भारत में एक कहावत है कि 'घर में नहीं दाने, अम्मा चलीं भुनाने'. इस कहावत का आसान शब्दों में अर्थ ये है कि योग्यता एवं सामर्थ्य न होने के बाद भी बड़ी-बड़ी बातें करना. और, इसमें पाकिस्तान को महारत हासिल है. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र (N) में पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने अपने संबोधन में फिर से भारत (India) के खिलाफ जहर उगला है. वैसे, ये पहला मौका नहीं है. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के किसी भी नेता को जब भी बोलने का मौका मिलता है, तो उनका एकसूत्रीय एजेंडा भारत के खिलाफ जहर उगलना ही होता है. अगर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान किसी भी तरह से भारत के खिलाफ जहर न उगले, तो ये कहने में संकोच नहीं होना चाहिए कि शायद सूरज आज पश्चिम से निकला है. खैर, पाकिस्तान के रहते दम तक ऐसा होना नहीं है. तो, वापस लौटते हैं संयुक्त राष्ट्र में इमरान खान के फैलाये जहर की ओर. दुनियाभर में आतंकिस्तान के नाम से मशहूर हो चुके पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने बौखलाहट में वहीं बोला, जो पाकिस्तानी सेना और आतंकी संगठनों के दबाव के चलते उस देश का प्रधानमंत्री बोलता है. आइए जानते हैं इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ क्या जहर उगला और भारत ने उसे कितनी खामोशी से काट दिया?
इमरान खान की प्रोपेगेंडा स्पीच की मुख्य बातें
जैसा हमेशा से ही होता आया है, तो संयुक्त राष्ट्र के 76वें सत्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी प्रोपेगेंडा स्पीच में फिर से उन्हीं बातों को दोहराया, जिस पर वो दुनियाभर के देशों से मदद मांगकर मुंह की खा चुके हैं. वैसे, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया अमेरिकी दौरे से इमरान खान को मिर्ची लगना कोई बड़ी बात नहीं है....
भारत में एक कहावत है कि 'घर में नहीं दाने, अम्मा चलीं भुनाने'. इस कहावत का आसान शब्दों में अर्थ ये है कि योग्यता एवं सामर्थ्य न होने के बाद भी बड़ी-बड़ी बातें करना. और, इसमें पाकिस्तान को महारत हासिल है. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र (N) में पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने अपने संबोधन में फिर से भारत (India) के खिलाफ जहर उगला है. वैसे, ये पहला मौका नहीं है. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के किसी भी नेता को जब भी बोलने का मौका मिलता है, तो उनका एकसूत्रीय एजेंडा भारत के खिलाफ जहर उगलना ही होता है. अगर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान किसी भी तरह से भारत के खिलाफ जहर न उगले, तो ये कहने में संकोच नहीं होना चाहिए कि शायद सूरज आज पश्चिम से निकला है. खैर, पाकिस्तान के रहते दम तक ऐसा होना नहीं है. तो, वापस लौटते हैं संयुक्त राष्ट्र में इमरान खान के फैलाये जहर की ओर. दुनियाभर में आतंकिस्तान के नाम से मशहूर हो चुके पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने बौखलाहट में वहीं बोला, जो पाकिस्तानी सेना और आतंकी संगठनों के दबाव के चलते उस देश का प्रधानमंत्री बोलता है. आइए जानते हैं इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ क्या जहर उगला और भारत ने उसे कितनी खामोशी से काट दिया?
इमरान खान की प्रोपेगेंडा स्पीच की मुख्य बातें
जैसा हमेशा से ही होता आया है, तो संयुक्त राष्ट्र के 76वें सत्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी प्रोपेगेंडा स्पीच में फिर से उन्हीं बातों को दोहराया, जिस पर वो दुनियाभर के देशों से मदद मांगकर मुंह की खा चुके हैं. वैसे, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया अमेरिकी दौरे से इमरान खान को मिर्ची लगना कोई बड़ी बात नहीं है. मामला बिगड़ा इस वजह से कि भारतीय मूल की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने पाकिस्तान को आतंकियों का ठिकाना और सुरक्षा के लिए खतरा बता दिया था. खैर, इमरान खान के भाषण पर वापस लौटते हैं.
इस्लामोफोबिया की नई पाकिस्तानी परिभाषा
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने इस्लामोफोबिया की नई परिभाषा गढ़ते हुए इसे नया खतरा बता दिया. उन्होंने कहा कि हमें इस्लामोफोबिया के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा. अमेरिका में हुए 9/11 हमलों के बाद आतंकवाद को जबरदस्ती इस्लाम से जोड़ दिया गया. जिसकी वजह से दुनियाभर के हिंसक राष्ट्रवादी, चरमपंथी, दक्षिणपंथियों और आतंकी संगठनों को मुसलमानों पर हमला करने का मौका मिला. हम आशा करते हैं कि संयुक्त राष्ट्र इस्लामोफोबिया के नए खतरे से लड़ने के कदम उठाएगा. वहीं, आदत से मजबूर इमरान खान ने इस्लामोफोबिया को भारत से जोड़कर आरोप लगाते हुए कहा कि इसका सबसे ज्यादा असर हिंदुस्तान में हो रहा है. हिंदुत्व समर्थक भाजपा और आरएसएस के शासन में भारत के 20 करोड़ मुस्लिमों के खिलाफ दहशत और हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है. गोरक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ रही हैं. सीएए के रूप में भेदभावपूर्ण नागरिकता कानून थोपकर मुसलमान का सफाया किया जा रहा है. मस्जिदों को तोड़ने के लिए एक कैंपेन चलाया जा रहा है और वहां की मुस्लिम धरोहरों और इतिहास को खत्म किया जा रहा है.
इमरान का बेसुरा कश्मीर राग
इमरान खान ने आरोप लगाते हुए कहा कि 15 अगस्त 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर में भारत ने जम्मू-कश्मीर में एकतरफा कदम उठाए हैं और लोगों के ऊपर आतंक बरसाया है. इमरान ने जम्मू-कश्मीर में नौ लाख सशस्त्र बलों की तैनाती, वरिष्ठ कश्मीरी नेताओं को नजरबंद करने, मीडिया और इंटरनेट पर रोक लगाने, शांतिपूर्ण विरोधों को दबाने, 13 हजार कश्मीरी युवाओं का अपहरण करने और सैकड़ों को प्रताड़ित करने के साथ ही सैकड़ों कश्मीरियों को मारने के आरोप लगाए.
मानवाधिकार का दुहाई
इमरान खान ने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर में लोगों के मानवाधिकार खत्म हो चुके हैं. भारत सरकार और सुरक्षा बल लोगों के मानवाधिकारों ता हनन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हर बार दुनिया के सामने सच्चाई लाया है, लेकिन जम्मू-कश्मीर को लेकर सभी दुनिया के सभी देशों का रवैया भेदभावपूर्ण है. इमरान ने कहा कि भारत सरकार जम्मू-कश्मीर के डेमोग्राफिक स्ट्रक्चर को बदलने की कोशिश कर रही है. हिंदू आबादी बढ़ाकर बहुसंख्यक मुसलमानों को अल्पसंख्यक बनाया जा रहा है. इस दौरान वो जेनेवा कन्वेंशन की दुहाई देना भी नहीं भूले.
गिलानी को नहीं मिला इस्लामिक जनाजा
इमरान खान ने मौके पूरा फायदा उठाते हुए पाकिस्तानपरस्त अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की मौत के मामले को भी हथियार बनाने की कोशिश की. उन्होंने आरोप लगाया कि अलगाववादी नेता गिलानी के शव को उनके परिवार से जबरन छीनकर बिना मुस्लिम रीति-रिवाज के दफना दिया गया. उन्होंने मांग की कि सैयद अली शाह गिलानी के शव को इस्लामी परंपराओं के हिसाब से 'शहीदों' के साथ दफनाया जाए.
खुद को बताया 'पाक साफ'
इमरान ने तमाम बेमतलब के आरोप जड़ने के बाद खुद को 'पाक साफ' बताने की भी भरपूर कोशिश की. उन्होंने कहा कि हमने लंबे समय से सीमा पर सीज फायर घोषित कर रखा है. हम जम्मू-कश्मीर समस्या का हल चाहते हैं. उन्होंने कहा कि हम (पाकिस्तान) भारत के साथ शांति चाहते हैं, लेकिन दिल्ली की भाजपा सरकार दमनकारी है. भाजपा सरकार जम्मू-कश्मीर में माहौल बिगाड़ रही है. इमरान ने कहा कि इस समस्या का हल निकालने के लिए भारत को कश्मीर में उठाए गए कदमों को वापस लेना होगा. कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन और डेमोग्राफिक चेंज बंद करना होगा. वहीं, बात खत्म करते-करते इमरान खान न्यूक्लियर हथियारों की धमकी देना नहीं भूले.
भारत ने पाकिस्तान के झूठ की शांति से उड़ाई धज्जियां
कश्मीर, आतंकवाद, मानवाधिकार, इस्लामोफोबिया जैसे मामलों को लेकर पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने जितनी चीख-पुकार के साथ जहर फैलाया, भारत ने उतनी ही खामोशी से उसे काट दिया. पाकिस्तान को राइट टू रिप्लाई के तहत जवाब देते हुए भारतीय राजनयिक स्नेहा दुबे (Sneha Dubey) ने पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा की धज्जियां उड़ा दीं. स्नेहा दुबे ने पाकिस्तान को हर उस बात पर आईना दिखाया, जिससे वो हमेशा मुंह चुराकर भागता रहता है.
अपनी बदहाली छिपाने के लिए भारत पर आरोप
भारतीय राजनयिक स्नेहा दुबे ने पाकिस्तान की करतूतों का कच्चा चिट्ठा खोलते हुए कहा कि दुर्भाग्य से ऐसा पहली बार नहीं है, जब पाकिस्तान के नेता ने संयुक्त राष्ट्र के इस प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग भारत के खिलाफ झूठे और द्वेषपूर्ण दुष्प्रचार के लिए किया है. लोगों का ध्यान पाकिस्तान की बदहाली से हटाने के लिए वो ऐसा करते रहते हैं. पाकिस्तान में आतंकवादियों को फ्री पास मिला हुआ है. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की जिंदगी नर्क बन गई है.
आतंकियों की फैक्ट्री है पाकिस्तान
भारतीय राजनयिक स्नेहा दुबे ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों जानते हैं कि पाकिस्तान का इतिहास और नीतियां हमेशा से ही आतंकवादियों को पनाह देने और आतंकवाद को मदद करने की रही हैं. पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसे दुनिया में आतंकवादियों को खुलेआम समर्थन, ट्रेनिंग, फंडिंग और हथियार देने वाले के तौर पर पहचान मिली हुई है और यह उसकी नीति का हिस्सा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से घोषित किए गए प्रतिबंधित आतंकवादियों में से ज्यादातर को रखने का घटिया रिकॉर्ड पाकिस्तान के नाम है.
लादेन को पाकिस्तान ने दी पनाह
भारतीय राजनयिक स्नेहा दुबे ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा कि 9/11 आतंकी हमले के 20 साल हो चुके हैं. दुनिया नहीं भूली है कि 9/11 आतंकी हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान ने ही पनाह दी थी. पाकिस्तानी नेतृत्व अब भी ओसामा बिन लादेन का एक शहीद के तौर पर महिमामंडन करता रहता है. दुर्भाग्य से पाकिस्तान के नेता आज भी आतंकी कृत्यों को सही ठहराने की कोशिश में लगे रहते हैं.
आग लगाने वाला देश है पाकिस्तान
हम सुनते आए हैं कि पाकिस्तान 'आतंकवाद का शिकार' देश है. लेकिन, यह एक ऐसा देश है जो आग बुझाने वाले का भेष बनाकर आग लगाता है. पाकिस्तान ने अपने घर में आतंकवादियों को इस उम्मीद में पालता है कि वे सिर्फ उसके पड़ोसियों को नुकसान पहुंचाएंगे. पाकिस्तान की इन नीतियों से केवल भारत ही नहीं पूरी दुनिया पीड़ित हुई है. दूसरी तरफ पाकिस्तान अपने देश में होने वाली सांप्रदायिक हिंसा को आतंकी कृत्य बताकर लीपापोती में जुट जाता है.
अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करना पाकिस्तान से सीखें
भारतीय राजनयिक स्नेहा दुबे ने पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा की धज्जियां उड़ाते हुए कहा कि बांग्लादेश में धार्मिक और सांस्कृतिक नरसंहार करने वाला देश पाकिस्तान ही है. पाकिस्तान के राज्य प्रायोजित आतंकवाद की वजह से वहां रह रहे अल्पसंख्यक सिख, हिंदू और क्रिश्चियन डर के माहौल में जी रहे हैं और उनके अधिकारों को कुचला जा रहा है. पाकिस्तान में ऐसा शासन है, दो इन चीजों को सामान्य तौर पर देखता है. असहमति की आवाज को दबाया जाता है, लोगों को गायब कर दिया जाता है और एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग पाकिस्तान में सामान्य सी बात हैं.
भारत से सीखे बहुलतावाद
स्नेहा दुबे ने कहा कि पाकिस्तान के उलट भारत में बहुलतावादी लोकतंत्र है. जहां अल्पसंख्यक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस, सेना प्रमुख जैसे देश के सर्वोच्च पदों पर पहुंचे हैं. भारत में स्वतंत्र मीडिया और स्वतंत्र न्यायपालिका है, जो हमारे संविधान पर नजर रखते हैं और उसकी रक्षा करते हैं. बहुलतावाद तो ऐसी अवधारणा है जिसे समझ पाना पाकिस्तान के लिए बहुत ही मुश्किल है. उसने तो संवैधानिक तौर पर अल्पसंख्यकों को देश के उच्च पदों पर पहुंचने की आकांक्षा को रोका है.
अवैध कब्जे वाले कश्मीर को तुरंत खाली करे पाकिस्तान
भारतीय राजनयिक स्नेहा दुबे ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हमेशा से भारत का अभिन्न हिस्सा रहे थे, हैं और रहेंगे. इसमें वे इलाके भी शामिल हैं जिन पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा किया हुआ है. हम पाकिस्तान से मांग करते हैं कि वो अपने अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के हिस्से को तुरंत खाली करें.
आतंकवाद बंद हो, तभी रिश्ते सुधरेंगे
भारतीय राजनयिक स्नेहा दुबे ने दो टूक शब्दों में कहा कि हम पाकिस्तान समेत अपने सभी पड़ोसियों के साथ सामान्य रिश्ते चाहते हैं. लेकिन, इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान की है कि वह ईमानदारी से इस दिशा में कदम उठाए कि उसकी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किसी भी तरह के सीमा-पार आतंकवाद में न हो.
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