भारत के बाद अब अमेरिका में भी चीन के पॉप्युलर ऐप टिकटॉक को बैन (TikTok Ban In S) करने की दिशा में प्रयास जारी हैं. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने इस मामले में अपनी चाल चल दी है और बयान जारी किया है कि अगर 15 सितंबर तक किसी अमेरिकी कंपनी ने टिकटॉक को खरीद लिया तो उसपर बैन नहीं लगेगा, नहीं तो अमेरिका में 15 सितंबर के बाद टिकटॉक पूरी तरह बैन हो जाएगा. दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि चीनी कंपनी बाइट डांस के स्वामित्व वाले पॉप्युलर शॉर्ट वीडियो शेयरिंग ऐप टिकटॉक को क्यों न अमेरिका में स्वदेशी बना दिया जाए और इससे आर्थिक लाभ भी लिया जाए. इसी के मद्देनजर उन्होंने कहा है कि जो भी अमेरिकी कंपनी टिकटॉक को खरीदती है, उसे अमेरिकी खजाने में निश्चित राशि जमा करानी होगी और यह एक तरह से मंजूरी के लिए जरूरी राशि है, जिसके बाद टिकटॉक को देश में जारी रखने की इजाजत दी जाएगी.
भारत में टिकटॉक बैन करने के बाद बीते जून में जब अमेरिका में भी टिकटॉक को बैन किए जाने पर विचार होने लगा तो बिल गेट्स की कंपनी और टिकटॉक की पैरेंट कंपनी बाइट डांस के बीच अमेरिका में टिकटॉक की खरीद-बिक्री की बात हुई और पिछले डेढ़ महीने से बातचीत जारी है, लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया है. अब इस मामले को लेकर डोनाल्ड ट्रंप और माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला के बीच लंबी बातचीत हुई है, जिसके बाद बीते सोमवार को डॉनाल्ड ट्रंप ने मीडिया के सामने कई बातें कहीं. माइक्रोसॉफ्ट भी टिकटॉक को खरीदने के सिलसिले में बाइटडांस से लगातार बातचीत कर रही है और माना जा रहा है कि इस डील पर 15 सितंबर से पहले मुहर लग जाएगी और टिकटॉक अमेरिका के लिए स्वदेशी हो जाएगा.
ये है डोनाल्ड ट्रंप की चाल
अमेरिका में टिकटॉक के भविष्य को लेकर यूएस प्रेजिडेंट ने साफ तौर पर कहा कि अगर कोई अमेरिकी कंपनी टिकटॉक का शेयर खरीदती है तो उसे सिर्फ 30 फीसदी नहीं, बल्कि 100 फीसदी शेयर खरीदना होगा. इस बारे में उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट सीईओ से हुई बातचीत का भी जिक्र किया....
भारत के बाद अब अमेरिका में भी चीन के पॉप्युलर ऐप टिकटॉक को बैन (TikTok Ban In S) करने की दिशा में प्रयास जारी हैं. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने इस मामले में अपनी चाल चल दी है और बयान जारी किया है कि अगर 15 सितंबर तक किसी अमेरिकी कंपनी ने टिकटॉक को खरीद लिया तो उसपर बैन नहीं लगेगा, नहीं तो अमेरिका में 15 सितंबर के बाद टिकटॉक पूरी तरह बैन हो जाएगा. दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि चीनी कंपनी बाइट डांस के स्वामित्व वाले पॉप्युलर शॉर्ट वीडियो शेयरिंग ऐप टिकटॉक को क्यों न अमेरिका में स्वदेशी बना दिया जाए और इससे आर्थिक लाभ भी लिया जाए. इसी के मद्देनजर उन्होंने कहा है कि जो भी अमेरिकी कंपनी टिकटॉक को खरीदती है, उसे अमेरिकी खजाने में निश्चित राशि जमा करानी होगी और यह एक तरह से मंजूरी के लिए जरूरी राशि है, जिसके बाद टिकटॉक को देश में जारी रखने की इजाजत दी जाएगी.
भारत में टिकटॉक बैन करने के बाद बीते जून में जब अमेरिका में भी टिकटॉक को बैन किए जाने पर विचार होने लगा तो बिल गेट्स की कंपनी और टिकटॉक की पैरेंट कंपनी बाइट डांस के बीच अमेरिका में टिकटॉक की खरीद-बिक्री की बात हुई और पिछले डेढ़ महीने से बातचीत जारी है, लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया है. अब इस मामले को लेकर डोनाल्ड ट्रंप और माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला के बीच लंबी बातचीत हुई है, जिसके बाद बीते सोमवार को डॉनाल्ड ट्रंप ने मीडिया के सामने कई बातें कहीं. माइक्रोसॉफ्ट भी टिकटॉक को खरीदने के सिलसिले में बाइटडांस से लगातार बातचीत कर रही है और माना जा रहा है कि इस डील पर 15 सितंबर से पहले मुहर लग जाएगी और टिकटॉक अमेरिका के लिए स्वदेशी हो जाएगा.
ये है डोनाल्ड ट्रंप की चाल
अमेरिका में टिकटॉक के भविष्य को लेकर यूएस प्रेजिडेंट ने साफ तौर पर कहा कि अगर कोई अमेरिकी कंपनी टिकटॉक का शेयर खरीदती है तो उसे सिर्फ 30 फीसदी नहीं, बल्कि 100 फीसदी शेयर खरीदना होगा. इस बारे में उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट सीईओ से हुई बातचीत का भी जिक्र किया. ट्रंप ने पूरी तरह बिजनेसमैन वाला दिमाग लगाते हुए कहा कि कोई भी अमेरिकी कंपनी अगर टिकटॉक जैसे पॉप्युलर ऐप को खरीदना चाहती है तो उसे पूरी तरह खरीदे. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि कोई भी कंपनी टिकटॉक को खरीदती है तो उसे एक निश्चित राशि सरकार के खजाने में जमा कराना होगा, क्योंकि अमेरिकी सरकार इस डील को फाइनल करने में अहम भूमिका निभा रही है. फिलहाल उनके पास न कोई अधिकार है और न ही विकल्प, ऐसे में हम उन्हें अधिकार दे रहे हैं कि आप यहां काम करें, लेकिन अमेरिकी हित में.
माइक्रोसॉफ्ट के बहाने अमेरिकी खजाने में जाएगा पैसा
ट्रंप ने कहा कि अगर टिकटॉक और माइक्रोसॉफ्ट के बीच डील होती है तो इससे अमेरिकी सरकार के खजाने में जमा होने वाली एक निश्चित राशि एक तरह से मकान मालिक को दिए जाने किराये की तरह है, वो भी बिना किसी लीज के. ट्रंप ने साफ कहा कि टिकटॉप बहुत अच्छा ऐप है, लेकिन बिना अमेरिकी सरकार के मंजूरी के यह हमारे यहां कुछ नहीं है. अगर 15 सितंबर तक डील होती है तो ठीक, नहीं तो टिकटॉक अमेरिका से बोरिया बिस्तर समेटकर चीन वापस जाए. यहां बता दूं कि अमेरिका में टिकटॉक के 8 करोड़ से ज्यादा यूजर है, यानी देश की 20 फीसदी जनता टिकटॉक पर है. हॉलीवुड सिलेब्रिटीज से लेकर म्यूजिक इंडस्ट्री और स्पोर्ट्स इंडस्ट्री के सभी पॉल्युलर चेहरे टिकटॉक पर अक्सर अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हैं, ऐसे में यूएस में टिकटॉक का कितना क्रेज है, यह आसानी से समझा जाता है. टिकटॉक ने अमेरिका में कई कंपनी से वर्षों के करार भी किए हैं, ऐसे में टिकटॉक का रुकना अमेरिकी हित में भी है. अगर माइक्रोसॉफ्ट टिकटॉक को खरीद लेती है तो फिर डेटा सिक्युरिटी और प्राइवेसी का खतरा भी कम हो जाएगा.
ByteDance के पास विकल्प नहीं
टिकटॉक के लिए अमेरिका बहुत बड़ा मार्केट है और बाइटडांस कभी नहीं चाहेगी कि भारत के बाद एक और बड़ा मार्केट उसके हाथ से जाए, ऐसे में उसके पास अपनी हिस्सेदारी बेचने के सिवा और कोई विकल्प नहीं है. ट्रंप इसी का फायदा उठाना चाहते हैं और उन्होंने सरकारी खजाने का भी ध्यान रखते हुए टिकटॉक और उसे खरीदने की कोशिश में लगी टेक्नॉलजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के सामने विकल्प रखे हैं, जिससे खासकर अमेरिका को तो जरूर फायदा होने वाला है. डेटा सिक्युरिटी के मुद्दे पर घिरी बाइट डांस के पास अब अमेरिका में कोई विकल्प नहीं बचा है. कोरोना संकट के कारण वैसे ही चीन और अमेरिका के बीच तनातनी देखने को मिल रही है, ऐसे में दूसरे देशों ने चीनी उत्पादों को नए सिरे से बैन करने और या उसपर प्रतिबंध लगाने की कोशिशें तेज कर दी है.
भारत ने तो चीन को सबक सिखा दिया
उल्लेखनीय है कि भारत ने चीन के साथ सीमा विवाद के बाद बीते जून में 59 चीनी मोबाइल एप्लिकेशंस को बैन कर दिया, जिसमें टिकटॉक भी था. भारत में टिकटॉक के 12 करोड़ से ज्यादा यूजर थे, जिनके लिए सरकार का फैसला काफी संवेदनशील था, लेकिन राष्ट्रवाद के शोर में विरोधियों का शोर दब गया और चीन को भारत ने बड़ा सबक दे दिया. कुछ दिनों पहले भी सरकार ने 40 से ज्यादा चीनी ऐप पर बैन लगा दिए. भारत की इस कार्रवाई से चीनी कंपनियां बौखलाकर रह गईं, क्योंकि मामला डेटा सिक्युरिटी, प्राइवेसी और संप्रभुता का था. भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि ऐसे किसी मोबाइल अप्लिकेशंस के साथ समझौता नहीं किया जाएगा, जिससे देश की संप्रभुता को नुकसान हो. अब बहुत सी कंपनियां शॉर्ट शेयरिंग मोबाइल अप्लिकेशंस डेवपल कर रही हैं, जो कि धीरे-धीरे पॉप्युलर भी हो रहा है. इस कोशिश में सबसे ज्यादा असरदार इंस्टाग्राम का रील्स फीचर है.
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