शशि थरूर ने नये सिरे से निशाना साधा है. एक तीर और डबल टारगेट - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी. वो भी तब जब केरल कांग्रेस की ओर से शशि थरूर को नोटिस भी थमा दिया गया है. साथ में प्रधानमंत्री मोदी पर कांग्रेस के अनमोल विचार को नत्थी करते हुए.
नोटिस मिलने के बावजूद शशि थरूर ने कांग्रेस नेताओं से गुजारिश की है कि उनकी बातें समझने की कोशिश होनी चाहिये. PM मोदी को लेकर शशि थरूर ने जो नयी बात कही है उसमें उनके निशाने पर सीधे सीधे राहुल गांधी ही लगते हैं.
मोदी को आलोचना भी पसंद है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि अलग-अलग विचारधारा वाले लोगों के बीच निरंतर संवाद होना चाहिये. मोदी ने कहा - 'सामान्य जीवन में अलग-अलग धाराओं वाले लोगों के बीच इतनी विनम्रता होनी चाहिए कि वे एक-दूसरे के विचारों को सुन सकें.'
केरल में आयोजित एक कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए मोदी ने कहा - 'मैं यहां एक ऐसे मंच पर हूं, जहां हो सकता है बहुत सारे लोगों के विचार मुझसे मेल न खाते हों... लेकिन, निश्चित तौर पर यहां ऐसे बहुत से विचारवान लोग होंगे जिनकी सृजनात्मक आलोचना को मैं बेहद ही खुशी से सुनना चाहूंगा.'
समझने वाली बात ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आलोचना भी पसंद है - सिर्फ 'मोदी-मोदी' ही नहीं. मोदी ने बताया कि जब वो अपने जैसे विचार वाले लोगों के साथ होते हैं तो वो खुश होते हैं, लेकिन मानते हैं कि व्यक्तियों और संगठनों के बीच उनके विचारों से इतर लगातार चर्चा होनी चाहिए. लोगों को एक दूसरे के विचार सुनने चाहिये.
केरल में लेफ्ट की सरकार है और आम चुनाव में कांग्रेस के लिए भी सूबा फायदेमंद ही रहा - खासतौर पर इसलिए भी कि राहुल गांधी इस बार वायनाड से ही संसद पहुंचे हैं. इस हिसाब से मोदी के बयान को एक दूरगामी सोच के साथ समझने की कोशिश होनी चाहिये.
मोदी बोले - आलोचना जरूरी है ताकि संवाद कायम रहे.
प्रधानमंत्री का ये नजरिया सामने आने से कुछ ही दिन पहले कांग्रेस के तीन सीनियर नेताओं ने मोदी को हमेशा खलनायक साबित करने से बचने की सलाह दी थी. ये नेता हैं शशि थरूर, अभिषेक मनु सिंघवी और जयराम रमेश. अभिषेक मनु सिंघवी के खिलाफ तो नहीं लेकिन शशि थरूर और जयराम रमेश के खिलाफ कांग्रेस में कार्रवाई की मांग होने लगी. शशि थरूर को तो केरल कांग्रेस प्रमुख ने नोटिस भी थमा दिया है. फिर भी शशि थरूर कहां मानने वाले हैं.
शशि थरूर अपना एक अलग पॉलिटिकल-क्लास मेंटेन करते हैं. नोटिस के बावजूद शशि थरूर कांग्रेस नेताओं को अपनी बातों का मतलब समझाने की कोशिश कर रहे हैं.
शशि थरूर ने एक बार फिर मोदी को लेकर अपनी राय जाहिर की है. साथ ही, कांग्रेस नेतृत्व को भी आईना दिखाने की पूरी कोशिश की है. आईना भी यूं ही चलते चलते नहीं, बल्कि तथ्यों के साथ दिखा रहे हैं.
शशि थरूर के ताजा बयान को भी मोदी की तारीफ के तौर पर देखा जा रहा है - हालांकि, वो बड़े ही सोफियाने अंदाज में टांग खींचते हुए मन की बात कर रहे हैं.
शशि थरूर की सियासी गुगली
शशि थरूर नये कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर प्रियंका गांधी वाड्रा की पैरवी कर रहे थे. वो जानते हैं कि सोनिया गांधी की गुड-बुक में कभी नहीं हो सकते, जैसे पी. चिदंबरम या कभी कभी वीरप्पा मोइली भी जगह बना लिया करते हैं. शशि थरूर नेता तो राहुल गांधी को भी मानते हैं, लेकिन अभी लगता है आईना दिखाने की ठान रखी हो.
शशि थरूर के निशाने पर निश्चित तौर पर राहुल गांधी ही लगते हैं क्योंकि पूछ रहे हैं - कांग्रेस को कम वो क्यों मिले? शशि थरूर कहते हैं, 'प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश में 2014 के 31 फीसदी के मुकाबले बीजेपी का वोट शेयर 2019 में 37 फीसदी तक पहुंचा दिया है... कांग्रेस को ये समझना चाहिए कि क्यों उसे महज 19 फीसदी वोट ही मिले? मोदी ने तारीफ करने लायक बहुत कम काम किया है लेकिन इसके बावजूद वो देश भर में वोटों की हिस्सेदारी बढ़ाने में कामयाब रहे हैं.'
क्या शशि थरूर के इस बयान में सिर्फ मोदी की तारीफ है? क्या शशि थरूर के इस बयान में सिर्फ राहुल गांधी की आलोचना है?
बेहतर होगा, ये समझना कि शशि थरूर ने प्रधानमंत्री मोदी की सकारात्मक समालोचना करते हुए कांग्रेस नेतृत्व, राहुल गांधी भी, को हकीकत से रूबरू होने के लिए आगाह किया है.
शशि थरूर ने इससे पहले कहा था, 'जैसा कि आप जानते हैं, मैं 6 साल से ये दलील देते आ रहा हूं कि मोदी जब भी कुछ अच्छा कहते हैं या सही चीज करते हैं तो उनकी तारीफ करनी चाहिए. ऐसा करने के बाद जब हम उनकी गलतियों की आलोचना करेंगे तो हमारी बात की विश्वसनीयता बढ़ेगी. मैं विपक्ष के उन लोगों का स्वागत करता हूं जो मेरे विचार से मिलती-जुलती बातें कर रहे हैं.'
शशि थरूर के इस बयान पर केरल के PCC अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्र ने नोटिस में कहा था कि सोनिया गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 75वीं जयंती के समारोह में नरेंद्र मोदी पर कांग्रेस का रुख साफ किया था - ‘‘मोदी सरकार सभी मोर्चों पर नाकाम रही है. यहां तक कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने भी कहा है कि देश आजादी के बाद से सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है.'' शशि थरूर ने नोटिस का जवाब दे दिया और वो मुल्लापल्ली रामचंद्र कहा कि वो संतुष्ट हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई न करने का फैसला किया है.
सिर्फ यही नहीं, शशि थरूर ने प्रधानमंत्री मोदी का एक नया चैलेंज भी स्वीकार किया है - अपनी मूल भाषा से इतर रोजाना भारतीय भाषाओं से एक नया शब्द सीखने का.
शशि थरूर ने बताया है कि प्रधानमंत्री की इस लैंग्वेज चैलेंज के जवाब में हर रोज अंग्रेजी, हिंदी और मलयालम में एक शब्द ट्वीट करूंगा. शशि थरूर ने दूसरों को भी ऐसा ही करने की सलाह दी है.
मोदी की बातों को शशि थरूर ने अपने तरीके से समझने और समझाने की भी कोशिश की है - 'मैं इस हिंदी के प्रभुत्व से हटने का स्वागत करता हूं और प्रसन्नतापूर्वक इस भाषा की चुनौती को आगे बढ़ाऊंगा.'
आखिर शशि थरूर समझाना क्या चाहते हैं - ये तो यही लगता है जैसे शशि थरूर हिंदी के प्रति अपनी नफरत का इजहार कर रहे हों. पहले भी शशि थरूर हिंदी के विस्तार से चिंतित रहे हैं - और दक्षिण के राज्यों में हिंदी की पहुंच के कट्टर विरोधी भी.
अब जरा इस चैलेंज के लिए शशि थरूर का शब्द चयन देखिये - 'आज का पहला शब्द बहुलवाद है.'
शशि थरूर ने भाषा चैलेंज के लिए जो पहला शब्द चुना है वो साफ तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर हमला है. बरसों से कांग्रेस इस थ्योरी से मोदी का विरोध करती चली आयी है.
प्रधानमंत्री मोदी ही नहीं बीजेपी नेता और संघ के लोग भी बहुलवाद के नाम पर धर्मनिरपेक्षता के हिमायती राजनीतिक दलों और नेताओं के निशाने पर रहे हैं - ये कहना मुश्किल है कि कांग्रेस नेतृत्व ये भी समझ रहा होगा और जो आईना शशि थरूर ने दिखाने की कोशिश की है वो भी.
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