24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजे आने के बाद से कुछ वाकये नियमित तौर पर दस्तक देते रहते हैं. देवेंद्र फडणवीस शिवसेना के दावों को लगातार खारिज कर रहे हैं. शरद पवार जनादेश का हवाला देकर विपक्ष में ही बैठने की बात कह रहे हैं, लेकिन तभी कोई उनके घर पहुंच जाता है और नये समीकरण चर्चा में उनका नाम शामिल हो जाता है. शिवसेना बीजेपी पर हमले बोलती है, तंज कसती है और फिर कहती है आखिर तक गठबंधन धर्म का पालन करेंगे - लेकिन 50-50!
बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार तो बता ही दिया है कि 6 या 7 नवंबर को नयी सरकार का शपथग्रहण होगा क्योंकि विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को खत्म हो रहा है. लगे हाथ बीजेपी नेता ने एक और शिगूफा छोड़ दिया है - वरना, राष्ट्रपति शासन लग जाएगा.
बीजेपी नेता के बयान पर रिएक्शन 'सामना' से आया है - 'राष्ट्रपति आपकी जेब में हैं क्या?'
फिर शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत पूछते हैं - 'क्या ये चुने हुए विधायकों के लिए धमकी है?'
विधानसभा में फ्लोर तक पहुंचते पहुंचते क्या होगा ये तो नहीं मालूम, लेकिन संजय राउत ने नंबर भी बता दिया है - करीब पौने दो सौ. ये तो बहुमत से बहुत ही ज्यादा है. कुछ कुछ दिल्ली में 5 साल पहले अरविंद केजरीवाल को मिले सपोर्ट जैसा!
नये गठबंधन की ओर शिवसेना का इशारा
शिवसेना के मुखपत्र सामना के ताजा संपादकीय में जिन चीजों का जिक्र है वो तो निश्चित तौर पर पार्टी का प्लान B ही बता रहा है. महाराष्ट्र में 'युति' यानी गठबंधन को मिले लोगों के वोटों का जिक्र करते करते शिवसेना एक नये गठबंधन की ओर इशारा कर रही है. चुनाव नतीजे को भी शिवसेना अब अपने तरीके से समझाने लगी है. पार्टी का दावा है कि बीजेपी को जो सीटें 105 सीटें मिली हैं वो शिवसेना के साथ गठबंधन के चलते संभव हुआ है, नहीं तो बीजेपी के लिए 75 पार करना भी मुश्किल होता.
कुछ दिनों से सामना के संपादकीय में शरद पवार की तारीफ हो रही थी. अब उसमें ED, CBI और आयकर विभाग का भी जिक्र होने लगा है. शिवसेना ये मामले उठाकर बीजेपी को कठघरे...
24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजे आने के बाद से कुछ वाकये नियमित तौर पर दस्तक देते रहते हैं. देवेंद्र फडणवीस शिवसेना के दावों को लगातार खारिज कर रहे हैं. शरद पवार जनादेश का हवाला देकर विपक्ष में ही बैठने की बात कह रहे हैं, लेकिन तभी कोई उनके घर पहुंच जाता है और नये समीकरण चर्चा में उनका नाम शामिल हो जाता है. शिवसेना बीजेपी पर हमले बोलती है, तंज कसती है और फिर कहती है आखिर तक गठबंधन धर्म का पालन करेंगे - लेकिन 50-50!
बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार तो बता ही दिया है कि 6 या 7 नवंबर को नयी सरकार का शपथग्रहण होगा क्योंकि विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को खत्म हो रहा है. लगे हाथ बीजेपी नेता ने एक और शिगूफा छोड़ दिया है - वरना, राष्ट्रपति शासन लग जाएगा.
बीजेपी नेता के बयान पर रिएक्शन 'सामना' से आया है - 'राष्ट्रपति आपकी जेब में हैं क्या?'
फिर शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत पूछते हैं - 'क्या ये चुने हुए विधायकों के लिए धमकी है?'
विधानसभा में फ्लोर तक पहुंचते पहुंचते क्या होगा ये तो नहीं मालूम, लेकिन संजय राउत ने नंबर भी बता दिया है - करीब पौने दो सौ. ये तो बहुमत से बहुत ही ज्यादा है. कुछ कुछ दिल्ली में 5 साल पहले अरविंद केजरीवाल को मिले सपोर्ट जैसा!
नये गठबंधन की ओर शिवसेना का इशारा
शिवसेना के मुखपत्र सामना के ताजा संपादकीय में जिन चीजों का जिक्र है वो तो निश्चित तौर पर पार्टी का प्लान B ही बता रहा है. महाराष्ट्र में 'युति' यानी गठबंधन को मिले लोगों के वोटों का जिक्र करते करते शिवसेना एक नये गठबंधन की ओर इशारा कर रही है. चुनाव नतीजे को भी शिवसेना अब अपने तरीके से समझाने लगी है. पार्टी का दावा है कि बीजेपी को जो सीटें 105 सीटें मिली हैं वो शिवसेना के साथ गठबंधन के चलते संभव हुआ है, नहीं तो बीजेपी के लिए 75 पार करना भी मुश्किल होता.
कुछ दिनों से सामना के संपादकीय में शरद पवार की तारीफ हो रही थी. अब उसमें ED, CBI और आयकर विभाग का भी जिक्र होने लगा है. शिवसेना ये मामले उठाकर बीजेपी को कठघरे में खड़ा जरूर कर रही है, लेकिन मकसद क्या है?
शिवसेना की ओर से कहा जाने लगा है - 'पदों का समान बंटवारा... ऐसा ऑन रिकॉर्ड बोलने का सबूत होने के बावजूद बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस पलटी मारते हैं - और पुलिस, सीबीआई, ED, आयकर विभाग की मदद से सरकार बनाने के लिए हाथ की सफाई दिखा रहे हैं.'
संजय राउत खुद ही कह चुके हैं कि महाराष्ट्र में कोई दुष्यंत चौटाला नहीं है जिसके पिता जेल में हों. ये कह कर शिवसेना ने पहले ही साफ कर दिया था कि बीजेपी न तो जांच एजेंसियों का इस्तेमाल शिवसेना नेताओं के खिलाफ कर सकती है, न दुष्यंत चौटाला की तरह शिवसेना को किसी तरह का समझौता करना पड़ेगा.
जब शिवसेना डंके की चोट पर ये सब कह रही है, फिर अचानक पुलिस और जांच एजेंसियों पर बात क्यों होने लगती है?
देखा जाये तो जांच एजेंसियां एनसीपी और कांग्रेस नेताओं के पीछे ही तो लगी हैं. खुद शरद पवार ने भी चुनावों से पहले कह दिया था कि डरा धमका कर दूसरे दलों के नेताओं को गठबंधन के साथ आने के लिए मजबूर किया जा रहा है. वैसे भी ED ने तो चुनावों ऐन मौके पर शरद पवार के खिलाफ भी FIR दर्ज कर ही लिया था. वो शरद पवार का राजनीतिक कौशल रहा कि उसे फौरी तौर पर न्यूट्रलाइज कर दिया.
अब अगर शिवसेना की तरफ से पुलिस और जांच एजेंसियों को लेकर बीजेपी पर हमला बोला जाता है, फिर तो साफ है शरद पवार और कांग्रेस के बचाव में ये सब किया जा रहा है.
और ये सब नये गठबंधन का संकेत नहीं तो और क्या है?
सामना में ऐसी बहुत सारी बातें हैं जो ये समझने का मौका दे रही हैं कि बीजेपी को धमकाते और गठबंधन धर्म का नाम लेकर गफलत में डालते हुए भी शिवसेना जाहिर तौर पर नये समीकरणों को सुनिश्चित करने में लगी हुई है. सामना की लाइनें तो साफ साफ समझा रही हैं - 2014 की तरह शिवसेना तमाम शर्तें मान लेगी, सभी इसी भ्रम में रहे. उद्धव ठाकरे ने पहले 8 घंटों में ही ये भ्रम दूर कर दिया. 2014 में शिवसेना सत्ता में शामिल हुई... अब शिवसेना वो जल्दबाजी नहीं दिखाएगी... घुटने टेकने नहीं जाएगी.'
कैसा होगा शिवसेना का 'नया गठबंधन'
शरद पवार के खिलाफ ED के एक्शन पर राहुल गांधी ने बयान जरूर दिया था, लेकिन महत्वपूर्ण बात ये रही कि शिवसेना नेतृत्व भी एनसीपी नेता के सपोर्ट में नजर आया. महाराष्ट्र में ऐसी एक भावना जरूर है जो बीजेपी के खिलाफ जाती लगती है. महाराष्ट्र से ही आने वाले एक कांग्रेस नेता ने सोनिया गांधी को पत्र लिख कर सरकार बनाने के शिवसेना के संभावित प्रस्ताव को समर्थन देने की मांग की है.
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिए पत्र में राज्य सभा सांसद हुसैन दलवई लिखते हैं, 'शिवसेना और भाजपा अलग हैं. शिवसेना ने राष्ट्रपति चुनाव में आगे बढ़ कर प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी को समर्थन दिया था.' ये याद दिलाते हुए हुसैन दलवई कांग्रेस नेतृत्व को बीजेपी और शिवसेना में फर्क समझाते हैं और सपोर्ट की सलाह भी देते हैं.
कुछ मीडिया रिपोर्ट से पता चला था कि कांग्रेस नेतृत्व शरद पवार को लेकर निर्णय नहीं ले पा रहा था. चुनावी गठबंधन होने के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व की सोच रही कि शरद पवार पर भी उतना ही भरोस किया जा सकता है जितना यूपी के मामले में समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव पर.
बहरहाल, अब तो एनसीपी नेता अजीत पवार ने कह दिया है कि शरद पवार 4 नवंबर को दिल्ली पहुंच रहे हैं. सोनिया गांधी और शरद पवार की फोन पर बात हो चुकी है और पूरी संभावना है कि ये मुलाकात भी मुमकिन हो पाएगी.
इस बीच संजय राउत की तरफ से ये भी दावा किया गया है कि शिवसेना को सरकार बनाने के लिए 170 विधायकों का समर्थन हासिल है - और संख्या 175 तक भी पहुंच सकती है.
भला अब और क्या चाहिये? फिर सरकार बनाने में देर क्यों?
सवाल जवाब न तो शिवसेना नेताओं के बयानों में मिल सकता है और न ही सामना के संपादकीय में - शिवसेना अगर वास्तव में सरकार बना लेती है तो ये हकीकत है, नहीं तो फसाना ही माना जाएगा.
288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 145 है. अगर शिवसेना एनसीपी का समर्थन हासिल कर लेती है तो ये संख्या 110 तक ही जा रही है. राज्यपाल से मुलाकात में आदित्य ठाकरे ने 63 विधायकों की परेड करायी थी, जिनमें 7 निर्दलीय हैं. ऐसे में शिवसेना की संख्या 117 तक ही पहुंचती है. फिर तो कांग्रेस के समर्थन के बगैर कोई चारा भी नहीं बचा है. मुश्किल ये है कि कांग्रेस ने अपने पत्ते अब तक नहीं खोले हैं.
कांग्रेस के 44 विधायक हैं और उन्हें जोड़ देने पर ये नंबर 161 पहुंच रहा है - और शरद पवार से राज ठाकरे की मुलाकात के बाद इसमें MNS के भी एक विधायक को जोड़ दें तो कुल 162. बढ़िया है. बहुमत से तो ज्यादा ही है. हो सकता है संजय राउत सारे निर्दलीय विधायकों को जोड़ ले रहे हों, लेकिन कई निर्दलीय विधायकों और छोटी पार्टियों के विधायकों की तस्वीरें तो मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी बारी बारी शेयर करते जा रहे हैं.
इन्हें भी पढ़ें :
शिवसेना को बाल ठाकरे वाला तेवर उद्धव दे रहे हैं या आदित्य?
महाराष्ट्र में सरकार भले न बनी हो, रिंग मास्टर तो बन गया
BJP से पहले देश को Congress के विकल्प की जरूरत
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.