मुंबई के गोरेगांव इलाके की आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई का लोग तगड़ा विरोध कर रहे हैं. विरोध करने वाले पर्यावरणवादी कार्यकर्ता हैं - जिनकी तरफ से बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. कोर्ट ने जैसे ही याचिका खारिज की, मुंबई मेट्रो कॉर्पोरेशन के अधिकारियों ने पेड़ों को कटवाना शुरू कर दिया.
ये पेड़ मुंबई मेट्रो के कारशेड के लिए काटे जा रहे हैं. विरोध करने वाले इसे किसी और इलाके में शिफ्ट करने की मांग कर रहे हैं ताकि क्षेत्र की जैव विविधता बरकरार रहे - और पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे.
पेड़ों की कटाई का विरोध करने वालों को राजनीतिक शह मिल जाने से हौसला बुलंद हो गया है - और ये शह भी किसी और की तरफ से नहीं, बल्कि शिवसेना की ओर से मिला है. शिवसैनिक तो पहले से ही अपने अजीबोगरीब विरोध के लिए जाने जाते रहे हैं.
विधानसभा चुनाव में अब दो हफ्ते भर का वक्त बचा है और पेड़ों की कटाई पर सियासी घमासान शुरू हो गया है. विरोध कर रहे करीब 60 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है जिनमें शिवसेना की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी भी शामिल हैं.
ऐसा लगता है जैसे आदित्य ठाकरे बीजेपी को आगाह कर रहे हों कि उन्हें हल्के में लेना ठीक नहीं होगा - लेकिन क्या शिवसेना का ये विरोध विधानसभा चुनावों पर कोई असर भी डाल सकेगा?
शिवसेना को तो बस कोई मौका चाहिये था
शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ मीडिया के सामने आकर ये जताने की कोशिश तो की कि सब अच्छा-अच्छा है, लेकिन ज्यादा देर नहीं लगी और मालूम हो गया कि सारी मुस्कुराहट दिखावे भर की रही. वैसे भी बीजेपी ने उद्धव ठाकरे को थोड़ी सी भी छूट नहीं दी है कि वो एक शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनाने का पिता से किया गया वादा पूरा करने के बारे में सोच भी...
मुंबई के गोरेगांव इलाके की आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई का लोग तगड़ा विरोध कर रहे हैं. विरोध करने वाले पर्यावरणवादी कार्यकर्ता हैं - जिनकी तरफ से बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. कोर्ट ने जैसे ही याचिका खारिज की, मुंबई मेट्रो कॉर्पोरेशन के अधिकारियों ने पेड़ों को कटवाना शुरू कर दिया.
ये पेड़ मुंबई मेट्रो के कारशेड के लिए काटे जा रहे हैं. विरोध करने वाले इसे किसी और इलाके में शिफ्ट करने की मांग कर रहे हैं ताकि क्षेत्र की जैव विविधता बरकरार रहे - और पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे.
पेड़ों की कटाई का विरोध करने वालों को राजनीतिक शह मिल जाने से हौसला बुलंद हो गया है - और ये शह भी किसी और की तरफ से नहीं, बल्कि शिवसेना की ओर से मिला है. शिवसैनिक तो पहले से ही अपने अजीबोगरीब विरोध के लिए जाने जाते रहे हैं.
विधानसभा चुनाव में अब दो हफ्ते भर का वक्त बचा है और पेड़ों की कटाई पर सियासी घमासान शुरू हो गया है. विरोध कर रहे करीब 60 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है जिनमें शिवसेना की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी भी शामिल हैं.
ऐसा लगता है जैसे आदित्य ठाकरे बीजेपी को आगाह कर रहे हों कि उन्हें हल्के में लेना ठीक नहीं होगा - लेकिन क्या शिवसेना का ये विरोध विधानसभा चुनावों पर कोई असर भी डाल सकेगा?
शिवसेना को तो बस कोई मौका चाहिये था
शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ मीडिया के सामने आकर ये जताने की कोशिश तो की कि सब अच्छा-अच्छा है, लेकिन ज्यादा देर नहीं लगी और मालूम हो गया कि सारी मुस्कुराहट दिखावे भर की रही. वैसे भी बीजेपी ने उद्धव ठाकरे को थोड़ी सी भी छूट नहीं दी है कि वो एक शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनाने का पिता से किया गया वादा पूरा करने के बारे में सोच भी सकें. 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी ने शिवसेना को 124 पर समेट दिया है - और गठबंधन के साथी दलों को भी पार्टी के सिंबल पर ही चुनाव लड़ने को कह दिया है. मतलब ऊंच-नीच की कहीं कोई गुंजाइश छोड़ी ही नहीं है.
महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री को लेकर मीडिया के सवालों को तो आदित्य ठाकरे अपनी हाजिर जवाबी से टाल दे रहे हैं - लेकिन आरे में पेड़ों की कटाई के विरोध में सड़क पर उतर कर साफ कर दिया है कि शिवसेना के मन में बीजेपी की हरकतों को लेकर कितनी खीझ है. अब तो उद्धव ठाकरे भी बेटे के प्रोटेस्ट के बाद खुले विरोध पर उतर आये हैं.
आरे में पेड़ों की कटाई को लेकर शिवसेना के विरोध में एक खासियत जरूर देखने को मिल रही है कि टारगेट अधिकारियों को किया जा रहा है - बीजेपी या मुख्यमंत्री मंत्री देवेंद्र फडणवीस को सीधे सीधे नहीं. हां, तंज ऐसे जरूर कसे जा रहे हैं कि ऐसा करने के बाद प्लास्टिक पर जारी मुहिम प्रोपेगैंडा नजर आ रही है.
आरे के पेड़ों के पक्ष में राजनीतिक विरोध का बिगुल फूंका युवा सेना के प्रमुख आदित्य ठाकरे ने. ट्विटर पर आदित्य ठाकरे ने लिखा, 'कैसा होगा मुंबई मेट्रो के अफसरों को क्या PoK में तैनात कर दिया जाये तो? पेड़ों की जगह उन्हें आतंकवादी अड्डों को नेस्तनाबूद करने का काम दिया जाना चाहिये.'
आदित्य ठाकरे ने केंद्र की मोदी सरकार के प्लास्टिक के खिलाफ अभियान चलाये जाने पर भी सवाल उठाया - और समझाया कि केंद्र सरकार के क्लाइमेट चेंज को लेकर किये जा रहे दावों का इसके बाद कोई मतलब नहीं रह जाता.
आरे प्रोजेक्ट को लेकर फिलहाल शिवसेना और बीजेपी आमने सामने आ गये हैं. बीजेपी आरे के पेड़ों की कटाई को मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए बेहद जरूरी बता रही है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी कई बार कह चुके हैं कि आरे में मेट्रो कारशेड का बनना हर हाल में जरूरी है.
बीजेपी की ओर से केंद्रीय प्रकाश जावड़ेकर ने आरे में पेड़ों की कटाई को सही ठहराने की कोशिश की है. जावड़ेकर का कहना है कि विकास कार्यों के लिए पेड़ काटे जाते हैं तो लगाये भी जाते हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'दिल्ली में 271 मेट्रो स्टेशन बनाए गये हैं और पेड़ों की संख्या भी बढ़ी है. ये विकास के साथ प्रकृति का संरक्षण का नमूना है.'
चौतरफा विरोध का माहौल तो बन ही गया है
पेड़ों की कटाई का मामला ऐसा है कि बॉलीवुड की कई हस्तियां ट्विटर पर विरोध कर रही हैं. मालूम तो ये शिवसेना को भी होगा कि लोग विरोध पेड़ों की कटाई कर रहे हैं जिसका मतलब शिवसेना को सपोर्ट नहीं है. फिर भी शिवसेना लगता है ये मुद्दा हाथ से जाने नहीं देना चाहती.
जब दीया मिर्जा ने पेड़ों की कटाई को लेकर ट्वीट किया तो मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की तरफ से आधिकारिक तौर पर ट्वीट कर वस्तुस्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की गयी है.
मुंबई मेट्रो की तरफ से सफाई के बावजूद विरोध के स्वर थमे नहीं - स्वरा भास्कर सहित कई फिल्मी हस्तियों ने अपने अपने तरीके से विरोध प्रकट किया - पेड़ों की कटाई पर सवाल उठाये.
शिवसेना और बॉलीवुड हस्तियों के पेड़ों की कटाई के विरोध के बीच बीजेपी के छोड़ कर बाकी दलों के नेताओं ने भी विरोध में ट्वीट किये.
आदित्य ठाकरे के बाद उनके पिता उद्धव ठाकरे ने आरे में पेड़ों को काटे जाने पर तीखी प्रतिक्रिया जतायी है. उद्धव ठाकरे ने पेड़ों के काटे जाने को खून करने जैसा बताया है.
उद्धव ठाकरे ने यहां तक कहा है कि हमारी सरकार बनने वाली है और सत्ता में आने पर वो उन सभी लोगों को देख लेंगे जो उनकी नजर में पेड़ों का खून कर रहे हैं.
पुलिस ने पेड़ों की कटाई का विरोध करने वाले 60 लोगों को हिरासत में लिया है और उनमें से 29 लोगों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. हिरासत में लिये गये लोगों में शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी भी शुमार हैं.
उद्धव ठाकरे के 'हमारी सरकार' और 'सत्ता में आने पर' कहने के दोहरे अर्थ समझ में आ रहे हैं. बीजेपी इसे चाहे तो तूल न देते हुए लोगों को ऐसे समझा सकती है कि उद्धव ठाकरे गठबंधन की सरकार की बात कर रहे हैं - लेकिन जिस अंदाज में वो सत्ता में आने की बात कर रहे हैं वो तो शिवसेना की सरकार की तरफ इशारा है.
ये तो अभी समझना मुश्किल है कि आरे पर मचे बवाल का विधानसभा चुनावों पर कितना असर होगा - लेकिन इतना तो साफ है कि शिवसेना ने मौके का फायदा उठाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है. पेड़ों की कटाई को लेकर शिवसेना प्रवक्त संजय राउत ने एक कार्टून के जरिये विरोध जताया है जिसमें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का स्केच बना हुआ है - कुछ बातें इस ट्वीट के जरिये भी समझने की कोशिश की जा सकती है.
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