आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को एडमिशन और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मुहर लगा दी है. केंद्र सरकार द्वारा किए गए 103वें संविधान संशोधन की वैधता पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 3:2 के बहुमत से फैसला किया. सुप्रीम कोर्ट के तीन जस्टिस ने माना कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण देना संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं है. वहीं, सीजेआई यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट ने इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ माना है. बता दें कि भारत में फिलहाल आरक्षण की सीमा 49.5 फीसदी थी. जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग को 27, अनुसूचित जाति को 15 और अनुसूचित जनजाति को 7.5 फीसदी को मिलता है. वहीं, अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण के साथ यह सीमा 59.5 फीसदी पहुंच गई है.
वैसे, 50 फीसदी की आरक्षण सीमा पहले भी कई राज्यों द्वारा तोड़ी जाती रही है. तमिलनाडु में 1993 के आरक्षण अधिनियम के अनुसार, शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन और राज्य सरकार की नौकरियों में 69 फीसदी आरक्षण दिया जाता है. वहीं, जनवरी 2000 में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल ने अनुसूचित इलाकों में स्कूल शिक्षकों की भर्ती के लिए अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को 100 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया था. हालांकि, न्यायालय में इसे असंवैधानिक करार दिया गया था. आइए जानते हैं वर्तमान में राज्यों में आरक्षण की क्या स्थिति है?
राज्यों में क्या है आरक्षण की स्थिति?
हरियाणा और बिहार में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण के साथ 60 फीसदी की आरक्षण सीमा है. तेलंगाना में फिलहाल 50 फीसदी की आरक्षण सीमा है. जिसमें हाल ही में बदलाव करते...
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को एडमिशन और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मुहर लगा दी है. केंद्र सरकार द्वारा किए गए 103वें संविधान संशोधन की वैधता पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 3:2 के बहुमत से फैसला किया. सुप्रीम कोर्ट के तीन जस्टिस ने माना कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण देना संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं है. वहीं, सीजेआई यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट ने इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ माना है. बता दें कि भारत में फिलहाल आरक्षण की सीमा 49.5 फीसदी थी. जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग को 27, अनुसूचित जाति को 15 और अनुसूचित जनजाति को 7.5 फीसदी को मिलता है. वहीं, अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण के साथ यह सीमा 59.5 फीसदी पहुंच गई है.
वैसे, 50 फीसदी की आरक्षण सीमा पहले भी कई राज्यों द्वारा तोड़ी जाती रही है. तमिलनाडु में 1993 के आरक्षण अधिनियम के अनुसार, शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन और राज्य सरकार की नौकरियों में 69 फीसदी आरक्षण दिया जाता है. वहीं, जनवरी 2000 में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल ने अनुसूचित इलाकों में स्कूल शिक्षकों की भर्ती के लिए अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को 100 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया था. हालांकि, न्यायालय में इसे असंवैधानिक करार दिया गया था. आइए जानते हैं वर्तमान में राज्यों में आरक्षण की क्या स्थिति है?
राज्यों में क्या है आरक्षण की स्थिति?
हरियाणा और बिहार में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण के साथ 60 फीसदी की आरक्षण सीमा है. तेलंगाना में फिलहाल 50 फीसदी की आरक्षण सीमा है. जिसमें हाल ही में बदलाव करते हुए अनुसूचित जनजाति को मिलने वाले 6 फीसदी आरक्षण को बढ़ाकर 10 फीसदी करने की घोषणा की है. इसस पहले 2017 में तेलंगाना सरकार ने मुस्लिमों को मिलने वाले आरक्षण को 4 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी और एसटी को मिलने वाले 6 फीसदी आरक्षण को बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया था. जिससे 50 फीसदी की आरक्षण सीमा पार हो गई थी.
गुजरात में EWS को मिलाकर 59 फीसदी आरक्षण है. वहीं, केरल में सरकारी नौकरियों में आरक्षण सीमा 60 फीसदी है. तमिलनाडु में 69 फीसदी आरक्षण है. जिसमें 18 फीसदी अनुसूचित जाति, एक फीसदी अनुसूचित जनजाति, 20 फीसदी अति पिछड़ा वर्ग और 30 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग को दिया जाता है. अन्य पिछड़ा वर्ग में अल्पसंख्यक समुदायों को भी आरक्षण दिया जाता है. इसमें 3.5 फीसदी आरक्षण मुस्लिमों के लिए है. छत्तीसगढ़ में सरकार ने ओबीसी कोटा को बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया है. इसके चलते आरक्षण की सीमा 82 फीसदी पहुंच गई है. जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का आरक्षण भी जुड़ा है. हालांकि, बिलासपुर हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक माना है.
2019 में मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य सरकार की नौकरियों में आरक्षण की सीमा को 73 फीसदी तक पहुंचा दिया था. इसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का आरक्षण भी शामिल था. हालांकि, हाईकोर्ट ने इस पर भी रोक लगा दी थी. बीते महीने ही झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने प्रस्ताव पास किया है कि अनुसूचित जाति को 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 28 प्रतिशत, ओबीसी एनेक्स्चर-1 को 15 , ओबीसी एनेक्स्चर-2 को 12 प्रतिशत और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. जिसके बाद सामान्य वर्ग के लिए 23 प्रतिशत सीटें बची हैं.
राजस्थान में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण के साथ 5 फीसदी आरक्षण अति पिछड़े वर्ग को दिया जाता है. जिसके चलते आरक्षण की सीमा 64 फीसदी है. राज्य सरकार ने गुर्जरों को 'विशेष पिछड़ा वर्ग' के तौर पर 5 फीसदी आरक्षण देने के लिए तीन बार कोशिश की है. लेकिन, राजस्थान हाईकोर्ट ने हर बार इस पर रोक लगा दी. 2001 के राज्य आरक्षण अधिनियम के अनुसार, महाराष्ट्र में कुल आरक्षण 52 फीसदी है. 2014 में महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को आर्थिक और शैक्षणिक स्तर पर पिछड़ा घोषित करते हुए 18 फीसदी आरक्षण दिया था. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इस आरक्षण पर रोक लगा दी थी.
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