2020 से लेकर अब तक इस पूरे कोरोना काल में अगर बीमारी के अलावा कोई और चीज सुर्खियों में रही तो वो एक्टर सोनू सूद थे. चाहे वो प्रवासी मजदूरों को घर भेजने की मुहीम हो या फिर बीमारों का इलाज कराना, बेरोजगारों को रोजगार देना कोविड के इस दौर में सोनू किसी सुपर हीरो की तरह सामने आए और वो कर दिखाया जो देश के नेताओं के लिए नजीर बन गया. जिस तरह सोनू ने काम किया तमाम तरह के कयास लगाए गए और कहा गया कि सोनू ये सभी गतिविधियां राजनीति में आने के लिए कर रहे हैं. ध्यान रहे यर सब कयास थे मगर अब जबकि सोनू ने न केवल नेताओं के इस्तीफे पर बात की है बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की है इस बात की तस्दीख ख़ुद ब खुद हो जाती है कि कल यदि हम सोनू को खादी में देख लें तो हमें हैरत नहीं होनी चाहिए.
ज्ञात हो कि आम आदमी पार्टी पंजाब के लिए बहुत गंभीर है और साथ ही उसे सीएम के चेहरे की भी तलाश है. दरअसल सोनू ने नेताओं द्वारा जारी किए जाने वाले मेनिफेस्टो के मद्देनजर मन की बात की है और इस बात को प्रमुखता से बल दिया है कि अगर मेनिफेस्टो में किए वादे पूरे न हो पाएं तो नेताओं को इस्तीफा दे देना चाहिए.
सोनू का ये बयान देना भर था. अटकलें लगनी शुरू हो गईं है कि जल्द ही हम सोनू की पॉलिटिक्स में एंट्री देखेंगे. माना ये भी जा रहा है वर्तमान परिदृश्य में जो सोनू का कद है उसका भरपूर फायदा आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल उठाएंगे और हो ये भी सकता है कि केजरीवाल, सोनू को पंजाब में मुख्यमंत्री का चेहरा भी बना सकते हैं.
वैसे सोनू के मामले में दिलचस्प ये भी है कि वो समय समय पर ये घोषणा करते रहे हैं कि वो राजनीति में नहीं आएंगे. ऐसे में अब जबकि...
2020 से लेकर अब तक इस पूरे कोरोना काल में अगर बीमारी के अलावा कोई और चीज सुर्खियों में रही तो वो एक्टर सोनू सूद थे. चाहे वो प्रवासी मजदूरों को घर भेजने की मुहीम हो या फिर बीमारों का इलाज कराना, बेरोजगारों को रोजगार देना कोविड के इस दौर में सोनू किसी सुपर हीरो की तरह सामने आए और वो कर दिखाया जो देश के नेताओं के लिए नजीर बन गया. जिस तरह सोनू ने काम किया तमाम तरह के कयास लगाए गए और कहा गया कि सोनू ये सभी गतिविधियां राजनीति में आने के लिए कर रहे हैं. ध्यान रहे यर सब कयास थे मगर अब जबकि सोनू ने न केवल नेताओं के इस्तीफे पर बात की है बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की है इस बात की तस्दीख ख़ुद ब खुद हो जाती है कि कल यदि हम सोनू को खादी में देख लें तो हमें हैरत नहीं होनी चाहिए.
ज्ञात हो कि आम आदमी पार्टी पंजाब के लिए बहुत गंभीर है और साथ ही उसे सीएम के चेहरे की भी तलाश है. दरअसल सोनू ने नेताओं द्वारा जारी किए जाने वाले मेनिफेस्टो के मद्देनजर मन की बात की है और इस बात को प्रमुखता से बल दिया है कि अगर मेनिफेस्टो में किए वादे पूरे न हो पाएं तो नेताओं को इस्तीफा दे देना चाहिए.
सोनू का ये बयान देना भर था. अटकलें लगनी शुरू हो गईं है कि जल्द ही हम सोनू की पॉलिटिक्स में एंट्री देखेंगे. माना ये भी जा रहा है वर्तमान परिदृश्य में जो सोनू का कद है उसका भरपूर फायदा आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल उठाएंगे और हो ये भी सकता है कि केजरीवाल, सोनू को पंजाब में मुख्यमंत्री का चेहरा भी बना सकते हैं.
वैसे सोनू के मामले में दिलचस्प ये भी है कि वो समय समय पर ये घोषणा करते रहे हैं कि वो राजनीति में नहीं आएंगे. ऐसे में अब जबकि सोनू ने मेनिफेस्टो को लेकर राय दी और साथ ही केजरीवाल से मुलाकात की है. इतना तो पक्का है कि सोनू ने भविष्य के लिए बड़ी प्लानिंग की है और मेनिफेस्टो को लेकर बयान उसी की बानगी भर है.
गौरतलब है कि अभी बीते दिनों ही सोनू ने एक बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं कुछ फीलिंग शेयर करना चाहता हूं. मैं बहुत से वीडियो देख रहा था कि बहुत सारे नेता, सरकार और राज्य के लोग मेनिफेस्टो शेयर करते हैं. वो कहते हैं कि अगर हमारी सरकार आए तो हम लोगों को ये चीजे देंगे. उसमें फ्री भी होता है. मुझे लगता है कि जब भी यह मेनिफेस्टो आते हैं तो आम लोगों के साथ एग्रीमेंट होना चाहिए.
सोनू का मानना है कि नेताओं को आम लोगों को एग्रीमेंट की कॉपी देनी चाहिए कि इस टाइम लिमिट में मैं यह काम करूंगा. अगर मैं काम नहीं कर सका तो इस्तीफा भी होना चाहिए कि अगर मैं डिलीवर नहीं कर सका तो कुर्सी छोड़ दूंगा. सोनू ने ये भी कहा कि हर गली-शहर में जहां भी लोग मेनिफेस्टो दें, वहां लोगों को एग्रीमेंट और इस्तीफा भी देना चाहिए. इसकी एक टाइम लिमिट फिक्स होनी चाहिए.
अक्सर हम देखते हैं कि नेता कहते हैं कि पिछली सरकार कैसे फेल हुई. लोगों से बेहतर कोई नहीं जानता कि कौन से वादे पूरे नहीं हुए. वहां की क्या समस्या है. हमें यह संदेश देना चाहिए कि अगर मैं आया तो मैं क्या बदलाव दूंगा. नेता वो होने चाहिए, जिसे कुर्सी की भूख न हो.
इन बातों के अलावा सोनू ने ये भी कहा कि जब भी नेता शपथ ले तो उन्हें अपनी जेब में इस्तीफा भी रखना चाहिए. नेताओं को इस बात का वादा करना चाहिए कि अगर मैं काम नहीं कर पाया तो यह इस्तीफा भी रखा हुआ है. अपने बयान में सोनू ने इस मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाया कि मैंने भी बचपन से मेनिफेस्टो सुने हैं, लेकिन अब वक्त आ गया है कि हमारे पास मेनिफेस्टो से पहले उनके एग्रीमेंट और इस्तीफे की कॉपी हो. लोग कह सकें कि नेता फेल है या पास.
जिस जोश और जुनून से सोनू ने अपनी बातें कहीं हैं ये कुछ कुछ वैसी ही हैं जैसी केजरीवाल तब कहा करते थे जब उन्होंने राजनीति में अपने कैरियर की शुरुआत की थी. यदि हम उस दौर को याद करें तो मिलता ये भी है कि तब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी खूब बतकही की थी और एक नयी तरह की राजनीति की बात की थी फिर जैसे जैसे दिन बीते केजरीवाल भी किसी आम नेता की तरह हो गए.
जिक्र क्योंकि इस पूरे कोरोना काल में किसी हीरो की तरह उभरे सोनू सूद और मेनिफेस्टो के मद्देनजर उनके द्वारा कही बातों का हुआ है तो हम भी बस यही कहेंगे कि सोनू सूद की बात से सौ फीसदी सहमति- वादे पूरे नहीं तो इस्तीफा दें नेता. लेकिन सवाल फिर वही है कि क्या सोनू नेता बनेगे और यदि वो आम आदमी पार्टी में जाते हैं तो क्या अरविंद केजरीवाल उन्हें पंजाब जैसे सूबे की कमान सौपेंगे? सवाल कई हैं जिनके जवाबों के लिए हमें वक़्त को वक़्त देना चाहिए.
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