थी. जो हुआ समय की धुरी पर हुआ. रूस को खुद को सुरक्षित रखना था इसलिए युद्ध जरूरी था.
रूसी आक्रमण के...
एक युद्ध के सभी भागीदार अपने-अपने युद्ध को 'धर्म युद्ध' साबित करने की कोशिश करते रहे हैं. धर्म युद्ध का आशय आस्था से नहीं है, वरन अपने उद्देश्यों को पवित्र और जायज ठहराने से है. इसी अवधारणा के साथ दुनिया के बड़े बड़े जनसंहार को औचित्यपूर्ण ठहराया गया है. ताजा मामला रूस-यूक्रेन युद्ध का है. यूक्रेन में आम नागरिकों की लाशें बिछ रहे हैं. जिनमें औरतें और बच्चे शामिल हैं. लेकिन, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के साथ जारी युद्ध के उद्देश्यों को नोबेल (पवित्र) बता रहे हैं. पुतिन कह रहे हैं कि- यूक्रेन युद्ध पर मेरे उद्देश्य स्पष्ट रूप से निर्धारित हैं. हमारा मुख्य लक्ष्य डोनबास में लोगों की मदद करना है. पुतिन ने ये भी कहा कि आठ साल तक चलने वाले नरसंहार को सहन करना असंभव था.
युद्ध के मद्देनजर रूस का मानना है कि एक तरफ, हम लोगों की मदद कर रहे हैं उन्हें बचा रहे हैं, दूसरी तरफ, हम बस रूस की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपाय कर रहे हैं. यह स्पष्ट है कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं था, यह सही निर्णय था.
इसके अलावा भी पुतिन ने तमाम चीजों का जिक्र किया है. यूक्रेन युद्ध पर अपने तर्कों के जरिये उन्होंने कहीं न कहीं ये बताने का भी प्रयास किया कि यूक्रेन में जो कुछ भी हुआ, जिस तरह रूस ने यूक्रेन में घुसकर तबाही को अंजाम दिया उन्हें इस बात का कोई मलाल नहीं है. सब समय की जरूरत थी. जो हुआ समय की धुरी पर हुआ. रूस को खुद को सुरक्षित रखना था इसलिए युद्ध जरूरी था.
रूसी आक्रमण के खिलाफ ग्लोबल मोर्चेबंदी की अगुवाई अमेरिका कह रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन तो पुतिन को मांस्टर (राक्षस) भी कह चुके हैं. लेकिन, उनकी बातें किसी भी तर्कपूर्ण व्यक्ति को राजनीतिक ही लगेंगी. क्योंकि, अमेरिका ने भी जब जब दुनिया में कहीं हमला किया है, तो लोगों के जान-माल की चिंता नहीं की है. खाड़ी देशों में असंख्य नागरिक नाटो के हमलों में मारे गए हैं. युद्ध को लेकर अमेरिका का इससे बड़ा दोमुंहापन क्या होगा कि उसने दूसरे विश्वयुद्ध में जापान पर दो परमाणु बम गिराने को लेकर अब तक माफी नहीं मांगी है. बल्कि समय समय पर अमेरिका दलील देता आया है कि यदि उसने दो परमाणु बम गिराकर दूसरा विश्वयुद्ध रोक दिया. ऐसा न होता तो और न जाने कितने नागरिकों की जाने जातीं. ज्ञात रहे कि 1945 में अमेरिका ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए थे. जिसमें एक झटके में करीब दो लाख लोग मारे गए थे, और जो बच गए थे वो कई पीढि़यों तक इस हमले की विभीषिका को अलग-अलग बीमारियों के रूप में भुगतते रहे.
अब आइए फिर से रूस-यूक्रेन पर लौटते हैं. पुतिन के ताजा बयान को गौर से देखें तो वे परमाणु हमले को जायज ठहराने वाली अमेरिकी दलीलों को ही फॉलो करते दिखते हैं. सही मायनों में देखा जाए तो तब जो कुछ भी जापान के साथ अमरीका ने किया उसके लिए उसे माफ़ी मांगनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कारण वही है की इतिहास हमेशा ही विजेताओं ने लिखा है. यूं भी कहा यही गया है कि चाहे वो इश्क़ हो या फिर जंग जायज सब है. पुतिन का यूक्रेन के खिलाफ लिया गया एक्शन भी जायज है. अमेरिका का हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराना और माफ़ी न मांगना भी जायज है.
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