विवादों में रहने वाली बांग्लादेश की लेखिका तसलीमा नसरीन कहती तो हैं कि वे खेल को राजनीति से जोड़ना पसंद नहीं करतीं. लेकिन इसके साथ-साथ उन्होंने अब राजनीति, खेल और विवाद को एक साथ लाकर खड़ा भी कर दिया है. एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच जब मैच जारी था तो तसलीमा ने अपने दो ट्वीट और बांग्ला में लिखे एक फेसबुक पोस्ट से वही किया जिसकी हिमायती वे खुद को नहीं बतातीं.
तसलीमा ने सबसे पहले 27 फरवरी को एक ट्वीट किया कि उनकी दिलचस्पी यह जानने में है कि बांग्लादेश के लोग भारत-पाकिस्तान मैच में किसके साथ हैं.
लेकिन इस ट्वीट के बाद तसलीमा ने जो दूसरा ट्वीट किया और फिर फेसबुक पर जो लिखा उसने विवाद को जन्म दे दिया. तसलीमा ने इस ट्वीट में लिखा, 'बांग्लादेश के लोगों को पाकिस्तान को सपोर्ट करते देख ऐसा लग रहा है कि एक बलात्कार पीड़िता अपने ही बलात्कारी का साथ दे रही है.'
तसलीमा का एक फेसबुक पोस्ट भी...
इस फेसबुक पोस्ट में तसलीमा 1971 से पहले बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) के हालात और पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए अत्याचार की बात कर रही हैं. उन्होंने लिखा है कि कैसे लाखों बांग्लादेशी महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और करीब तीन लाख लोग मौत के घाट उतार दिए गए. फिर वो ये भी लिखती हैं कि वे जानती हैं कि पाकिस्तानी खिलाड़ी या पाकिस्तान के आम लोग इसके दोषी नहीं हैं. लेकिन क्या वे अपनी सेना के उस कृत्य पर शर्मिंदा हैं? तसलीमा के ट्वीट पर आए कुछ जवाब..
विवादों में रहने वाली बांग्लादेश की लेखिका तसलीमा नसरीन कहती तो हैं कि वे खेल को राजनीति से जोड़ना पसंद नहीं करतीं. लेकिन इसके साथ-साथ उन्होंने अब राजनीति, खेल और विवाद को एक साथ लाकर खड़ा भी कर दिया है. एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच जब मैच जारी था तो तसलीमा ने अपने दो ट्वीट और बांग्ला में लिखे एक फेसबुक पोस्ट से वही किया जिसकी हिमायती वे खुद को नहीं बतातीं.
तसलीमा ने सबसे पहले 27 फरवरी को एक ट्वीट किया कि उनकी दिलचस्पी यह जानने में है कि बांग्लादेश के लोग भारत-पाकिस्तान मैच में किसके साथ हैं.
लेकिन इस ट्वीट के बाद तसलीमा ने जो दूसरा ट्वीट किया और फिर फेसबुक पर जो लिखा उसने विवाद को जन्म दे दिया. तसलीमा ने इस ट्वीट में लिखा, 'बांग्लादेश के लोगों को पाकिस्तान को सपोर्ट करते देख ऐसा लग रहा है कि एक बलात्कार पीड़िता अपने ही बलात्कारी का साथ दे रही है.'
तसलीमा का एक फेसबुक पोस्ट भी...
इस फेसबुक पोस्ट में तसलीमा 1971 से पहले बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) के हालात और पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए अत्याचार की बात कर रही हैं. उन्होंने लिखा है कि कैसे लाखों बांग्लादेशी महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और करीब तीन लाख लोग मौत के घाट उतार दिए गए. फिर वो ये भी लिखती हैं कि वे जानती हैं कि पाकिस्तानी खिलाड़ी या पाकिस्तान के आम लोग इसके दोषी नहीं हैं. लेकिन क्या वे अपनी सेना के उस कृत्य पर शर्मिंदा हैं? तसलीमा के ट्वीट पर आए कुछ जवाब..
वैसे, यह सवाल भी जायज है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच का जो इतिहास रहा है, अगर उसके बावजूद अगर पाक टीम को बड़ा सपोर्ट वहां मिलता है तो क्या धर्म एक बड़ा कारण हो सकता है. संभव है. लेकिन खेल में जरूरी नहीं कि केवल यही एक कारण हो. ठीक वैसे ही जैसे ब्राजील या अर्जेंटीना के बीच फुटबाल मैच के दौरान हम किसी राजनीतिक पैमाने पर नहीं बल्कि पसंदीदा खिलाड़ियों के आधार पर कोई टीम चुनते हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.