कहते हैं कि आप किसी युद्ध में हों तो आपकी एक छोटी सी चूक भी बहुत बड़ी हो जाती है. और आपकी हर गलती दुश्मन को ताकतवर बनाती है. पूरी दुनिया के साथ भारत भी इन दिनों एक युद्ध लड़ रहा है. यह युद्ध किसी देश के खिलाफ नहीं बल्कि, एक वायरस के खिलाफ है. कोरोना वायरस (Coronavirus) से युद्ध किसी बड़े युद्ध से कम नहीं है. किसी भी युद्ध में सबसे बड़ा जो नुकसान होता है वह मौत (Death) का होता है. बाकि सभी चीज़ें फिर से पाई या हासिल की जा सकती हैं लेकिन एक मौत की कीमत क्या होती है? इसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल होता है. कोरोना वायरस से लड़ना भी एक बहुत बड़े युद्ध के जैसा है इसमें भी लोगों की जान जाने का खतरा है, इसीलिए पूरे देश को लॅाकडाउन (Lockdown) कर दिया गया है ताकि कोरोना वायरस से लड़े जाने युद्ध को जीता जा सके. ऐसे में एक हल्की सी चूक भी बहुत भारी पड़ जाने वाली है, लेकिन क्या वो चूक हो गई है? सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि दिल्ली (Delhi) से एक खबर निकली है और यह खबर बुरी है बेहद बुरी है.
दिल्ली का एक इलाका निजामुद्दीन है जहां एक मरकज है. यानी वह जगह जहां से इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार किया जाता है. तबलीगी जमात की यह मरकज अब सुर्खीयों में है और देशभर में इस मरकज को कोरोना वायरस का गढ़ कहा जा रहा है. माना जा रहा है कि मरकज़ के लोगों का अड़ियल रवैया रहा है जिसकी सनक और ज़िद के चलते भारत को एक बहुत बड़ा नुकसान हुआ है.
एक ओर जहां लॅाकडाउन करके हालात पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है. तो वहीं दूसरी ओर इतनी बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. दरअसल पूरा मामला शुरू होता है 13 मार्च से. मरकज में जलसा का आयोजन किया गया था. जिसमें देश-विदेश के कई लोग शामिल हुए. इसके बाद हर दिन यह जलसा बदस्तूर जारी रहा, लोग आते रहे और जाते भी रहे.
धार्मिक प्रोग्राम के नाम पर जो कुछ भी दिल्ली के निजामुद्दीन में हुआ उसने पूरे देश को संकट में डाल दिया है
इसी बीच भारत में कोरोना वायरस ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया. 16 मार्च को दिल्ली सरकार ने सभी धार्मिक कार्यक्रमों को रद कर दिया और भीड़भाड़ जुटाने वालों के खिलाफ सख्ती दिखाने की बात कही, लेकिन यह आयोजन चलता रहा, यहां हजारों की तादाद बनी रही. 20 मार्च को तेलंगाना में 10 कोरोना पाजिटिव केस मिले इनमें इंडोनेशिया के लोग भी शामिल थे और इन सभी के तार दिल्ली स्थित इसी मरकज से जुड़े थे, यह सभी लोग इसी मरकज के जलसे में शामिल हुए थे.
इसका पता लगते ही हड़कंप मच गया, 25 मार्च को एक मेडिकल टीम मरकज पहुंचती है वहां तकरीबन हजार लोग मौजूद थे जिनकी जांच की गई और जिनमें भी कोरोना के लक्षण दिखे सभी को उसी मरकज में अलग कर दिया गया. 30 मार्च को जांच की रिपोर्ट आई जिसमें 24 लोगों की कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आई, और इसी दिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने ट्वीट के जरिए जानकारी दी कि उनके राज्य में 6 लोगों की मौत हुई है जो हाल ही में इसी मरकज से लौटे थे.
प्रशासन की ओर से सख्ती की गई और मरकज में रह रहे सभी लोगों को कोरांटीन कर दिया गया. इससे पहले प्रशासन लगातार मरकज को खाली करने का अल्टीमेटम दिए जा रहा था लेकिन धार्मिक कट्टरपंथियों की ओर से कहा जा रहा था कि ज़्यादातर लोग अपने घरों की ओर लौट गए हैं. महज 1000 के आसपास लोग ही अब मरकज में रुके हुए हैं, जिनको भेजने के लिए इंतजाम किए जा रहे हैं.
मरकज को खाली कराया गया तो इस झूठ का भी पर्दाफाश हो गया. मरकज से तकरीबन 2 हजार लोग निकले. यह एक आंकड़ा ज़रूर हो सकता है लेकिन सच्चाई यह है कि मरकज की इस गलती की वजह से भारत में कोरोना को फैलने में मदद मिली है. देश के अलग अलग राज्यों में उन लोगों की कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव पाई जा रही है जो मरकज के इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे.
आइए एक आंकड़े पर नज़र डालते हैं और देखते हैं कि कितनी बड़ी चूक मरकज की ओर से की गई है.
दिल्ली- दिल्ली से इस जमात में लगभग 4000 लोग शामिल हुए थे जिनमें 24 लोगों में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं.
तमिलनाडु- तमिलनाडु से करीब 1500 लोग इस जलसे में शामिल हुए थे जिनमें 124 लोगों में कोरोना के लक्षण दिखे हैं और इसमें तकरीबन 50 लोगों की मौत हो चुकी है.
जम्मू कश्मीर- जम्मू और कश्मीर से करीब 850 लोग इस जलसे में शामिल हुए थे जिनमें 25 लोगों में कोरोना के लक्षण दिखाई दिए हैं.
तेलंगाना- तेलंगाना से 386 लोग मरकज के इस जलसे में शामिल हुए थे जिनमें 49 लोगों में कोरोना का लक्षण दिखाई दिया है और इनमें 6 की मौत भी हो चुकी है.
उत्तर प्रदेश- उत्तर प्रदेश से इस कार्यक्रम में 150 के करीब लोग शामिल हुए थे जिनमें 6 लोगों में लक्षण पाए गए हैं.
आंध्र प्रदेश- आंध्र प्रदेश से करीब 700 लोग इस तबलीगी मरकज के कार्यक्रम में शामिल हुए जिसमें 29 लोगों में कोरोना के लक्षण दिखाई दिए हैं.
यह सारे आंकड़े बतलाते हैं कि कोरोना वायरस का गढ़ निजामुद्दीन को क्यों कहा जा रहा है. देश के 20 से अधिक राज्यों के लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे इनमें से अधिकांश अपने-अपने घरों को लौट चुके हैं, नाजाने कितने लोगों के संपर्क में वह लोग आए होंगे और इन सबका जिम्मेदार अगर कोई है तो वह जमात के लोग हैं. जहां कोरोना से पीड़ित देश के लोग आते हैं और कार्यक्रम किया जाता है किसी भी तरह का कोई एहतियात नहीं बरता जाता है.
कोरोना के लक्षण दिखने के बावजूद वह एक साथ उठ बैठ रहे थे. वह जाहिल लोग नहीं थे पढ़े लिखे लोग थे वक्ता थे लेकिन हरकत जाहिलों से भी बड़ी की गई है. उन पर किसी भी तरह का कोई असर कोरोना का दिखा ही नहीं, ऐसे समय में जब बच्चा-बच्चा सोशल डिस्टेसिंग को समझ रहा है और उसे अमल में ला रहा है वहीं दूसरी और मरकज में जमात के लोगों ने इसकी धज्जियां उड़ा कर रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
भारत सरकार को तत्काल ठोस कार्यवायी करनी चाहिए ये एक घिनौना अपराध है जिसे बिल्कुल भी माफ नहीं किया जाना चाहिए. मरकजी जमात में शामिल होने वाले लोगों की ओर से घोर लापरवाही देखने को मिली है देश के अलग-अलग हिस्सों से इस जलसे में शामिल हुए लोग कोरोना से संक्रमित होकर अपने घरों को लौटे हैं और इसमें ना सिर्फ उनकी बल्कि उनके परिवार वालों की जान भी खतरे में है जिसका अंदाजा भी शायद वह लोग नहीं लगा पा रहे हैं.
हर राज्य की सरकार तेज़ी के साथ उन लोगों को चिन्हित कर अलग करने की कोशिश कर रही है. ताकि उनकी जान और उनके परिवार वालों की जान बचाई जा सके. लेकिन धार्मिक कट्टरपंथिता उन पर इस कदर हावी है कि वह कभी जांच करने वाली टीम के ऊपर पथराव कर रहे हैं. तो कभी मेडिकल टीमों के ऊपर थूक रहे हैं.
यह घिनौनी हरकत नाकाबिले बर्दाश्त है. ऐसे लोगों के खिलाफ सख्ती से पेश आना चाहिए और ठोस से ठोस कानूनी कार्यवायी करनी चाहिए. साथ ही इनका बचाव कर रहे लोगों को भी शर्म आनी चाहिए कि इनके इतने बड़े अपराध में इनका साथ दे रहे हैं. हमें कोरोना वायरस से युद्ध लड़ना है और इस युद्ध के दरमियान जो भी ऐसी गंदी हरकत करता है उनके खिलाफ हर किसी को मिलकर आवाज उठानी चाहिए.
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