ठीक एक महीना हो गया - 8 जुलाई को हिज्बुल मुजाहिद्दीन कमांडर बुरहान मुज़फ्फर वानी सुरक्षा बलों के साथ अनंतनाग जिले में हुई एक मुठभेड़ में मारा गया था - और शाम होते होते पूरे दक्षिण कश्मीर में कर्फ्यू लगा दिया गया. बीते 15 दिन जैसे हालात तो कभी नहीं हुए होंगे - और 30 दिन का कर्फ्यू तो आजादी के बाद शायद ही लगा हो.
घाटी की हालत को लेकर, इस बीच, राजनीति पीक पर है. पहले उमर अब्दुल्ला ने सीएम महबूबा मुफ्ती को घेरा तो, अब विपक्ष केंद्र की मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहा है.
प्रधानमंत्री को खुली चिट्ठी
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद इस सिलसिले में दो दिन पहले प्रधानमंत्री को एक खुला पत्र भी लिख चुके हैं. आजाद ने पत्र में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहल - 'इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत' का जिक्र करते हुए कानून व्यवस्था की स्थिति जल्द बहाल करने का आग्रह किया है.
संसद में भी शोर
खुले पत्र के बाद संसद में भी आजाद ने जम्मू कश्मीर का मामला उठाया. मोर्चा संभाला आजाद ने और उन्हें सपोर्ट मिला सीताराम येचुरी का. जीरो ऑवर में राज्य सभा में आजाद ने आरोप लगाया - अफसोस की बात है कि हिंदुस्तान का ताज जल रहा, सिर जल रहा लेकिन इसकी गर्मी दिल्ली की सरकार तक नहीं पहुंच रही.
इसे भी पढ़ें: बुरहान वानी के पिता के लिए कश्मीर की लड़ाई राजनीतिक नहीं धार्मिक!
आजाद के साथ सीताराम येचुरी भी सपोर्ट में खड़े हुए, "मैंने अपने जीवन में आजाद भारत में 30 दिनों का कर्फ्यू नहीं देखा."
फिर येचुरी ने चेताया भी, "हमारी खामोशी केवल कश्मीर के लोगों को हमसे दूर ले जाएगी."
स्टेटस अपडेट
सोशल मीडिया पर मोदी की सक्रियता को देखते हुए...
ठीक एक महीना हो गया - 8 जुलाई को हिज्बुल मुजाहिद्दीन कमांडर बुरहान मुज़फ्फर वानी सुरक्षा बलों के साथ अनंतनाग जिले में हुई एक मुठभेड़ में मारा गया था - और शाम होते होते पूरे दक्षिण कश्मीर में कर्फ्यू लगा दिया गया. बीते 15 दिन जैसे हालात तो कभी नहीं हुए होंगे - और 30 दिन का कर्फ्यू तो आजादी के बाद शायद ही लगा हो.
घाटी की हालत को लेकर, इस बीच, राजनीति पीक पर है. पहले उमर अब्दुल्ला ने सीएम महबूबा मुफ्ती को घेरा तो, अब विपक्ष केंद्र की मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहा है.
प्रधानमंत्री को खुली चिट्ठी
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद इस सिलसिले में दो दिन पहले प्रधानमंत्री को एक खुला पत्र भी लिख चुके हैं. आजाद ने पत्र में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहल - 'इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत' का जिक्र करते हुए कानून व्यवस्था की स्थिति जल्द बहाल करने का आग्रह किया है.
संसद में भी शोर
खुले पत्र के बाद संसद में भी आजाद ने जम्मू कश्मीर का मामला उठाया. मोर्चा संभाला आजाद ने और उन्हें सपोर्ट मिला सीताराम येचुरी का. जीरो ऑवर में राज्य सभा में आजाद ने आरोप लगाया - अफसोस की बात है कि हिंदुस्तान का ताज जल रहा, सिर जल रहा लेकिन इसकी गर्मी दिल्ली की सरकार तक नहीं पहुंच रही.
इसे भी पढ़ें: बुरहान वानी के पिता के लिए कश्मीर की लड़ाई राजनीतिक नहीं धार्मिक!
आजाद के साथ सीताराम येचुरी भी सपोर्ट में खड़े हुए, "मैंने अपने जीवन में आजाद भारत में 30 दिनों का कर्फ्यू नहीं देखा."
फिर येचुरी ने चेताया भी, "हमारी खामोशी केवल कश्मीर के लोगों को हमसे दूर ले जाएगी."
स्टेटस अपडेट
सोशल मीडिया पर मोदी की सक्रियता को देखते हुए आजाद ने कुछ सवाल जवाब कोट किये.
आजाद ने बताया कि सोशल मीडिया पर उन्हें दो चीजें दिखीं - किसी ने सवाल उठाया, पीएम कुछ बोलते क्यों नहीं, एक महीने से कर्फ्यू है. जवाब मिला - 'अभी जी नहीं भरा.'
आजाद ने एक और पोस्ट का जिक्र किया - 'हमको उनसे वफा की उम्मीद जो नहीं जानते कि वफा क्या है?'
महीने भर से कर्फ्यू जारी... |
आजाद ने घाटी में हिंसा के दरम्यान कुछ आंकड़े भी पेश किये. तीन हजार से ज्यादा सुरक्षा बल के जवान जख्मी हुए हैं. जख्मी लोगों की तादाद आठ हजार से अधिक हो चुकी है. 400 से ज्यादा लोगों की आंखों का ऑपरेशन हो चुका है - और एक हजार नौजवान जेल भेजे जा चुके हैं. आजाद का कहना था, सरकार इसे सामान्य कानून व्यवस्था की समस्या न समझें.
विपक्ष के कड़े तेवर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की है.
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विपक्ष ने इस मसले पर ऑल पार्टी मीटिंग बुलाने के साथ ही हालात का जायजा लेने के लिए एक प्रतिनिधि मंडल भेजने की भी मांग रखी है. इस बीच मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राजनाथ सिंह से मुलाकात कर हालात पर चर्चा की है जिस पर उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कटाक्ष किया है - चीफ मिनिस्टर को 'डिस्टर्ब' होने में 31 दिन लग गये और तब तक 50 लोग मारे जा चुके हैं.
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