कल हिजबुल ने मक्कारी दिखाई थी कि अमरनाथ यात्रा श्रद्धालुओं के लिए है और हम उनके लिए हथियार नहीं उठाते हैं और आज ही सुरक्षा बलों को लश्कर-ए-तैयबा के अमरनाथ यात्रा पर संभावित हमले को देखते हुए आतंकी अलर्ट जारी करना पड़ा है.
सुरक्षा बलों के मुताबिक़ लश्कर पिस्सू टॉप और शेषनाग जैसे यात्रा के महत्वपूर्ण स्थानों पर हमला कर सकता है और वहां सुरक्षा बढ़ा दी गयी है. एजेंसियों को ये भी आशंका है कि आतंकवादी सुरक्षा बलों के पहलगाम, अनंतनाग और पुलवामा स्थित ठिकानों पर भी हमला कर सकते हैं, अगर वो यात्रियों की सुरक्षा को भेदने में असफल रहते हैं. इसके अलावा सेना के कठुआ और साम्भा डिस्ट्रिक्ट के कैंप भी उनके निशाने पर हैं.
अमरनाथ यात्रा पर हमेशा से आतंक का साया रहा है. पिछले साल अमरनाथ यात्रा से लौटते हुए श्रद्धालुओं की एक बस पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया था. बस यात्रियों को लेकर वैष्णो देवी माता की यात्रा पर कटरा जा रही थी कि अनंतनाग के पास आतंवादियों ने उस पर हमला कर दिया था. सात लोग मारे गए थे जिसमें पांच महिलाएं शामिल थीं और 19 लोग घायल हुए थे.
तब ये कहा गया था कि कई बड़े आतंकवादियों के मारे जाने के बाद आंतकवादी ग्रुप गंभीर दबाव में थे और अमरनाथ यात्रा को टारगेट करने का प्लान कर रहे थे. कश्मीर के इंस्पेक्टर जनरल मुनीर का इस सम्बन्ध में लिखा खत बाद में लीक भी हो गया था.
आतंकवादियों के लिए पहले से बुरी स्थिति अब है. बीजेपी के समर्थन लेने के बाद मेहबूबा मुफ़्ती की सरकार गिर चुकी है और स्टेट अब बीजेपी के डायरेक्ट कंट्रोल में आ चुका है और आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन आल आउट 2.0 की शुरुआत हो चुकी है जिसमें सुरक्षा बलों ने 250 से ज्यादा आतंकवादियों की लिस्ट बनाई है. इसके पहले सुरक्षा दलों...
कल हिजबुल ने मक्कारी दिखाई थी कि अमरनाथ यात्रा श्रद्धालुओं के लिए है और हम उनके लिए हथियार नहीं उठाते हैं और आज ही सुरक्षा बलों को लश्कर-ए-तैयबा के अमरनाथ यात्रा पर संभावित हमले को देखते हुए आतंकी अलर्ट जारी करना पड़ा है.
सुरक्षा बलों के मुताबिक़ लश्कर पिस्सू टॉप और शेषनाग जैसे यात्रा के महत्वपूर्ण स्थानों पर हमला कर सकता है और वहां सुरक्षा बढ़ा दी गयी है. एजेंसियों को ये भी आशंका है कि आतंकवादी सुरक्षा बलों के पहलगाम, अनंतनाग और पुलवामा स्थित ठिकानों पर भी हमला कर सकते हैं, अगर वो यात्रियों की सुरक्षा को भेदने में असफल रहते हैं. इसके अलावा सेना के कठुआ और साम्भा डिस्ट्रिक्ट के कैंप भी उनके निशाने पर हैं.
अमरनाथ यात्रा पर हमेशा से आतंक का साया रहा है. पिछले साल अमरनाथ यात्रा से लौटते हुए श्रद्धालुओं की एक बस पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया था. बस यात्रियों को लेकर वैष्णो देवी माता की यात्रा पर कटरा जा रही थी कि अनंतनाग के पास आतंवादियों ने उस पर हमला कर दिया था. सात लोग मारे गए थे जिसमें पांच महिलाएं शामिल थीं और 19 लोग घायल हुए थे.
तब ये कहा गया था कि कई बड़े आतंकवादियों के मारे जाने के बाद आंतकवादी ग्रुप गंभीर दबाव में थे और अमरनाथ यात्रा को टारगेट करने का प्लान कर रहे थे. कश्मीर के इंस्पेक्टर जनरल मुनीर का इस सम्बन्ध में लिखा खत बाद में लीक भी हो गया था.
आतंकवादियों के लिए पहले से बुरी स्थिति अब है. बीजेपी के समर्थन लेने के बाद मेहबूबा मुफ़्ती की सरकार गिर चुकी है और स्टेट अब बीजेपी के डायरेक्ट कंट्रोल में आ चुका है और आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन आल आउट 2.0 की शुरुआत हो चुकी है जिसमें सुरक्षा बलों ने 250 से ज्यादा आतंकवादियों की लिस्ट बनाई है. इसके पहले सुरक्षा दलों दवारा चलाया गया ऑपरेशन आल आउट 1.0 भी काफी सफल हुआ था जिसमे 220 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए थे. इसमें कई बड़े उग्रवादी शामिल थे.
जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35A को हटाकर पूरे राज्य को भारत की मुख्य धारा में शामिल करना बीजेपी का मुख्य लक्ष्य रहा है और 2019 के चुनावों से पहले बीजेपी इसका राजनीतिक फायदा लेने की पूरी कोशिश करेगी और आतंकवादियों को टारगेट करना उसका मुख्य लक्ष्य रहेगा.
जैसा पिछले साल हुआ था, आतंकवादियों को अमरनाथ जैसे धार्मिक यात्रा को टारगेट करने और कम्युनल फसाद फ़ैलाने में उस समय काफी फायदा दिखाई देता था. और उनके लिए इस साल पिछले साल से भी बुरी स्थिति है. सो, क्यों ना अमरनाथ यात्रा को फिर टारगेट किया जाए.
हिजबुल के ऑपरेशनल कमांडर रियाज़ नाइकू का बयान और उसके बाद लश्कर से जुडी जानकारी हमें इसी सन्दर्भ में देखनी चाहिए. रियाज़ ने कहा है कि अमरनाथ यात्रा हमारा टारगेट नहीं है क्योंकि श्रद्धालु वहां अपना धर्म निभाने आते हैं. रियाज़ ने कहा है कि हमने कभी भी अमरनाथ यात्रा को टारगेट नहीं किया है. हमने गन तो अपने अधिकारों की रक्षा और स्वतंत्रता के लिए उठाया है. और उसके बाद लश्कर-ए-तैयबा के संभावित आतंकी हमले की चेतावनी.
अमरनाथ यात्रा पर कुछ बड़े हमले हो चुके हैं और भविष्य में भी होते रहेंगे और ज्यादातर में लश्कर-ए-तैयबा के ही आतंकवादियों ने हमला किया था. 2006 में पांच तीर्थयात्री मारे गए थे. 2002 में पहलगाम के पास लश्कर के अटैक में नौ तो 2001 में शेषनाग के पास के अटैक में 13 यात्री मारे गए थे. लश्कर आतंकवादियों ने अमरनाथ यात्रा पर सबसे भीषण हमला 2000 में किया था जिसमें 32 यात्री मारे गए थे.
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