हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Election 2019) में भाजपा ने पश्चिम बंगाल में काफी अच्छा प्रदर्शन किया. अपने अच्छे प्रदर्शन से उत्साहित होकर भाजपा ने अब 2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections) को टारगेट करना शुरू कर दिया है. यूं तो पश्चिम बंगाल में अभी भी ममता बनर्जी की टीएमसी के पास ही अधिक लोकसभा सीटें हैं, लेकिन ये पहली बार है, जब भाजपा ने इतनी अधिक सीटें जीती हों. आपको बता दें कि भाजपा के पास इस समय कुल 42 सीटों में से 18 सीटें हैं, जबकि 22 सीटों पर टीएमसी है. कांग्रेस ने बाकी की 2 सीटें जीती हैं. ममता को ये लोकसभा चुनाव एक झटका दे गया, क्योंकि 2014 में उन्होंने 34 सीटें जीती थीं, जबकि इस बार ये आंकड़ा घटकर महज 22 रह गया है.
अपने हाथों से निकलती जा रही सीटों को देखकर ममता बनर्जी के माथे पर शिकन आना स्वाभाविक ही था, जो गुस्सा बनकर जय श्री राम का नारा लगाने वालों पर फूट भी चुका है. जहां एक ओर ममता बनर्जी को अपने हाथ से सत्ता जाने का भय सता रहा है और वह गुस्से में आग बबूला हुई फिर रही हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा है, जिसने 2021 के विधानसभा चुनावों पर नजरें टिका ली हैं. भाजपा की योजना है कि इस बार वह 294 विधानसभा सीटों में से 250 सीटें जीते, जिसके लिए पार्टी ने ब्लूप्रिंट भी तैयार कर लिया है.
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है- 'लोकसभा सीटों के लिए हमने 23 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था और 18 पर जीत हासिल की. अब हमारा लक्ष्य 250 सीटें जीतना है. हम अपनी चुनावी रणनीति तैयार करेंगे और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम शुरू करेंगे.'
2021 के...
हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Election 2019) में भाजपा ने पश्चिम बंगाल में काफी अच्छा प्रदर्शन किया. अपने अच्छे प्रदर्शन से उत्साहित होकर भाजपा ने अब 2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections) को टारगेट करना शुरू कर दिया है. यूं तो पश्चिम बंगाल में अभी भी ममता बनर्जी की टीएमसी के पास ही अधिक लोकसभा सीटें हैं, लेकिन ये पहली बार है, जब भाजपा ने इतनी अधिक सीटें जीती हों. आपको बता दें कि भाजपा के पास इस समय कुल 42 सीटों में से 18 सीटें हैं, जबकि 22 सीटों पर टीएमसी है. कांग्रेस ने बाकी की 2 सीटें जीती हैं. ममता को ये लोकसभा चुनाव एक झटका दे गया, क्योंकि 2014 में उन्होंने 34 सीटें जीती थीं, जबकि इस बार ये आंकड़ा घटकर महज 22 रह गया है.
अपने हाथों से निकलती जा रही सीटों को देखकर ममता बनर्जी के माथे पर शिकन आना स्वाभाविक ही था, जो गुस्सा बनकर जय श्री राम का नारा लगाने वालों पर फूट भी चुका है. जहां एक ओर ममता बनर्जी को अपने हाथ से सत्ता जाने का भय सता रहा है और वह गुस्से में आग बबूला हुई फिर रही हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा है, जिसने 2021 के विधानसभा चुनावों पर नजरें टिका ली हैं. भाजपा की योजना है कि इस बार वह 294 विधानसभा सीटों में से 250 सीटें जीते, जिसके लिए पार्टी ने ब्लूप्रिंट भी तैयार कर लिया है.
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है- 'लोकसभा सीटों के लिए हमने 23 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था और 18 पर जीत हासिल की. अब हमारा लक्ष्य 250 सीटें जीतना है. हम अपनी चुनावी रणनीति तैयार करेंगे और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम शुरू करेंगे.'
2021 के विधानसभा चुनावों के लेकर भाजपा काफी उत्साहित है. भाजपा इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त भी लग रही है कि इस पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी का सफाया हो जाएगा. ये सिर्फ कहा नहीं जा रहा है, बल्कि इस दिशा में भाजपा ने अहम कदम भी उठाने शुरू कर दिए हैं.
टीएमसी नेताओं को भाजपा में लाना पहला कदम
2021 के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा जो रणनीति बना रही है, उसके तहत वह पहला काम ये कर रही है कि टीएमसी के नेताओं को भाजपा में शामिल कर रही है. टीएमसी के जिन नेताओं के पास जनाधार अच्छा है, उन्हें भाजपा अपने साथ मिलाने की कोशिशें कर रही है. पिछले महीने के अंत में ही टीएमसी के 2 विधायक और सीपीएम के एक विधायक के अलावा करीब 50 टीएमसी पार्षद भी भाजपा में शामिल हो गए. इसे लेकर तो कैलाश विजयवर्गीय ने एक ट्वीट भी किया था.
8 जून को ही दार्जिलिंग नगरपालिका के 17 पार्षद भाजपा में शामिल हो गए, जिसके बाद अब दार्जिलिंग नगर पालिका में भाजपा का बहुमत हो गया है.
जब पहली बार 3 विधायक समेत बहुत सारे पार्षद भाजपा में आए तो विजयवर्गीय ने कहा था कि जैसे लोकसभा चुनाव 7 चरणों में हुआ, वैसे ही भाजपा में शामिल होने की प्रक्रिया भी 7 चरणों में पूरी होगी, ये तो पहला चरण है. अगर उनकी बात को आज के संदर्भ में देखें तो 2 चरण हो चुके हैं और 5 अभी बाकी हैं. खुद पीएम मोदी भी बोल चुके हैं कि ममता बनर्जी के 40 विधायक भाजपा के संपर्क में हैं. यानी भाजपा अपनी पहली कोशिश में तो कामयाब होती दिख रही है.
जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत बनाया जा रहा
अमित शाह को चुनावी मशीन कहा जाने लगा है, क्योंकि उनका मैनेजमेंट बूथ लेवल तक होता है. देश भर में तो उनकी अच्छी पकड़ है, लेकिन पश्चिम बंगाल में अभी भी टीएमसी का ही दबदबा है. ऐसे में भाजपा अब पश्चिम बंगाल में अपने कार्यकर्ता तैयार कर रही है. पश्चिम बंगाल में अपने संगठन को मजबूत बनाने के लिए भाजपा हर संभव कोशिश कर रही है.
दीदी भी कर रही हैं भाजपा की मदद
पिछले दिनों में दो बार ऐसे मौके आए हैं, जब ममता बनर्जी ने जय श्री राम के नारे लगाने वालों के खिलाफ एक्शन लिया हो. उनका आरोप था कि वह पश्चिम बंगाल के नहीं हैं, बल्कि भाजपा के भेजे हुए गुंडे हैं, जो उन्हें चिढ़ाने आए हैं. लेकिन सवाल ये है कि भले ही वह कोई भी हों, लेकिन जय श्री राम का नारा लगाना जुर्म कब से हो गया? उल्टा ऐसा करने वालों को वह पकड़ कर जेल में डालने लगीं. इसे भाजपा ने खूब भुनाया और लगातार टीएमसी पर हमला बोलते हुए ममता बनर्जी को हिंदू विरोधी कहा.
इससे पहले अमित शाह और योगी आदित्यनाथ भी बंगाल की हिंदू जनता को बार-बार ये याद दिला चुके हैं कि ये ममता बनर्जी ही हैं जो मोहर्रम के लिए दुर्गा पूजा को बैन कर देती हैं. ये ममता बनर्जी ही हैं तो घुसपैठियों को वोट के लिए शरण देती हैं, ताकि वोटबैंक मजबूत हो सके. देखा जाए तो भाजपा ने ममता को हिंदू विरोधी साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और खुद ममता बनर्जी भी ऐसे ही काम कर रही हैं कि उन्हें लोग हिंदू विरोधी ही समझेंगे. वरना जय श्री राम बोलने के बाद किसी को जेल नहीं जाना पड़ता. अपनी छवि खराब कर के ममता बनर्जी एक तरह से भाजपा की ही मदद कर रही हैं.
ये भी पढ़ें-
मोदी ने केरल को 'अमेठी' बनाने का काम शुरू कर दिया है!
प्रधानमंत्री मोदी और Rahul Gandhi के केरल दौरे का फर्क बिलकुल साफ है
Rahul Gandhi का वायनाड दौरा बता रहा है कि अमेठी वालों का फैसला सही था
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.