कोरोना वायरस महामारी ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत देश के कई प्रमुख राज्यों की कमर तोड़ कर रख दी है. केंद्र और राज्य सभी परेशान हैं. राहत के नाम पर केंद्र से फंड्स की डिमांड लगातार हो रही है. केंद्र भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए जरूरी फंड्स मुहैया करा रहा है. वक़्त मुश्किल है. तमाम राज्य ऐसे हैं जो अपनी सूझ बूझ का इस्तेमाल करते हुए इन फंड्स का इस्तेमाल अक्लमंदी से कर रहे हैं. कोरोना ने जैसे हालात बनाए हैं भले ही राज्य कर्जे में हों मगर इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि जनता को किसी तरह की कोई तकलीफ न हो. बात भारत के संदर्भ में हो रही है तो बेहतर शासन तब है, जब केंद्र कोई निर्देश दे और राज्य उन निर्देशों का पालन सही से करें वरना ये तय है स्थिति खराब होगी.तेलंगाना को ही देख लीजिए. मुख्यमंत्री केसीआर की बदौलत राज्य गर्दन तक कर्जे में डूबा है लेकिन वहां विलासिता में कोई कमी नहीं आ रही है. भले ही कोविड के मद्देनजर किये गए आधे अधूरे प्रबंध के कारण तेलंगाना आलोचकों के निशाने पर हो लेकिन जैसा मुख्यमंत्री का रवैया है वो एक के बाद एक नए नए कारनामें कर रहे हैं और अपने से जुड़े विवादों की आग में खर डाल रहे हैं. ध्यान रहे कि मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव द्वारा 32 अतिरिक्त जिला कलेक्टरों के लिए 32 किआ कार्निवल कारें खरीदी गई हैं. बाजार की मानें यो इन गाड़ियों की अनुमानित कीमत 25 से 30 लाख रुपये के आस पास है. ज्ञात हो कि गाड़ियों की ये खरीद फरोख्त उस वक़्त हुई है जब कोरोना वायरस महामारी के तहत राज्य मोटे कर्जे की गिरफ्त में है.
मुख्यमंत्री की इस फिजूलखर्ची ने एक नए विवाद का श्री गणेश कर दिया है और आलोचकों और विपक्ष को राज्य सरकार की आलोचना का मौका मिल गया है....
कोरोना वायरस महामारी ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत देश के कई प्रमुख राज्यों की कमर तोड़ कर रख दी है. केंद्र और राज्य सभी परेशान हैं. राहत के नाम पर केंद्र से फंड्स की डिमांड लगातार हो रही है. केंद्र भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए जरूरी फंड्स मुहैया करा रहा है. वक़्त मुश्किल है. तमाम राज्य ऐसे हैं जो अपनी सूझ बूझ का इस्तेमाल करते हुए इन फंड्स का इस्तेमाल अक्लमंदी से कर रहे हैं. कोरोना ने जैसे हालात बनाए हैं भले ही राज्य कर्जे में हों मगर इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि जनता को किसी तरह की कोई तकलीफ न हो. बात भारत के संदर्भ में हो रही है तो बेहतर शासन तब है, जब केंद्र कोई निर्देश दे और राज्य उन निर्देशों का पालन सही से करें वरना ये तय है स्थिति खराब होगी.तेलंगाना को ही देख लीजिए. मुख्यमंत्री केसीआर की बदौलत राज्य गर्दन तक कर्जे में डूबा है लेकिन वहां विलासिता में कोई कमी नहीं आ रही है. भले ही कोविड के मद्देनजर किये गए आधे अधूरे प्रबंध के कारण तेलंगाना आलोचकों के निशाने पर हो लेकिन जैसा मुख्यमंत्री का रवैया है वो एक के बाद एक नए नए कारनामें कर रहे हैं और अपने से जुड़े विवादों की आग में खर डाल रहे हैं. ध्यान रहे कि मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव द्वारा 32 अतिरिक्त जिला कलेक्टरों के लिए 32 किआ कार्निवल कारें खरीदी गई हैं. बाजार की मानें यो इन गाड़ियों की अनुमानित कीमत 25 से 30 लाख रुपये के आस पास है. ज्ञात हो कि गाड़ियों की ये खरीद फरोख्त उस वक़्त हुई है जब कोरोना वायरस महामारी के तहत राज्य मोटे कर्जे की गिरफ्त में है.
मुख्यमंत्री की इस फिजूलखर्ची ने एक नए विवाद का श्री गणेश कर दिया है और आलोचकों और विपक्ष को राज्य सरकार की आलोचना का मौका मिल गया है. बड़ा सवाल यही है कि जब राज्य कोविड नियंत्रण में बुरी तरह से नाकाम हो और भारी कर्जे की मार झेल रहा हो, व्यर्थ में हुए इस व्यय ने सीधा प्रभाव क्या राज्य के बजट पर नहीं डाला होगा?
सरकारी खजाने को लुटाते केसीआर की इस दरियादिली को देखकर कांग्रेस और भाजपा एक प्लेटफॉर्म पर आ गए हैं. दोनों ही दलों के नेताओं का मामले को लेकर यही कहना है कि आखिर इस मुश्किल वक़्त में अधिकारियों के लिए लग्जरी गाड़ियां खरीदी ही क्यों गईं? बताते चलें कि अभी बीते दिनों ही तेलंगाना के परिवहन मंत्री पुववाड़ा अजय कुमार ने हैदराबाद स्थित मुख्यमंत्री आवास से इन कारों को हरी झंडी दिखाई थी.
दिलचस्प ये कि इन कीमती गाड़ियों का निरीक्षण ख़ुद राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने किया था.
कोविड मरीजों की आड़ लेकर केसीआर पर कसा जा रहा है शिकंजा.
मामले ने आरोप प्रत्यारोप की राजनीति को हवा दे दी है. ऐसे में कांग्रेस ने कोविड मरीजों की आड़ ली है और केसीआर पर तीखा हमला किया है. कांग्रेस नेता वामशी चंद रेड्डी खुलकर केसीआर के विरोध में आए हैं और ट्वीट किया है. उन्होंने ट्वीट किया है और लिखा है कि 'अच्छा होता ये काम कोरोना मरीजों के लिए किया जाता.
केसीआर को संबोधित करते हुए उन्होंने लिखा कि 'आशा है कि आप मरने वाले कोरोना रोगियों की सेवा करने के लिए इन्हें एम्बुलेंस समझ कर गलत नहीं कर रहे हैं.ये तेलंगाना सरकार द्वारा खरीदी गई कार है. तेलंगाना के सीएम की विलासिता को संतुष्ट करने के लिए ये गाड़ियां ली गयी हैं. कांग्रेस नेता ने तंज करते हुए ये भी लिखा कि हम इन शानदार कारों में से प्रत्येक के लिए खर्च की गई कीमत पर 3 एम्बुलेंस खरीद सकते हैं.
वहीं तेलंगाना कांग्रेस के प्रवक्ता श्रवण दासोजू ने कहा है कि 'केसीआर के नेतृत्व वाली टीआरएस सरकार जनता के पैसों को संभालने में पूरी तरह से गैर जिम्मेदार है. ऐसे में केसीआर ने तेलंगाना को बड़े कर्ज में धकेल दिया है.
भाजपा भी केसीआर की इस हरकत से बहुत नाराज है. भाजपा प्रवक्ता के कृष्ण सागर राव ने मुख्यमंत्री की आलोचना की है और कहा है कि राज्य में ब्यूरोक्रेट्स को खुश करने के लिए मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव सार्वजनिक खजाने की आपराधिक लूट को अंजाम दे रही है. साथ ही उन्होंने ये भी सवाल किया कि मुख्यमंत्री केसीआर तेलंगाना राज्य में अतिरिक्त कलेक्टरों के लिए 32 अल्ट्रा लक्जरी वाहन खरीदने के लिए 11 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने को कैसे उचित ठहरा सकते हैं.
वित्त मंत्री पहले ही रो चुके हैं बजट का रोना
इस फिजूलखर्ची के बाद राज्य की असल स्थिति क्या है इसे तेलंगाना के वित्त मंत्री हरीश राव के उस बयान से भी समझा जा सकता है जो उन्होंने अभी कुछ दिन पहले दिया था. उन्होंने बताया था कि राज्य को कोरोना लॉक डाउन के साथ बड़े पैमाने पर राजस्व का नुकसान हुआ है. इसलिए वह अधिक ऋण जुटाने के लिए राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन की सीमा बढ़ाना चाहता है.
किआ कार्निवल सरकारी काम के लिए, या ऐशोआराम के लिए है!
Kia Carnival, Kia Motor India की सबसे चर्चित कारों में से एक है. कंपनी ने गाड़ी को उस वक़्त लांच किया जब कंपनी की एक अन्य गाड़ी और Kia Motors की पहली SV कार Seltos को भारत में गाड़ियों के शौकीन लोगों द्वारा हाथों हाथ लिया गया. बात कार की खासियतों की हो तो कार मल्टीपल सिटिंग ऑप्शन्स से लैस है और आज भी इसका सीधा मुकाबला टोयोटा इनोवा क्रिस्टा से है.
Kia Carnival में पावर एडजस्टेबल सीट्स, वेंटीलेटेड ड्राइवर सीट, पावर विंडो, पावर्ड टेलगेट, क्रूज कंट्रोल, 3 ज़ोन क्लाइमेट कंट्रोल इत्यादि चीजें हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो इस गाड़ी में हर वो फीचर है जो अय्याशी के लिए परफेक्ट होता है. वहीं जब कंपनी ने अपनी इस शानदार और बेमिसाल गाड़ी का विज्ञापन किया था तो भी सारा फोकस जहां एक तरफ कम्फर्ट पर था तो वहीं अय्याशी को भी पूरी तवज्जो कंपनी द्वारा दी गयी.
न सिर्फ तेलंगाना की बल्कि पूरे देश की जनता अब खुद इस बात का फैसला करे कि क्या वाकई इसका सरकारी इस्तेमाल संभव है? बाकी बात बस इतनी है कि टारगेट अय्याशी है और इसे सबको अचीव करना है. जनता का क्या है वो तो पैदा ही हुई है वोट देने फिर तड़पकर मरने के लिए.
अंत में बस इतना ही कि अब जवाब और किसी को नहीं बल्कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर को देना है. केसीआर ही बताएं कि इस कोरोना काल ने ये 11 करोड़ की कारें खरीदना कितना जरूरी था वो भी तब ज स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर खर्चे मुंह बाए सामने खड़े हैं.
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