बांग्लादेश के ढाका में होली आर्टिसन बेकरी पर हुआ आतंकी हमला तो सभी को याद ही है. वही हमला, जिसमें 5 हमलावर लोगों से उनके नाम पूछ-पूछ कर उन्हें मार रहे थे. कुरान की आयतें पूछ रहे थे, ताकि ये कंफर्म किया जा सके कि वह शख्स मुस्लिम है. 1 जुलाई 2016 को हुई इस गोलीबारी में 22 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, जिसमें 17 विदेशी थे. इस हमले को अंजाम देने वाले गरीब घर के नहीं थे, बल्कि ये आतंकी ऐसे परिवारों से थे जो बड़ी-बड़ी गाड़ियों में चलते थे. छानबीन के बाद पता चला था कि वो इस्लाम पर भाषण देने वाले जाकिर नाइक से प्रभावित थे. अब श्रीलंका सीरियल ब्लास्ट के तार भी जाकिर नाइक से जुड़े हुए दिख रहे हैं. वही जाकिर नाइक, जो भारत के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन का अध्यक्ष था और भड़काऊ भाषण देने के साथ-साथ आतंकवाद का समर्थन करता था. अब शिकंजा कसने पर वह फरार हो गया है.
श्रीलंका में हुए सिलसिलेवार धमाकों के बाद छानबीन से पता चला कि शांग्री ला होटल में हमला करने वाला आत्मघाती हमलावर एक इस्लामिक आतंकी मौलवी जहरान हाशिम था. यह इमाम नेशनल तौहीद जमात का लेक्चरर था. हाशिम इस्लाम को ही सर्वोपरि मानता था और अन्य धर्म के लोगों के प्रति नफरत दिखाता था. सालों तक वह यूट्यूब वीडियोज के जरिए लोगों को बहकाता रहा. यूट्यूब पर उसने बहुत सारे ऐसे वीडियो डाले, जिससे इस्लाम के नाम पर लोगों को भड़काया जा सके. यहां तक कि वह पूछता था कि श्रीलंका के मुस्लिम डॉक्टर जाकिर नाइक के लिए क्या कर सकते हैं. आखिरकार श्रीलंका के कुछ मुस्लिमों को उसने बरगला लिया और उनके साथ मिलकर इतने बड़े हमले को अंजाम दे दिया.
जाकिर नाइक ही है मुसीबत की जड़ !
जब ढाका में हुई गोलीबारी में जाकिर नाइक का नाम सामने आया था...
बांग्लादेश के ढाका में होली आर्टिसन बेकरी पर हुआ आतंकी हमला तो सभी को याद ही है. वही हमला, जिसमें 5 हमलावर लोगों से उनके नाम पूछ-पूछ कर उन्हें मार रहे थे. कुरान की आयतें पूछ रहे थे, ताकि ये कंफर्म किया जा सके कि वह शख्स मुस्लिम है. 1 जुलाई 2016 को हुई इस गोलीबारी में 22 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, जिसमें 17 विदेशी थे. इस हमले को अंजाम देने वाले गरीब घर के नहीं थे, बल्कि ये आतंकी ऐसे परिवारों से थे जो बड़ी-बड़ी गाड़ियों में चलते थे. छानबीन के बाद पता चला था कि वो इस्लाम पर भाषण देने वाले जाकिर नाइक से प्रभावित थे. अब श्रीलंका सीरियल ब्लास्ट के तार भी जाकिर नाइक से जुड़े हुए दिख रहे हैं. वही जाकिर नाइक, जो भारत के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन का अध्यक्ष था और भड़काऊ भाषण देने के साथ-साथ आतंकवाद का समर्थन करता था. अब शिकंजा कसने पर वह फरार हो गया है.
श्रीलंका में हुए सिलसिलेवार धमाकों के बाद छानबीन से पता चला कि शांग्री ला होटल में हमला करने वाला आत्मघाती हमलावर एक इस्लामिक आतंकी मौलवी जहरान हाशिम था. यह इमाम नेशनल तौहीद जमात का लेक्चरर था. हाशिम इस्लाम को ही सर्वोपरि मानता था और अन्य धर्म के लोगों के प्रति नफरत दिखाता था. सालों तक वह यूट्यूब वीडियोज के जरिए लोगों को बहकाता रहा. यूट्यूब पर उसने बहुत सारे ऐसे वीडियो डाले, जिससे इस्लाम के नाम पर लोगों को भड़काया जा सके. यहां तक कि वह पूछता था कि श्रीलंका के मुस्लिम डॉक्टर जाकिर नाइक के लिए क्या कर सकते हैं. आखिरकार श्रीलंका के कुछ मुस्लिमों को उसने बरगला लिया और उनके साथ मिलकर इतने बड़े हमले को अंजाम दे दिया.
जाकिर नाइक ही है मुसीबत की जड़ !
जब ढाका में हुई गोलीबारी में जाकिर नाइक का नाम सामने आया था तो उस पर भारत सरकार का शिकंजा कस गया, लेकिन खुद को बचाने के लिए वह विदेश भाग गया. छानबीन में पता चला था कि ये विवादित प्रचारक इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के जरिए आईएस में भी लोगों की भर्ती कराता था. ढाका में बेकरी पर हुए हमले में भी ये साफ हो गया था कि हमलावर जाकिर नाइक के भड़काऊ भाषणों से प्रभावित थे और अब जहरान हाशिम की बातों से भी ये साफ हो गया है कि जाकिर नाइक ही मुसीबत की जड़ है. जाकिर नाइक तो यहां तक बोल चुका है कि अगर युद्ध की ट्रिक के तौर पर आत्मघाती हमला किया जाए तो इस्लाम में आत्मघाती हमला करने की भी इजाजत है, बशर्ते उसमें बेकसूर ना मारे जाएं. नाइक ने ये बोलकर भले ही अपना पल्ला झाड़ लिया हो, लेकिन उसी के भाषणों से प्रभावित होकर कुछ युवाओं ने पहले तो ढाका हमला किया था और इस बार तो खुद एक मौलवी ही सुसाइड बॉम्बर बनकर श्रीलंका के शांग्री ला होटल जा पहुंचा.
तीन साल पहले ही मिल गई थी हमलावरों की जानकारी
ब्लूमबर्ग में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिम काउंसिल ऑफ श्रीलंका के उपाअध्यक्ष हिल्मी अहमद कहते हैं कि उन्होंने सेना के अधिकारियों को इस ग्रुप और इसके लीडर्स के बारे में तीन साल पहले ही बता दिया था. अब श्रीलंका सरकार ने कह दिया है कि नेशनल तौहीद जमात ने ही चर्च और होटलों में बम धमाके किए. अहमद के अनुसार वो लोग गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों को टारगेट करने की बातें कहते थे, वह इस्लाम के नाम पर गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों की हत्या करने को कहते थे. अहमद बताते हैं कि 3 साल पहले वह खुद ही गए थे और अधिकारियों को सबूत के तौर पर कुछ दस्तावेज दिए थे, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इतने सालों तक वो दस्तावेज सरकारी दफ्तर की धूल फांकते रहे.
आईएस से भी निकाला जा रहा कनेक्शन
श्रीलंका में हुए बम धमाकों की जिम्मेदारी अब तक किसी भी आतंकी संगठन ने नहीं ली है, जिसकी वजह से तरह-तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि इसे लेकर सिर्फ नेशनल तौहीद जमात और जाकिर नाइक पर शक जा रहा है, बल्कि आईएसआईएस से भी श्रीलंका हमले के तार जुड़े हुए से लग रहे हैं. ट्विटर पर की कुछ तस्वीरें शेयर की जा रही हैं और दावा किया जा रहा है कि श्रीलंका में हमला करने वालों में आईएसआईएस के ये तीन आतंकी भी शामिल थे. इनके नाम हैं- अबुलबरा, अबु उबैदा और अबुल मुख्तार. दावा ये भी है कि ये तस्वीरें आईएसआईएस के समर्थक ने आईएस की बढ़ाई करने वाले चैनल पर टेलीग्राम पर शेयर की हैं. हालांकि, ट्विटर पर इन तस्वीरों को जारी करने वाले शख्स ने साफ किया है कि अभी तक किसी भी आधिकारिक सोर्स की इनकी पुष्टि नहीं हो सकी है.
ईसाईयों के त्योहार ईस्टर के दिन को आतंकियों ने इसीलिए चुना, ताकि वह अधिक से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार सकें. अपनी योजना में वह सफल भी हो गए. इस हमले में 290 लोगों की मौत हो गई और करीब 400 लोग घायल हो गए. श्रीलंका की सरकार ने इसे नेशनल तौहीद जमात आतंकी संगठन का काम बताया है. इस हमले के लिए काफी हद तक श्रीलंका की सरकार और पुलिस भी जिम्मेदारी है, क्योंकि उन्हें करीब 10 दिन पहले ही विदेशी खुफिया एजेंसियों ने इस हमले के लिए चेता दिया था. बावजूद इसके उन्होंने कोई सख्त कदम नहीं उठाया और 290 लोगों ने जान गंवा दी. वहीं श्रीलंका के मुस्लिम काउंसिल ने तो किसी अनहोनी की आशंका 3 साल पहले ही जता दी थी, लेकिन सख्त कदम नहीं उठाए गए और इतना बड़ा आतंकी हमला हो गया. खैर, इस घटना से जाकिर नाइक के तार जुड़ने का मतलब है कि अगर अब भी जाकिर नाइक को नहीं रोका गया तो आने वाले समय में वो दुनिया के लिए बड़ा खतरा बन सकता है. जाकिर नाइक को ओसामा से कम समझना भी एक भूल ही होगी. ओसामा खुद हमले नहीं करता था, लेकिन अमेरिका जैसे देश में घुसकर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला करवा दिया. उसी तरह जाकिर नाइक भले ही किसी अपराध या आतंकी हमले में शामिल नहीं है, लेकिन वो इन हमलों की एक बड़ी वजह जरूर है.
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