पिछले ही महीने 15 मार्च को न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों में जुमे की नमाज पढ़ने पहुंंचे 50 लोगों को एक आतंकवादी ने अंधाधुंध गोलीबारी करके मौत के घाट उतार दिया था. कुछ उसी तरह रविवार की सुबह श्रीलंका की तीन बड़ी चर्च में ईस्टर के मौके पर जमा हुई ईसाई धर्मावलंबियों ने आतंकियों ने निशाना बनाया है. श्रीलंका में अलग-अलग जगह हुए 8 धमाकों में अब तक 187 लोगों की मौत हो चुकी है और 400 से भी अधिक लोग घायल हैं. दो फिदाईन हमलावरों के भी नाम सामने आए हैं. बताया जा रहा है कि जेहरान हाशिम ने खुद को पांच सितारा होटल शांग-री-ला में खुद को बम से उड़ा लिया, जबकि श्रीलंका के पूर्वी शहर बट्टीकालोआ की चर्च में अबू मोहम्मद ने फिदाइन हमला किया. खूब एजेंसियां हमले के पीछे आतंकी संगठन तौहीद-ए-जमात (नेशनल तौहीत जमात) का हाथ बता रही हैं. हमले की चिंताजनक बात यह है कि न्यूजीलैंड के दूरदराज इलाके की मस्जिद पर दुर्दांत हमला करके आतंकी ने दुनिया में खौफ का पैगाम देने की कोशिश की थी, कुछ-कुछ वैसा संदेश देने के लिए आतंकियों ने रविवार को श्रीलंका की बहुत छोटी ईसाई आबादी के बेगुनाह लोगों काेे चुना.
श्रीलंका में कुल 8 धमाके हुए हैं जिनमें से शुरुआती 6 धमाके तीन चर्च और तीन पांच सितारा होटल में हुए. श्रीलंका सरकार के अनुसार अभी तक ये माना जा रहा है कि इन धमाकों को सुसाइड बॉम्बर ने अंजाम दिया है. शुरुआत में तो इस हमले को देखते हुए एलटीटीई (LTTE) यानी लिट्टे के दोबारा उदय की ओर इशारे हो रहे थे, लेकिन सुसाइड बॉम्बर्स के नाम ने सब कुछ शीशे की तरह साफ कर दिया है. ये साफ हो गया है ये हमला लिट्टे ने नहीं, बल्कि इस्लामिक आतंकी संगठन ने ही किया है.
पिछले ही महीने 15 मार्च को न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों में जुमे की नमाज पढ़ने पहुंंचे 50 लोगों को एक आतंकवादी ने अंधाधुंध गोलीबारी करके मौत के घाट उतार दिया था. कुछ उसी तरह रविवार की सुबह श्रीलंका की तीन बड़ी चर्च में ईस्टर के मौके पर जमा हुई ईसाई धर्मावलंबियों ने आतंकियों ने निशाना बनाया है. श्रीलंका में अलग-अलग जगह हुए 8 धमाकों में अब तक 187 लोगों की मौत हो चुकी है और 400 से भी अधिक लोग घायल हैं. दो फिदाईन हमलावरों के भी नाम सामने आए हैं. बताया जा रहा है कि जेहरान हाशिम ने खुद को पांच सितारा होटल शांग-री-ला में खुद को बम से उड़ा लिया, जबकि श्रीलंका के पूर्वी शहर बट्टीकालोआ की चर्च में अबू मोहम्मद ने फिदाइन हमला किया. खूब एजेंसियां हमले के पीछे आतंकी संगठन तौहीद-ए-जमात (नेशनल तौहीत जमात) का हाथ बता रही हैं. हमले की चिंताजनक बात यह है कि न्यूजीलैंड के दूरदराज इलाके की मस्जिद पर दुर्दांत हमला करके आतंकी ने दुनिया में खौफ का पैगाम देने की कोशिश की थी, कुछ-कुछ वैसा संदेश देने के लिए आतंकियों ने रविवार को श्रीलंका की बहुत छोटी ईसाई आबादी के बेगुनाह लोगों काेे चुना.
श्रीलंका में कुल 8 धमाके हुए हैं जिनमें से शुरुआती 6 धमाके तीन चर्च और तीन पांच सितारा होटल में हुए. श्रीलंका सरकार के अनुसार अभी तक ये माना जा रहा है कि इन धमाकों को सुसाइड बॉम्बर ने अंजाम दिया है. शुरुआत में तो इस हमले को देखते हुए एलटीटीई (LTTE) यानी लिट्टे के दोबारा उदय की ओर इशारे हो रहे थे, लेकिन सुसाइड बॉम्बर्स के नाम ने सब कुछ शीशे की तरह साफ कर दिया है. ये साफ हो गया है ये हमला लिट्टे ने नहीं, बल्कि इस्लामिक आतंकी संगठन ने ही किया है.
हमला करने वाले कौन थे?
ये हमले कोलंबो में सेंट एंथनी चर्च, नौगोंबो में सेंट सेबेस्टियन चर्च और बट्टिकलाओ में एक चर्च में हुए. इसके अलावा पांच सितारा होटल शांग्री-ला, सिनामोन ग्रैंड और किंग्सबरी को भी निशाना बनाया गया. शांग्री-ला होटल में हमला करने वाले सुसाइड बॉम्बर का नाम जहरान हाशिम बताया जा रहा है, जबकि बट्टिकलाओ के चर्च में हमला करने वाले सुसाइड बॉम्बर की पहचान अबु मोहम्मद नाम के शख्स के तौर पर हुई है.
इस्लाम VS ईसाई की है लड़ाई !
श्रीलंका के पूर्व भारतीय अंबेसडर अचल मल्होत्रा के अनुसार- 'ये ग्लोबल आतंकवाद का एक हिस्सा है. तमिल और सिंंहली कम्युनिटी और एलटीटीई के बीच विवाद का इतिहास काफी पुराना है. 2009 में एलटीटीई के खात्मे के साथ यूं लगा कि शांति कायम हो गई. लेकिन अगर मान लें कि लिट्टे फिर से वापस आ रहा है तो वह ईसाईयों को टारगेट क्यों करेगा? श्रीलंका में करीब 8 फीसदी ईसाई हैं, जिनका सिनेला कम्युनिटी या फिर तमिल समुदाय के लोगों के साथ कोई विवाद नहीं दिखता है. इन सीरियल धमाकों से आतंकी पूरी दुनिया को एक मैसेज देना चाहते हैं. ये मैसेज कि उनका नेटवर्क बहुत बड़ा है. वह इससे बड़े हमले भी तक सकते हैं. हाई सिक्योरिटी वाले 3 पांच सितारा होटलों को निशाना बनाने का मतलब है पश्चिमी देशों को चेतावनी देना, क्योंकि यहां इन देशों से बहुत से लोग आते हैं. अचल मल्होत्रा ने इस हमले के संदर्भ में ये भी कहा है कि श्रीलंका का पड़ोसी होने के नाते भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है.
चर्च पर हमला 'मस्जिद' का बदला !
पिछले महीने 15 मार्च को न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में एक मस्जिद पर हमला हुआ था. मस्जिद में एक ब्रिटिश मूल के 28 साल के हमलावर ब्रेंटन टैरेंट ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी, जो ऑस्ट्रेलिया का है. उसमें करीब 50 लोगों की मौत हुई थी. जिस ग्लोबल आतंकवाद की ओर अचल मल्होत्रा ने इशारा किया है, उसी ओर सोशल मीडिया भी इशारा कर रहा है. श्रीलंका में हुए हमले को न्यूजीलैंड के हमले से जोड़कर भी देखा जा रहा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि ये हमला न्यूजीलैंड की मस्जिद पर हुए हमले का बदला है. न्यूजीलैंड में इस्लाम धर्म के लोग बहुत ही कम हैं और वहां इस्लाम धर्म के लोगों की हत्या होने की घटनाएं सामने आती हैं. कुछ वैसा ही श्रीलंका में हो रहा है. यहां ईसाई धर्म के लोग कम हैं और उन पर हमले हो रहे हैं. देखा जाए तो श्रीलंका हमला देखकर ये कहा जा सकता है कि ग्लोबल आतंकवाद के तहत ये न्यूजीलैंड में मस्जिद पर हुए हमले का बदला है.
तौहीद-ए-जमात तो नहीं इसके पीछे?
रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी की मानें तो इसके पीछे आतंकी संगठन तौहीद-ए-जमात (नेशनल तौहीत जमात) का हाथ हो सकता है. उन्होंने एक ट्वीट करते हुए लिखा है- 'श्रीलंका में हुए आतंकी हमले ने एक इस्लामिक आतंकी संगठन तौहीद-ए-जमात पर रोशनी डाली है. विदेशी इंटेलिजेंस ने श्रीलंका को पहले ही चेतावनी दी थी कि ये संगठन मुख्य चर्चों और भारतीय दूतावास पर हमले की योजना बना रहा है.' ऐसे में हो सकता है कि ये हमला तौहीद-ए-जमात ने किया हो. आपको बता दें कि करीब 10 दिन पहले ही श्रीलंका को चेतावनी दे दी गई थी.
हमले ने दिल दहला दिया
स्थानीय समय के अनुसार ये हमला सुबह करीब 8.45 बजे हुआ. एक के बाद एक तीन चर्च और तीन पांच सितारा होटल में बम धमाके हुए, जिनमें करीब 35 विदेशी पर्यटकों की भी जान गई है. इस हमले में बहुत अधिक लोगों के मरने की वजह ये है कि आज ईसाई धर्म के लोगों का त्योहार है- ईस्टर. इसकी वजह से चर्च में बहुत भारी संख्या में लोग जमा थे, वहीं ईस्टर के मौके पर ही पर्यटक भी पहुंचे हुए थे. आतंकियों ने जानबूझ कर ईस्टर के दिन को चुना, ताकि अधिक से अधिक लोगों को मौत के घाट उतारा जा सके.
सोशल मीडिया क्या बोल रहा है?
जहां एक ओर पूर्व अंबेसडर ने श्रीलंका हमले को लेकर इस्लाम और ईसाई धर्म की लड़ाई और लिट्टे के उदय की ओर इशारा किया, वहीं सोशल मीडिया ने पाकिस्तान को निशाने पर ले लिया है. एक-दो नहीं, बल्कि सैकड़ों ट्वीट हैं, जिनका मानना है कि ये हमला पाकिस्तान ने कराया है. उनका तर्क है कि आईएसआई के इशारे पर लश्कर-ए-तैय्यबा और जैश-ए-मोहम्मद ने श्रीलंका में ये आतंकी हमला किया है.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ सोशल मीडिया पर ही इस हमले को आईएसआई प्रायोजित बताया जा रहा है. एक न्यूज वेबसाइट लेटेस्टली ने भी लिखा है कि इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले के पीछे आईएसआई का हाथ है. हालांकि ये नहीं बताया गया है कि ये रिपोर्ट किसकी है. इस सभी कयासों के बीच अभी तक किसी भी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. लेकिन एक बात तो साफ है, अगर किसी पाकिस्तानी आतंकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी ले ली तो आईएसआई और पाकिस्तान की नाक में दम होना लाजमी है. पुलवामा हमले को लेकर पहले ही पाकिस्तान पूरी दुनिया में अलग-थलग हुआ पड़ा है और अगर अब ये हमला भी किसी पाकिस्तानी आतंकी संगठन ने अपने सिर ले लिया तो फिर दुनियाभर के देशों के प्रतिनिधि इमरान खान का जीना मुश्किल जरूर कर देंगे.
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