भाषण देने के मामले में राहुल गांधी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोहा मानते हैं. ठीक उसी तरह राहुल गांधी को मानना पड़ेगा कि सिद्धारमैया के ट्वीट अटैक का भी कोई सानी नहीं. सिद्धारमैया के ज्यादातर ट्वीट यूं तो जवाबी फायरिंग की तरह हैं - लेकिन किसी शार्प शूटर की तरह बिलकुल निशाने पर लग रहे हैं.
'अगर कहें कि मोदी भ्रष्ट हैं तो?'
त्रिपुरा के लोगों के प्रधानमंत्री मोदी ने समझाया था कि वे बरसों से गलत रत्न धारण किये हुए हैं. किसी ज्योतिषी की तरह मोदी की बात मानते हुए लोगों ने चुनावों में माणिक उतार फेंका और हीरा पहन लिया. हीरा अब कैसे चमचमा रहा है हर कोई देख रहा है. ज्यादा चमक बिखेरना भी अच्छा नहीं होता इसलिए खुद मोदी को उसे अगरतला से दिल्ली भी तलब करना पड़ा.
तकरीबन त्रिपुरा वाले ही अंदाज में मोदी ने कांग्रेस मुक्त कर्नाटक के लिए लोगों को सलाह दी है - "जो पार्टी गरीबों का 'वेलफेयर' नहीं कर सकती, लोगों को उसका 'फेयर वेल' कर देना चाहिये.
तमाम तरह के अपमान और इल्जामात से नवाजते हुए प्रधानमंत्री मोदी चित्रदुर्ग की रैली में कहते हैं, "ये सरकार आपके पानी के पैसे भी खा गई... आदिवासियों के हॉस्टल में बिस्तर के पैसे भी खा गई... चादर, तकिया तक के पैसे खा गई... कहीं ऐसा न हो आपके घर के बिस्तर के पैसे भी खा जाए..." कांग्रेस के कैरेक्टर की व्याख्या करते हुए प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं, "कांग्रेस पार्टी न तो 'दिल वाली' है और 'दलितों वाली' है, ये तो सिर्फ 'डील वाली' है."
सिद्धारमैया सरकार को मोदी कई बार 'सीधा-रुपैया' सरकार बता ही चुके हैं. हाल ही में मोदी ने कांग्रेस को लेकर 'PPP' मॉडल की थ्योरी दी थी. मोदी के मुताबिक, 'PPP' का मतलब पंजाब और पुड्डुचेरी परिवार. मोदी के कहने का मतलब रहा कि कर्नाटक की हार के बाद कांग्रेस की सरकारें सिर्फ पंजाब और पुड्डुचेरी में ही बचेंगी.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मोदी के 'PPP' मॉडल बोल कर खिल्ली उड़ाने का बड़ा ही सटीक जवाब दिया. सिद्धारमैया ने बड़ी ही...
भाषण देने के मामले में राहुल गांधी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोहा मानते हैं. ठीक उसी तरह राहुल गांधी को मानना पड़ेगा कि सिद्धारमैया के ट्वीट अटैक का भी कोई सानी नहीं. सिद्धारमैया के ज्यादातर ट्वीट यूं तो जवाबी फायरिंग की तरह हैं - लेकिन किसी शार्प शूटर की तरह बिलकुल निशाने पर लग रहे हैं.
'अगर कहें कि मोदी भ्रष्ट हैं तो?'
त्रिपुरा के लोगों के प्रधानमंत्री मोदी ने समझाया था कि वे बरसों से गलत रत्न धारण किये हुए हैं. किसी ज्योतिषी की तरह मोदी की बात मानते हुए लोगों ने चुनावों में माणिक उतार फेंका और हीरा पहन लिया. हीरा अब कैसे चमचमा रहा है हर कोई देख रहा है. ज्यादा चमक बिखेरना भी अच्छा नहीं होता इसलिए खुद मोदी को उसे अगरतला से दिल्ली भी तलब करना पड़ा.
तकरीबन त्रिपुरा वाले ही अंदाज में मोदी ने कांग्रेस मुक्त कर्नाटक के लिए लोगों को सलाह दी है - "जो पार्टी गरीबों का 'वेलफेयर' नहीं कर सकती, लोगों को उसका 'फेयर वेल' कर देना चाहिये.
तमाम तरह के अपमान और इल्जामात से नवाजते हुए प्रधानमंत्री मोदी चित्रदुर्ग की रैली में कहते हैं, "ये सरकार आपके पानी के पैसे भी खा गई... आदिवासियों के हॉस्टल में बिस्तर के पैसे भी खा गई... चादर, तकिया तक के पैसे खा गई... कहीं ऐसा न हो आपके घर के बिस्तर के पैसे भी खा जाए..." कांग्रेस के कैरेक्टर की व्याख्या करते हुए प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं, "कांग्रेस पार्टी न तो 'दिल वाली' है और 'दलितों वाली' है, ये तो सिर्फ 'डील वाली' है."
सिद्धारमैया सरकार को मोदी कई बार 'सीधा-रुपैया' सरकार बता ही चुके हैं. हाल ही में मोदी ने कांग्रेस को लेकर 'PPP' मॉडल की थ्योरी दी थी. मोदी के मुताबिक, 'PPP' का मतलब पंजाब और पुड्डुचेरी परिवार. मोदी के कहने का मतलब रहा कि कर्नाटक की हार के बाद कांग्रेस की सरकारें सिर्फ पंजाब और पुड्डुचेरी में ही बचेंगी.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मोदी के 'PPP' मॉडल बोल कर खिल्ली उड़ाने का बड़ा ही सटीक जवाब दिया. सिद्धारमैया ने बड़ी ही खूबसूरती से मोदी के 'PPP' मॉडल की नकारात्मकता में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के लोकतंत्र की परिभाषा से जोड़ते हुए पलटवार किया. लगे हाथ बीजेपी को भी पकौड़ा पार्टी बता डाला.
इंडिया टुडे के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में सिद्धारमैया मोदी के आरोपों के निराधार और बगैर सबूतों वाला करार देते हैं. सिद्धारमैया कहते हैं, "उन्होंने मेरी सरकार को 10 प्रतिशत सरकार बताया, वो कहना क्या चाहते हैं? उनके पास सबूत क्या है?"
फिर सिद्धारमैया सवाल करते हैं, "मैं भी तो कह सकता हूं मोदी सबसे भ्रष्ट व्यक्ति हैं जिसे साबित करना ही संभव नहीं है." सिद्धारमैया रुकते नहीं, खुली चुनौती भी देते हैं, "उनके पास तमाम एजेंसियां हैं. अपने दावों के सपोर्ट में उन्हें सबूत भी पेश करना चाहिये."
योगी को तो बैरंग ही भेज दिया
योगी आदित्यनाथ को तो सिद्धारमैया का शुक्रगुजार होना चाहिये जो उन्होंने यूपी के सीएम को राजधर्म निभाने का मौका दिया. जिस तरह योगी बीजेपी के लिए चुनाव में स्टार प्रचारक हैं उसी यूपी के मुख्यमंत्री होने के नाते तो उन्हें सूबे के सुख दुख के हर मौके पर मुस्तैदी से डटे रहने की अपेक्षा की जाती है. यूपी में आंधी तूफान के बाद के हालात को लेकर योगी का कहना रहा कि वो खुद पूरी स्थिति की निगरानी कर रहे हैं, लेकिन सिद्धारमैया के ट्वीट की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता कि योगी को कर्नाटक दौरा बीच में छोड़ कर लौटने का फैसला करना पड़ा.
सियासत अपनी जगह होती है और राजकाज अपनी जगह. इसी बीच खबर ये भी है कि सिद्धारमैया ने योगी को 10 हाथी गिफ्ट किये हैं. हालांकि, इन 10 हाथियों का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है. ये असली वाले हाथी हैं न कि पत्थर के बने बीएसपी वाले. दरअसल, दुधवा टाइगर रिजर्व में गश्त और सैलानियों को घुमाने के लिए हाथियों की जरूरत पिछले कई बरसों से महसूस की जा रही थी. इसके लिए योगी सरकार ने केंद्र की मोदी सरकार से परमिशन मांगी थी कि वो उसे कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार से हाथ लाने दे. परमिशन मंजूर कर ली गयी - और कर्नाटक के नागरहोले, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यानों से हाथी यूपी पहुंचा दिये गये हैं.
जब भी प्रधानमंत्री मोदी, योगी या अन्य बीजेपी नेताओं की ओर से हमले हो रहे हैं, पलटवार में सिद्धारमैया का हर जवाब सधा हुआ, सीधा और सटीक हो रहा है. वास्तव में उनकी ट्विटर टीम बेहतरीन है. बल्कि, राहुल गांधी की टीम से भी बेहतर लगती है, अगर दोनों टीमें अलग अलग हैं. राहुल गांधी की टीम तो तुकबंदी के चक्कर कई बार कंटेंट का कबाड़ा निकाल दे रही है. चुनाव में हार जीत अपनी जगह है, फिर भी बेहतर होगा 15 मई के बाद राहुल गांधी सिद्धारमैया की टीम को दिल्ली बुला लें और 2019 के मोर्चे पर तैनात कर दें. सिद्धारमैया की तरह राहुल गांधी भी मोदी-योगी को 2019 में स्पीचलेस कर देंगे.
इन्हें भी पढ़ें :
बीजेपी को भले नुकसान हो, यूपी लौट आना योगी के लिए तो फायदेमंद ही है
कर्नाटक मैनिफेस्टो में बीजेपी योगी सरकार का ट्रेलर क्यों दिखा रही है
कर्नाटक के मैदान से येदियुरप्पा भी कहीं धूमल की तरह धूमिल तो नहीं हो रहे?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.