बायकॉट बॉलीवुड और नेपोटिज्म के इस दौर में एक्ट्रेस सारा अली खान को लेकर फैंस की मिली जुली राय है. एक वर्ग उन्हें नेपो किड कहता है. जबकि दूसरे वर्ग का मानना है कि अगर सही मौके उन्हें दिए जाएं तो जैसी प्रतिभा सारा में है, वो एक बेहतरीन एक्टर साबित होंगी. लोगों की ये राय सही है या गलत इसका जवाब तो वक़्त देगा. लेकिन अपनी आने वाली फिल्म 'ऐ वतन मेरे वतन' में सारा एक ऐसे अवतार में नजर आ रही हैं जो उनकी इमेज के बिलकुल विपरीत है. भारत के 74वें गणतंत्र दिवस से पहले, प्राइम वीडियो ने अपकमिंग अमेज़न ऑरिजिनल मूवी, 'ऐ वतन मेरे वतन’ का फर्स्ट-लुक टीजर लांच किया है. फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है और हमें उस दौर में ले जाती है जब देश आजाद हो रहा था. फिल्म में सारा महान स्वतंत्रता सेनानी उषा मेहता के रोल में हैं.
आने वाली फिल्म ऐ वतन मेरे वतन में सारा अली खान
धर्माटिक एंटरटेनमेंट प्रोडक्शन के बैनर तले और कन्नन अय्यर के निर्देशन में बनी 'ऐ वतन मेरे वतन' को करण जौहर और अपूर्व मेहता ने प्रोड्यूस किया है. फिल्म के टीजर में जिस गंभीरता का परिचय अपने नॉन ग्लैमरस लुक से सारा ने दिया है वो उस बात की तस्दीख कर देता है कि बतौर एक्टर संभावनाएं तो हैं उनमें बस उन्हें तराशने की जरूरत है.
टीजर में देखा जा सकता है कि सारा ने अपने को एक कमरे में बंद किया हुआ है और वो रेडियो पर ये कह रही हैं कि 'अंग्रेजों को लग रहा है कि उन्होंने क्विट इंडिया का सिर कुचल दिया है. लेकिन आजाद आवाजें कैद नहीं होती. ये है हिंदुस्तान की आवाज है, हिंदुस्तान में कहीं से, कहीं पे हिंदुस्तान में.' तभी उनके कमरे के दरवाजे पर दस्तक होती है और महसूस होता है कि अंग्रेजों की एक टुकड़ी उन्हें हिरासत में लेने के लिए मौके पर पहुंच गई है.
शुरुआत में ही हमने इस बात का जिक्र किया था कि इस फिल्म में सारा अली खान स्वतंत्रता सेनानी की भूमिका में हैं और उषा मेहता नाम की महिला क्रांतिकरी का किरदार निभा रही हैं. ऐसे में हमारे लिए भी ये जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर उषा थीं कौन और उन्होंने ऐसा क्या किया जिसके खौफ ने अंग्रेज हुकूमत को भी खौफ ज्यादा कर दिया.
कौन थीं महान क्रांतिकारी उषा मेहता?
उषा मेहता ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और जब देश आजाद हो गया तो उन्होंने गांधीवादी दर्शन के अनुरूप महिलाओं के उत्थान और उनके विकास की दशा में काफी काम किया. उषा, भारत छोड़ो आंदोलन के समय खुफिया कांग्रेस रेडियो चलाने के कारण पूरे देश में विख्यात हुईं.
बात अगर उषा मेहता की उपलब्धियों की हुई है तो बताते चलें कि उषा ने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अपने सहयोगियों के साथ 14 अगस्त 1942 को खुफिया कांग्रेस रेडियो प्रारंभ किया थी. इस रेडियो से पहला प्रसारण भी उषा की आवाज में हुआ था. यह रेडियो लगभग हर दिन अपनी जगह बदलता था, ताकि अंग्रेज अधिकारी उसे पकड़ न सकें. इतिहासकारों की मानें तो इस खुफिया रेडियो को डॉक्टर राममनोहर लोहिया, अच्युत पटवर्धन सहित कई प्रमुख नेताओं ने सहयोग दिया था.
रेडियो पर महात्मा गांधी सहित देश के प्रमुख नेताओं के रिकार्ड किए गए संदेश बजाए जाते थे. तीन माह तक प्रसारण के बाद अंतत: अंग्रेज सरकार ने उषा और उनके सहयोगियों को पकड़ा लिया और उन्हें जेल की सजा दी गई. उषा के बारे में दिलचस्प तथ्य ये भी है कि तब भारतीय पुलिस की , आपराधिक जांच विभाग ने उनसे पूरे छह महीने तक पूछताछ की. इस दौरान उन्हें एकान्त कारावास में रखा गया था और अंग्रेजों का साथ देने के एवज में उन्हें तरह तरह के प्रलोभन भी दिए गए.
उषा से कहा गया था कि यदि वो स्वतंत्रता आंदोलन के साथ दगाबाजी करती हैं तो अंग्रेजी हुकूमत के खर्चे पर उन्हें पढ़ने के लिए विदेश भेजा जाएगा. उषा, अंग्रेजों के किसी भी झांसे में नहीं आईं और बाद में उन्हें फिर 4 साल की सजा सुनाई गयी.
बहरहाल, टीजर में सारा की उम्दा एक्टिंग को देखकर अभी किसी तरह की कोई राय नहीं बनाई जा सकती. फिल्म हिट होती है या फ्लॉप इसका फैसला तो वक़्त करेगा. लेकिन हां इतना तो जरूर है कि फिल्म के लिए मेकर्स ने जिस कैरेक्टर का और साथ ही जिस कहानी का चुनाव किया है वो हित है. लंबे समय बाद होगा कि कोई फिल्म अपनी स्टोरी के तहत हिट होगी.
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