स्मृति इरानी को JN में महिषासुर शहादत दिवस मनाने को ले कर बड़ी ज्वलंत बातें करते सुना, इनको पता नहीं कि भारत एक ऐसा देश है जिसने हर तरह के विचार को सम्मान और जगह दी है. इस देश में अगर दुर्गा की पूजा होती है तो महिषासुर की भी अपनी जगह है. राम पूजे जाते है तो रावण का लिखा शिव तांडव स्रोत आज भी महादेव के हर मंदिर में गाया जाता है और उसे शिव की सबसे महान आराधना का सम्मान प्राप्त है. स्मृति जी को शायद ये भी नहीं मालुम कि उनकी पार्टी के सांसद भी महिषासुर शहादत दिवस का हिस्सा बनते हैं और उसे मनाते हैं. ये तस्वीर बीजेपी के सांसद उदित राज की है. इस बारे में स्मृति जी कुछ बोलेंगी?
बात ये है कि बीजेपी वाले हिन्दू धर्म के ठेकेदार तो बनते हैं लेकिन हिन्दू धर्म के ग्रंथों, वेद, पुराण और शास्त्रों से से उनका वास्ता दूर दूर तक नहीं है. उनके लिए तो बस ये एक साधन मात्र है. अगर सचमुच ही उन्होंने मार्कंडेय रचित " दुर्गा सप्तशती" को पढ़ा होता तो उन्हें पता होता कि माँ दुर्गा की पूजा करते समय महिषासुर की पूजा का भी विधान है और उसे भी माँ दुर्गा के साथ पूजित होने का सम्मान मिला है. मानते हैं कि शिक्षा मंत्री की शिक्षा पर बहुत प्रश्न-चिन्ह हैं लेकिन इसका ये हरगिज़ मतलब नहीं है कि वो पूरे देश को दृग्भ्रमित करें और नफरत को हवा दें.
मैं पूछती हूँ की वेश्याओं से इतनी नफरत क्यों? कौन है उन स्त्रियों को वेश्या बनाने वाला? हमारा यही सभ्य और संस्कारी समाज न?...
स्मृति इरानी को JN में महिषासुर शहादत दिवस मनाने को ले कर बड़ी ज्वलंत बातें करते सुना, इनको पता नहीं कि भारत एक ऐसा देश है जिसने हर तरह के विचार को सम्मान और जगह दी है. इस देश में अगर दुर्गा की पूजा होती है तो महिषासुर की भी अपनी जगह है. राम पूजे जाते है तो रावण का लिखा शिव तांडव स्रोत आज भी महादेव के हर मंदिर में गाया जाता है और उसे शिव की सबसे महान आराधना का सम्मान प्राप्त है. स्मृति जी को शायद ये भी नहीं मालुम कि उनकी पार्टी के सांसद भी महिषासुर शहादत दिवस का हिस्सा बनते हैं और उसे मनाते हैं. ये तस्वीर बीजेपी के सांसद उदित राज की है. इस बारे में स्मृति जी कुछ बोलेंगी?
बात ये है कि बीजेपी वाले हिन्दू धर्म के ठेकेदार तो बनते हैं लेकिन हिन्दू धर्म के ग्रंथों, वेद, पुराण और शास्त्रों से से उनका वास्ता दूर दूर तक नहीं है. उनके लिए तो बस ये एक साधन मात्र है. अगर सचमुच ही उन्होंने मार्कंडेय रचित " दुर्गा सप्तशती" को पढ़ा होता तो उन्हें पता होता कि माँ दुर्गा की पूजा करते समय महिषासुर की पूजा का भी विधान है और उसे भी माँ दुर्गा के साथ पूजित होने का सम्मान मिला है. मानते हैं कि शिक्षा मंत्री की शिक्षा पर बहुत प्रश्न-चिन्ह हैं लेकिन इसका ये हरगिज़ मतलब नहीं है कि वो पूरे देश को दृग्भ्रमित करें और नफरत को हवा दें.
मैं पूछती हूँ की वेश्याओं से इतनी नफरत क्यों? कौन है उन स्त्रियों को वेश्या बनाने वाला? हमारा यही सभ्य और संस्कारी समाज न? हाँ, वैश्या इस समाज के घृणित और कुत्सित मानसिक रोगियों को अपने पास शरण देती हैं ताकि इन जानवरों की वहशियत का शिकार कोई और मासूम न बने और एक और वैश्या बनने पर मजबूर न हो. रही माँ दुर्गा की बात, तो वो तो ब्रम्ह है, संपूर्ण संसार उन्ही की कल्पना है, उन्ही में सब समाये है, क्या वैश्या और क्या साधारण स्त्री, सृष्टि में जन्म और पालन के जितने भी स्वरुप हुए है, मनुष्य, पशु, पक्षी, जानवर, सभी में उन्ही का स्वरुप है, फिर ये भेद क्यों? जाओ अपने प्रदूषित संघी विचारों को बदलो और और जहां पर ध्यान देना है वहां दो. वैसे भी देश गर्त तक पहुंचा दिया है, और धक्के ना मारो.
माँ दुर्गा के लिए भावनात्मक होने वाले उन बहन, बेटियों और बहुओं के बारे में कुछ बोलेंगे जिनके कपडे सोनीपत के खेत में पड़े मिल रहे हैं? या उन बलात्कारियों के सामने घिग्गी बंध जाती है???
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.