आज एक बार फिर साध्वी प्रज्ञा के नाम के चर्चे हर तरफ हो रहे हैं. मालेगांव ब्लास्ट के मुख्य आरोपी रहीं प्रज्ञा ठाकुर को आखिरकार 9 साल बाद राहत मिल ही गई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें 5 लाख के निजी मुचलके पर सशर्त जमानत दे दी है.
29 सिंतबर 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम धमाकों में 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. मामले की जांच कर रही एटीएस ने इसमें 'अभिनव भारत' नाम की संस्था का शामिल होना बताया, जिसके तहत स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित सहित साध्वी प्रज्ञा सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया था. साध्वी प्रज्ञा को तो बेल मिल गई लेकिन लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की बेल पिटीशन कोर्ट ने खारिज कर दी. साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित को ब्लॉस्ट के लिए आरडीएक्स उपलब्ध कराने व साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
जुलाई 2009 में विशेष न्यायालय ने इन सभी आरोपियों पर मकोका लगा दिया था, जिसे जुलाई 2010 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी जारी रखा. इसके बाद अप्रेल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए मकोका हटा दिया कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं.
साध्वी प्रज्ञा को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों की अलग-अलग राय देखने को मिल रही है. एक तरफ लोग कोर्ट के इस फैसले की सराहना कर रहे हैं तो दूसरी तरफ लोगों ने इस फैसले की आलोचना की है.
लोगों को खुशी तो थी कि बेल मिली लेकिन अब सवाल ये कि उनके इतने सालों की भरपाई कौन करेगा.