अब तो मान लेना चाहिये कि समाजवादी पार्टी के दो टुकड़े हो गये. समाजवादी परिवार में फूट डालने और पार्टी तोड़ने के आरोप अमर सिंह पर लगे थे. अमर सिंह तो समाजवादी पार्टी से कब के निकल चुके, लेकिन उनका मिशन पूरा हुआ अब लगता है.
वैसे शिवपाल यादव ने जैसा कहा था वैसा ही किया भी. यूपी चुनाव के दौरान ही उन्होंने साफ कर दिया था कि नई सरकार बनने के बाद वो नई पार्टी बनाएंगे. भले ही बाद में मुलायम सिंह यादव सामने आये और बताया कि शिवपाल कोई पार्टी नहीं बनाने जा रहे.
अब तो शिवपाल यादव ने बाकायदा पार्टी के नाम का भी ऐलान कर दिया है - समाजवादी सेक्युलर मोर्चा.
वो 'मुलायम के लोग'...
यूपी चुनाव के दौरान एक और संगठन भी चर्चा में रहा - मुलायम के लोग. अलग से इसका कार्यालय भी खोला गया था - और काफी संख्या में समाजवादी पार्टी के ही नाराज कार्यकर्ताओं ने इसे ज्वाइन भी किया था. तब ये भी पता चला था कि ये सभी शिवपाल यादव के समर्थक रहे. इटावा और आस पास के इलाकों में मुलायम के लोग के कार्यकर्ता चुनाव में खासे सक्रिय भी रहे. अखिलेश यादव और फिर डिंपल यादव ने भी अपनी रैलियों में ऐसे लोगों से सावधान रहने की बातें कही थीं.
अगर यूपी चुनाव के नतीजे अलग होते तो स्वाभाविक था, राजनीति की तस्वीर भी अलग होती. समाजवादी पार्टी की कुछ सीटें और आई होतीं और मायावती सरकार बनाने की स्थिति में होतीं तो मुलायम के लोग कार्यकर्ताओं का भी दबदबा होता. माना जा रहा था कि मुलायम सिंह के कहने पर अखिलेश ने 35-40 लोगों को टिकट दिया था. इनमें से ज्यादातर शिवपाल के समर्थक थे.
चुनाव बाद जब समाजवादी पार्टी भी ईवीएम पर मायावती के सुर में सुर मिलाने लगी तो भला 'मुलायम के लोग' को कौन पूछे.
...और ये...
अब तो मान लेना चाहिये कि समाजवादी पार्टी के दो टुकड़े हो गये. समाजवादी परिवार में फूट डालने और पार्टी तोड़ने के आरोप अमर सिंह पर लगे थे. अमर सिंह तो समाजवादी पार्टी से कब के निकल चुके, लेकिन उनका मिशन पूरा हुआ अब लगता है.
वैसे शिवपाल यादव ने जैसा कहा था वैसा ही किया भी. यूपी चुनाव के दौरान ही उन्होंने साफ कर दिया था कि नई सरकार बनने के बाद वो नई पार्टी बनाएंगे. भले ही बाद में मुलायम सिंह यादव सामने आये और बताया कि शिवपाल कोई पार्टी नहीं बनाने जा रहे.
अब तो शिवपाल यादव ने बाकायदा पार्टी के नाम का भी ऐलान कर दिया है - समाजवादी सेक्युलर मोर्चा.
वो 'मुलायम के लोग'...
यूपी चुनाव के दौरान एक और संगठन भी चर्चा में रहा - मुलायम के लोग. अलग से इसका कार्यालय भी खोला गया था - और काफी संख्या में समाजवादी पार्टी के ही नाराज कार्यकर्ताओं ने इसे ज्वाइन भी किया था. तब ये भी पता चला था कि ये सभी शिवपाल यादव के समर्थक रहे. इटावा और आस पास के इलाकों में मुलायम के लोग के कार्यकर्ता चुनाव में खासे सक्रिय भी रहे. अखिलेश यादव और फिर डिंपल यादव ने भी अपनी रैलियों में ऐसे लोगों से सावधान रहने की बातें कही थीं.
अगर यूपी चुनाव के नतीजे अलग होते तो स्वाभाविक था, राजनीति की तस्वीर भी अलग होती. समाजवादी पार्टी की कुछ सीटें और आई होतीं और मायावती सरकार बनाने की स्थिति में होतीं तो मुलायम के लोग कार्यकर्ताओं का भी दबदबा होता. माना जा रहा था कि मुलायम सिंह के कहने पर अखिलेश ने 35-40 लोगों को टिकट दिया था. इनमें से ज्यादातर शिवपाल के समर्थक थे.
चुनाव बाद जब समाजवादी पार्टी भी ईवीएम पर मायावती के सुर में सुर मिलाने लगी तो भला 'मुलायम के लोग' को कौन पूछे.
...और ये 'सेक्युलर मोर्चा'
साधना यादव ने तो पहले ही कह दिया था कि आगे से वो अपमान नहीं सहने वाली. बाद में उनकी अपनी बहू और मुलायम परिवार की छोटी बहू अपर्णा यादव ने भी अपनी बातों से संकेत दे दिया था कि वो मुलायम सिंह के अपमान का बदला लेकर रहेंगी.
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिये अपने इंटरव्यू में अपर्णा ने कहा था, "इसी साल जनवरी में अखिलेश भैया ने वादा किया था कि विधानसभा चुनावों के बाद वो नेताजी को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद वापस कर देंगे. उन्होंने कहा था कि वह अपने वादों को पूरा करते हैं. मुझे लगता है कि अब उन्हें अपने वादे को पूरा करना चाहिए."
शिवपाल ने भी नई पार्टी के लिए अखिलेश के उसी बात को आधार बनाया है. नई पार्टी बनाने को लेकर शिवपाल कहते हैं, "मैंने अखिलेश से कहा था कि वो सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ दें. मुलायम सिंह पार्टी के नए चीफ होंगे, वरना हम सेक्युलर मोर्चा बना लेंगे.''
जब मीडिया ने शिवपाल से पूछा कि क्या नई पार्टी को लेकर उन्होंने मुलायम सिंह की मंजूरी ले ली है? शिवपाल इसका जवाब 'हां' में देते हैं. शिवपाल के मुताबिक नई पार्टी मुलायम के नेतृत्व में ही बनाई जा रही है और वही इसके मुखिया होंगे.
महागठबंधन में कौन?
शिवपाल की माने तो मुलायम सिंह ही समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के अध्यक्ष होंगे. मुलायम फिलहाल समाजवादी पार्टी के संरक्षक हैं और खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद अखिलेश यादव मुलायम सिंह को ही मुखिया बताते हैं.
फिर तो मुलायम सिंह यादव दो-दो पार्टियों के मुखिया बन जाएंगे. समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के अध्यक्ष और समाजवादी पार्टी के संरक्षक, जिसके वो संस्थापक अध्यक्ष रहे हैं.
खबर है कि सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन के लिए मुलायम सिंह यादव से भी बात की है. उस महागठबंधन में यूपी से समाजवादी पार्टी के अलावा मायावती ने भी साथ होने के संकेत दिये हुए हैं.
अब सवाल है कि मुलायम सिंह किस पार्टी के साथ महागठबंधन में शामिल होंगे? समाजवादी पार्टी के साथ या फिर नई बनने वाली समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के साथ? ऐसा भी तो हो सकता है कि दोनों ही दल महागठबंधन का हिस्सा बन जाएं. फिर तो ये देखना दिलचस्प होगा कि मुलायम सिंह यादव किसके साथ होते हैं.
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