भाजपा पूछ रही है कि नरेंद्र मोदी को हटाने की नाकाम कोशिश करने वाले गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा ? प्रधानमंत्री का दावेदार कौन होगा? कांग्रेस के राहुल गांधी...बसपा की मायावती..तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी...सपा के अखिलेश यादव या कोई और ! इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं. गठबंधन की जोड़तोड़ और गुणा-भाग करने वाले विपक्षी दलों के नेताओं से भाजपा जब ऐसा सवाल करती है तो विपक्ष बगलें झांकने लगता है.
उत्तर प्रदेश के भाजपाइयों ने अपनी ही पार्टी के जटिल सवाल का जवाब देने के लिए विपक्षियों की मुश्किल आसान कर दी है. भाजपा विरोधी संभावित गठबंधन की गणित दलितों-पिछड़ों और मुसलमानों की संख्या बल पर आधारित है. मुस्लिम और हिन्दू समाज की पिछड़ी जातियों-दलितों के वोट बैंक की ताकत वाले गैर भाजपा दल एक हो गये तो उनके हिस्से में करीब 60-70 प्रतिशत जनसमर्थन एकजुट हो जायेगा. किन्तु इन दलों का नेता कौन होगा ये तय करना आसान नहीं.
इन गठबंधन का नेता अभी तक अदृश्य है. दलित-मुस्लिम वोट बैंक का अदृश्य नेतृत्व करने वाली कौन ताकत है ये अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता था. लेकिन अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि दलित-मुस्लिम गठजोड़ वाले संगठनों का अदृश्य नेतृत्व हनुमान जी कर रहे होंगे.
जाहिर सी बात है कि हनुमान जी दलितों और मुसलमानों के सबसे बड़े खैरख्वाह होंगे. क्योंकि वो दलित भी हैं और मुसलमान भी. ये बात कोई और नहीं कह रहा भाजपा कह रही है. उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमान जी को दलित कहा, फिर भाजपा एम एल सी बुक्कल नवाब ने हनुमान जी को मुसलमान कहा. यानी भाजपा के नजरिए से हनुमान जी दलित भी हैं और मुसलमान भी हैं. भाजपा ये भी कह रही है कि मोदी विरोधी गठबंधन जातिवादी...
भाजपा पूछ रही है कि नरेंद्र मोदी को हटाने की नाकाम कोशिश करने वाले गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा ? प्रधानमंत्री का दावेदार कौन होगा? कांग्रेस के राहुल गांधी...बसपा की मायावती..तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी...सपा के अखिलेश यादव या कोई और ! इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं. गठबंधन की जोड़तोड़ और गुणा-भाग करने वाले विपक्षी दलों के नेताओं से भाजपा जब ऐसा सवाल करती है तो विपक्ष बगलें झांकने लगता है.
उत्तर प्रदेश के भाजपाइयों ने अपनी ही पार्टी के जटिल सवाल का जवाब देने के लिए विपक्षियों की मुश्किल आसान कर दी है. भाजपा विरोधी संभावित गठबंधन की गणित दलितों-पिछड़ों और मुसलमानों की संख्या बल पर आधारित है. मुस्लिम और हिन्दू समाज की पिछड़ी जातियों-दलितों के वोट बैंक की ताकत वाले गैर भाजपा दल एक हो गये तो उनके हिस्से में करीब 60-70 प्रतिशत जनसमर्थन एकजुट हो जायेगा. किन्तु इन दलों का नेता कौन होगा ये तय करना आसान नहीं.
इन गठबंधन का नेता अभी तक अदृश्य है. दलित-मुस्लिम वोट बैंक का अदृश्य नेतृत्व करने वाली कौन ताकत है ये अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता था. लेकिन अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि दलित-मुस्लिम गठजोड़ वाले संगठनों का अदृश्य नेतृत्व हनुमान जी कर रहे होंगे.
जाहिर सी बात है कि हनुमान जी दलितों और मुसलमानों के सबसे बड़े खैरख्वाह होंगे. क्योंकि वो दलित भी हैं और मुसलमान भी. ये बात कोई और नहीं कह रहा भाजपा कह रही है. उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमान जी को दलित कहा, फिर भाजपा एम एल सी बुक्कल नवाब ने हनुमान जी को मुसलमान कहा. यानी भाजपा के नजरिए से हनुमान जी दलित भी हैं और मुसलमान भी हैं. भाजपा ये भी कह रही है कि मोदी विरोधी गठबंधन जातिवादी और मुस्लिमवाद पर आधारित है और इस गठबंधन का नेतृत्व अदृश्य है. तो क्या दलित-मुस्लिम समीकरण वाले गठबंधन का नेतृत्व अदृश्य रूप से दलित और मुसलमान कहे जाने वाले हनुमान करेंगे.
सोशल मीडिया पर एक शख्स ने लिखा कि भाजपा को शिकस्त देने की सशक्त रणनीति बनाने वाले गठबंधन को हनुमान जी की अपार शक्तियों का साथ मिलेगा. भाजपा की तमाम वादाखिलाफियों में सबसे अहम राम मंदिर ना बनवाने का धोखा है. हनुमान जी से बड़ा राम भक्त तो कोई नहीं! राम मंदिर ना बनवाने पर भाजपा को सबक सिखाने के लिए हनुमान जी गठबंधन को अपना आर्शीवाद जरूर देंगे.
हनुमान जी को भाजपा ने कभी मुसलमान कहा तो कभी दलित, किन्तु राम मंदिर निर्माण का वादा ही नहीं निभाया. इसकी सजा हनुमान जी ही देंगे.
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