बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी या तो अति उत्साह में हैं या फिर जमीनी हकीकत को उन्होंने देखा नही है. तभी तो वो कहते हैं कि बिहार में शत-प्रतिशत घरों में शौचालय का निर्माण कर सभी पंचायतों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है. साथ में वो ये भी कहते हैं कि शौचालय निर्माण एक सतत प्रक्रिया है, जो इक्के-दुक्के छूट गए होंगे या बाढ़ या अन्य कारणों से क्षतिग्रस्त हो गए होंगे उनके शौचालयों को 'कोई पीछे छूट न जाए' अभियान के तहत सरकार द्वारा उनका दुबारा निर्माण कराया जाएगा.
यानी सुशील कुमार मोदी को यह मालूम है कि पूरी तरह से ओडीएफ (ODF) का मामला नही हैं. क्योंकि वो ये कह रहे हैं कि इक्के-दुक्के छूट गए होंगे. लेकिन अगर जमीनी हकीकत पर नजर डाली जाए तो बिहार में अधिकतर गांवों में शौचालय का शत प्रतिशत निर्माण नहीं हुआ है. शौचालय बनाने के लिए मिलने वाली राशि का बंदरबांट जरूर हुआ है. या फिर पहले से बने शौचालय का फोटो दिखाकर पैसे का लेन देन खूब हुआ है.
उपमुख्यमंत्री को चाहिए कि गांव में जाकर इसका सर्वे करा लें. अधिकतर लोगों ने ब्लाक के अधिकारी और पंचायत के मुखिया से मिलकर एक ही शौचालय का फोटो बार-बार दिखाकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया है. लेकिन सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि बिहार में शत प्रतिशत घरों में शौचालय का निर्माण कर सभी पंचायतों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है.
बिहार में शौचालय निर्माण की क्या स्थिति है इसका पता पूर्वी चम्पारण जिले के सुगौली ब्लॉक का जायजा लेने से लग सकता है. ब्लॉक की आबादी करीब 2 लाख है अगर एक परिवार में पांच सदस्य होते हैं तो परिवारों की संख्या हुई 40 हजार. लेकिन सरकारी आकडों के मुताबिक अभी तक लगभग 22 हजार शौचालय का...
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी या तो अति उत्साह में हैं या फिर जमीनी हकीकत को उन्होंने देखा नही है. तभी तो वो कहते हैं कि बिहार में शत-प्रतिशत घरों में शौचालय का निर्माण कर सभी पंचायतों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है. साथ में वो ये भी कहते हैं कि शौचालय निर्माण एक सतत प्रक्रिया है, जो इक्के-दुक्के छूट गए होंगे या बाढ़ या अन्य कारणों से क्षतिग्रस्त हो गए होंगे उनके शौचालयों को 'कोई पीछे छूट न जाए' अभियान के तहत सरकार द्वारा उनका दुबारा निर्माण कराया जाएगा.
यानी सुशील कुमार मोदी को यह मालूम है कि पूरी तरह से ओडीएफ (ODF) का मामला नही हैं. क्योंकि वो ये कह रहे हैं कि इक्के-दुक्के छूट गए होंगे. लेकिन अगर जमीनी हकीकत पर नजर डाली जाए तो बिहार में अधिकतर गांवों में शौचालय का शत प्रतिशत निर्माण नहीं हुआ है. शौचालय बनाने के लिए मिलने वाली राशि का बंदरबांट जरूर हुआ है. या फिर पहले से बने शौचालय का फोटो दिखाकर पैसे का लेन देन खूब हुआ है.
उपमुख्यमंत्री को चाहिए कि गांव में जाकर इसका सर्वे करा लें. अधिकतर लोगों ने ब्लाक के अधिकारी और पंचायत के मुखिया से मिलकर एक ही शौचालय का फोटो बार-बार दिखाकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया है. लेकिन सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि बिहार में शत प्रतिशत घरों में शौचालय का निर्माण कर सभी पंचायतों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है.
बिहार में शौचालय निर्माण की क्या स्थिति है इसका पता पूर्वी चम्पारण जिले के सुगौली ब्लॉक का जायजा लेने से लग सकता है. ब्लॉक की आबादी करीब 2 लाख है अगर एक परिवार में पांच सदस्य होते हैं तो परिवारों की संख्या हुई 40 हजार. लेकिन सरकारी आकडों के मुताबिक अभी तक लगभग 22 हजार शौचालय का निर्माण हुआ है. ब्लॉक के अधिकारियों के मुताबिक इसमें से करीब 12 हजार लोगों को शौचालय निर्माण के लिए पैसे का भुगतान कर दिया गया है. लेकिन जिन 12 हजार शौचालय के निर्माण के एवज में पैसों का भुगतान हुआ है उनमें फर्जी रूप से निर्माण दिखाकर पैसे लेने का मामला भी कम नहीं है. सरकार अगर जांच करवाएगी तो सब सामने आ जायेगा.
सुगौली बिहार का सबसे पिछडा ब्लॉक है और उस ब्लॉक से सबसे पिछडे पंचायत बगही चैनपुर की बात करें तो इस पंचायत के गांवों में शायद कुछ ही दर्जन लोगों ने इस योजना के तहत शौचालय का निर्माण कराया होगा. अधिकतर ने अपने घर में पहले से ही बने शौचालय पर ही पैसा ले लिया है. उन्हीं बने शौचालयों का फोटो दिखाकर बाकियों ने भी पैसा लिया. ये केवल बिहार के एक ब्लॉक सुगौली की कहानी नहीं है बल्कि हर जगह से ये किस्से निकलकर आ रहे हैं. लेकिन सरकार अपने अधिकारियों के आकडों पर भरोसा कर अपनी किरकिरी करवा रही है.
विश्व शौचलय दिवस के मौके पर ग्रामीण विकास विभाग की तरफ से पटना में आयोजित बिहार स्वच्छता संकल्प -2019 समारोह में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि 'दुनिया में सबसे बड़े अभियान के तहत 60 महीने में 60 करोड़ आबादी के लिए 11 करोड से अधिक शौचालय का निर्माण कर पूरे देश को खुले में शौच से मुक्त किया गया है. और इसी प्रेरणा के तहत बिहार में 1.13 करोड शौचालय का निर्माण कर बिहार ने भी इस अभियान को सफल बनाने में बडी भूमिका निभाई है.' अब कितनी बड़ी भूमिका बिहार ने निभाई है इसका अनुभव किया जा सकता है. शौचालय निर्माण के लिए सरकार 12 हजार रूपये देती है और वो भी शौचालय बनने के बाद लेकिन अधिकारियों और पंचायत के मुखिया की मिलीभगत से बिना शौचालय बने ही आंकड़े दर आंकड़े दिखाये जा रहे हैं.
ये सही है कि इस अभियान से पहले बिहार में केवल 25.9 प्रतिशत ही शौचालय बने थे लेकिन अभियान के बाद इसमें बढोतरी हुई है अब सड़कों के किनारे पहले जैसे नजारे नहीं दिखते लेकिन फिर भी बिहार अभी अपने शत प्रतिशत लक्ष्य से कोसों दूर है. और ये बात सरकार भी जानती है. फिर भी अपने बड़बोलपन से बाज नहीं आती.
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