राजनीति कमाल की चीज है. इसमें न तो कुछ पूर्व नियोजित होता है. न पूर्व निर्धारित. अमूमन चीजें यूं अचानक ही हो जाती हैं. एक ऐसे समय में जब कांग्रेस बनाम भाजपा की लड़ाई अपने चरम पर हो, देश की सियासत में दल बदल कोई नई बात नहीं है. कब कौन कहां चला जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. अब खुशबू सुंदर को ही देख लीजिए. तमिलनाडु की सियासत में खुशबू (Khushbu Sundar) एक बड़ा नाम हैं जो अब से कुछ घंटों पहले तक कांग्रेस की हां में हां मिलाती थीं लेकिन ये पीएम मोदी (PM Modi) द्वारा किये जा रहे काम हैं न भविष्य के लिए पद का मोह, तमिलनाडु की सियासत में बड़ा उलटफेर करते हुए खुशबू सुंदर ने भाजपा (Khushbu Sundar Join BJP) का दामन थामा है और तमिलनाडु में कमल को मजबूती दी है. खुशबू ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा से हाथ मिलाया है ये तो बड़ी बात है ही मगर इनसे भी बड़े वो कारण हैं जिनके चलते खुशबू ने भाजपा को अलविदा कहा है. 2010 में डीएमके नेता करूणानिधि (Karunanidhi) के जरिये सियासत में उतरीं खुशबू ने 2014 में कांग्रेस जॉइन की थी और कांग्रेस की तारीफ करते हुए कहा था कि कांग्रेस ही वो पार्टी है जो देश को एकजुट रख सकती है.
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष एवं सर्वेसर्वा राहुल गांधी के करीबियों में शुमार खुशबू ने जो इस्तीफा पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा है, सबसे पहले हमारे लिए उस इस्तीफे को पढ़ना ज़रूरी हो जाता है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में खुशबू ने किसी का नाम तो नहीं लिया लेकिन पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं पर बेहद संगीन आरोप लगाए हैं.
अपने इस्तीफे में खुशबू ने लिखा है कि 'पार्टी में बड़े पदों पर कुछ ऐसे लोग बैठे हैं, जिनका जमीनी हकीकत से कोई जुड़ाव नहीं है. वे आदेश दे रहे हैं. मेरे...
राजनीति कमाल की चीज है. इसमें न तो कुछ पूर्व नियोजित होता है. न पूर्व निर्धारित. अमूमन चीजें यूं अचानक ही हो जाती हैं. एक ऐसे समय में जब कांग्रेस बनाम भाजपा की लड़ाई अपने चरम पर हो, देश की सियासत में दल बदल कोई नई बात नहीं है. कब कौन कहां चला जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. अब खुशबू सुंदर को ही देख लीजिए. तमिलनाडु की सियासत में खुशबू (Khushbu Sundar) एक बड़ा नाम हैं जो अब से कुछ घंटों पहले तक कांग्रेस की हां में हां मिलाती थीं लेकिन ये पीएम मोदी (PM Modi) द्वारा किये जा रहे काम हैं न भविष्य के लिए पद का मोह, तमिलनाडु की सियासत में बड़ा उलटफेर करते हुए खुशबू सुंदर ने भाजपा (Khushbu Sundar Join BJP) का दामन थामा है और तमिलनाडु में कमल को मजबूती दी है. खुशबू ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा से हाथ मिलाया है ये तो बड़ी बात है ही मगर इनसे भी बड़े वो कारण हैं जिनके चलते खुशबू ने भाजपा को अलविदा कहा है. 2010 में डीएमके नेता करूणानिधि (Karunanidhi) के जरिये सियासत में उतरीं खुशबू ने 2014 में कांग्रेस जॉइन की थी और कांग्रेस की तारीफ करते हुए कहा था कि कांग्रेस ही वो पार्टी है जो देश को एकजुट रख सकती है.
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष एवं सर्वेसर्वा राहुल गांधी के करीबियों में शुमार खुशबू ने जो इस्तीफा पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा है, सबसे पहले हमारे लिए उस इस्तीफे को पढ़ना ज़रूरी हो जाता है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में खुशबू ने किसी का नाम तो नहीं लिया लेकिन पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं पर बेहद संगीन आरोप लगाए हैं.
अपने इस्तीफे में खुशबू ने लिखा है कि 'पार्टी में बड़े पदों पर कुछ ऐसे लोग बैठे हैं, जिनका जमीनी हकीकत से कोई जुड़ाव नहीं है. वे आदेश दे रहे हैं. मेरे जैसे लोगों को, जो पार्टी के लिए काम करना चाहते हैं, उन्हें पीछे धकेला जा रहा है और काम करने से रोका जा रहा है.
अभिनेत्री से राजनीति में आई खुशबू ने भाजपा की सदस्यता लेते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है., खुशबू ने कहा है कि 'समय के साथ मैंने महसूस किया कि देश को सही दिशा में ले जाने के लिए पीएम मोदी जैसे किसी व्यक्ति की जरूरत है.
दिलचस्प बात ये भी है कि वो खुशबू सुंदर जिनके पास आज पीएम की शान में कसीदे पढ़ने के लिए शब्द कम पड़ गए हैं. उन्होंने अभी बीते दिनों ही नीतियों के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीखी आलोचना की थी और तमाम तरह के गंभीर आरोप देश के प्रधानमंत्री पर लगाए थे.
क्यों कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा के पाले में गयीं खुशबू
जैसा कि हम बता चुके हैं साउथ की फ़िल्म इंडस्ट्री के सुपर स्टारों में शामिल खुशबू को राजनीति में लाने का क्रेडिट डीएमके नेता करुणानिधि को जाता है. मगर तब बात नहीं बनी थी और खुशबू ने कांग्रेस का रुख कर लिया था. खुशबू क्यों कांग्रेस से नाराज हुईं इसकी वजह लोकसभा और राज्यसभा के टिकट को माना जा सकता है.बताते चलें कि कांग्रेस पार्टी ने तमिलनाडु से ताल्लुख रखने वाली खुशबू को राष्ट्रीय प्रवक्ता तो बनाया लेकिन 2019 में न तो उन्हें लोकसभा के लिए टिकट दिया और न ही अभी हाल में उन्हें राज्यसभा पहुंचाया. खुशबू को पार्टी का ये रवैया बुरा लगा और इसी को आधार बनाकर उन्होंने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया.
सिर्फ साउथ ही नहीं बॉलीवुड में भी अपना जलवा बिखेर चुकी हैं खुशबू
अपनी जिंदगी में कोई 50 बसंत देख चुकी खुशबू सुंदर ने अपनी अदाओं से केवल साउथ को अपना दीवाना नहीं बनाया बल्कि अपनी एक्टिंग की बदौलत उन्होंने बॉलीवुड में भी अपना लोहा मनवाया. 1980 में आई फ़िल्म 'द बर्निंग ट्रेन' के अलावा खुशबू ने लावारिस, नसीब, कालिया, मेरी जंग, बेमिसाल जैसी फिल्मों में काम किया और बॉलीवुड फैंस को अपना दीवाना बनाया.
दक्षिण में क्या है खुशबू का कद
हो सकता है जनता खुशबू को हल्के में ले तो बता दें कि 200 से ऊपर फिल्मों में काम करने वाली खुशबू देश की ऐसी पहली फीमेल एक्टर हैं जिनका भारत में सबसे पहले मंदिर बना. मंदिर खुशबू के फैंस ने बनवाया है और ये तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में स्थित है. इसके अलावा दक्षिण में खुशबू का क्रेज कुछ ऐसा है कि आज भी वहां साड़ी से लेकर शैम्पू तक तमाम चीजें खुशबू के नाम पर हैं.
वोट बैंक को प्रभावित कर सकती हैं खुशबू
राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले और तमिलनाडु की सियासत को समझने वाले लोग इस बात पर एकमत हैं कि खुशबू को अपने पाले में लाकर भाजपा ने एक बहुत बड़ा गेम खेला है. चूंकि साउथ में खुशबू भगवान की तरह पूजी जाती हैं इसलिए इनके भाजपा में आने के बाद इनके फैन बेस का भाजपा की तरफ आना लाजमी है. आने वाले वक्त में तमिलनाडु में चुनाव होने हैं ऐसे में जो दांव भाजपा ने आज खेला है इसका फायदा उसे निश्चित तौर पर आने वाले वक्त में मिलेगा.
खुशबू के जरिये कांग्रेस हुई है बेनकाब
बात बीते दिनों ही है गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे नेताओं ने कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाए थे. अब जबकि खुशबू का इस्तीफ़ा हमारे सामने हैं तो इतना तो साफ़ हो गया है कि पार्टी में गड़बड़ है. आने वाले वाले वक़्त में अगर पार्टी टूटी तो यही सब चीजें जिम्मेदार होंगी. इस्तीफे के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को जो बातें खुशबू ने कहीं हैं साफ़ है कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी, राहुल गांधी और सीडब्लूसी तीनों को बेनकाब कर दिया है.
साफ़ है की खुशबू की इस चिट्ठी के बाद आने वाले समय में कांग्रेस पार्टी को तमिलनाडु में भारी कीमत चुकानी होगी.
जो कांग्रेस पार्टी ने खुशबू जैसी कर्मठ सिपाही के साथ किया और जिस तरह उन्होंने पार्टी छोड़ी. इसे देखकर ये भी साफ़ हो गया है कि आने वाले वक़्त में हम इस तरह की और ख़बरें सुनेंगे अभी तमाम लोग हैं जो कांग्रेस से नाराज हैं और पार्टी छोड़ने की प्लानिंग में हैं. ऐसे लोगों को मौके की तलाश है. जब इन्हें मौका मिल जाएगा ये भी खुशबू की तरह कांग्रेस पार्टी को टाटा बाय बाय बोल देंगे. समझना राहुल और सोनिया दोनों को है ये बगावतें एक पार्टी के रूप में कांग्रेस के लिए कहीं से भी अच्छी नहीं हैं.
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