'जब कोई मर जाता है, तो उसके साथ जीने की उम्मीद भी मर जाती है.'...फिल्म दिल बेचारा में दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत द्वारा बोला गया ये डायलॉग आज भी कानों में गूंज रहा है. कितनी अजीब बात है कि किसी के जन्मदिन पर उसके मौत की बात की जा रही है. उसके जन्मदिन का जश्न मनाने की बजाए, उसके लिए इंसाफ की मांग की जा रही हो. दुखद है, लेकिन ये कड़वा सच है. सुशांत के परिजन और फैंस आज उनके लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. उनकी रहस्यमयी मौत की गुत्थी सुलझाने की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन सियासत में मशगूल सरकार के कानों तले अब जूं नहीं रेंग रहा. इस केस से जितना फायदा उठाया जाना था, उठा लिया गया है. हालफिलहाल न कहीं चुनाव है, न ही सरकार गिराए या बनाए जाने की योजना.
पुलिस ने कहा कि ये खुदकुशी है, लेकिन सुशांत के परिजन और फैंस इस बात को मानने को तैयार न थे. यह केस धीरे-धीरे आत्महत्या और हत्या के बीच झूलने लगा. आत्महत्या की थ्योरी...
'जब कोई मर जाता है, तो उसके साथ जीने की उम्मीद भी मर जाती है.'...फिल्म दिल बेचारा में दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत द्वारा बोला गया ये डायलॉग आज भी कानों में गूंज रहा है. कितनी अजीब बात है कि किसी के जन्मदिन पर उसके मौत की बात की जा रही है. उसके जन्मदिन का जश्न मनाने की बजाए, उसके लिए इंसाफ की मांग की जा रही हो. दुखद है, लेकिन ये कड़वा सच है. सुशांत के परिजन और फैंस आज उनके लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. उनकी रहस्यमयी मौत की गुत्थी सुलझाने की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन सियासत में मशगूल सरकार के कानों तले अब जूं नहीं रेंग रहा. इस केस से जितना फायदा उठाया जाना था, उठा लिया गया है. हालफिलहाल न कहीं चुनाव है, न ही सरकार गिराए या बनाए जाने की योजना.
पुलिस ने कहा कि ये खुदकुशी है, लेकिन सुशांत के परिजन और फैंस इस बात को मानने को तैयार न थे. यह केस धीरे-धीरे आत्महत्या और हत्या के बीच झूलने लगा. आत्महत्या की थ्योरी बताने वालों का कहना था कि मुंबई के बांद्रा स्थित अपने घर पर मौत को गले लगाने से पहले सुशांत हमेशा की तरह शांत थे. सुबह उठने के बाद करीब नौ बजे जूस लिया और अपने बेडरूम में चले गए. काफी इंतजार के बाद बेचैन दोस्तों और नौकरों ने दरवाजा खटखटाया तो नहीं खुला. किसी अनहोनी की आशंका में डुप्लीकेट चाबी बनाने वाले को बुलाया गया. दरवाजा खुलते ही सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं. बेहद जिंदादिल, यारबाजी के लिए मशहूर सुशांत सिंह राजपूत फांसी के फंदे पर लटके मिले. बस फिर क्या था हाहाकार मच गया.
सुशांत की खुदकुशी के पीछे कई कारण दिए गए. कहा गया कि वह मानसिक रूप से परेशान थे. डिप्रेशन में थे. इलाज करा रहे थे. ड्रग्स लेते थे. नशे की इसी लत ने उनकी शारीरिक और मानसिक हालत खराब कर दी थी. उन्होंने लोगों से मिलना-जुलना और बातचीत तक बंद कर दिया था. यहां तक अपने पिता और परिवार से भी दूर हो गए थे. नशे और डिप्रेशन की वजह से उन्होंने फांसी के फंदे पर लटककर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. मुंबई पुलिस ने भी अपने जांच के दौरान सुसाइड थ्योरी को ही असली आधार बनाया. लेकिन सुशांत सिंह राजपूत के परिजनों और फैंस के गले ये थ्योरी नहीं उतर रही थी. उनका मानना था कि ऐसा जिंदादिल इंसान कभी भी खुदकुशी नहीं कर सकता है.
सुशांत के फैंस का आरोप था कि उनकी सुनियोजित हत्या की गई है. बॉलीवुड में नेपोटिज्म हावी है, जिसका सुशांत शिकार बन गए. एक्ट्रेस कंगना रनौत ने आरोप लगाया गया कि बॉलीवुड में बड़े निर्माता-निर्देशक अपने रिश्तेदारों को ही अवसर देते हैं. इसकी वजह से सुशांत के हाथ से कई बड़े मौके चले गए. इसकी वजह से अवसाद में थे. इसी वजह से उनकी जान चली गई. मुंबई पुलिस ने इस बाबत भी जांच की और निर्देशक महेश भट्ट, संजय लीला भंसाली, करण जौहर और आदित्य चोपड़ा समेत 40 लोगों के बयान दर्ज किए. इसी बीच 25 जुलाई 2020 को सुशांत के पिता केके सिंह ने एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती और उसके परिजनों के खिलाफ पटना में केस दर्ज कराकर पूरे मामले को एक नई दिशा दे दी.
रिया चक्रवर्ती के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद बिहार पुलिस की एक टीम मुंबई रवाना हो गई. 29 जुलाई को रिया ने सुप्रीम कोर्ट से पटना से मुंबई केस के ट्रांसफर की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. मुंबई पहुंची बिहार पुलिस को जांच में स्थानीय पुलिस का सहयोग नहीं मिला. यहां तक की 2 अगस्त को मुंबई पहुंचे बिहार के आईपीएस अधिकारी विनय तिवारी को 14 दिनों के लिए जबरन क्वारनटाइन कर लिया गया. इसे लेकर पूरे देश में हंगामा हुआ. इसके बाद सीबीआई जांच की मांग ने तेजी पकड़ ली. बिहार सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी. 6 अगस्त को सीबीआई ने इस मामले में FIR दर्ज कर ली. इसके बाद 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने पटना एफआईआर को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया. 20 अगस्त से सीबीआई ने अपनी जांच शुरू कर दी. उसकी एक टीम मुंबई पहुंच गई. 22 अगस्त को सीबीआई ने एम्स की फॉरेंसिक टीम से इस केस की जांच में मदद मांगी.
हत्या और आत्महत्या के बीच मौत की गुत्थी
सुशांत केस में सीबीआई के साथ ही ईडी और एनसीबी भी एक्टिव हो गई. ईडी ने इस केस में ड्रग संबंधी कई खुलासे किए. एनसीबी (नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो) की जांच में सैमुअल मिरांडा और शौविक चक्रवर्ती को हिरासत में लिया गया. इसके बाद 8 सितंबर को ड्रग मामले में रिया चक्रवर्ती को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया. 16 सितंबर को महाराष्ट्र SHRC ने मुंबई पुलिस और कूपर अस्पताल को रिया चक्रवर्ती के मुर्दाघर में प्रवेश के मामले पर क्लीन चिट दे दी. उधर, 3 अक्टूबर को एम्स ने भी मर्डर थ्योरी को खारिज कर दिया. हालांकि, इस मामले में आजतक सीबीआई की तरफ से कोई भी फाइनल रिपोर्ट नहीं दी गई है. कहा जा रहा है कि सीबीआई अपनी जांच के आखिरी पड़ाव पर पहुंच गई है और जल्द ही सुशांत की मौत के असली कारण का खुलासा कर सकती हैं. यानी आज भी सुशांत की मौत की गुत्थी अनसुलझी है, जो हत्या और आत्महत्या के बीच झूल रही है.
बिहार चुनाव में सुशांत केस को भुनाया
सुशांत सिंह राजपूत बिहार का बेटा है. उसके साथ अन्याय नहीं होगा. हम उसे इंसाफ दिलाएंगे...उनदिनों बिहार के तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे को टेलीविजन पर चीख-चीख कर ऐसा कहते हुए सुना जा सकता था. इस मामले में बिहार सरकार और पुलिस जिस तरह एक्टिव हुई, उससे लगा कि ये बिहार की अस्मिता का सवाल है. हालांकि दबेजुबान लोग तभी ये कहने लगे थे कि ये सबकुछ बिहार चुनाव के मद्देनजर किया जा रहा है. राजपूत लॉबी को अट्रैक्ट करने के लिए ही बिहार में इस मुद्दे को इतना बड़ा बनाया जा रहा है. उस वक्त जो लोग सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे उसको कोई न कोई नेता ही लीड कर रहा था. आम आदमी दुखी था, लेकिन इतना पागल नहीं था. चुनाव की वजह से इसे इतना बड़ा मुद्दा बनाया गया. इस वक्त बिहार का कोई नेता इस बारे में बात नहीं कर रहा और ना कोई संगठन उनके लिए सड़क पर लड़ रहा है. हां, सुशांत के फैंस आज भी न्याय की मांग कर रहे हैं.
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