बात अभी कुछ दिन पहले की है. इंटरनेशनल कोर्ट और जस्टिस में कुलभूषण जाधव को लेकर सुनवाई चल रही थी. भारत की तरफ से केस की पैरवी हरीश साल्वे कर रहे थे. वहीं पाकिस्तान ने अपना पक्ष रखने के लिए यूके के बैरिस्टर खावर कुरैशी को नियुक्त किया था. केस में फैसला भारत के हक में हुआ था. केस कुलभूषण जाधव के आलवा एक अन्य कारण से भी चर्चा में था. कारण था दोनों ही वकीलों की फीस. भारतीय वकील हरीश साल्वे ने जहां फीस के रूप में सिर्फ 1 रुपए की डिमांड की थी. तो वहीं पाकिस्तान के वकील ने इतने पैसे मांग लिए थे कि उसका सीधा असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ा था. केस लड़ने के लिए पाकिस्तान ने खावर कुरैशी को 20 करोड़ रुपए दिया था. खावर को अदालत में बस इतना साबित करना था कि कुलभूषण जासूस है जिसने पाकिस्तान में घुसपैठ इसलिए की थी ताकि वो महत्वपूर्ण जानकारियां भारत के हवाले कर सके.
ये तमाम बातें जुलाई 2019 जुलाई की हैं. सवाल होगा कि इनपर चर्चा हम आज क्यों कर रहे हैं? जवाब है पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज. सुषमा स्वराज की मृत्यु के बाद हरीश साल्वे निकल कर सामने आए हैं और मृत्यु से चंद घंटे पहले की कुछ ऐसी बातें शेयर की हैं जो ये बताती हैं कि मौत आने से पहले तक सुषमा केवल और केवल देश के बारे में सोच रहीं थीं. अपनी मौत से तकरीबन एक घंटा पहले सुषमा ने हरीश साल्वे से कहा था कि वो आएं उनसे मिलें और अपनी फीस का 1 रुपए ले जाएं.
सुषमा की मौत से पहले की ये जानकारी खुद हरीश साल्वे ने दी है. हरीश के अनुसार उन्होंने बीती रात करीब 8.50 पर सुषमा से बात की थी और उस समय उन दोनों के बीच जो संवाद हुआ था वो एक बेहद ही इमोशनल संवाद था. हरीश के अनुसार सुषमा ने उनसे उनके पास आने और...
बात अभी कुछ दिन पहले की है. इंटरनेशनल कोर्ट और जस्टिस में कुलभूषण जाधव को लेकर सुनवाई चल रही थी. भारत की तरफ से केस की पैरवी हरीश साल्वे कर रहे थे. वहीं पाकिस्तान ने अपना पक्ष रखने के लिए यूके के बैरिस्टर खावर कुरैशी को नियुक्त किया था. केस में फैसला भारत के हक में हुआ था. केस कुलभूषण जाधव के आलवा एक अन्य कारण से भी चर्चा में था. कारण था दोनों ही वकीलों की फीस. भारतीय वकील हरीश साल्वे ने जहां फीस के रूप में सिर्फ 1 रुपए की डिमांड की थी. तो वहीं पाकिस्तान के वकील ने इतने पैसे मांग लिए थे कि उसका सीधा असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ा था. केस लड़ने के लिए पाकिस्तान ने खावर कुरैशी को 20 करोड़ रुपए दिया था. खावर को अदालत में बस इतना साबित करना था कि कुलभूषण जासूस है जिसने पाकिस्तान में घुसपैठ इसलिए की थी ताकि वो महत्वपूर्ण जानकारियां भारत के हवाले कर सके.
ये तमाम बातें जुलाई 2019 जुलाई की हैं. सवाल होगा कि इनपर चर्चा हम आज क्यों कर रहे हैं? जवाब है पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज. सुषमा स्वराज की मृत्यु के बाद हरीश साल्वे निकल कर सामने आए हैं और मृत्यु से चंद घंटे पहले की कुछ ऐसी बातें शेयर की हैं जो ये बताती हैं कि मौत आने से पहले तक सुषमा केवल और केवल देश के बारे में सोच रहीं थीं. अपनी मौत से तकरीबन एक घंटा पहले सुषमा ने हरीश साल्वे से कहा था कि वो आएं उनसे मिलें और अपनी फीस का 1 रुपए ले जाएं.
सुषमा की मौत से पहले की ये जानकारी खुद हरीश साल्वे ने दी है. हरीश के अनुसार उन्होंने बीती रात करीब 8.50 पर सुषमा से बात की थी और उस समय उन दोनों के बीच जो संवाद हुआ था वो एक बेहद ही इमोशनल संवाद था. हरीश के अनुसार सुषमा ने उनसे उनके पास आने और केस की जीत पर एक रुपए की फीस लेने की बात की थी. इसपर हरीश साल्वे ने भी उनसे वादा किया था कि वो उनसे मिलने आएंगे.
गौरतलब है कि कुलभूषण जाधव के लिए जब बतौर फीस हरीश साल्वे ने एक रुपए मांगे थे तब उनके इस फैसले की खूब तारीफ हुई. साथ ही इस पूरे केस में जिस हिसाब से सुषमा स्वराज ने निर्णायक भूमिका निभाई उसके लिए भी लोगों ने उनकी सराहना की. ज्ञात हो कि पिछले ही महीने कुलभूषण जाधव मामले में ICJ में भारत की जीत हुई थी. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव को बिना किसी देरी के कांसुलर एक्सेस देने और उन्हें दी गई सजा की 'प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार' करने का आदेश दिया था.
हम बात सुषमा स्वराज की कर रहे थे साथ ही हमने ये भी कहा था कि अपने अंत समय तक सुषमा केवल देश के बारे में ही सोच रही थीं. इस बात को समझने के लिए हम ट्विटर का रुख कर सकते हैं. सुषमा स्वराज ने 6 अगस्त को ही आखिरी बार ट्वीट किया था. निधन से 3 घंटे पहले सुषमा ने एक ट्वीट में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी थी और इस निर्णय का अभिनंदन किया था. अपने आखिरी ट्वीट में सुषमा स्वराज ने लिखा, "प्रधान मंत्री जी - आपका हार्दिक अभिनन्दन. मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी. @narendramodi ji - Thank you Prime Minister. Thank you very much. I was waiting to see this day in my lifetime."
बहरहाल, सुषमा हमें छोड़कर कहीं दूर शून्य में विलीन हो गयीं हैं और अब हमारे पास सिर्फ और सिर्फ उनकी यादें हैं. जैसा राजनीतिक जीवन सुषमा स्वराज का रहा है, चाहे सदन हो या फिर दैनिक जीवन सुषमा ने सदैव ही देश को प्राथमिकता दी और ये बताया कि जब तब हम अपने देश के लिए गंभीर नहीं होंगे तब तक न तो हमारा विकास ही संभव है और न ही तक तक हम एक आदर्श नागरिक के तौर पर अपने को डेवेलोप कर पाएंगे.
कुल मिलाकर बात का सार बस इतना है कि सुषमा का जीवन उन तमाम लोगों के लिए सीख है जो देश से पहले सिर्फ और सिर्फ अपनी खुशहाली और बेहतरी के प्रति गंभीर रहते हैं और अपने सारे प्रयास उसी दिशा में करते हैं.
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