ये कहा जाता है कि 5 मार्च 1966 को आसमान में दो तरह के विमान घूम रहे थे, एक 'अच्छे वाले' और दूसरे 'गुस्से वाले'. गुस्से वाले विमानों ने देखते ही देखते हर ओर आग और धुएं का मंजर पैदा कर दिया. घटना के चश्मदीदों ने ये बात उस कमेटी को बताई, जिसे उस मामले को लेकर अधिकारों के हनन की जांच के लिए बनाया गया था. पेशे से लेखक सजल नाग बताते हैं कि ये हमला मिजोरम की राजधानी आइजोल पर किया गया था. इस हवाई हमले ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. और लोगों के दिलों में खौफ भर दिया. बहुत से लोग तो डर के मारे गुफाओं में जाकर छुप गए, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं और भी हमले ना हों.
पत्रकार आनंद रंगनाथन बताते हैं कि भारत के इतिहास में आइजोल पर की गई बमबारी एक बेहद शर्मनाक और दुखद घटना थी. सबसे अहम बात तो ये है कि जिन विमानों ने सब कुछ तबाह किया वह किसी दुश्मन देश के नहीं, बल्कि भारतीय वायुसेना के विमान थे. अब सवाल ये उठता है कि भारतीय वायुसेना ने अपने ही लोगों पर इस तरह की बमबारी क्यों की? दरअसल, उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आदेश दिया था, जिसके चलते ये कार्रवाई हुई थी. लेकिन सवाल अभी भी यही है कि आखिर ऐसा करने की जरूरत क्यों पड़ी?
असम राइफल्स के मुख्यालय पर कब्जा
1966 के दौरान मिजोरम में अकाल पड़ा था. उसी दौरान मीजो डिस्ट्रिक्ट काउंसिल ने असम सरकार से फंड की मांग की थी, लेकिन असम सरकार ने उनकी मांग को ठुकरा दिया था. आपको बता दें कि उस समय मिजोरम भी असम का ही हिस्सा था. मीजो डिस्ट्रिक्ट काउंसिल की मांग ठुकराए जाने के बाद एक विद्रोह शुरू हो गया और मीजो नेशनल फ्रंट बनाई गई. इस विद्रोह की वजह भी अकाल ही था. मीजो नेशनल फ्रंट का मकसद मिजोरम से भारतीय...
ये कहा जाता है कि 5 मार्च 1966 को आसमान में दो तरह के विमान घूम रहे थे, एक 'अच्छे वाले' और दूसरे 'गुस्से वाले'. गुस्से वाले विमानों ने देखते ही देखते हर ओर आग और धुएं का मंजर पैदा कर दिया. घटना के चश्मदीदों ने ये बात उस कमेटी को बताई, जिसे उस मामले को लेकर अधिकारों के हनन की जांच के लिए बनाया गया था. पेशे से लेखक सजल नाग बताते हैं कि ये हमला मिजोरम की राजधानी आइजोल पर किया गया था. इस हवाई हमले ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. और लोगों के दिलों में खौफ भर दिया. बहुत से लोग तो डर के मारे गुफाओं में जाकर छुप गए, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं और भी हमले ना हों.
पत्रकार आनंद रंगनाथन बताते हैं कि भारत के इतिहास में आइजोल पर की गई बमबारी एक बेहद शर्मनाक और दुखद घटना थी. सबसे अहम बात तो ये है कि जिन विमानों ने सब कुछ तबाह किया वह किसी दुश्मन देश के नहीं, बल्कि भारतीय वायुसेना के विमान थे. अब सवाल ये उठता है कि भारतीय वायुसेना ने अपने ही लोगों पर इस तरह की बमबारी क्यों की? दरअसल, उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आदेश दिया था, जिसके चलते ये कार्रवाई हुई थी. लेकिन सवाल अभी भी यही है कि आखिर ऐसा करने की जरूरत क्यों पड़ी?
असम राइफल्स के मुख्यालय पर कब्जा
1966 के दौरान मिजोरम में अकाल पड़ा था. उसी दौरान मीजो डिस्ट्रिक्ट काउंसिल ने असम सरकार से फंड की मांग की थी, लेकिन असम सरकार ने उनकी मांग को ठुकरा दिया था. आपको बता दें कि उस समय मिजोरम भी असम का ही हिस्सा था. मीजो डिस्ट्रिक्ट काउंसिल की मांग ठुकराए जाने के बाद एक विद्रोह शुरू हो गया और मीजो नेशनल फ्रंट बनाई गई. इस विद्रोह की वजह भी अकाल ही था. मीजो नेशनल फ्रंट का मकसद मिजोरम से भारतीय सेना को खदेड़ना था. मीजो नेशनल फ्रंट ने 1 मार्च 1966 को असम राइफल्स के मुख्यालय पर कब्जा कर लिया और भारतीय झंडे को अपने झंडे से बदलते हुए आजादी की घोषणा कर दी.
हफ्ते भर तक हुई बमबारी
मीजो नेशनल फ्रंट द्वारा असम राइफल्स के मुख्यालय पर कब्जा करने के करीब 4 दिन बाद गुस्से वाले विमान पहुंचे और करीब हफ्ते भर तक मिजोरम में बमबारी की. ये बमबारी इसीलिए थी ताकि मीजो नेशनल फ्रंट के विद्रोह को दबाया जा सके और इस बमबारी का आदेश तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ही दिया था. अपने ही लोगों पर भारतीय वायुसेना द्वारा बम गिराने की ये घटना इतिहास में पहली बार हुई थी. 1980 तक को भारतीय सेना इस बात से साफ इनकार करती रही कि 1966 में मिजोरम में कोई हवाई हमला भी किया गया था. 9 मार्च 1966 को इंदिरा गांधी ने एक विदेशी पत्रकार से कहा था कि एयर फोर्स का इस्तेमाल खाने-पीने की चीजें गिराने के लिए किया गया था.
अब इस घटना के 53 साल बाद एक बार फिर से भारतीय वायुसेना की कहानी लोगों की जुबान पर है. हालांकि, इस बार हमला विदेशी धरती पर हुआ है. ये हमला पुलवामा में हुए आतंकी हमले की जवाबी कार्रवाई था, जिसमें 40 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे. 1971 के बाद पहली बार भारतीय वायुसेना के विमान पाकिस्तान की सीमा में घुसे और 250-300 आतंकी मार गिराए. अब भारतीय वायुसेना पर पूरा देश गर्व कर रहा है, लेकिन जब इंदिरा गांधी ने अपने ही लोगों पर बम गिराने के लिए वायुसेना का इस्तेमाल किया, जिसकी वजह से इंदिरा गांधी को आलोचना झेलनी पड़ी थी.
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