केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) के शाहीन बाग प्रदर्शन (Shaheen Bagh Protest) पर दिए बयान- 'देश के गद्दारों को, गोली मारो @#$% को' के बाद अब प्रवेश वर्मा (Pravesh Verma) ने कहा है कि शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोग दिल्लीवालों के घरों में घुस जाएंगे और बहनों का रेप कर के उनकी हत्या कर देंगे. इनके बयान सुनकर कोई भी यही कहेगा कि उन्होंने गलत बयानबाजी की है, विवादित बयान (Controversial statements) दिया है, लेकिन अगर इन बयानों को दिल्ली चुनाव (Delhi Assembly Election) के मद्देनजर देखेंगे, तो ये बयान देने की वजह नजर आएगी. ये बयान अनर्गल नहीं हैं, इनका एक खास मकसद है. ये बेतुके नहीं हैं, इनका भी एक तुक है. ये नरफरत भरे लगते होंगे, लेकिन दरअसल ये वो प्यार है, जिसके दम पर भाजपा (BJP) दिल्ली की सत्ता साधने की कोशिश हो रही है. वैसे सिर्फ भाजपा ही नहीं है, जो शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन का इस्तेमाल अपनी राजनीति के लिए कर रही है, बल्कि हर राजनीतिक पार्टी इसे अपने हक में इस्तेमाल करने की कोशिश में है. आम आदमी पार्टी एक ओर दिल्ली के लोगों को हो रही परेशानी को लेकर चिंता जता रही है तो दूसरी ओर शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के साथ खड़े रहने की बात कर रही है. कांग्रेस भी शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के साथ होने का दावा कर रही है. वहीं भाजपा इसके खिलाफ है, क्योंकि ये प्रोटेस्ट ही सरकार के खिलाफ है.
शाहीन बाग में हो रहा प्रदर्शन भले ही मोदी सरकार के खिलाफ है, लेकिन खुद भाजपा भी नहीं चाहती है कि ये प्रदर्शन कम से कम 8 फरवरी तक खत्म हो. इस प्रदर्शन से भाजपा को मदद मिल रही है ध्रुवीकरण में. शरजील इमाम का असम को तोड़ने वाला बयान और नागरिकता कानून के विरोध में एक छात्रा का अफजल गुरु को समर्थन करने वाला बयान सीधे-सीधे भाजपा के पक्ष में जा रहा है. ध्रुवीकरण में जो कुछ कसर रह जा रही है, वह भाजपा नेताओं के भड़काऊ बयानों के तड़के से पूरी हो जा रही है. और जिस सड़क को शाहीन बाग प्रोटेस्ट से ब्लॉक किया गया है, उससे जिन आम लोगों के दिक्कत हो रही है,...
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) के शाहीन बाग प्रदर्शन (Shaheen Bagh Protest) पर दिए बयान- 'देश के गद्दारों को, गोली मारो @#$% को' के बाद अब प्रवेश वर्मा (Pravesh Verma) ने कहा है कि शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोग दिल्लीवालों के घरों में घुस जाएंगे और बहनों का रेप कर के उनकी हत्या कर देंगे. इनके बयान सुनकर कोई भी यही कहेगा कि उन्होंने गलत बयानबाजी की है, विवादित बयान (Controversial statements) दिया है, लेकिन अगर इन बयानों को दिल्ली चुनाव (Delhi Assembly Election) के मद्देनजर देखेंगे, तो ये बयान देने की वजह नजर आएगी. ये बयान अनर्गल नहीं हैं, इनका एक खास मकसद है. ये बेतुके नहीं हैं, इनका भी एक तुक है. ये नरफरत भरे लगते होंगे, लेकिन दरअसल ये वो प्यार है, जिसके दम पर भाजपा (BJP) दिल्ली की सत्ता साधने की कोशिश हो रही है. वैसे सिर्फ भाजपा ही नहीं है, जो शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन का इस्तेमाल अपनी राजनीति के लिए कर रही है, बल्कि हर राजनीतिक पार्टी इसे अपने हक में इस्तेमाल करने की कोशिश में है. आम आदमी पार्टी एक ओर दिल्ली के लोगों को हो रही परेशानी को लेकर चिंता जता रही है तो दूसरी ओर शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के साथ खड़े रहने की बात कर रही है. कांग्रेस भी शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के साथ होने का दावा कर रही है. वहीं भाजपा इसके खिलाफ है, क्योंकि ये प्रोटेस्ट ही सरकार के खिलाफ है.
शाहीन बाग में हो रहा प्रदर्शन भले ही मोदी सरकार के खिलाफ है, लेकिन खुद भाजपा भी नहीं चाहती है कि ये प्रदर्शन कम से कम 8 फरवरी तक खत्म हो. इस प्रदर्शन से भाजपा को मदद मिल रही है ध्रुवीकरण में. शरजील इमाम का असम को तोड़ने वाला बयान और नागरिकता कानून के विरोध में एक छात्रा का अफजल गुरु को समर्थन करने वाला बयान सीधे-सीधे भाजपा के पक्ष में जा रहा है. ध्रुवीकरण में जो कुछ कसर रह जा रही है, वह भाजपा नेताओं के भड़काऊ बयानों के तड़के से पूरी हो जा रही है. और जिस सड़क को शाहीन बाग प्रोटेस्ट से ब्लॉक किया गया है, उससे जिन आम लोगों के दिक्कत हो रही है, उनका गुस्सा तो भाजपा के लिए बोनस ही समझिए. अब आप ही बताइए कोई बयान बेतुका कैसे मान लिया जाए, भले ही वह भाजपा नेता का हो, कांग्रेस का हो या फिर आम आदमी पार्टी का.
शशि थरूर ने की थी राजनीति की शुरुआत
शाहीन बाग का प्रदर्शन एक ऐसा प्रदर्शन है, जिसका कोई एक नेता नहीं है. ऐसे में हर राजनीतिक पार्टी इसे अपनी ओर मोड़ने की कोशिश में है. इसकी शुरुआत की थी कांग्रेस के शशि थरूर ने, जो 12 जनवरी को शाहीन बाग प्रोस्टेट में पहुंचे और एक ऐसा बयान दे दिया, जिसके बाद शाहीन बाग पर राजनीति शुरू हो गई है. वहां शशि थरूर ने प्रोटेस्ट कर रही महिलाओं को साहसी बताया. उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस पार्टी उनके साथ है. वहां तो थरूर इतना ही बोल कर चले गए, लेकिन मन की भड़ास निकाली जेएनयू जाकर. वहां थरूर ने कहा कि इस देश के सरकार ही टुकड़े टुकड़े करना चाहती है, वही असली टुकड़े-टुकड़े गैंग है. उन्होंने ये तक कह दिया कि ये सब एक समुदाय को हाशिए पर रखने के लिए सरकार द्वारा एक अलोकतांत्रिक, भेदभावपूर्ण प्रयास है.
मणिशंकर अय्यर ने वही किया जो हमेशा करते हैं
अपने बयानों से हमेशा ही चर्चा में रहने वाले मणिशंकर अय्यर ने भी इस मौके को भुनाने में देर नहीं की. हमेशा की तरह शाहीन बाग में भी उन्होंने भड़काऊ बयान दिया. शशि थरूर के महज दो दिन बाद 14 जनवरी को शाहीन बाग पहुंचे और कहा- 'मैं शाहीन बाग के लोगों का समर्थन करने आया हूं. जो भी कुर्बानियां देनी हों, उसमें मैं भी शामिल होने के लिए तैयार हूं. अब देखें कि किसका हाथ मजबूत है, हमारा या उस कातिल का?'
कपिल मिश्रा ने शाहीन बाग को कहा मिनी पाकिस्तान
अभी कांग्रेस के बयानों की आलोचना हो ही रही थी कि आम आदमी पार्टी से बागी होकर भाजपा में शामिल हुए कपिल मिश्रा भी 23 जनवरी को इस रेस में कूद पड़े और शाहीन बाग को मिनी पाकिस्तान कह डाला. पहले कांग्रेस ने शाहीन बाग के प्रदर्शन को भुनाने की कोशिश की, लेकिन बाद में उसका बीड़ा भी भाजपा ने उठा लिया. उन्होंने कहा- 'आठ फरवरी को दिल्ली में भारत बनाम पाकिस्तान होगा. 8 फरवरी को दिल्ली की सड़कों पर हिंदुस्तान और पाकिस्तान का मुकाबला होगा.' एक अन्य ट्वीट में कपिल ने कहा, 'पाकिस्तान की एंट्री शाहीन बाग में हो चुकी हैं और दिल्ली में छोटे छोटे पाकिस्तान बनाये जा रहे हैं. शाहीन बाग, चांद बाग, इंद्रलोक में देश का कानून नहीं माना जा रहा है और पाकिस्तानी दंगाइयों का दिल्ली की सड़कों पर कब्जा है.' उनके इस बयान के बाद चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ एक्शन भी लिया और कुछ समय के लिए चुनाव प्रचार पर रोक तक लगा दी. उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज की गई.
विजय गोयल ने भी की राजनीति करने की कोशिश
कपिल मिश्रा के बाद भाजपा के राज्यसभा सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल ने कहा कि शाहीन बाग में जो लोग बैठे हैं, वह सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके हैं, क्योंकि अब वो लोग बताएंगे कि किस बस को या किस एंबुलेंस को गुजरने देना है और किसे नहीं. वो लोग एक महीने से सड़कों को जाम करके बैठे हैं. तमाम दुकानें बंद हैं, लोग उस तरफ जाने से बच रहे हैं, यह खतरा नहीं तो क्या है?
शरजील इमाम के बयान ने लगाई असली आग
इसी बीच दिल्ली चुनाव की राजनीतिक पार्टियों से इतर शरजील इमाम नाम के एक शख्स का विवादित बयान सामने आया, जो शाहीन बाग के आयोजकर्ताओं में से एक बताया जा रहा है. शरजील का एक वीडियो जारी किया गया, जिसमें वह कह रहा था कि हम असम से हिंदुस्तान को हमेशा के लिए अलग कर सकते हैं. परमानेंटली नहीं तो एक-दो महीने के लिए असम को हिंदुस्तान से कट कर ही सकते हैं. रेलवे ट्रैक पर इतना मलबा डालो कि उनको एक महीना हटाने में लगेगा... जाना हो तो जाएं एयरफोर्स से. असम को काटना हमारी जिम्मेदारी है.' शरजील के इस भड़काऊ बयान के बाद उसकी तलाश शुरू हो गई और पुलिसिया कार्रवाई भी शुरू कर दी गई.
अफजल गुरु की तरफदारी करने वाली छात्रा को क्या कहें?
शरजील इमाम को सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक पार्टीयां तक देशद्रोही कह ही रही थीं कि नागरिकता कानून का विरोध कर रही एक छात्रा का वीडियो भी सामने आ गया, जिसने उस पर भी देशद्रोह का ठप्पा लगा दिया. छात्रा ने कहा कि उसका सरकार और सुप्रीम कोर्ट से भरोसा उठ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अफजल गुरु को फांसी दे दी, जबकि वह निर्दोष था. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में मंदिर बनाने का आदेश दिया, जबकि पहले माना था कि मस्जिद गिराना गलत था. इस छात्रा के वीडियो ने भी आग लगाने का ही काम किया.
शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी लातों के भूत !
भाजपा नेता साक्षी महाराज अपने विवादित बयानों के लिए ही चर्चा में बने रहते हैं. दिल्ली चुनाव के मद्देनजर उन्होंने शाहीन बाग को लेकर भी एक बयान दिया और कहा- 'मुझे लगता है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते, एक दिन आएगा कि जब कड़ी कार्रवाई करनी पड़ेगी.' बता दें कि साक्षी महाराज ने जेएनयू हिंसा के बाद भी एक विवादित बयान दिया था और कहा था- 'मेरा मानना है कि जेएनयू की नींव में कुछ समस्या हो सकती है. वहां कई आस्तीन के सांप हैं जिनका इलाज किया जाना जरूरी है. मैं प्रधानमंत्री से निवेदन करना चाहता हूं कि जेएनयू जैसी घटनाएं नई नहीं है. इससे पहले जामिया विश्वविद्यालय में भी यही हो चुका है.'
अमित शाह ने कहा बटन ऐसे दबाना कि शाहीन बाग में करंट लगे
पिछले दिनों दिल्ली के बाबरपुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रैली की. जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा- 'ईवीएम का बटन इतने गुस्से के साथ दबाना कि बटन यहां बाबरपुर में दबे, करंट शाहीन बाग के अंदर लगे. CAA का विरोध करने वाले नेताओं ने दिल्ली में दंगे करवाए और लोगों को गुमराह करने का काम किया.' इस पर प्रशांत किशोर ने प्रतक्रिया देते हुए कहा- 8 फरवरी को दिल्ली में EVM का बटन तो प्यार से ही दबेगा. जोर का झटका धीरे से लगना चाहिए ताकि आपसी भाईचारा और सौहार्द खतरे में ना पड़े.
हाल ही में अनुराग ठाकुर उछाला भड़काऊ नारा
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी ध्रुवीकरण में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए एक नारा उछाल दिया. अनुराग ठाकुर बोल रहे थे- देश के गद्दारों को... इस पर जनता का जवाब था- गोली मारो @#$% को... आप भी समझ ही सकते हैं कि नारा क्या रहा होगा.
सबसे ताजा मामला है प्रवेश वर्मा का, जिन्होंने सारी हदें ही पार कर दीं
शाहीन बाग को लेकर भड़काऊ बयानबाजी को काफी दिनों से जारी है. हर पार्टी इस पर राजनीति कर रही है, लेकिन पश्चिमी दिल्ली से सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने तो जैसे सारी हदें ही पार कर दीं. उन्होंने कहा है- '..वहां (शाहीन बाग में) लाखों लोग जमा होते हैं... दिल्ली के लोगों को सोचना होगा, और फैसला करना होगा... वे आपके घरों में घुसेंगे, आपकी बहन-बेटियों के साथ बलात्कार करेंगे, उन्हें कत्ल कर देंगे... आज ही वक्त है, कल मोदी जी और अमित शाह आपको बचाने नहीं आ पाएंगे...'
यही नहीं, प्रवेश वर्मा ने तो जैसे शाहीन बाग को पार्टी के मेनिफेस्टो का हिस्सा बता दिया है. उन्होंने कहा है कि अगर 11 फरवरी को दिल्ली में भाजपा की सरकार आती है तो 1 घंटे में शाहीन बाग में बैठे प्रदर्शनकारियों को हटा दिया जाएगा, वहां एक भी प्रदर्शनकारी नजर नहीं आएगा. इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि भाजपा की सरकार बनी तो सरकारी जमीन पर बनी मस्जिदों को हम नहीं छोड़ेंगे और महीने भर में उन्हें हटा देंगे.
आम आदमी पार्टी का रुख ही स्पष्ट नहीं
जहां एक ओर कांग्रेस प्रदर्शनकारियों के साथ खड़ी है और भाजपा उनके खिलाफ, वहीं आम आदमी पार्टी दो नाव की सवारी करती दिख रही है. अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि भाजपा के नेताओं को शाहीन बाग जाकर प्रदर्शन खुलवाना चाहिए, क्योंकि आम जनता को काफी परेशानी हो रही है. वहीं दूसरी ओर मनीष सिसोदिया खुलेआम कह रहे हैं कि वह शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के साथ खड़े हैं. उन्हीं की पार्टी के अमानतुल्ला खान भी कह रहे हैं कि अगर कोई कार्रवाई होती है तो वह खुद इस प्रदर्शन की अगुवाई करेंगे.
दिल्ली चुनाव से पहले शाहीन बाग प्रोटेस्ट एक ऐसा राजनीतिक मुद्दा बन गया है, जिसे हर पार्टी बनाए रखना चाहती है. कोई नहीं चाहता कि ये अभी खत्म हो. वैसे भी, इसके दम पर सभी पार्टियां राजनीति कर रही हैं. और जैसे-जैसे दिल्ली चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है, शाहीन बाग को लेकर बयानबाजी भी तेज होती जा रही है. हर पार्टी ध्रुवीकरण की कोशिश में लगी है. खैर, 8 फरवरी को दिल्ली चुनाव होंगे और उम्मीद है कि उससे पहले ये प्रदर्शन खत्म नहीं होगा. अब ये देखना दिलचस्प रहेगा कि 11 फरवरी को आने वाले नतीजों में किस पार्टी की मेहनत रंग लाई दिखती है.
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