चुनाव मजेदार होते हैं.जब इलेक्शन भारत में हों तो ये न केवल मजेदार होते हैं, बल्कि जनता जनार्धन के लिए सौगातों का पिटारा लेकर आते हैं. भले ही गिफ्ट नेताओं के भाषण तक सीमित रहे लेकिन इसमें कोई शक नही कि दिया बहुत कुछ जाता है. कहीं ज्यादा दूर क्या ही जाना. उत्तर प्रदेश को ही देख लीजिये. होने को तो उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों का बिगुल 2022 में बजेगा मगर जैसा पॉलिटिकल पार्टियों विशेषकर सत्ता पक्ष का रुख है. जनता को जैकपॉट मिलने वाला है. और बेसिक स्कूलों में शिक्षक भर्ती की बात कहकर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने आगामी चुनावों को जीतने के लिए अपना पहला ट्रंपकार्ड फेंक दिया है. मुश्किल सपा, बसपा, कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी के लिए हैं अब इन्हें योगी आदित्यनाथ से बड़ी और कहीं ज्यादा मजबूत चाल चलनी होगी.
बेसिक स्कूलों में शिक्षक भर्ती को विपक्ष विशेषकर समाजवादी पार्टी ने बड़ा मुद्दा बनाया था. जिसके बाद उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सवा लाख से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति पूरी की गई थी. दिलचस्प ये कि तब भी नियुक्तियां पूरी नहीं हुईं थी और कई पद खाली रह गए थे. ऐसे में एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार खाली पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने में रुचि दिखा रही है. इसके लिए यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ स्वयं आगे आए हैं.
योगी आदित्यनाथ ने स्कूलों में खाली शिक्षक पदों का विवरण जुटाने और नए पदों के लिए क्या क्या जरूरतें होंगी उसके लिए तीन सदस्यीय समिति को जिम्मेदारी दी है. बताते चलें कि राजस्व परिषद के चेयरमैन को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है. वहीं सचिव बेसिक शिक्षा और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को इस कमेटी...
चुनाव मजेदार होते हैं.जब इलेक्शन भारत में हों तो ये न केवल मजेदार होते हैं, बल्कि जनता जनार्धन के लिए सौगातों का पिटारा लेकर आते हैं. भले ही गिफ्ट नेताओं के भाषण तक सीमित रहे लेकिन इसमें कोई शक नही कि दिया बहुत कुछ जाता है. कहीं ज्यादा दूर क्या ही जाना. उत्तर प्रदेश को ही देख लीजिये. होने को तो उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों का बिगुल 2022 में बजेगा मगर जैसा पॉलिटिकल पार्टियों विशेषकर सत्ता पक्ष का रुख है. जनता को जैकपॉट मिलने वाला है. और बेसिक स्कूलों में शिक्षक भर्ती की बात कहकर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने आगामी चुनावों को जीतने के लिए अपना पहला ट्रंपकार्ड फेंक दिया है. मुश्किल सपा, बसपा, कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी के लिए हैं अब इन्हें योगी आदित्यनाथ से बड़ी और कहीं ज्यादा मजबूत चाल चलनी होगी.
बेसिक स्कूलों में शिक्षक भर्ती को विपक्ष विशेषकर समाजवादी पार्टी ने बड़ा मुद्दा बनाया था. जिसके बाद उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सवा लाख से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति पूरी की गई थी. दिलचस्प ये कि तब भी नियुक्तियां पूरी नहीं हुईं थी और कई पद खाली रह गए थे. ऐसे में एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार खाली पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने में रुचि दिखा रही है. इसके लिए यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ स्वयं आगे आए हैं.
योगी आदित्यनाथ ने स्कूलों में खाली शिक्षक पदों का विवरण जुटाने और नए पदों के लिए क्या क्या जरूरतें होंगी उसके लिए तीन सदस्यीय समिति को जिम्मेदारी दी है. बताते चलें कि राजस्व परिषद के चेयरमैन को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है. वहीं सचिव बेसिक शिक्षा और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को इस कमेटी का सदस्य मनोनीत किया गया है.
माना जा रहा है कि चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद उन चेहरों पर मुस्कान आई है जो नई भर्ती के सिलसिले में लंबे समय से तैयारी में जुटे थे. गौरतलब है कि अभी बीते दिन ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक हाई लेवल मीटिंग की है. मीटिंग में जहां मुख्यमंत्री ने स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक की लिखाई पढ़ाई की जानकारी ली.
तो वहीं उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों को बेहतर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा माकूल कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस क्रम में विद्यालयों में आवश्यकतानुसार शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति के साथ साथ नए पदों का भी सृजन किया जाना चाहिए. इसी मीटिंग में सीएम ने कमेटी बनाई और जितना जल्द हो सके उन्होंने रिक्त पदों के संदर्भ में रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
माना जा रहा है कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो ये काम चुनावों से पहले पहले हो जाएगा. कमेटी रिपोर्ट में किन बातों को बताती है? कितने रिक्त पद भरे जाते हैं? क्या नए पदों का सृजन हो पाएगा? जवाब वक़्त देगा. लेकिन जो वर्तमान है उत्तर प्रदेश सरकार और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ी रेखा खींच दी है जिसे पार करना मौजूदा वक्त में सपा, बसपा, कांग्रेस तथा ओवैसी एवं अन्य के लिए संभव नहीं है.
कुल मिलाकर योगी आदित्यनाथ ने नौकरी के नाम पर एक ऐसा तुरुप का इक्का फेंका है जो हारी बाजी को जीतने का पूरा दम रखता है. और हां अंत में बस इतना ही कि योगी ने अपनी चाल उस वक़्त चली है जब अन्य दल अपने पत्ते सही से सेट भी नहीं कर पाए हैं.
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