राजनीति में अपनी नकामयाबी छुपाने और सस्ती लोकप्रियता के लिए किसी भी नेता के लिए अगर कोई चीज रामबाण साबित होती है तो वो है बयान और आरोप. प्रायः ये देखा गया है नेता, किसी भी मुद्दे पर बयान दे दे. या फिर किसी अन्य नेता पर आरोप लगा दे उसे जनता की थोड़ी बहुत सहानुभूति मिल ही जाती है. पिता लालू यादव के जेल जाने और भाई तेज प्रताप की हरकतों के चलते तेजस्वी यादव का भविष्य गर्त के अंधेरों में है. ऐसे में उनके पास एक ही विकल्प है कि वो राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाते रहें और मीडिया में बने रहें. यही तरीके उनके छोटे भाई तेज प्रताप ने भी अपनाया है.
बिहार के सियासी गलियारों से जो खबर आ रही है वो न सिर्फ दिलचस्प है बल्कि ये भी बताने के लिए काफी है कि अब तेजस्वी यादव की भी उल्टी गिनती शुरू हो गयी है और अब उनको भी बयानों और आरोपों का ही सहारा है. खबर है कि बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर गंभीर आरोप लगाये हैं. तेजस्वी ने एक बयान में माना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, संविधान बचाओ न्याय यात्रा को मिल रहे अपार जनसमर्थन से घबरा गए हैं और उन्होंने गंभीर साजिश रच डाली है.
ध्यान रहे कि अभी कुछ दिन पहले ही तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर पहले फ़ोन टैपिंग का आरोप लगाया था. तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर ये भी आरोप लगाया है कि जब वो सर्किट हाउस में ठहरे थे तब मुख्यमंत्री के ही इशारे पर उनके खाने-पीने की चीज़ों में नशीले, विषैले पदार्थ मिलाने की कोशिश की गयी. साथ ही तेजस्वी ने राज्य के मुख्यमंत्री पर जासूसी का भी आरोप लगाया है.
वहीं तेजस्वी के इस बयान पर पलटवार करते हुए जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि...
राजनीति में अपनी नकामयाबी छुपाने और सस्ती लोकप्रियता के लिए किसी भी नेता के लिए अगर कोई चीज रामबाण साबित होती है तो वो है बयान और आरोप. प्रायः ये देखा गया है नेता, किसी भी मुद्दे पर बयान दे दे. या फिर किसी अन्य नेता पर आरोप लगा दे उसे जनता की थोड़ी बहुत सहानुभूति मिल ही जाती है. पिता लालू यादव के जेल जाने और भाई तेज प्रताप की हरकतों के चलते तेजस्वी यादव का भविष्य गर्त के अंधेरों में है. ऐसे में उनके पास एक ही विकल्प है कि वो राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाते रहें और मीडिया में बने रहें. यही तरीके उनके छोटे भाई तेज प्रताप ने भी अपनाया है.
बिहार के सियासी गलियारों से जो खबर आ रही है वो न सिर्फ दिलचस्प है बल्कि ये भी बताने के लिए काफी है कि अब तेजस्वी यादव की भी उल्टी गिनती शुरू हो गयी है और अब उनको भी बयानों और आरोपों का ही सहारा है. खबर है कि बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर गंभीर आरोप लगाये हैं. तेजस्वी ने एक बयान में माना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, संविधान बचाओ न्याय यात्रा को मिल रहे अपार जनसमर्थन से घबरा गए हैं और उन्होंने गंभीर साजिश रच डाली है.
ध्यान रहे कि अभी कुछ दिन पहले ही तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर पहले फ़ोन टैपिंग का आरोप लगाया था. तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर ये भी आरोप लगाया है कि जब वो सर्किट हाउस में ठहरे थे तब मुख्यमंत्री के ही इशारे पर उनके खाने-पीने की चीज़ों में नशीले, विषैले पदार्थ मिलाने की कोशिश की गयी. साथ ही तेजस्वी ने राज्य के मुख्यमंत्री पर जासूसी का भी आरोप लगाया है.
वहीं तेजस्वी के इस बयान पर पलटवार करते हुए जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि तेजस्वी को दरअसल अपने इस यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता का एहसास हो गया है और आगामी उपचुनाव में हार का अंदाजा भी लग गया है. संजय सिंह के अनुसार तेजस्वी ने इस हार के लिए पहले से बहाना ढूंढ लिया है.
बहरहाल, तेजस्वी के इस बयान से एक बात तो साफ है कि अब वो उन हथकंडों पर उतर आए हैं जो न सिर्फ निंदनीय हैं. बल्कि ये भी बता रहे हैं कि कहीं न कहीं तेजस्वी भी ये मान चुके हैं कि पिता की अनुपस्थिति में बिहार जैसे विशाल राज्य को संभालना उनके बस की बात नहीं है. समर्थक कुछ न कहें और उन्हें हमदर्दी से देखें इसलिए उनके द्वारा ऐसे बयान दिए जा रहे हैं.
नीतीश कुमार के विरोध की लालू यादव की लाइन को आगे ले जाने में तेजस्वी जहां मुख्यमंत्री पर जासूसी कराने और खाने में जहर मिलाने की बात कर रहे हैं तो वहीं उनके भाई तेज प्रताप उनसे एक कदम और आगे जाकर कुछ ऐसा कह गए हैं जिससे यह राजनीतिक लड़ाई मजाक में बदल गई है. स्वास्थ्य मंत्री रहते उन्हें पटना में जो बंगला अलॉट किया गया था, उसे छोड़ते हुए उन्होंने आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार और सुशील मोदी ने बंगले में भूत छोड़ दिया था जो उन्हें डरा रहा था. इसलिए उन्हें यह बंगला खाली करना पड़ रहा है. यह वही तेज प्रताप हैं जो पटना में नीतीश से गठबंधन टूट जाने के बाद हुए एक विरोधी रैली मंच से 'धर्म युद्ध' का बिगुल फूंक रहे थे. अब एक भूत से डरकर भाग रहे हैं.
खैर हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि राजनीति में कुछ स्थाई नहीं है और जब बात बिहार की राजनीति की हो तो वहां स्थिति और भी गंभीर हो जाती है. कह सकते हैं कि तेजस्वी और तेजप्रताप एक ऐसे वक़्त में विपक्ष में बैठे हैं जब देश में युवाओं को आगे ले जाने, और युवाओं के ही मार्गदर्शन में आगे ले जाने की बात हो रही है.
लालू पुत्र दोनों भाइयों को ये समझना होगा कि उनके ये बयान कुछ क्षणों के लिए तो उन्हें लोकप्रियता और मीडिया में स्थान दिला सकते हैं मगर बात जब लम्बे समय की होगी तब वो उनके बयान नहीं, काम ही होंगे, जो उन्हें एक नेता से जननायक बनाएंगे और वो सत्ता सुख भोग पाएंगे. बेहतर है अपने मन में पनप रही ग़लतफ़हमियों को दरकिनार कर कुछ बड़ा करें ताकि उनका राजनीतिक भविष्य बना रहे.
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