देश में कोरोना के संक्रमण के मामलों (Coronavirus Cases) को बढ़ाने में अगर किसी का सबसे बड़ा रोल है तो वे सिर्फ और सिर्फ तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) के लोग ही हैं. अगर तब्लीगी जमात के लोग भी देश के दूसरे लोगों की मेडिकल सलाहियत मानते तो ये हाल न हुआ होता.
तब्लीगी जमात की हरकतों का आलम ये है कि कोरोना के खिलाफ जंग में जुटे संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ निजामुद्दीन मरकज के आयोजन में हिस्सा ले चुके लोगों को खोजने में दिन रात एक किये हुए है. अगर ये काम नहीं करना होता तो कोरोना के खिलाफ लड़ाई तो और मजबूत होती ही, देश में कोरोना के मामलों में भी वायरल इजाफा न होता.
आखिर ये कैसे लोग हैं जिनको अपनी जान तक की परवाह नहीं है?
क्या अभी तक इन लोगों को कोरोना वायरस के खतरे की जरा भी जानकारी नहीं है? अगर जानकारी नहीं है तो मौलाना साद (Maulana Saad) इनके लिए कोई मैसेज क्यों नहीं देते?
जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन में घरों में बंद पड़ी है, तो ये लोग क्वारंटीन तोड़ कर भाग जा रहे हैं - समझना जरूरी हो गया है कि आखिर ये लोग ऐसी हरकतें क्यों कर रहे हैं?
एक तिहाई संक्रमित तो तब्लीगी जमात के ही हैं
महाराष्ट्र के पुणे से खबर आती है कि तब्लीगी जमात के 10 लोग फरार हो गये हैं. फिर उत्तराखंड के काशीपुर क्वारंटीन सेंटर से दो तब्लीगी जमात के लोगों के खिड़की तोड़ कर भाग जाने की खबर आती है - पुलिस एक्शन में आती है. नाकेबंदी होती है और सघन तलाशी अभियान चलने लगता है. राहत की बात इतनी ही होती है कि इनके फोन नंबर पुलिस के पास होते हैं - लेकिन पुलिस को इनका ऐसे पीछा क्यों करना पड़ रहा है जैसे बाकी अपराधियों का करना पड़ता है?
देश में कोरोना के संक्रमण के मामलों (Coronavirus Cases) को बढ़ाने में अगर किसी का सबसे बड़ा रोल है तो वे सिर्फ और सिर्फ तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) के लोग ही हैं. अगर तब्लीगी जमात के लोग भी देश के दूसरे लोगों की मेडिकल सलाहियत मानते तो ये हाल न हुआ होता.
तब्लीगी जमात की हरकतों का आलम ये है कि कोरोना के खिलाफ जंग में जुटे संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ निजामुद्दीन मरकज के आयोजन में हिस्सा ले चुके लोगों को खोजने में दिन रात एक किये हुए है. अगर ये काम नहीं करना होता तो कोरोना के खिलाफ लड़ाई तो और मजबूत होती ही, देश में कोरोना के मामलों में भी वायरल इजाफा न होता.
आखिर ये कैसे लोग हैं जिनको अपनी जान तक की परवाह नहीं है?
क्या अभी तक इन लोगों को कोरोना वायरस के खतरे की जरा भी जानकारी नहीं है? अगर जानकारी नहीं है तो मौलाना साद (Maulana Saad) इनके लिए कोई मैसेज क्यों नहीं देते?
जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन में घरों में बंद पड़ी है, तो ये लोग क्वारंटीन तोड़ कर भाग जा रहे हैं - समझना जरूरी हो गया है कि आखिर ये लोग ऐसी हरकतें क्यों कर रहे हैं?
एक तिहाई संक्रमित तो तब्लीगी जमात के ही हैं
महाराष्ट्र के पुणे से खबर आती है कि तब्लीगी जमात के 10 लोग फरार हो गये हैं. फिर उत्तराखंड के काशीपुर क्वारंटीन सेंटर से दो तब्लीगी जमात के लोगों के खिड़की तोड़ कर भाग जाने की खबर आती है - पुलिस एक्शन में आती है. नाकेबंदी होती है और सघन तलाशी अभियान चलने लगता है. राहत की बात इतनी ही होती है कि इनके फोन नंबर पुलिस के पास होते हैं - लेकिन पुलिस को इनका ऐसे पीछा क्यों करना पड़ रहा है जैसे बाकी अपराधियों का करना पड़ता है?
दिल्ली की निजामुद्दीन मरकज में आयोजन और बाकी गतिविधियों को लेकर तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद सहित 7 लोगों के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया है. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच मामले की जांच कर रही है. मौलाना साद तक पहुंच बना पाने में पुलिस नाकाम रही है. क्राइम ब्रांच ने मौलाना साद से 26 सवाल पूछे थे और मौलाना साद ने जवाब भेज दिया है. मौलाना साद का कहना है कि फिलहाल वो सेल्फ क्वारंटीन में हैं और अभी मरकज बंद है, लिहाजा जब मरकज खुलेगा तब बाकी सवालों के जवाब देंगे. मौलाना साद के वकील का कहना है कि पुलिस के नोटिस का जवाब दे दिया गया है. साथ में जरूरी दस्तावेजों को पेश करने के लिए वकील ने वक्त मांगा है क्योंकि अभी सभी दफ्तर बंद हैं.
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के सूत्रों के हवाले से खबर आयी थी कि मौलाना साथ को भी कोरोना संक्रमण हो सकता है - अगर वाकई ऐसा है फिर तो इलाज की जरूरत है.
स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से दी गयी जानकारी के मुताबिक, देश भर में अब तक कोरोना के मरीजों की संख्या 2992 है. 4 अप्रैल को मिले अपडेट से पता चला है कि 68 लोगों की मौत हुई है - जबकि 183 लोग ठीक भी हो चुके हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय से ही मिली जानकारी से मालूम होता है कि कोरोना पॉजिटिव पाये गये लोगों में 1023 तब्लीगी जमात के हैं - मतलब, कुल संक्रमित लोगों में एक तिहाई तो ये ही हैं. ये आंकड़ा देश के 17 राज्यों से आया है.
मौलाना साद को तब्लीगी जमात की फिक्र क्यों नहीं?
तब्लीगी जमात के लोग जिस तरीके से पेश आ रहे हैं वे खुद अपनी जान को तो खतरे में डाल ही रहे हैं - जहां कहीं भी जा रहे हैं या जिस किसी से मिल रहे हैं सबकी जान खतरे में डाल रहे हैं.
भला ऐसा कैसे हो सकता है कि किसी को अपनी जान की जरा भी परवाह न हो? ये लोग जहां कहीं भी जा रहे होंगे वहां भी इनके अपने लोग ही होंगे क्योंकि मुसीबत के वक्त तो कोई भी अपने करीबी लोगों के पास ही जाता है. ऐसी हालत में ये अपने करीबियों की जिंदगी ही खतरे में डाल रहे हैं - लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है? ये तो आत्मघाती व्यवहार हुआ - लेकिन ऐसे व्यवहार के पीछे वजह क्या हो सकती है?
अगर मौलाना साद ने दिल्ली पुलिस को बताया है कि वो सेल्फ क्वारंटीन में हैं तो जाहिर है इसकी अहमियत भी समझते ही होंगे. निश्चित तौर पर वो कोरोना वायरस से बचने के लिए ऐसा किये होंगे. एक वजह पुलिस से बचना भी हो सकती है. जब दिल्ली सरकार के अधिकारी और पुलिस अफसर मरकज खाली करने को कह रहे थे तो वो अपनी जिद पर अड़े रहे. वो कितने सक्षम है ये इसी बात से समझा जा सकता है कि मरकज खाली तभी हुआ जब देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को रात के दो बजे मौके पर पहुंच कर मौलाना साद और उनके साथियों को समझाना बुझाना पड़ा. और वही मौलाना साद न जाने कहां और किस हाल में हैं.
अब अगर मौलाना साद को सेल्फ क्वारंटीन की अहमियत और कोरोना वायरस के खतरे का अंदाजा है तो वो अपने अनुयाइयों को भी आगाह क्यों नहीं करते? सेल्फ क्वारंटीन में भी वो वीडियो मैसेज तो जारी कर ही सकते हैं. तब्लीगी जमात के लोगों को ये तो बता ही सकते हैं कि वे क्या करें और क्या न करें.
ऐसा तो होगा नहीं कि मौलाना साद को सेल्फ क्वारंटीन में बाहरी दुनिया की खबरें नहीं मिलती होंगी. ये मालूम तो होता ही होगा कि जमात के लोग कहां डॉक्टरों पर थूक रहे हैं. ये भी मालूम होता ही होगा कि जमात के लोग कहां नर्सों के सामने अश्लील हरकत कर रहे हैं और कपड़े उतार कर घूमना शुरू कर दे रहे हैं. ये भी मालूम होगा ही कि जमात के ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज कर चुकी है.
तब्लीगी जमात के लोगों के पुलिस और डॉक्टरों पर हमले की खबरें भी तो मिलती ही होंगी. फिर मालूम तो ये भी हो ही चुका होगा कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसे हमलावरों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत एक्शन लेने का ऐलान किया है. कन्नौज में पुलिस अफसर का गला दबा कर हत्या का प्रयास और कर्नाटक के हुबली में पुलिसकर्मियों पर हमला बोल जख्मी कर देने की भी खबर तो मिली ही होगी.
मौलाना साद के इतना सब होने के बावजूद खामोश रहने को भला क्या समझा जाये? अब तो ये लगता है कि मौलाना साद को तब्लीगी जमात के लोगों की कोई फिक्र ही नहीं है.
इन्हें भी पढ़ें :
Maulana Saad के संदेश पर अक्षरशः अमल कर रहे हैं डॉक्टरों पर हमला करने वाले
Coronavirus: जिन मुसलमानों को जरा भी शंका है, मक्का मदीना के हाल जान लें
Coronavirus Lockdown: घटनाओं के हिन्दू-मुस्लिमीकरण को छोड़ आओ मानव जाति को बचाएंं
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.